25 दिसंबर 2010

नाकाम मोहब्बत में मौत

मोहब्बत के लिए दिल धड़कता है लेकिन इसका मतलब ये तो नहीं कि हर किसी को उसका प्यार हासिल हो जाये... अब जो वारदात हम आपको दिखाने जा रहे हैं उसमें एक शख्स ने जब अपनी मोहब्बत को नाकाम होते पाया तो उसने अपनी जिंदगी का ही काम तमाम कर डाला... नासमझ मोहब्बत की ये वो खबर है जो हत्या के फेर में फंसकर अब पुलिस के लिए बन गई है खुदकुशी का मामला...
ये कहानी फिल्मी पर्दे की है... एकतरफा इश्क में एक आशिक जुनून की हद तक प्यार करता है... इतना ही नहीं माशूका को पाने की खातिर वो उसपर खौफ भी पैदा करने की कोशिश करता है...कभी खुद को घायल कर तो कभी माशूका को धमका कर... लेकिन रील लाइफ की इस लव स्टोरी को एक शख्स ने असल जिंदगी में दोहराने की कोशिश की.. असल जिंदगी की इस कहानी में किरदार बदले हैं.. नाम बदले हैं .. लेकिन कहानी और कहानी का अंजाम करीब करीब फिल्म जैसा ही है.. ये दिल दहला देने वाली रील लाईफ की कहानी आई है दिल्ली से सटे गाजियाबाद से ..
बात बीती 11 दिसंबर की है गाजियाबाद के लोनी इलाका देर शाम अचानक गोलियों की तड़तडाहट से गूंज उठा...इससे पहले की कोई कुछ समझ पाता बीच मोहल्ले में बिछ गई एक लाश... ये लाश थी ज्योतिबा फूले नगर के रहने वाले 22 साल के नवीन की.. नवीन की गोली लगने से मौत हुई थी.. नवीन की लाश लोनी में रहने वाली वैशाली के घर के बाहर पड़ी थी.. आरोप लगा कि नवीन की हत्या वैशाली और उसके परिवार ने ही मिलकर की है..
दिनदहाड़े गोली चलना औऱ फिर एक लड़की के घर के सामने एक नौजवान की लाश मिलना...इलाके के लोगों के लिए कानाफूसी का किस्सा बन गया... लेकिन ये तो इस कहानी का ट्रेलर था.. पूरी पिक्चर अभी बाकि थी.. पुलिस ने मामले की तफ्तीश शुरू की...और मामले को हत्या करार देते हुए वैशाली के पिता समेत तीन लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया... लोगों को लगा कि शायद नौजवान लड़के औऱ लड़की को लेकर कोई मुद्दा रहा होगा जिसकी वजह से वैशाली के घरवालों ने नवीन की हत्या कर दी... भले ही वैशाली के परिवार वालों के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कर लिया हो लेकिन इस केस के सभी पहलुओं को बारीकी से खंगला जा रहा था... इसी बीच पुलिस ने इस वारदात के पांच दिन बीत जाने के बाद इस केस में फिर से एक अहम खुलासा किया.. तीन लोगों के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज करने वाली पुलिस अब इसे खुदकुशी का मामला बता रही है.. और पुलिस इसकी वजह मान रही है नाकाम मोहब्बत..
पुलिस के मुताबिक इस मोहब्बत की शुरूआत करीब तीन साल पहले हुई थी... नवीन और वैशाली की मुलाकात तीन साल पहले हरिद्वार में हुई थी.. उस वक्त वैशाली अपनी कालेज की पढाई पूरी कर रही थी.. जल्द ही दोनों अच्छे दोस्त बन गए..और फिर मुलाकतों का सिलसिला चल निकला..इसी बीच नवीन वैशाली को दिलों जान से चाहने लगा.. और हिम्मत करके एक दिन उसने वैशाली के सामने मोहब्बत का इजहार भी कर दिया.. लेकिन वैशाली ने नवीन के प्यार को ठुकरा दिया...
इश्क मे मिली नाकामी से नवीन बौखला गया.. इसी बीच वैशाली की पढाई पूरी हो गई और वो लोनी अपने घर लौट आई.. लेकिन किसी तरह नवीन ने वैशाली का एड्रेस निकाल लिया.. और फिर जबरन उससे मिलने लगा.. नवीन ने वैशाली को धमकी दी कि अगर वो उसकी ना हो सकी तो वो किसी की न हो पायेगी... अगर उसने ऐसा किया तो वो उसके परिवार को खत्म कर देगा..
वैशाली के दिलो दिमाग में नवीन का खौफ घर कर चुका था..
उसका घर से निकलना दुभर हो गया... वैशाली भले ही घर में कैद हो चुकी हो लेकिन अभी तो इस इकतरफा मोहब्बत को कई और मोड़ देखने थे... अभी तो मोहब्बत की इस कहानी का क्लाइमेक्स आना बाकी था... आरोप है कि बीते 11 दिसम्बर की शाम नवीन एक बार फिर से वैशाली से मिलने आया.. जब उसकी मुलाकात वैशाली से ना हो सकी तो उसने खुद को गोली मारकर खुदकुशी कर ली..पुलिस ने नवीन के परिजनों की शिकायत पर हत्या का मामला दर्ज किया लेकिन पुलिस अब इसे नाकाम मोहब्बत का अंजाम बताते हुए खुदकुशी मान रही है..
मोहब्बत में जुनूनी हो चुके नवीन ने अपने प्यार को ही सबकुछ मान लिया.. लेकिन वो भूल गया कि उसका जुनून जानलेवा हो सकता है.. मौत को गले लगाने से पहले शायद नवीन एक बार ये सोच लेता तो आज वो जिंदा होता..

मासूम का मर्डर

कहते हैं कि हर वारदात के पीछे एक मुक्कमल वजह होती है..लेकिन जरा सोचिए कि एक बारह साल के मासूम की किसी से क्या दुश्मनी हो सकती है..जिसकी ना केवल बेरहमी से हत्या कर दी गई.. बल्कि उसके जिस्म से आंख, कान, आंत और किडनी तक निकाल लिए गए.. यूपी के बलिया जिले से आई ये वो खबर है जिसने न केवल आम जनता बल्कि पुलिस महकमे में भी हड़कंप मचा दिया है...
ये है यू पी के बलिया जिले में बसे बिसुकिया इलाके के एक स्कूल का नजारा...यू तो ये स्कूल हर दिन बच्चों से गुलजार रहता था लेकिन आज यहां अजीब सा खौफ पसरा है.. यहां बच्चों की किलकारियां नहीं अजीब सी खामोशी छाई है.. आलम ये है कि ना बच्चे ठीक से पढ पा रहें है..और ना ही स्कूल टीचर पढा पा रहें है..स्कूल ही नहीं बिसुकिया के लोग भी खौफजदा हैं.. खौफ की वजह है एक मासूम का कत्ल.. असल में पवन गुप्ता नाम के बारह साल के एक मासूम की लाश बीते रविवार सुबह स्कूल के पीछे से बरामद हुई.. पवन की बेरहमी से हत्या की गई थी इतना ही नहीं उसके जिस्म से कई अंग भी गायब थे... असल में पवन यूपी के संत कबीर दास नगर का रहने वाला था और बीते आठ दिसम्बर को अपने पिता राजेश गुप्ता के साथ बिसुकिया गांव बारात में आया था... रात के वक्त बारात गांव के ही स्कूल में ठहरी.. पवन भी अपने पिता के साथ स्कूल में ही ठहरा था.. पवन रात करीब बारह बजे अपने पिता से अपने चाचा के पास सोने की बात कहकर चला गया.. अगले दिन सुबह करीब ग्यारह बजे बारात वापस चली गई.. लेकिन मासूम पवन का कहीं कोई सुराग न मिला..
पवन के परिजन उसे तलाशने वापस बिसुकिया गांव आए लेकिन पवन का कोई सुराग न मिला.. इस संबंध में गुमशुदगी की रिपोर्ट भी दर्ज कराई गई लेकिन पुलिस ने इसमें कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई.. वहीं बीते रविवार सुबह गांव की ही एक लड़की ने पवन की लाश स्कूल के पीछे पड़ी देखी..जिसके बाद पवन के कत्ल का खुलासा हुआ..
गुमशुदगी के दस दिन बाद गांव में ही पवन की लाश मिलने से हड़कंप मच गया..जिस मासूम को पुलिस शिद्दत से तलाशने का दावा कर रही थी उसकी लाश गांव से ही बरामद हुई..इससे भी हैरानी की बात है कि पवन के जिस्म से उसकी आंख, आंत और किडनी गायब थीं.. लोगों को शक है कि ये वारदात मानव अंगों की तस्करी करने वालों गिरोह का अंजाम हो सकती है... वहीं पुलिस के मुताबिक पवन की लाश को किसी जानवर ने खाया है..हालांकि पुलिस को भी पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार है जिसके बाद पवन की मौत की असल वजह साफ हो पाएगी..
अगर खुद पुलिस के आंकड़ों पर गौर करें तो बीते एक साल में बलिया जिले से ही करीब 52 बच्चे लापता हुए हैं जिनमें से पुलिस केवल 28 बच्चों को तलाश पाई... 24 बच्चे अब भी लापता हैं वो कहां हैं...कुछ नहीं कहा जा सकता है ऐसे में लोगों को शक है कि बच्चों को अगवा कर उनकी हत्या करने के पीछे मानव अंग तस्करी करने वाला गिरोह शामिल हो सकता है..पुलिस पवन के कत्ल का राज खंगाल पायेगी कह पाना मुश्किल है लेकिन इस वारदात के बाद पूरे जिले में हड़कंप जरुर मच गया है

रोहिणी में कारोबारी को गोली मारी

और अब हम आपको दिखाते हैं कि दिल्ली में राह चलते आप कितने महफूज हैं... दिल्ली में सरेराह एक कारोबारी के नोटों से भरे बैग पर कुछ बदमाशों ने झपट्टा मारने की कोशिश की...लेकिन जब कारोबारी ने बदमाशों का विरोध किया तो बदमाशों ने उन्हें गोली मार दी... और बैग छीनकर फरार हो गये...जरा सोचिये कि जिस राजधानी में हर पल..हर मोड़ पर खौफ बरकरार हो..उसे आखिर क्राइम कैपिटल न कहा तो क्या कहा जाये...
दिल्ली में रहना जरा संभल कर.. यहां कदम कदम पर है खतरा.. क्योंकि दिल्ली अब नहीं रही दिलवालों की.. दिल्ली बन गई है क्राइम कैपिटल.. जी हां आए दिन दिल्ली में हो रही वारदात इस बात की तस्दीक करती हैं.. बीती रविवार रात बदमाशों ने एक बार फिर एक कारोबारी को अपना शिकार बनाया.. रोहिणी के सेक्टर आठ में रहने वाले इलैक्ट्रोनिक्स कारोबारी सुमित जैन को बाइक सवार बदमाशों ने लूट के इरादे से गोली मार दी.. वारदात बीती रविवार रात उस वक्त अंजाम दी गई जब सुमित जैन नाम का कारोबारी दिल्ली के मधुबन चौक स्थित अपनी दुकान से रात करीब साढे नो बजे घर लौट रहा था..उसके पास रुपयों से भरा एक बैग था...सुमित जैसे ही अपनी करोला कार से उतरा तीन बाइक सवार बदमाशों ने उससे बैग छिनने की कोशिश की.. जब सुमित ने इसका विरोध किया तो बदमाशों ने उसे पहले तो पत्थरों से पीटा और बाद में गोली मार दी..
पेट में गोली लगने के बाद सुमित जमीन पर गिर पड़ा और बदमाश नोटों से भरा बैग लूटकर फरार हो गए..गोली की आवाज सुनकर परिजन को वारदात का पता चला और वो बाहर आए...सुमित को गंभीर हालत में भगवान महावीर अस्पताल में भर्ती कराया..हालांकि अभी तक साफ नहीं हो पाया है कि बैग में कितने रूपये थे..और इस बात का पता बदमाशों को कैसे चला ..
जिस तरह से वारदात को अंजाम दिया गया... उससे साफ है कि बदमाशों को सुमित के बारे में पहले से ही जानकारी थी...उन्हें पता था कि सुमित के पास रुपयों से भरा बैग है....फिलहाल पुलिस ने लूटपाट और हत्या के प्रयास का मामला दर्ज कर आरोपियों की तलाश शुरू कर दी है.. साथ ही पुलिस सुमित के भी खतरे से बाहर आने का इंतजार कर कर रही है... इस वारदात के आरोपी कब तक पुलिस की गिरफ्त में आते हैं कहना मुश्किल है लेकिन इस वारदात ने एक बार फिर दिल्ली की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं.. औऱ लोगो को सोचने पर मजबूर कर दिया है कि आखिर वो राजधानी में कितने सुरक्षित हैं...

वाराणसी में वहशी तांत्रिक

किसी भी ढोंगी और पाखंडी तांत्रिक के बहकावे में न आयें... क्योंकि तंत्र विधा के नाम पर लोग गुनाह अंजाम दे रहे हैं लेकिन फिर भी आये दिन कोई न कोई वारदात सामने आ ही जाती है...वाराणसी में एक तांत्रिक ने इलाज के नाम पर एक मासूम को अपनी वहशत का शिकार बनाया...
इस मासूम का चेहरा हम आपको नहीं दिखा सकते... लेकिन नादानी की उम्र में ही इस मासूम ने दुनिया का जो खौफनाक चेहरा देखा है.. उसे हम आपको जरुर दिखायेंगे...हमारा दावा है कि दुनिया के उस चेहरे की हकीकत जानकर किसी का भी सिर शर्म से झुक जाएगा.. असल में वाराणसी के दशाश्वमेघ इलाके के रहने वाले बारह साल के मासूम अजय को बनाया गया है वहशत का शिकार..और इस घिनौनी वारदात को अंजाम दिया पूजा पाठ के नाम पर सादगी का चोला ओढे एक तांत्रिक ने.. ज्ञान प्रकाश तिवारी नाम के इस शातिर का अजय के घर आना जाना था..इसी दौरान इसने अजय की मां को बताया कि अजय का दिमाग पर शैतान का साया है.. इसे शांत करने के लिए पूजा पाठ करनी होगी..तांत्रिक की बातों में अजय की मां इस कदर आई कि वो तांत्रिक कि बताई सारी बातों को मान बैठी.. आरोप है कि बीते 12 दिसम्बर को ज्ञान प्रकाश ने मासूम को उसी के घर के एक कमरे में अपने साथ पूजा पाठ के बहाने बुलाया और फिर रात भर उसके साथ कुकर्म किया..
वहशी तांत्रिक की घिनौनी करतूत दुनिया के सामने बेनकाब ना हो जाए इसी भय से उसने मासूम को धमकी दी..कि अगर उसने इस बारे में किसी को बताया तो उसकी मौत हो जाएगी..कई दिनों तक तो अजय ने तांत्रिक की हैवानियत को अपने सीने में दफन रखा एक रोज उसने हिम्मत कर अपने घरवालों को अपनी आपबीती सुना दी
मामले का खुलासा होने के बाद परिजनों ने इसकी शिकायत पुलिस से की..पुलिस ने अप्राकृतिक यौनाचार का मामला दर्ज कर आरोपी तांत्रिक को गिरफ्तार कर लिया..जोकि अब खुद को बेकसूर बता रहा है..
मासूमियत के साथ खिलवाड़ करने वाला तांत्रिक पुलिस की गिरफ्त में है..पिछले दिनों मुंबई के वहशी तांत्रिक के बारे में लोग भला कैसे भूल सकते हैं जिसने सात मासूम लड़कियों को हवस का शिकार बनाया था.. और अब वाराणसी में अजय के साथ हुई ये वारदात..ऐसे में सवाल ये है कि जब तांत्रिकों के पाखंड की आये दिन वारदात हमारे सामने आती हैं फिर हम क्यों ऐसे पाखंडियों पर भरोसा करते हैं...और अपने ही हाथों अपनी जिंदगी नरक बना लेते हैं..लिहाजा इस खबर से सबक लीजिए..ताकि फिर कोई पाखंडी मासूमियत से खिलवाड़ ना कर सके..

नजफगढ़ में सगे भाईयों की हत्या

दिल्ली पुलिस भले ही सुरक्षा के लाख दावे करे..लेकिन बदमाश वारदात को अंजाम देकर पुलिस के सारे दावों पर पानी फेर देते हैं.. बेखौफ बदमाशों ने एक बार फिर दिल्ली के दामन को खून से लाल कर दिया.. बदमाशों ने नजफगढ़ इलाके में दो सगे भाईयों की गोली मारकर हत्या कर दी.. माना जा रहा है कि मामला आपसी रंजिश का है..
दिल्ली के सीने पर
फिर चली गोली
सरेशाम कर दिया गया
दो भाईयों का कत्ल
बीती सोमवार रात दिल्ली के नजफगढ़ इलाके में बदमाशों ने डबल मर्डर को अंजाम देकर जता दिया कि राजधानी में बदमाशों के होंसले किस कदर बुलंद हैं... और कितने बेदम है सुरक्षा को लेकर किये गये पुलिस के दावे..HOLD... वारदात उस वक्त की है जब नजफगढ़ निवासी सुरेश कुमार अपने भाई सतेंदर कुमार के साथ बीती सोमवार रात करीब साढे नौ बजे हरिनगर से घर लौट रहे थे..असल में हरिनगर में सुरेश और सतेंदर की मोटर बाइंडिग की दुकान है..दोनों साथ ही काम करते थे.. रात करीब साढे नौ बजे दोनों भाई अपने एक दोस्त के साथ वैगन आर कार से घर आ रहे थे..जैसे ही कार नजफगढ रोड़ पर पपरावत गांव के पास पहुंची...उसी वक्त पीछे से आए बाइक सवार बदमाशों ने कार का रास्ता रोककर पहले तो कार का शीशा तोड़ा औऱ फिर अंधाधुंध फायरिंग शुरु कर दी.. गोलीबारी में सुरेश और सतेंदर गंभीर रूप से जख्मी हो गए जबकि उनका दोस्त बच गया..जैसे ही बदमाश फायरिंग कर फरार हुए...कार में जिंदा बचे सुरेश औऱ सतेंदर के दोस्त ने वारदात की जानकारी उनके परिवार वालों को दी.. दोनों घायलों को मौके पर मौजूद लोगों ने माता चन्नन देवी अस्पातल में भर्ती कराया जहां देर रात दोनों की मौत हो गई..
शुरूआती जांच में मामला आपसी रंजिश का लग रहा है..हालांकि परिजनों का कहना है कि दोनों सगे भाईयों की किसी से कोई दुश्मनी नहीं थी.. वैसे वारदात में किसी तरह की लूटपाट भी नहीं हुई है जिससे रंजिश का शक और भी गहरा गया है.. पुलिस ने हत्या का मामला दर्ज कर तफ्तीश शुरू कर दी है.. वहीं दुसरी ओर पुलिस पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए परिजनों ने आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग की.. परिजनों का आरोप है कि वारदात के कई घंटे बाद पुलिस मौके पर पहुंची..
सतेंदर और सुरेश के कत्ल की वजह अभी तक साफ नहीं हो पाई है.. पुलिस इस संबंध में सुरेश के साथी से भी पुछताछ कर रही है जो वारदात के वक्त कार में मौजूद था..बहुत मुमकीन है कि हत्यारे जल्द पुलिस की गिरफ्त में होगें..लेकिन जिस तरह से राजधानी आये दिन दिल्ली वालों के खून से लाल हो रही है उससे ये सवाल भी बड़ा होता जा रहा है कि आखिर कितनी महफूज रह गई है अब दिल वालों की दिल्ली...

गुरू-शिष्य का रिश्ता दागदार

गुरु का दर्जा मां-बाप से भी उपर रखा गया है लेकिन अगर वही गुरु अपनी गरिमा भूलकर हवस में अंधा हो जाय.. तो ऐसे में जरा सोचिये कि भला छात्रों का क्या भविष्य होगा... मध्य प्रदेश के शिवपुरी जिले से गुरु और छात्र के रिश्ते को दागदार करती ऐसी ही एक खबर आई है... एक स्कूल संचालक पर आरोप लगा है कि उसने अपनी ही स्कूली छात्रा को हवस का शिकार बना डाला है...एक बार सोचना जरुर कि कहीं आपके बच्चों की कमान..ऐसे ही किसी गुरु के हाथों में तो नहीं.....
गुरू-शिष्य का रिश्ता
फिर हुआ शर्मसार
हवस में अंधे गुरू ने
छात्रा से अस्मत पर किया वार
जी हां हवस में अंधे गुरू ने एक बार फिर गुरु शिष्य के बेहद पाक रिश्ते को शर्मसार किया है.. एक बार फिर गुरु ने शिष्य के साथ की है सबसे सबसे घिनौना करतूत... इस बार मामला भोपाल के शिवपुरी का है.. रितु नाम की ये छात्रा बैराढ इलाके के लखेश्वरी हायर सेकेण्डरी स्कूल में 12 वीं क्लास में पढती है.. रितु ने स्कूल के संचालक पर बेहद संगीन आरोप लगाए हैं.. रितु का आरोप है कि स्कूल के संचालक रघुवीर ने उसे हवस का शिकार बनाया.. रितु के मुताबिक बीते बुधवार को वो मगरौनी स्थित अपने घर से 12 वीं का फार्म भरवाने के लिए रघुवीर के पास बैराढ़ अपने स्कूल गई थी.. जहां रघुवीर ने उसे अपनी हवस का शिकार बनाया.. असल में हुआ यूं की रघुवीर कई घंटे तक रितु को टालता रहा जिससे उसे काफी देर हो गई.. मौके का फायदा उठाकर रघुवीर रितु को अपने घर ले गया..जहां उसने रितु के साथ दो बार बलात्कार किया.. किसी तरह वहशी टीचर के चंगुल से निकलने के बाद रितु अपने घर पहुंची और अपनी आपबीती परिवार को बताई..
परिजनों का आरोप है कि रितु के साथ हुई वारदात की शिकायत देर रात ही थाने में दर्ज करा दी गई थी.. लेकिन पुलिस ने इस मामले में लापरवाही बरती... नतीजा ये हुआ कि आरोपी अब भी खुलेआम घूम रहा है... अब ऐसे में देखना ये है कि आखिर कब तक पुलिस कलियुगी गुरु को गिरफ्तार कर उसे उसके किये की सजा दिलाती है...औऱ कब जाकर मिलता है मासूम रितु को इंसाफ

बुजुर्ग को बंधक बनाकर लूट-कीर्तिनगर

दिल्ली में अंजाम दी गई लूट की एक ऐसी वारदात..जिसने एक बार फिर..दिल्ली की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिये हैं....दिल्ली के कीर्ति नगर में कुछ बदमाशों ने एक महिला को बंधक बनाकर..उसके घर में जमकर लूटपाट की..और फिर बड़ी ही आसानी से फरार हो गये... हर बार की तरह इस बार भी दिल्ली पुलिस..सांप निकल जाने के बाद लाठी पीट रही है
दिल्ली पुलिस की
फिर खुली पोल
बदमाशों ने राजधानी में
फिर की वारदात
बुजुर्ग को बंधक बनाकर
लूट लिए लाखों के जेवरात
राजधानी दिल्ली में बदमाशों ने पुलिस के दावों को ठेंगा दिखाते हुए एक बार फिर वारदात को अंजाम दे डाला.. इस बार मामला पश्चिमी दिल्ली के कीर्ति नगर इलाके का है.. जहां गुरूवार तड़के बेखौफ बदमाशों ने एक मोबाइल कंपनी के मैनेजर राहुल अग्निहोत्री के घर को निशाना बनाया... असल में राहुल अपनी पत्नी और दो बच्चों के साथ ग्राउंड फ्लोर पर रहते हैं जबकि राहुल के माता पिता फर्स्ट फ्लोर पर.. परिजनों के मुताबिक गुरूवार तड़के दो बदमाश घर में दबे पांव दाखिल हुए.. इसी बीच फर्स्ट फ्लोर सो रहे एक बच्चे की आवाज सुनकर राहुल की मां की आंख खुल गई.. बदमाशों ने फोरन बुजुर्ग राहुल की मां को चाकू की नोंक पर बंधक बना लिया और उनसे पहने हुए सारे जेवरात निकलवा लिए..इतना ही नहीं बदमाशों ने अलमारी खुलवाकर लाखों के गहने भी लूट लिए.. जिसके बदमाश मौके से फरार हो गए..बुजुर्ग महिला के शोर मचाने पर मामले का खुलासा हुआ.. जानकारी पुलिस को दी गई..लेकिन पुलिस की लापरवाही का आलम देखिए की बदमाशों को तो गिरफ्तार कर ना सकी.. उल्टा परिवार को ही नसीहत दे डाली की मीडिया से बात करने पर मामला उल्टा पड़ सकता है.. फिलहाल पुलिस ने लूटपाट का मामला दर्ज कर लिया है और बदमाशों की तलाश भी शुरु कर दी है.. लेकिन दिल्ली के कीर्ति नगर में हुई लूटपाट की ये कोई पहली वारदात नहीं है..इससे कुछ दिन पहले ही बदमाशों ने एच ब्लाक में रहने वाले एक मल्टीनेशनल कंपनी में बतौर एचआर मैनेजर काम करने वाले शख्स के मासूम बेटे को बंधक बनाकर 20 लाख की लूट को अंजाम दिया था... ऐसे में पुलिस भले ही सुरक्षा व्यवस्था के लाख दावे करे लेकिन आए दिन हो रही वारदात पुलिस के दावों की पोल खोलकर रख देती है..

बदनाम मुन्नी और शीला की जवानी

घर में कोई फंक्शन हो...और गीत संगीत का बंदोबस्त न हो तो मजा फीका पड़ जाता है...और ज्यादातर लोग गीत संगीत भी मौजूदा दौर के हिसाब से ही सुनना पसंद करते हैं...आजकल मुन्नी की बदनामी और शीला की जवानी लोगों की खास पसंद बने हुए हैं.. लेकिन हम आपको बता दें..कि मुन्नी और शीला.. ये दोनों ही आपके फंक्शन में रंग में भंग डाल सकते हैं...
मुन्नी ऐसी बदनाम हुई की दुनिया देखती रह गई..लाखों दिलों को दीवाना कर गई मुन्नी..लेकिन इसके बाद आई शीला ने भी कम जलवे नहीं बिखरे..शीला की जवानी ऐसी छलकी की ये गीत लोगों की जुबां पर आ गया..लेकिन जरा सोचिए की लोगों को झुमने गाने पर मजबूर कर देने वाले ये गीत...क्या जानलेवा भी हो सकते हैं..तो आइये हम आपको दिखाते हैं दिल्ली से सटे ग्रेटर नोएडा से ऐसी वो खबर जिसमें मुन्नी की बदनामी और शीला की जवानी एक परिवार को बेहद महंगी पड़ गई.hold... असल में हुआ यूं कि बीती गुरूवार रात ग्रेटर नोएडा के दनकौर इलाके के राजपुर कलां गांव में जन्मदिन की पार्टी चल रही थी.. जन्मदिन गांव के ही कुलदीप सिंह के पौते का था.. लिहाजा खाने पीने के साथ डीजे का इंतजाम भी किया गया था.. मेहमान डीजे की धुन पर थिरक रहे थे.. मेहमानों की ख्वाहिश पर डीजे मास्टर ने मुन्नी बदनाम हुई और शीला की जवानी गीत को भी बजा दिया.. बस फिर क्या था.. इन गीत से नाराज पड़ोस के ही कुछ दबंग लड़के पार्टी में आ धमके और पार्टी में थिरक रहे लोगों के साथ मारपीट शुरू कर दी.. इस घटना में छह लोग घायल हो गए.. जिन्हें बुलंदशहर के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया है..
रंग में भंग डालने की बड़ी वजह थी शीला की जवानी गीत का डीजे पर बजाना..असल में पड़ोस में रहने वाले एक युवक की पत्नी का नाम शीला है.. जब ये गीत डीजे पर बजने लगा तो पड़ोसी का गुस्सा भड़क उठा और उसने अपने साथियों के साथ मिलकर पार्टी में मेहमानों पर हमला कर दिया.. वारदात के बाद सभी आरोपी फरार हैं..वहीं दबंगों से पीड़ित परिवार में दहशत का माहौल है..पुलिस आरोपियों पर सख्त से सख्त कार्रवाई की बात कर रही है..लेकिन ऐसा पहली बार नहीं हुआ है जब शीला की जवानी या मुन्नी की बदनामी को लेकर किसी परिवार पर आफत टूटी हो..पहले भी ऐसे ही कई मामले सामने आ चुके हैं... ऐसे में देखने वाली बात होगी कि जो गीत लाखों लोगों के दिलों को बहला रहे हैं वो और कितने लोगों के लिए जानलेवा साबित होंगे...

16 अक्तूबर 2010

बेटे की बलि

क्या तंत्र मंत्र से घर की बिगड़ी हालत सुधारी जा सकती है... क्या तांत्रिक क्रिया किसी को दौलतमंद बना सकती है... यकीनन नहीं.... और ये बात सब जानते हैं बाबजूद इसके अंधविश्वास में पड़कर लोग.. क्या कुछ नहीं करते.. और उन्हें इसका अंजाम भी भुगतना पड़ता है...आज हम आपको एक बार फिर दिखाते हैं अंधविश्वास और तंत्र मंत्र के नाम पर अंजाम दी गई एक खौफनाक वारदात... खबर है रामपुर से...यहां एक शख्स ने दौलत पाने के लिए तंत्र क्रियाओं में पड़कर अपने बेटे का ही गला रेत डाला.. जरा गौर से देखिये एक लालची बाप का पाप...
जरा सोचिए की क्या कोई इंसान बलि देकर अमर हो सकता है.. क्या ऐसा मुमकीन है... चलिये ये तो रील लाइफ का द्रश्य था लेकिन हम आपको दिखाते हैं रीयल लाइफ की वो सनसनीखेज दास्तान जिसकी हकीकत जानकर आपके होश उड़ जायेंगे..
इससे पहले की हम आप इन सवालों के जबाव दें...हम आपको दिखाते हैं एक सनसनीखेज खबर... उत्तर-प्रदेश के रामपुर से आई है एक दिल दहला देने वाली खबर.. एक बाप ने अपने ही बेटे की दे दी बलि...HOLD.... इस तस्वीर को देखिये..ये तस्वीर है 14 साल के मकदूम नाम के एक मासूम की...HOLD... ये मासूम अब इस दुनिया में नहीं रहा...HOLD.... अब ज़रा इस शख्स को देखिये... चौदह साल के मासूम मकदूम के कत्ल का इल्जाम इसी पर लगा है.. मुस्तकीम नाम का ये शख्स रिश्तें में तो मकदूम का पिता है .. लेकिन इस हैवान ने अपने ही हाथों अपने मासूम बेटे को मौत के घाट उतार दिया
चौदह साल के मासूम के कत्ल की ये खौफनाक वारदात है रामपुर के स्वर थाना इलाके की.. मुस्तकीम अपने बेटे और पत्नी के साथ रहता था.. पिछले कुछ दिनों से उसके परिवार की माली हालत ठीक नहीं थी.. वो किसी भी तरह से रुपया पाना चाहता था... वो दौलत पाने के लिए इस कदर जुनूनी हो गया कि वो अजीबों गरीब हरकतें करने लगा... वो घर में पूजा पाठ के नाम पर तंत्र-मंत्र करने लगा... उसे यकीन था कि अगर वो किसी बच्चे की बलि दे देगा तो वो दौलतमंद हो जायेगा,....उसे तांत्रिक क्रिया करने के लिए एक बच्चे की जरुरत थी...वो बच्चे को ढूंढने लगा....उससे लगा कि वो क्यों न इस काम के लिए अपने ही बच्चे की बलि दे दे... मुस्तकीम को अब इंतजार था उस पल का जब वो अपने ही बेटे की बलि दे तांत्रिक क्रिया कर सके... आरोप है कि रविवार को जब मकदूम की मां घर पर नहीं थी.. मुस्तकीम ने अपने बेटे मकदूम की छुरे से गला रेतकर बलि दे दी.. इतना ही नहीं इस हैवान ने घर में एक कुत्ते को भी मौत के घाट उतार दिया ताकि इसकी दौलत पाने की इच्छा पूरी हो सके..
अपने घर को दौलत से रोशन करने के लिए मुस्तकीम ने अपने ही हाथों अपने घर का चिराग बुझा दिया....घरवालों को जैसे ही मुस्तकीम की हैवानियत का पता चला उन्होंने इसकी जानकारी पुलिस को दी.. पुलिस मौके पर पहुंची और मुस्तकीम को गिरफ्तार कर लिया.. मुमकीन है कि अदालत मुस्तकीम को उसके किए की सख्त सजा भी देगी लेकिन जिस तरह से मुस्तकीम ने दौलत पाने के लिए तंत्र क्रिआयों को पूरा करने के लिए अपने ही बेटे को मौत के घाट उतार दिया उसने एक बार फिर साबित कर दिया है कि अंधविश्वास के दानव का कहर अब भी बरकरार है

मासूम का गुनहगार

इस दुनिया में ना जाने कितने मासूम हैं जो अपने पिता के प्यार के लिए तरसते हैं.. उन्हें कभी पिता का प्यार नसीब नहीं हुआ.. लेकिन इसी दुनिया में एक बच्ची ऐसी भी है.. जिसे के पिता नाम से ही डर लगता है.. पिता का नाम सुनकर ही उसका जिस्म थर्रा उठता है.. जानते है क्यों.. क्योंकि उसका पिता इंसानी भेष में छिपा दुनिया वो वहशी इंसान है.. जो अपनी ही बीवी के सामने अपनी बेटी का बलात्कार करता है.. इंसानियत को शर्मसार कर देने वाला आखिर कौन है ये पापी पिता...
चेहरे पर सामाजिक अपमान का दर्द... दिल में अपने किये की शर्मिंदगी .. और पुलिस से रहम की भीख.. कैमरे के सामने इस शख्स की गिड़गिडाहट देखिये.. इसके हलक से निकले हर अल्फाज मे इतना दर्द है..कि पत्थर दिल इंसान भी मोम बन जाए... लेकिन आज इस इंसान के लिए यहां मौजूद हर शख्स पत्थर दिल बन चुका है.. वैसे तो ये शख्स भी किसी बाप.. किसी का पति..MUSIC CHANGE लेकिन फिर भी ये इंसान के नाम पर एक कलंक है... इसकी करतूत ने ही आज इसे इतना मजबूर बना दिया है कि ये अपनों ही नज़रों में गिर चुका है.. HOLD... मध्यप्रदेश के बैतूल जिले में रहने वाले कैलाश गिरी पर इतने संगीन आरोप लगे हैं कि हकीकत जानकर किसी का भी सिर शर्म से झुक जाये..असल में ये शख्स है एक पापी पिता...क्योंकि चार बेटियों के इस पिता ने अपनी ही 13 साल की एक मासूम बेटी को बनाया है हवस का शिकार .. उसके अरमानों को..उसके सपनों को ये हैवान हर दिन बिस्तर पर रौंदता रहा.. इस शख्स की हैवानियत तो देखिये कि जब भी ये जल्लाद अपनी बेटी के जिस्म से खेलता तो उसे हर बार मुंह खोलने पर जान से मारने की धमकी दे डालता....
कैलाश इस कदर वहशी हो चुका था कि उसने अपनी पत्नी के सामने ही अपनी मासूम बेटी को हवस का शिकार बनाया .... जब भी कैलाश की पत्नी ने इसका विरोध किया तो कैलाश ने उसे भी जमकर पीटा... अपनी हवस मिटाने के लिए ये शैतान अपनी पत्नी को कमरे में बंद कर देता और फिर मासूम बेटी से हवस पूरी करता.. आखिरकार कब तक एक मां मासूम अपनी ही बेटी पर हो रहे जुल्म सहती .. मौका मिलने पर पीड़ित रजनी की मां अनीता अपने मायके पहुंची.. और फिर इस शैतान पति के खिलाफ पुलिस में मामला दर्ज कराया.. पुलिस ने बलात्कार का मामला दर्ज कर आरोपी कैलाश गिरी को गिरफ्तार कर लिया..
साल भर से मासूम रजनी की अस्मत को रौदंने वाला ये हैवान पुलिस की गिरफ्त में आया...तो इसकी सारी हेकड़ी निकल गई..और अब ये खुद पर लगे आरोपों को बेबुनियाद बता रहा है..
रजनी को अपने पापी पिता के नाम से ही डर लगने लगता है.. वो चाहती है कि उसके वहशी पिता को कड़ी से कड़ी सजा दी जाए..ताकि फिर कभी कोई पिता इस कदर रिश्तों को तार-तार ना कर सके..

मासूम का गुनहगार

इस दुनिया में ना जाने कितने मासूम हैं जो अपने पिता के प्यार के लिए तरसते हैं.. उन्हें कभी पिता का प्यार नसीब नहीं हुआ.. लेकिन इसी दुनिया में एक बच्ची ऐसी भी है.. जिसे के पिता नाम से ही डर लगता है.. पिता का नाम सुनकर ही उसका जिस्म थर्रा उठता है.. जानते है क्यों.. क्योंकि उसका पिता इंसानी भेष में छिपा दुनिया वो वहशी इंसान है.. जो अपनी ही बीवी के सामने अपनी बेटी का बलात्कार करता है.. इंसानियत को शर्मसार कर देने वाला आखिर कौन है ये पापी पिता...
चेहरे पर सामाजिक अपमान का दर्द... दिल में अपने किये की शर्मिंदगी .. और पुलिस से रहम की भीख.. कैमरे के सामने इस शख्स की गिड़गिडाहट देखिये.. इसके हलक से निकले हर अल्फाज मे इतना दर्द है..कि पत्थर दिल इंसान भी मोम बन जाए... लेकिन आज इस इंसान के लिए यहां मौजूद हर शख्स पत्थर दिल बन चुका है.. वैसे तो ये शख्स भी किसी बाप.. किसी का पति..MUSIC CHANGE लेकिन फिर भी ये इंसान के नाम पर एक कलंक है... इसकी करतूत ने ही आज इसे इतना मजबूर बना दिया है कि ये अपनों ही नज़रों में गिर चुका है.. HOLD... मध्यप्रदेश के बैतूल जिले में रहने वाले कैलाश गिरी पर इतने संगीन आरोप लगे हैं कि हकीकत जानकर किसी का भी सिर शर्म से झुक जाये..असल में ये शख्स है एक पापी पिता...क्योंकि चार बेटियों के इस पिता ने अपनी ही 13 साल की एक मासूम बेटी को बनाया है हवस का शिकार .. उसके अरमानों को..उसके सपनों को ये हैवान हर दिन बिस्तर पर रौंदता रहा.. इस शख्स की हैवानियत तो देखिये कि जब भी ये जल्लाद अपनी बेटी के जिस्म से खेलता तो उसे हर बार मुंह खोलने पर जान से मारने की धमकी दे डालता....
कैलाश इस कदर वहशी हो चुका था कि उसने अपनी पत्नी के सामने ही अपनी मासूम बेटी को हवस का शिकार बनाया .... जब भी कैलाश की पत्नी ने इसका विरोध किया तो कैलाश ने उसे भी जमकर पीटा... अपनी हवस मिटाने के लिए ये शैतान अपनी पत्नी को कमरे में बंद कर देता और फिर मासूम बेटी से हवस पूरी करता.. आखिरकार कब तक एक मां मासूम अपनी ही बेटी पर हो रहे जुल्म सहती .. मौका मिलने पर पीड़ित रजनी की मां अनीता अपने मायके पहुंची.. और फिर इस शैतान पति के खिलाफ पुलिस में मामला दर्ज कराया.. पुलिस ने बलात्कार का मामला दर्ज कर आरोपी कैलाश गिरी को गिरफ्तार कर लिया..
साल भर से मासूम रजनी की अस्मत को रौदंने वाला ये हैवान पुलिस की गिरफ्त में आया...तो इसकी सारी हेकड़ी निकल गई..और अब ये खुद पर लगे आरोपों को बेबुनियाद बता रहा है..
रजनी को अपने पापी पिता के नाम से ही डर लगने लगता है.. वो चाहती है कि उसके वहशी पिता को कड़ी से कड़ी सजा दी जाए..ताकि फिर कभी कोई पिता इस कदर रिश्तों को तार-तार ना कर सके..

मां-बाप का कातिल

एक दंपत्ति ने एक बच्चे को गोद लिया... ये सोचकर कि बड़ा होकर वो उनके बुढापे की लाठी बनेगा... उस बच्चे को उन्होंने पाला पोसा..पढाया लिखाया..उसकी शादी भी कराई...औऱ तो और अपनी दौलत का उसे वारिस भी बना दिया...लेकिन जल्द से जल्द दौलत पाने के लिए उस शख्स ने बुजुर्ग दंपत्ति का क्या हश्र किया यकीन मानिये सुनकर रुह कांप जायेगी... जिस बुजुर्ग दंपत्ति ने उस बच्चे को दिया था बाप का नाम...उसी सौतेले बेटे ने दौलत के लालच में मिटा अपने मां बाप का ही नामोनिशां को....और कर दिया रिश्तों का खून..यूपी पुलिस ने मथुरा के पॉश इलाके कृष्णा नगर में रहने वाले दीपक नाम के युवक को उसकी पत्नी के साथ हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया है.. हत्या भी किसी और की नहीं बल्कि अपने ही मां बाप की.. जिन बुजुर्ग ने इस लावारिस को मां बाप का नाम दिया...पाल पोसकर बड़ा किया... जिंदगी की राह दिखाई.. सगा बेटा ना होते हुए भी.. अपनों से ज्यादा प्यार दिया....लेकिन बदले में इस शख्स ने उन मां बाप को दे दी मौत.... पुलिस ने दीपक और उसकी पत्नी सुनीता के साथ दो बदमाशों को भी गिरफ्तार किया है..
असल में बुजुर्ग दंपति सत्यनारायण गौतम और उनकी पत्नी उषा गौतम की बीते 25 सित्मबर को रात गला दबाकर हत्या कर दी गई थी.. शुरूआती दौर में दीपक ने इसे लूटपाट के मकसद से हत्या का मामला बताया.. उस वक्त घर से कुछ कीमती सामान भी गायब मिला था.. पुलिस ने मामला दर्ज कर छानबीन की तो शक की सुई दीपक और उसकी पत्नी पर आकर टीक गई.. जैसे ही पुलिस ने इन दोनों से पूछताछ की...वारदात से जुड़ा सारा सच सामने आ गया... पुलिस ने दीपक को उसकी पत्नी, और भाड़े के दो हत्यारों के साथ गिरफ्तार कर लिया..
पुलिस को इस दोहरे हत्याकांड में ठोस मकसद की दरकार थी.. जब दीपक पुलिस गिरफ्त में आया तो बुजुर्ग दंपत्ति की मौत का मंसूबा भी साफ हो गया..असल में इस दोहरे हत्याकांड की वजह थी पैसा.. पुलिस के मुताबिक सत्यनारायण की अपनी कोई औलाद नहीं थी.. दीपक को सत्यनारायण ने उस वक्त गोद लिया था जब उसकी उम्र महज दो साल थी... वक्त बीतता गया औऱ दीपक भी बड़ा होता गया...सत्यनारायण ने दीपक की शादी भी करा दी.. दीपक का परिवार बस चुका था...और सत्यनारायण बुढापे की दहलीज पर थे उन्हें इस उम्र में सहारे की जरुरत थी... हाल ही में सत्यनारायण ने अपनी कुछ प्रोपर्टी बेच दी और पैसों को फिक्स डिपोजिट करा दिया.. दीपक को लगा कि उसके हाथ कुछ नहीं लगने वाला..दौलत के लालच में दीपक अंधा हो गया...उसने अपनी पत्नी के साथ मिलकर साजिश रची और दो भाड़े के हत्यारों से सत्यनारायण और उनकी पत्नी की हत्या करा दी...खुद को बचाने के लिए उसने वारदात को लूट का रंग दे दिया ...
सत्यनारायण ने दीपक को अपनाया था...बाप का नाम दिया था ताकि दीपक उसके घर का चिराग बने...उसके बुढापे की लाठी बने... लेकिन दौलत के लालच में दीपक ने तो सत्यनारायण की जिंदगी में ही अंधेरा कर दिया.. दीपक ने दौलत के लालच में रिश्तों का खून कर दिया...वो न तो एक बेटे का फर्ज निभा पाया और न ही वो पा सका दौलत...अलबत्ता इतना जरुर है कि अब उसे आगे की जिंदगी जेल में बितानी पड़े

07 अक्तूबर 2010

सेक्स रैकेट का भंडाफोड़

फरीदाबाद पुलिस ने नौजवानों को सेक्स रैकेट चलाने के आरोप में गिरफ्तार किया है...पुलिस के मुताबिक उन्हें गुप्ता सूचना मिली थी कि फरीदाबाद के सेक्टर 16 में सत्यम गेस्ट हाउस में जिस्मफरोशी का धंधा चल रहा है..पुलिस ने खबर मिलने के बाद एक टीम का गठन किया और बिना वक्त गवाएं गेस्ट हाउस पर छापा मारा.. छापा मारी में पुलिस ने 6 लड़की और 6 लड़को को गिरफ्तार किया...हालांकि पुलिस के इस आपरेशन के दौरान एक लड़का भागने की फिराक में बिल्डिंग से ही कूद गया..जिसे घायल हालत में अस्पताल में भर्ती कराया गया है..पुलिस ने इस सिलसिले में गेस्ट हाउस के मैनेजर को भी गिरफ्तार किया है..
बकौल पुलिस गिरफ्तार किए गए सभी युवक और युवतियां रईस परिवारों से ताल्लुक रखते हैं...जिनके पास पैसों की कोई कमी नहीं ...लेकिन सवाल ये है जब इनके पास पैसों की कोई कमी नहीं थी तो ये लोग जिस्मफरोशी के इस धंधे में क्यों उतरे...
पुलिस भी इन लोगों से पूछताछ कर इसी बात की जड़ तक जाना चाहती है ...साथ ही पुलिस इस बात की भी तस्दीक कर रही है कि इनके गिरोह के तार और कहां तक फैले हैं और इनके गिरोह में और कौन-कौन लोग शामिल है...पुलिस की मानें तो इनसे पूछताछ के बाद कुछ और चेहरे बेनकाब हो सकते हैं ...बहरहाल पुलिसिया पूछताछ में चाहे जो कुछ भी निकलकर सामने आए लेकिन इस घटना ने एक बात तो जरुर साफ कर दी है कि नौजवान शॉर्टकट के जरिए ज्यादा से ज्यादा पैसा कमाने की चाहत में सही और गलत का फर्क भूल जाते हैं जिसका नतीजा ये होता है कि चंद दिनों की मौजमस्ती और चकाचौंध के चक्कर में ये नौजवान कर लेते हैं अपनी पूरी जिंदगी तबाह और बर्बाद...

फैसले का दिन

एक दिन.. दो केस और दोनों में अहम फैसला.. 6 अक्टूबर 2010 का दिन अहम फैसलों का दिन रहा.. दो परिवारों को लंबे अर्से बाद न्याय मिला और गुनहगारों को उनके किए की सजा.. हिन्दुस्तान के बहुचर्चित प्रियदर्शनी मट्टू हत्याकांड मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी के बेटे आरोपी संतोष सिंह को राहत देते हुए.. फांसी की सजा को उम्र कैद में बदल दिया है.. 23 जनवरी 1996 को दिल्ली विश्वविद्यालय से लॉ में थर्ड ईयर की पढाई कर रही प्रियदर्शनी की लाश साउथ दिल्ली स्थित उसके आवास से बरामद हुई थी.. इस मामले में पुलिस ने दिल्ली यूनिवर्सिटी से लॉ की ही पढाई कर रहे संतोष सिंह को गिरफ्तार किया था.. मामला संतोष को अदालत में पेश किया गया.. और दो दिन बात ही यानी 25 जनवरी 1996 को केस सीबीआई को सौंपा गया.. सीबीआई ने जांच की और अदालत में सबूत पेश किए.. निचली अदालत ने 3 दिसम्बर 1996 को फैसला सुनाया और सबूतों के अभाव में संतोष को बरी कर दिया... निचली अदालत के फैसले को सीबीआई ने हाई कोर्ट में चुनौती दी.. हाई कोर्ट ने डीएनए टेस्ट और कुछ अहम सुबूतों की बिनाह पर माना कि वारदात के वक्त संतोष प्रियदर्शनी के आवास पर मौजदू था और उसी ने प्रियदर्शनी की बलात्कार के बाद हत्या की.. सबूतों को मद्देनजर रखते हुए हाई कोर्ट ने 17 अक्टूबर 2006 को संतोष को प्रियदर्शनी से बलात्कार और उसकी हत्या का दोषी माना.. और 30 अक्टूबर 2006 को आरोपी संतोष सिंह को फांसी की सजा सुनाई.. हाई कोर्ट के इस फैसले की खिलाफ संतोष ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की..अपील पर सुनावाई करते हुए बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया और फांसी की सजा को उम्र कैद में बदल दिया.. सुप्रीम कोर्ट मे दो जजों की बेंच ने कहा की कुछ तथ्य संतोष के पक्ष में है.. जिन्हें ध्यान में रखते हुए फांसी की सजा को उम्र कैद में बदला गया है..वहीं चौदह साल बाद आए इस फैसले से पीड़ित परिवार काफी निराश है.. और वो सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर रिव्यू पैटिशन फाइल कर सकते हैं..
दुसरी ओर बंगलुरू की प्रतिभा मूर्ति की बलात्कार के बाद हत्या के मामले में बंगलूरु फास्ट ट्रेक कोर्ट ने अहम फैसला सुनाया..कोर्ट ने इस केस के आरोपी शिवकुमार को दोषी करार दिया है,... बंगलुरू की एक बीपीओ कंपनी में काम करने वाली प्रतिभा मूर्ति की 25 दिसम्बर 2005 को बलात्कार के बाद हत्या कर दी गई थी.. इस जघन्य अपराध को बीपीओ कंपनी के कैब ड्राईवर शिवकुमार ने अंजाम दिया था.. अदालत में इस केस से जुडे कुल 71 लोगों के ब्यान दर्ज किए गए ..करीब पांच साल चले केस में फास्ट टैक कोर्ट ने आरोपी कैब ड्राइवर को दोषी करार दिया है.. कोर्ट सजा का एलान आने वाले शुक्रवार को करेगी.. .

23 सितंबर 2010

इज्जत के नाम पर..

किसी से मोहब्बत करना पाप नहीं.. और ना ही उसे मुकाम तक पहुंचाना.. ये बात अब प्रेमी जोडों के परिजन भले ही मानने लगे हों लेकिन..प्रेम करने वालों के... इस ज़माने में दुश्मन कम नहीं.. क्योंकि जो वारदात अब हम आपको दिखाने जा रहे हैं.. उसमें मियां बीवी ही नहीं..उनके घरवाले भी राजी थे.. लेकिन फिर भी उस ल़ड़की को अपनी मर्जी से शादी करने की सजा के तौर पर मिली बंदूक की गोली...और ये हमला करने वाला शख्स भी कोई और नहीं बल्कि उस लड़की का एक दूर का भाई है ....
पंजाब के पटियाला शहर की रहने वाली वीरपाल कौर के जिस्म पर ये घाव किसी और ने नहीं बल्कि उसी के अपनों ने दिए हैं.. जिस शख्स को ये अपना भाई कहती .. वही इसकी जान का दुश्मन बन गया.. बहन की रक्षा करने के बजाए उसने इसकी हत्या करनी चाही.. इस जानलेवा हमले की वजह थी.. वीरपाल की शादी.. असल में वीरपाल पटियाला के गांव असंद में रहती थी.. पडोसी गांव के संदीप कक्कड नाम के लड़के से वीरपाल को प्यार हो गया.. दोनों ने महीने भर पहले ही प्यार को शादी के अंजाम तक भी पहुचाया.. शुरूआत में वीरपाल कौर के परिवार ने इस अंतर्रजातिय विवाह का विरोध किया लेकिन बाद में परिवार के लोगों ने इस शादी को स्वीकार कर लिया..लेकिन ये बात वीरपाल कौर के मौसेरे भाई को नागवार गुजरी..
वीरपाल के मुताबिक बुधवार को वो अपनी मौसी के घर गई हुई थी.. तभी उसका मौसेरे भाई अपने दो साथियों के साथ वहां पहुंचा.. उसने वीरपाल कौर को शादी के लिए खूब फटकार लगाई और तैश में आकर दो गोली फायर भी कर दीं ..गनीमत रही की गोली वीरपाल को छुते हुए निकल गई.. जानलेवा हमला करने के बाद वीरपाल मौके से फरार हो गया..
पुलिस के मुताबिक शादी के बाद वीरपाल का मौसेरा भाई वीरपाल और उसके पति संदीप को जान से मारने की धमकी दे रहा था... इसी डर से वो दोनों छिपते घूम रहे थे .. लेकिन जब परिवार ने दोनों की शादी स्वीकार कर ली उसके बाद वो दोनों घर आ गये .... लेकिन वीरपाल को इस बात का जरा भी अंदेशा न था कि उसके मौसरे भाई के दिल में उसे लेकर कोई साजिश पनप रही है... बहरहाल जब तक वीरपाल पर हमला करना वाला वो आरोपी पुलिस के शिकंजे में नहीं आ जाता तब तक मुमकिन है कि वीरपाल के चेहरे पर खौफ यूं ही बरकरार रहे...वहीं पुलिस का दावा है कि वो इस वारदात में शामिल तीनों आरोपियों को जल्द से जल्द गिरफ्तार कर लेगी....
वीरपाल ने अपने प्यार को शादी के अंजाम तक पहुंचाने की जुर्रत की तो उसे गोली मिली.. लेकिन इस वारदात ने ये साबित कर दिया है कि अगर परिवार किसी के प्यार को स्वीकार कर ले तो ये जरुरी नहीं कि समाज का भी नजरिया बदल जाये.. वीरपाल की दास्तां कुछ इसी और इशारा करती है.. हो सकता है कि परिवार की नजर में प्यार पाप ना हो लेकिन रिश्तेदार तो इसे अब भी पाप से कम मानने को तैयार नहीं..

बेगुनाही की सजा-गाजियाबाद

जुर्म, तफ्तीश, सूबत और फिर गिरफ्त में गुनहागार..असल में जुर्म के किसी भी मामले में तहकीकात की ये वो कड़ियां हैं जिनके जुड़ते ही गुनहागार शिकंजे में होता है.. जाहिर है किसी भी मुलजिम को मुजरिम साबित करने के लिए.. पुलिस को सूबूतों की दरकार होती...लेकिन जरा उस शख्स के बारे में सोचिये जिसे जबरन ही सलाखों के पीछे पहुंचाया गया हो.....गाजियाबाद के रहने वाले इसरार को उस गुनाह की सजा मिली जो उसने कभी किया ही नहीं.. लेकिन कशमश देखिए की गाजियाबाद पुलिस ने इसरार से जुर्म भी कुबूल करा लिया.. आखिर गाजियाबाद पुलिस के पास जादु की वो कौन सी छडी है... जिसे घुमाते ही इसरार ने वो जुर्म कुबूल कर लिया..जो उसने किया ही नहीं.. असल में गाजियाबाद के विजय नगर में बीती 14 जुलाई को एक बुजुर्ग महिला और उसकी नातिन की हत्या हुई...हत्या के आरोप में पुलिस ने 17 जुलाई को इसरार को गिरफ्तार कर लिया ... पुलिस ने अदालत के सामने इसरार के खिलाफ सुबूत भी पेश किये जिसकी बिनाह पर उसे दो महीने की सजा भुगतनी पड़ी... लेकिन इस कहानी में अचानक एक ऐसा मोड़ आ गया कि आज खुद गाजियाबाद पुलिस के आलाधिकारी इसरार को बेकुसूर बता रहे है..इसरार बुजुर्ग संगीता और उसकी तीन साल की नातिन गुनगुन का कातिल नहीं है..बल्कि इस डबल मर्डर की वारदात को अंजाम दिया था..राकेश नाम के इस शख्स ने..पुलिस इस केस को जितना हल्के में लेकर चल रही थी..इसमें उससे कहीं ज्यादा पेंच निकले.. संगीता अपनी बेटी दिव्यांशी और नातिन गुनगुन के साथ विजयनगर में रहती थी.. दिव्यांशी की कई लड़कों से दोस्ती थी...उन लड़कों का दिव्यांशी के घर आना जाना भी था .. उन्हीं लोगों में इसरार और राकेश भी थे जो मौका मिलते ही दिव्यांशी के घर उससे मिलने पहुंचते.. लेकिन इसी बीच राकेश को दिव्यांशी से प्यार हो गया.... राकेश दिव्यांशी के घर की हर जरूरत पूरी करने लगा .... आलम ये हो गया कि वो अपनी सारी तनख्वाह दिव्यांशी के घर पर लूटा देने लगा... लेकिन इसी बीच राकेश को इसरार के बारे में पता चला जो दिव्यांशी के घर आता जाता था... राकेश को इसरार का वहां जाना नागवार गुजरा... ... जब इस बारे राकेश ने दिव्यांशी की मां संगीता से बातचीत की और एतराज जाहिर किया तो दोनों के बीच काफी कहासुनी होने लगी...
संगीता और राकेश के बीच कहासुनी काफी बढ गई...उसने दिव्यांशी को लेकर राकेश से ऐसी बातें कहीं जो उसपर नागवार गुजरीं.... राकेश ने तैश मे आकर मोबाइल चार्जर के तार से संगीता का गला घोंटकर उसकी हत्या कर दी.. लेकिन इस वारदात को गुनगुन ने होते देख लिया था... राकेश को लगा गुनगुन इस कत्ल का राज खोल देगी...लिहाजा उसने पकड़े जाने के डर से गुनगुन की भी गला घोंटकर हत्या कर दी.संगीता और गुनगुन की हत्या करने के बाद राकेश मौके से फरार हो गया.. जाते हुए वो संगीता का मोबाइल अपने साथ ले गया... यूपी पुलिस की तहकीकात का तरीका देखिये कि उसने संगीता और गुनगुन के कत्ल के आरोप में इसरार को गिरफ्तार कर लिया...
पुलिस इसरार को गिरफ्तार कर चैन से बैठी थी लेकिन दो महीने पहले वारदात को अंजाम देने के बाद जो मोबाइल राकेश लेकर फरार हुआ था उसी मोबाइल की बदौलत अब डबल मर्डर के इस केस में ऐसा मोड़ आया जिससे साबित हो गया कि इसरार बेगुनाह है जबकि असली कातिल राकेश है
बहरहाल पुलिस अब इस कार्रवाई में जुटी है कि इसरार को अदालत के आदेश पर गुनाह से बरी कराया जाये जबकि राकेश को उसके किये की सजा दिलाई जाये...लेकिन जिस तरह से इस केस में यूपी पुलिस ने बेगुनाह इसरार को दोषी बना दिया ... उसके लिए का कानून दोषी पुलिस वालों के खिलाफ भी कोई कार्रवाई करेगा... सवाल ये भी है कि क्यों और किन हालत में इसरार ने बेकसूर होते हुए भी जुर्म कबूल किया.. ये ऐसे कड़वे सवाल ह जिनका जवाब यूपी पुलिस के अधिकारियों के हलक से निकलते नहीं बन रहा..

05 सितंबर 2010

खूनी रक्षाबंधन

भाई बहन के पवित्र रिश्ते को दागदार करती अब जो वारदात हम आपको दिखाने जा रहे हैं यकीन मानिये इसे देखकर कोई भी बहन ये कहने को मजबूर हो जाये कि ऐसे भाईयों से तो बिना भाईयों के ही होना अच्छा है... जी हां हवस में अंधे हुए ये उस शख्स की दास्तान है जिसने अपनी बहन की हिफाजत करने के बजाये रक्षा बंधन के मौके पर उसकी अस्मत पर ही डाल दिया डाका...और बना डाला उसे अपनी हैवानियत का शिकार...
रक्षा बंधन के मौके पर
भाई बना कसाई
हिफाजत करने के बदले लूट ली
बहन की अस्मत
15 साल की रश्मि को रिश्तों में मिले धोखे ने इस कदर तोडकर रख दिया है..कि उसका रिश्तों से भरोसा ही उठ गया है..राखी के त्यौहार के दिन नाबालिग रश्मि की अस्मत को लूट लिया गया.. आपको ये जानकर हैरत होगी कि जो भाई रश्मि को रक्षा बंधन के मौके पर उसकी हिफाजत करने का वादा करता आ रहा था उसी भाई ने अपनी बहन यानि की रश्मि की इज्जत पर हाथ डाल दिया ...HOLD... इंसानियत को शर्मसार करने वाली इस वारदात को अंजाम दिया गया रक्षा बंधन से ठीक एक दिन पहले... यानि की बीती सोमवार रात को... भोपाल के होशांगाबाद से 55 किलोमीटर दूर सोहागपुर में रहने वाली रश्मि का आरोप है कि जब वो घर पर अकेली थी.. उसी समय उसका मौसेरा भाई..विनोद घर आया.. उस वक्त रश्मि सो रही थी.. रश्मि को सोते देख विनोद की नियत बदल गई.. रश्मि का आरोप है कि विनोद ने पहले उससे छेडछाड की.. रश्मि ने जब विनोद का विरोध किया तो विनोद पर रश्मि पर और ताकत के साथ टूट पड़ा....रश्मि ने उसे राखी का वास्ता दिया....उससे रहम की भीख मांगी लेकिन विनोद के सिर पर हवस का ऐसा भूत सवार था कि उसकी नजरों में राखी के कोई मायने नहीं बचे थे.. उसने रश्मि की अस्मत को तार तार कर दिया..
शर्मसार करने देने वाली इस वारदात को अंजाम देने के बाद विनोद फरार हो गया.. मां के घर पहुंचने पर रश्मि ने अपने साथ हुई वारदात की जानकारी उन्हें दी..जिसके बाद रश्मि अपनी मां के साथ होशांगाबाद थाने पहुंची और विनोद के खिलाफ बलात्कार का मामला दर्ज कराया.. पुलिस ने विनोद की तलाश शुरू की और उसे उसी के घर से धर दबोचा..
पुलिस ने आरोपी विनोद को गिरफ्तार कर लिया है.. वो सलाखों के पीछे है..जाहिर तौर पर कानून उसे उसके किये की सख्त से सख्त सजा देगा लेकिन रक्षा बंधन के मौके पर विनोद अपनी बहन की हिफाजत के बदले उसकी अस्मत लूटकर जो पाप किया है यकीन मानिये उसके लिए कोई भी सजा नाकाफी है

ऐसी है लक्ष्मी सहगल

उम्र ढलती गई.. शरीर पर झुर्रियां पड गई..लेकिन हौंसले कमजोर नहीं हुए.. 87 साल की उम्र में भी वही जोश और जुनून बना रहा.. जो कभी जवानी में हुआ करता था.. जी हां हम बात कर रहे हैं.. डॉ. लक्ष्मी सहगल की..जिन्होंनें मजबूत इरादों के साथ हालात का न केवल डटकर सामना किया..बल्कि बुलंदियों को छुआ .. और सफलताओं के नये नये आयम खडे किए.. लक्ष्मी सहगल ने जहां विदेश में जाकर डॉक्टरी पेशे में खूब नाम कमाया वहीं द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान आजाद हिन्द फौज में शामिल होकर सुभाष चन्द्र बोस के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलीं.. आईये जानते है..लक्ष्मी सहगल के उन अनछुए पहलुओं को जिनसे हम आज तक हम अनजान रहे)
लक्ष्मी सहगल.. एक ऐसा नाम जिन्होंने भारत का नाम न केवल दुनिया में रोशन किया बल्कि हर दिन सफलताओं की नई मिसालें कायम कीं..... महिलाओं को अपने जोश और जुनून से प्रेरणा दी.. महिला होने पर गर्व का अहसास कराया..कुछ ऐसी ही शख्सियत हैं डॉ. लक्ष्मी सहगल.... लक्ष्मी जी 96 बरस की हो गई हैं.. लेकिन आज भी उनके जोश में कोई कमी नहीं.. लक्ष्मी सहगल का जन्म 24 अक्टूबर 1914 में मद्रास के जाने माने क्रिमिनल लॉयर डॉ. एस स्वामीनाथन के घर हुआ.. पिता लॉयर थे तो मां गृहणी.. तमिल परिवार में जन्मी लक्ष्मी बचपन से ही जुझारू रहीं.. कुछ नया करने की ललक हमेशा उनमें रही.. सेवा भावना मानों उनके मन-मस्तिष्क में कुट कुट कर भरी हो.. गरीबों की सेवा करने के उद्देश्य से लक्ष्मी स्वामीनाथन ने डॉक्टरी पेशे में आने का विचार किया.. इसके लिए लक्ष्मी ने कड़ी मेहनत कर पढाई पूरी की और उन दिनों मद्रास के मद्रास मेडिकल कॉलेज में दाखिला लिया.. साल 1938 में लक्ष्मी की मेडिकल की पढाई पूरी हुई और उन्हें एमबीबीएस की डीग्री मिल गई.. दो साल तक सेवा भावना के साथ लक्ष्मी गरीबों की सेवा मे लगी रहीं.. लक्ष्मी गरीबों की हर संभव मदद करतीं.. उन्हें इसमें आत्म संतुस्टी मिलती...लोग उनके सेवा भाव को देखकर बड़े प्रभावित होते थे.... इसी दौरान लक्ष्मी को विदेश जाने का अवसर मिला.. 1940 में लक्ष्मी सिंगापुर चली गईं वहां भी उन्होंने अपने डॉक्टरी पेशे को जारी रखा.. सिंगापुर में उन्होंने एक क्लीनिक शुरू किया और वे भारतीयों की मदद करती रहीं.. खासकर उनकी जो गरीब तबके से ताल्लुक रखते थे.... लक्ष्मी मजदूर वर्ग का खास ख्याल रखती थीं.. द्वितीय विश्वयुद्ध के समय लक्ष्मी के जीवन में एक नया मोड आया.. राष्ट्रवादी आंदोलन से प्रभावित लक्ष्मी स्वामिनाथन डॉक्टरी पेशे से निकलकर आजाद हिंद फौज़ में शामिल हो गईं..
अब लक्ष्मी सिर्फ डॉक्टर ही नहीं बल्कि कैप्टन लक्ष्मी के नाम से भी लोगों के बीच जानी जाने लगीं ..सुभाष चंद्र बोस के साथ कंधे से कंधा मिलाकर सेना मे रहते हुए उन्होंने कई सराहनीय काम किये.. आजाद हिंद फौज में लक्ष्मी जी .. रानी रेजिमेंट की कैप्टन बनीं.. उनको बेहद मुश्किल जिम्मेदारी सौंपी गई थी.. उनके कंधों पर जिम्मेदारी थी फौज में महिलाओं को भर्ती होने के लिए प्रेरणा देना और उन्हें फौज में भर्ती कराना.. लक्ष्मी ने इस जिम्मेदारी को बखूबी अंजाम तक पहुंचाया....उनकी सुभाष चंद्र बोस के साथ ली गई ढेरों तस्वीरें आज भी उनकी पुरानी यादों को फिर से ताजा कर जाती हैं .. हालांकि उनका सुभाष चंद्र बोस के साथ बाहर निकलना कम ही होता था.. लक्ष्मी जी बताती हैं कि सुभाष जी की जान को हमेशा खतरा रहता था .. इसी वजह से वो सुरक्षा के मद्देनजर कोई लापरवाही नहीं बरतते थे.. 4 मार्च 1946 को आजाद हिंद फौज की हार के बाद ब्रिटिश सेना ने लक्ष्मी को गिरफ्तार कर किया हालांकि बाद में उन्हें रिहा भी कर दिया गया..
लक्ष्मी जी का कद हिन्दुस्तान के जुझारु लोगों में बढता जा रहा था.... उन दिनों घरवालों के कहने पर लक्ष्मी जी ने विवाह बंधन में बंधने का मन बनाया .. 1947 में लक्ष्मी ने कर्नल प्रेम कुमार सहगल से विवाह कर शादीशुदा जीवन की शुरुआत की.... लक्ष्मी स्वामीनाथन अब लक्ष्मी सहगल हो गईं.. लक्ष्मी सहगल ने हमेशा अमीरी गरीबी का विरोध किया...वो हमेशा सभी को एक समान नजरों से देखती .. शायद यही वजह थी कि सुभाष चंद्र बोस के आलोचक भी उनके मुरीद हो गए.. सेवा और सेना में अपनी हर संभव कोशिशों के बाद लक्ष्मी सहगल जी का 1971 में राजनीति की तरफ झुकाव हुआ.. लक्ष्मी सहगल को साल 1998 में पद्मविभूषण से सम्मानित भी किया गया.. लक्ष्मी सहगल हमेशा से मानती रही हैं कि व्यक्ति की कथनी और करनी एक होनी चाहिए.. साल 2001 में 87 साल की उम्र तक लक्ष्मी जी गरीबों की सेवा में लगी रहीं.. लेकिन अब जब वो 96 बरस की हो चुकी है तब भी उनके जुझारुपन और जोश में कोई कमी नहीं दिखती..
भले ही वक्त के साथ उम्र ढल रही हो.. नजरें कमजोर हो गई हों.. लेकिन उनकी पुरानी यादें आज भी न केवल उन्हें ताकत देती हैं बल्कि वो यादें हर नौजवान यूवक युवती के लिए एक मिसाल है... लक्ष्मी सहगल ने अपने जीवन में सफलताओं के इतनी मंजिलें कायम की हैं कि बताना और गिनाना मुश्किल है... हां अगर कुछ संभव है तो उनके जीवन से एक सीख लेना कि अगर हिम्मत और बुलंद हौंसले हो तो कोई भी मुकाम पाना मुश्किल नही होता..

सरेआम बुजुर्ग की हत्या

रुपये पैसों की जरुरत किसे नहीं पड़ती...और आड़े वक्त पर लोग एक दूसरे से कर्ज भी लेते हैं लेकिन क्या किसी की मदद करना गुनाह है.. क्या किसी को कर्ज देना पाप है....यकीन मानिये जो वारदात अब हम आपको दिखाने जा रहे हैं वो तो यही इशारा करती है... असल में लखनऊ में एक शख्स को कर्ज देना इतना महंगा पड़ा कि कर्ज वापस मांगने पर उसे तलवार से काट दिया गया...
सड़कों पर उतरे ये लोग..गुस्साये लोगों का पीछा करती पुलिस..HOLD.. पुलिस पब्लिक के बीच हुए इस तनाव की वजह है सरेआम हुआ एक कत्ल...HOLD.. लोगों का ये गुस्सा एक बुजुर्ग के कत्ल के बाद फूटा... लखनऊ के शाहदतगंज के यासीनगंज में शुक्रवार सुबह साठ साल के एक बुजुर्ग रहमत अली की सरेआम हत्या कर दी गई.. आरोप है कि पडोसी शुजात ने पैसों के लेनदेन के चलते इस वारदात को अंजाम दिया .. सुबह के वक्त रहमत अली घर के बाहर मौजूद थे.. तभी पडोसी शुजात उनके पास आया और तलवार से रहमत की गर्दन पर जानलेवा वार कर दिया..जख्मी हालत में रहमत जमीन पर गिर गए..और कुछ ही देर में उनकी मौत हो गई..परिजनों के मुताबिक करीब साल भर पहले रहमत ने एक प्लाट खरीदने के लिए बिना किसी कागजी कार्यवाही के शुजात को ढेड लाख रूपये दिए थे.. शुजात ने रहमत को ना तो प्लाट दिलाया..और ना ही उसके पैसे वापिस किए.. पिछले कुछ दिनों से रहमत शुजात पर पैसे लौटाने के लिए दबाव बना रहा था.. शुक्रवार सुबह भी रहमत ने शुजात से पैसों की मांग की...जिसपर दोनों में कहासुनी हो गई...गुस्से में लाल पीले हुए शुजात ने तैश में आकर रहमत पर तलवार से वार कर दिया..
रहमत अली की सड़क पर ही मौत हो गई.. सरेआम हुए कत्ल के बाद लोगों की भीड़ इलाके मे जमा होनी शुरू हो गई.. गुस्साए लोगों ने जब शुजात के घर के बाहर हंगामा किया तो शुजात ने अपने भाई गुलाम और कादिर के साथ मिलकर छत से लोगों पर फायरिंग शुरू कर दी..जिसके बाद लोगों का गुस्सा और भडक उठा.. गुस्साए लोगों ने जमकर हंगामा काटा और आगजनी की.. वारदात के बाद मौके पर पहुंची पुलिस ने लोगों को शांत करने की कोशिश की..... और आरोपी शुजात को उसके दो भाइयों समेत गिरफ्तार कर लिया..पुलिस ने वारदात में इस्तेमाल तलवार और दुनाली बंदुक भी बरामद कर ली है.
पुलिस ने सरेआम हुई कत्ल की इस वारदात में आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है.. लेकिन इलाके में अभी भी दहशत का माहौल बना हुआ है.. हर किसी की जहन पर केवल एक ही सवाल है कि क्या किसी की मदद करना पाप है....रहमत अली की क्या गलती थी जो उसे शुजात ने मौत दे दी....क्या रहमत को सुजात को पैसे ही नहीं देने चाहिये थे.... इलाके के लोग अब रहमत अली के गुनाहगारों को कड़ी से कड़ी सजा दिये जाने की मांग कर रहे है..

मुंबई में सफ़ेद जहर

ऐसा जहर जो धीरे धीरे इंसान को मौत की तरफ ले जाता है.. इस जहर को हिंदुस्तान में तैयार किया जा रहा था.. और तैयार करने वाले थे चंद विदेशी लोग....रुपयों के लालच में अंधे हुए ये लोग सफेद जहर को दवाइयों के डिब्बों की आड़ में न केवल हिन्दुस्तान बल्कि विदेशों में भी सप्लाई करते थे... लेकिन मुम्बई पुलिस ने नौजवान लोगों को मीठी मौत बांटने वाले इन सौदागरों को कर लिया गिरफ्तार औऱ कर ली इनके कब्जे से 26 करोड़ की ड्रग्स बरामद...
ना होगा धमाका..ना होगी कोई गुंज.. फिर भी दहल उठेंगे..हजारों लोगों के घर....हजारों घरों में होगा मातम.. एक बड़ा खुलासा... मुंबई में युवाओं पर हमले की साजिश.. जीं हां.. कुछ ऐसी ही साजिश को बेपर्दा किया है..मुंबई नारकोटिक्टस विभाग ने..विभाग ने 26 करोड़ की ड्रग्स के साथ नौ लोगों को गिरफ्तार किया है.. इनके पास से भारी मात्रा में ड्रग्स बरामद की गई है.. आपको ये जानकर हैरत होगी कि ड्रग्स बनाने का ये गोरखधंधा मुंबई में किसी एक जगह नहीं.. बल्कि कई ठिकानों पर चल रहा था..और इस धंधे के सूत्रधार हैं.. विदेशी युवक.. ड्रग्स बनाने और उसे महाराष्ट्र और विदेशो में सप्लाई करने के मामले में पुलिस ने कुल नौ लोगों को गिरफ्त में लिया जिनमें से आठ विदेशी हैं..इन आठ विदेशियों में छ ईरानी ,एक डच जबकि एक कमबोडिया का रहने वाला है.. एंटी नारकोटिक्स विभाग के मुताबिक ये लोग भारतीय मूल के डच नागरिक किशोर नंदन के बुलावे पर महाराष्ट्र में आए थे..और मुंबई के कई इलाकों में अपना धंधा चला रहे थे..
ड्रग्स सप्लाई करने का इनका तरीका बेहद शातिराना था..ये लोग ड्रग्स तैयार करने के बाद उसे दवाईयों में मिलाते और फिर विदेशों में सप्लाई करते.. नारकोटिक्स विभाग ने गिरफ्तार आरोपियों के कब्जे से करीब साढ़े आठ किलो मेथामफेटमाइन, 60 किलो इफेड्रीन और बड़ी मात्रा में केमिकल और ड्रग्स बनाने से जुड़ी सामग्री बरामद की है। इसके अलावा आरोपियों से पूछताछ के बाद फिर ओशिवरा में स्वाति अपार्टमेंट में छापा मारा गया और वहां से भी काफी मादक सामग्री जब्त की गई।
भारत में ड्रग्स तैयार करने और उन्हे विदेश में सप्लाई करने की खास वजह थी..दरअसल यूरोप में कुछ महीने बाद क्रिसमस पर और नये साल के मौके पर काफी मात्रा में ड्रग्स की डिमांड होती है .... महाराष्ट्र में पकड़ा गया गैंग जिस तरह की ड्रग्स बनाता था, उसमें यूज होने वाला केमिकल भारत में बहुत सस्ता मिलता है। इस वजह से ये अंतरराष्ट्रीय गैंग ड्रग्स बनाने महाराष्ट्र आया। इन विदेशियों ने अपना धंधा तो जमा लिया लेकिन उसे ज्यादा दिन तक चला ना सके..हालांकि अभी नौ लोग ही पुलिस की गिरफ्त में आए हैं.. पुलिस को उम्मीद है कि गिरफ्त में आये लोगों से पूछताछ के बाद इस गिरोह से जुड़े औऱ लोग भी आ सकते हैं शिकंजे में

मोहब्बत में बनी माँ

मोहब्बत करने वालों की कमी नहीं...और फिर मोहब्बत करना कोई पाप भी नहीं लेकिन जरा ठहिरये हम आपको बता दें कि मोहब्बत के नाम पर हवस मिटाने वाले भेडिये भी इस दुनिया कम नहीं हैं लिहाजा किसी से मोहब्बत करने से पहले....उसे अपना तन सोंपने से पहले सौ बार सोच लें ...कहीं ऐसा न हो कि मोहब्बत के नाम पर आप बन जायें बिन ब्याही मॉं....और आपका ही बच्चा आपसे पूछे कि मेरे पापा कौन हैं...
15 दिन का ये मासूम ना बोलना जानता है..ना ही इसे दुनिया के रस्मों रिवाज पता हैं.. इसे अगर कुछ पता है तो बस मां की गोद और उसका प्यार.. भूख लगती है.. तो रोने लगता है.. प्यास लगती है तो छटपटाने लगता है... लेकिन इस छोटी सी उम्र में ही इस मासूम को जिंदगी की एक कड़वी हकीकत से रूबरू होना पड रहा है.. रिश्तों की ऐसी कड़वी हकीकत की इसे इंसाफ दिलाने के लिए इसकी मां इसे अदालत की चौखट पर ले आई है .. इस महिला को न केवल अपना बल्कि इसकी गोद में पल रहे अपने बच्चे का हक चाहिये....अंकुश नाम के इस मासूम को अपनी मां नमिता का तो अहसास है लेकिन ये...नहीं जानता कि इसका पिता कौन है.... .चंडीगढ की अदालत में नमिता ने अपने बच्चे के हक के लिए दायर की है याचिका जिसमें मांग की गई है कि अंकुश का पिता उसे मुआवजा दे... ताकि नमिता नमिता अंकुश की जिंदगी का ठीक से गुजर बसर कर सके...
आखिर क्या है नमिता और उसके मासूम बेटे अंकुश की दास्तां .. और इन्हें क्यों अदालत तक जाना पडा.. इसके लिए हम आपको नमिता के अतीत से रुबरु कराते हैं असल में चंडीगढ के सेक्टर 56 में रहने वाली 22 साल की नमिता की मां की मौत उसके बचपन में ही हो गई थी.... कम उम्र में ही उसके भाई और पिता भी इस दुनिया से चल बसे.. नमिता इस दुनिया में अकेली थी.. हर कदम पर धोखे थे.. कोई नहीं था जिसे नमिता अपना समझकर कुछ पल के लिए उसके कंधे का सहारा ले सकती.. इसी बीच नमिता की मुलाकात चंडीगढ के सेक्टर 43 में रहने वाले सोनी नाम के एक लडके से हुई .. इस मुलाकात के बाद नमिता के सपनों को नई उडान मिली.. उसे लगने लगा कि उसकी जिंदगी अब बोझ नहीं रही.... नमिता और सोनी एक दुसरे के बेहद करीब आ गए.. इतने करीब के दोनों के बीच जिस्मानी संबंध भी बन गये .. नमिता.. सोनी की हर बात पर आंख मूंदकर भरोसा करती.. सोनी भी हर दिन उसे नए नए सपने दिखाता.. और इन्हीं सपनों की उडान देकर वो नमिता के जिस्म से हर रोज खेलता.. इसी बीच नमिता के पेट में सोनी का प्यार पलना शुरु हो गया...नमिता ने सोनी से शादी की बात की लेकिन उसने शादी करने से साफ इंकार कर दिया.. नमिता के पास दो ही रास्ते थे.. या तो वो बच्चे को जन्म दे या फिर बच्चे के साथ खुद को खत्म कर ले.. दोराहे पर खडी नमिता ने बच्चे को जन्म देने का फैसला किया.. लेकिन साथ ही उसने फैसला किया कि वो सोनी को सबक सिखाकर ही मानेगी ..... नमिता ने सोनी के खिलाफ अदालत के मार्फत मुकद्दमा दर्ज कराया.. जिसके बाद सोनी को गिरफ्तार कर लिया गया..और उसे जेल भेज दिया गया..
सोनी के जेल जाने के बाद नमिता ने एक बच्चे को जन्म दिया.. जिसके बाद सोनी के परिजनों का दिल पसीज गया.. उन्होनें नमिता से केस वापिस लेने की गुजारिश की और दोनों की शादी कराने का वादा भी किया.. नमिता को और क्या चाहिए था... उसके बच्चे को पिता का नाम मिल जाए.. उसकी जिंदगी फिर से खुशहाल हो जाये.. लेकिन यहां भी नमिता की जिंदगी में एक बार फिर धोखा हुआ .. जेल से जमानत पर बाहर आने के बाद सोनी विदेश भाग गया.. अब बेटे को इंसाफ दिलाने के लिए नमिता अदालत पहुंची है.. हर कदम पर धोखे का सामना करने वाली नमिता को क्या इंसाफ मिल पाएगा.. क्या उसके मासूम बेटे को उसके पिता का नाम मिलेगा.. इनका जवाब तो वक्त के साथ ही मिलेगा.. खैर इस मामले में अदालत ने आने वाली 13 अक्टूबर की तारीख मुकर्रर की है.. जिसके बाद ही ये तय हो पायेगा कि आगे आने वाले दिनों में नमिता और उसके बेटे अंकुश के लिए राह आसान होगी या फिर मुश्किल भरी

अमिताभ को बनाया मुखबिर

वर्दी की आड़ में छिपे झारखंड के कुछ भ्रष्ट आला अधिकारियों की जिन्होंने अमिताभ बच्चन को ही बना दिया मुखबिर... बात अगर यहीं तक रहती तब भी महकमें की साख शायद बच जाती लेकिन यहां तो भ्रष्ट अधिकारियों ने अमिताभ बच्चन के नाम पर डकार लिये लाखों रुपये... जी हां झारखंड के आला अधिकारियों ने सिक्रेट सर्विस फंड के सरकारी खजाने से अपनी जेब भर लीं और अमिताभ बच्चन को दे दिया मुखबिर का खिताब...बिग बी यानी अमिताभ बच्चन सदी का महानायक..आपके बिग बी को एंग्रीयंगमैन के रोल में देखा होगा...रोमांटिक रोल में भी देखा होगा...कहीं चोर तो कहीं पुलिस के गेटअप में.. रील लाइफ में आपने बिग बी को ना जाने कितने गेटअप में देखा होगा..लेकिन यकीन मानिए जो कुछ हम बिग बी के बारे में बताने जा रहे है..उसे ना तो कभी आपने देखा होगा..और न ही सुना..जरा सोचिए क्या कभी आपने बिग बी को पुलिस के मुखबिर के रोल में देखा है...फिल्मी पर्दे में आपने देखा हो या न देखा हो...लेकिन असल जिंदगी में बिग बी को बना दिया गया है पुलिस का मुखबिर...जी हां, चौंकिए मत...क्योंकि ये सौ फीसदी सच है..ये बात सुनकर..आप जितना हैरान होंगे... मुमकिन है बिग बी भी उतने ही हैरान हों...लेकिन ये दावा है झारखंड पुलिस का... भले ही ये बात आपके गले भी ना उतरे...लेकिन झारखंड पुलिस के दस्तावेज इसी बात की तसदीक कर रहे हैं...गौर से देखिए इस दस्तावेज को...झारखंड के मुख्य सचिव की ओर से जारी इस दस्तावेज से साफ है कि अमिताभ बच्चन का नाम मुखबिर के तौर पर इस्तेमाल करके किस तरह लाखों की हेरा-फेरी की गई है...दरअसल झारखंड पुलिस ने सीक्रेट सर्विस के खजाने से मुखबिरों को पैसे दिए जाने के नाम पर लाखों रुपए की हेरा-फेरी की गई है...वो भी फर्जी नाम से....इन्हीं फर्जी नामों में से एक नाम अमिताभ बच्चन का भी है...दो दिनों के अंदर-अंदर बिग बी के नाम पर 21 लाख छह हजार पांच सौ रुपए का भुगतान दिखा दिया गया है...वो भी महज दो रसीद के जरिए...तस्वीरों में दिख रहे दस्तावेज पूरी सच्चाई बयां कर रहे हैं...लेकिन राज्य के मुख्य सचिव इस मामले से पल्ला झाड़ रहे हैं...पर शक की सुई झारखंड के पूर्व डीजीपी बीडी राम की ओर जा रही है...उन पर आरोप है कि उन्होंने असली मुखबिर को डरा-धमका कर उससे दोनों रसीद पर दस्तखत करवा लिया...और इसके बदले में असली मुखबिर को सिर्फ दस हजार रुपए ही दिए..बाकी का पैसा खुद ही डकार गए...लेकिन असली मुखबिर को ये बिल्कुल रास नहीं आया कि उसके हिस्से का पैसा अधिकारी साहब खुद हजम कर जाएं...फिर क्या था.. उसने पूरे मामले की हकीकत एक लेटर में फिलहाल मामला हाई कोर्ट में चल रहा है...सच्चाई सामने आने में तो अभी थोड़ा वक्त लगेगा...लेकिन इतना तो साफ है कि घोटालेबाज पैसों की हेरा-फेरी के लिए कुछ भी कर सकते हैं....और इसके लिए वो बिग बी जैसी बड़ी शख्सियत को भी नहीं बख्शने वाले..

सिपाही की हत्या

वर्दी लोगों की हिफाजत के लिए है... बदमाशों को उनके असल मुकाम तक पहुंचाने के लिए है... भले ही इसके लिए क्यों न वर्दीवालों को अपनी जान गंवानी पड़े....वर्दी की शान की खातिर मौत को गले लगाने की एक ऐसी ही खबर आई है पंचकुला से...जहां एक जांबाज सिपाही ने दो बदमाशों को गिरफ्तार करने के लिए अपनी जान गंवा दी.... भले ही उस जांबाज सिपाही की इस हमले में मौत हो गई लेकिन वो मरते मरते भी आरोपियों को गिरफ्तार करा गया....
ये लाश है 22 साल के सुरेश की.... सुरेश पंचकुला के कालकाजी थाने में बतौर सिपाही तैनात था.... बीते मंगलवार को सुरेश की हत्या कर दी गई.. और हत्या का आरोप लगा दो वाहन चोरों पर... असल में सुरेश अपने फर्ज के लिए कुछ भी कर गुजरने को तैयार रहने वाला एक सिपाही था.... और फर्ज निभाने के प्रति उसका जुनून ही उसकी मौत की वजह बन गया.. बात बीते मंगलवार की है....पंचकुला के कालकाजी थाना पुलिस को खबर मिली कि वाहन चोरी की कई वारदातों को अंजाम दे चुके दो बदमाश पंचकुला सेक्टर पांच में आ रहे हैं.. खबर मिलते ही थाने तैनात सिपाही सुरेश और राजेश....बदमाशों की गिरफ्तारी के लिए निकल पड़े.. दोनों ताक लगाकर बदमाशों का इंतजार करने लगे... इसी बीच बाइक पर सवार आरोपी मोनू और तेजा नाम के दो आरोपी सेक्टर 5 के चौक से होकर गुजरे.... जैसे ही राजेश और सुरेश की निगाह उन पर पड़ी दोनों ने उनका पीछा किया....पुलिस को देख मोनू और तेजा भागने लगे.. इतने में सुरेश ने मोनू को दबोच लिया.. लेकिन मोनू ने खुद को बचाने के लिए सुरेश पर चाकुओं से कई वार कर दिए.. सुरेश गंभीर रूप से घायल हो गया..मौका पाकर आरोपी तेजा तो फरार हो गया.. लेकिन सुरेश ने जख्मी होने के बाद भी मोनू को नहीं छोड़ा ..इसी बीच राजेश ने आकर मोनू पर शिकंजा कस दिया..
गंभीर रूप से घायल सुरेश को तुरंत पंचकुला सेक्टर 6 के जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया.. जहां डॉक्टरों ने सुरेश को मृत घोषित कर दिया.. सुरेश मूलरूप से यमुनानगर के मुस्तफाबाद का रहने वाला था..और महीना भर पहले ही घर से छुट्टी मनाने के बाद ड्यूटी पर लौटा था.. सुरेश की मौत की खबर मिलते ही उसके घर में मातम पसर गया .. महकमें के सिपाही की हत्या के मामले को संजीदगी से लेते हुए पुलिस ने मंगलवार को फरार आरोपी तेजा को भी गिरफ्तार कर लिया.. पुलिस ने दोनों आरोपियों को बुधवार को अदालत में पेश किया ..जहां से उन्हें दो दिन की पुलिस रिमांड पर भेज दिया गया है.. लेकिन अभी तक पुलिस के हाथ वो चाकू नहीं लगा है जिससे मोनू ने सुरेश की हत्या की थी.. सुरेश भले ही अब इस दुनिया में नहीं है लेकिन उसके होसले ने महकमे का सिर उंचा कर दिया है
सुरेश की लाश को पोस्टमॉर्टम के बाद उसके घरवालों को सोंप दिया गया है जिसके बाद पूरे इलाके में शोक है....
इस वारदात में ना केवल एक परिवार ने अपना नौजवान खोया ..बल्कि हरियाणा पुलिस ने भी एक जांबाज सिपाही को खो दिया..

एस आई पर फायरिंग

वर्दी और फर्ज की दास्तां सिपाही सुरेश तक ही सीमित नहीं है बल्कि हर वो वर्दीवाला जिसके जहन में देश के प्रति जज्बा है वर्दी को लेकर सम्मान है..वो कभी बदमाशों के मंसूबों के आगे नहीं झुकेगा...चाहे भले ही उसे इसके लिए अपना खून ही क्यों न बहाना पड़े.. हम आपको दिखाते हैं एक और जांबाज वर्दीवाले की दास्तान जिसने जख्मी होने के बाद भी हिम्मत नहीं हारी...और बदमाशों के सामने दीवार बनकर खडा हो गया...नतीजा ये हुआ कि कानून के गुनहगार पहुंच गये हवालात...
दिल्ली एनसीआर में बेखौफ हैं बदमाश .. वो वारदातों को दे रहें है अंजाम.. लेकिन पुलिस ने भी..कस ली है कमर.. बदमाश होगें जेल के अंदर.. डटकर करेंगें बदमाशों का सामना और पहुंचाएंगे उन्हें उनके असल ठिकाने.. बदमाशों को हवालात पहुंचाने के जुनून का ही ये अंजाम ये है कि आज गाजियाबाद के सिंभावली थाने में तैनात एएसआई सेठपाल की बदौलत दो बदमाश पुलिस के शिकंजे में हैं.... भले ही इसके लिए सेठपाल को अपना खून ही क्यों न बहाना पड़ा .... लेकिन उन्होंने अपने फर्ज को अंजाम तक पहुंचाया.. दो बदमाशों को हवालात का रास्ता दिखाया .. असल में सेठपाल की ड्यूटी इलाके में वाहनों की चेकिंग पर लगी थी .. बुधवार सुबह भी वो इलाके के चौक पर तैनात सिपाहियों के साथ हर गाडी की बारीकी से जांच कर रहे थे.. इसी बीच पशुओं से भरा एक ट्रक वहां से गुजरा.... सेठपाल ने ट्रक ड्राइवर को रुकने का इशारा किया.... ट्रक ड्राईवर ने ट्रक तो रोक लिया.. लेकिन जैसे ही ड्राइवर से ट्रक की चेंकिंग की बात कही गई... ट्रक में सवार लोगों ने पुलिस वालों पर फायरिंग शुरू कर दी..
पुलिसकर्मियों पर फायरिंग करने के बाद बदमाशों ने भागने की कोशिश की.. लेकिन सेठपाल समेत कुछ सिपाहियों ने बदमाशों का पीछा करना शुरु कर दिया .... बदमाशों ने फायरिंग की....एक गोली सीधे सेठपाल के पेट में जा लगी...लेकिन सेठपाल ने हिम्मत नहीं हारी....नतीजा ये हुआ कि पुलिस ने दो बदमाशों को दबोच लिया .. जबकि तीन बदमाश ट्रक समेत फरार हो गये ... सेठपाल को गाजियाबाद के निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया .. जहां उनका इलाज चल रहा है.. पुलिस के मुताबिक गिरफ्त में आये बदमाश पशुओं की तस्करी करते थे.. पुलिस का दावा है कि मौके से फरार हुए बदमाशों की भी जल्द ही गिरफ्तारी कर ली जायेगी .
वर्दी लोगों की हिफाजत के लिए है....कानून के गुनहगारों को उनके किये की सजा दिलाने के लिए है... वर्दी हर खासोआम की सुरक्षा का नाम है.... सेठपाल भले ही इस हमले में जख्मी हो गया हो...लेकिन ये उसका जज्बा ही था कि वो घायल होने के बावजूद भी आरोपियों का पीछा करता रहा जिसकी वजह से आरोपी पुलिस की गिरफ्त में हैं....वाकई सेठपाल के जुनून ने साबित कर दिया है कि अगर हर वर्दी वाला बदमाशों के खिलाफ ऐसा ही जोश और जज्बा दिखाये तो किसी भी बदमाश का सलाखों से बाहर रह पाना नामुमकिन है....

कातिल मां-भाग एक

यूं तो कत्ल की कई वारदात आपने देखी होंगी और सुनी होंगी लेकिन आज जिस वारदात की असलियत हम आपको दिखाने जा रहे हैं यकीन मानिये इसे देखकर.. एक पल के लिए तो आप भी सोच में पड़ जायेंगे ..कि आखिर ऐसा कैसे हो सकता है कि कातिल पुलिस के सामने हो और पुलिस उसे पहचान न सके.... लेकिन हम आपको बता दें कि इस वारदात का कातिल खुद आपकी भी नजरों के सामने है अगर आप भी उस कातिल को पहचान सकते हैं तो पहचानिये....
एक मां का दर्द.... एक मां की बेबसी... बेटी की मौत पर एक मां की लाचारी.... ये मां अपनी बेटी की हत्या का इंसाफ चाहती है.. बेटी के कातिलों को सलाखों के पीछे देखना चाहती है.. इंसाफ की मांग करती इस का दर्द सुनकर लोग सड़कों पर उतर आए... रेलवे ट्रेक जाम कर दिये गये.HOLD......असल में सुषमा नाम की ये महिला बिजनौर के चांदपुर इलाके में अपनी बेटी भावना और बेटे रोहित के साथ जिंदगी गुजार रही थी...जबकि सुषमा का पति विदेश में नौकरी करता है.... बात बीते 21 अगस्त की है.... किसी ने बड़ी ही बेरहमी के साथ भावना का उसी के घर में कत्ल कर दिया... .भावना के शरीर पर चाकुओँ से वार किए गए.... भावना के कत्ल की जानकारी जैसे ही पुलिस को लगी पुलिस ने सुषमा के घर का मौका मुआयना कर कातिल की तलाश शुरु कर दी... दो दिन तक पुलिस ने इस केस की हर कड़ी को बारीकी से खंगाला... लेकिन कातिल को लेकर पुलिस के हाथ कोई सुराग न लगा....बेटी को खोकर एक मां भला क्या कर सकती थी...सुषमा पुलिस के तौर तरीके से बेहद नाराज थी...वो हर हाल में कातिलों की गिरफ्तारी चाहती थी...लिहाजा सुषमा और उसके परिजनों का गुस्सा पुलिस पर टूटा....गुस्साये इलाके के लोगों ने सड़क और रेलवे ट्रक जाम कर दिये.. इनकी मांग थी कि भावना के कातिलों को जल्द से जल्द गिरफ्तार किया जाए..
सुषमा पुलिस को हर संभल मदद दे रही थी....उसका मकसद हर हाल में अपनी बेटी के कातिलों को बेनकाब करना था.... पुलिस की पूछताछ में सुषमा ने कत्ल की इस वारदात में पडोस के ही दो लड़कों पर शक जाहिर किया.. भावना की मां के मुताबिक पडोस का एक लड़का ललित भावना को परेशान करता था.. और उसी ने भावना की घर में घुसकर चाकु से गोदकर हत्या की है.. पुलिस ने सुषमा के बयान के बिनाह पर ललित और उसके एक साथी को हिरासत में ले लिया..
शक की बिनाह पर पुलिस की गिरफ्त में दो आरोपी थे.. वारदात हुए दो दिन बीत चुके थे.... पुलिस न तो कत्ल के मकसद का ही पता लगा पाई थी और न ही कातिल का....वहीं हिरासत में लिए गये दोनों आरोपी भी खुद को बेकुसूर बता रहे थे....ऐसे में सवाल था कि कत्ल ललित और उसके साथी ने नहीं किया तो फिर किसने किया .. आखिर वो कौन था जो बेबाक होकर घर में दाखिल हुआ.. भावना पर ताबड़तोड़ चाकू से वार किये और फरार हो गया.... पुलिस इन सभी सवालों में उलझ कर रह गई.... लेकिन हम यहां आपको बता दें कि कातिल पुलिस की पहुंच से ज्यादा दूर नहीं बल्कि पुलिस के बेहद नजदीक था...पुलिस की आंखों के सामने था....लेकिन पुलिस उसे पहचान नहीं पा रही थी....आप सोच रहे होंगे कि आखिर कौन है भावना का हत्यारा....आप खुद भी सोचिये की पुलिस का हमकदम होकर पुलिस को चकमा देने वाला वो कातिल कौन है...नहीं तो बस कुछ देर हम करेंगे आपके सामने भावना के कातिल का खुलासा...

कातिल मां- भाग दो

एक नाबालिग का उसी के घर में दाखिल होकर किसी ने कत्ल कर दिया.... पुलिस के पास न तो कातिल का कोई सुराग था और न ही इस वारदात का कोई चश्मदीद....लेकिन पुलिस को यकीन था कि गुनहगार की महज एक गलती ही उसका पता बता देगी.... इस केस में भी वही हुआ...कातिल ने बड़ी ही सफाई से रंगे थे उस नाबालिग के खून से हाथ लेकिन फिर भी वो एक गलती कर बैठा जिससे इस वारदात का हो गया पर्दाफाश..और कातिल हो गया बेनकाब..अब देखिये जरा कातिल को औऱ सोचिये कि क्या आपकी तहकीकात में सामने आया कातिल भी वही है जिसे पुलिस ने बेनकाब किया...
एक बेटी को खो देने का गम क्या होता.. भला इस मां से ज्यादा कौन जान सकता है.. इस मां के आंसू.. इसके दिल का दर्द..बयां कर रहे हैं.. लेकिन जरा ठहरिए..
ये आंसू बेटी को खोने के गम मे नहीं है.. ना ही ये दर्द बेटी को खोने का है.. बल्कि सब एक खौफनाक साजिश का हिस्सा है.. ऐसी साजिश जिसे खुद इसी महिला ने रचा.. इस महिला ने साचिश रची ...अपने हिसाब से मोहरे बिछाए.. और मात दी अपनी ही बेटी को.. उसकी हत्या कराकर.. जीं हां भावना की हत्या कराने वाला कोई और नहीं बल्कि खुद उसी की मां सुषमा है.....
अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर पुलिस का हमकदम बनकर...पुलिस के सामने रहकर कातिल को पकड़ने की गुहार करने वाली ये महिला पुलिस की नजरों से दो दिन तक कैसे बची रही...और पुलिस ने किस बिनाह पर इस महिला को गिरफ्तार किया.... असल में इस कत्ल के पीछे छिपी हकीकत जितनी दर्दनाक है उतनी ही शर्मनाक भी ..क्योंकि कत्ल की ये दास्तां अवैध रिश्तों का अंजाम है .. पुलिस के मुताबिक सुषमा ने जो बयान दिये थे वो किसी भी तरह से हजम नहीं हो रहे थे .. तफ्तीश में लगी पुलिस ने कत्ल के तीन दिन बाद सुषमा के मोबाइल फोन की कॉल डिटेल निकलवाई.. जिसके बाद ना केवल पुलिस को कातिल का ठोस सुराग मिला बल्कि कत्ल का मकसद भी पूरी तरह साफ हो गया.. कॉल डिटेल से पुलिस को पता चला कि जिस दिन भावना की हत्या हुई.. उसी दिन सुषमा ने एक ही नंबर पर 64 से ज्यादा बार फोन किए थे.. बस यहीं से पुलिस का माथा ठनका.. भला ऐसा कौन सा जरूरी काम थी कि सुषमा ने बेटी की हत्या के बाद एक ही शख्स को 64 बार फोन किये.. जब पुलिस ने उस नंबर का पता किया तो सामने आई एक मां की खौफनाक हकीकत..दरअसल ये नंबर था बेगराज नाम के एक युवक का.. पुलिस की टीम ने तुरंत बेगराज को हिरासत में लेकर कड़ाई से पुछताछ करनी शुरु कर दी .. पहले तो बेगराज पुलिस को गुमराह करता रहा लेकिन बाद में टूट गया.. बेगराज ने पुलिस को बताया कि सुषमा के साथ उसके अवैध संबंध थे..जिनकी जानकारी भावना को लग चुकी थी...कत्ल वाले रोज भावना ने अपनी मां सुषमा को बेगराज के साथ आपत्तिजनक हालत में देख भी लिया था जिसके बाद भावना ने अपनी मां को धमकी दी कि वो इस रिश्ते के बारे में अपने पिता को बता देगी.. .
पुलिस के मुताबिक कत्ल वाले रोज ही सुषमा की शय पर बेगराज ने अपने एक दोस्त सोनू त्यागी के साथ मिलकर पहले तो भावना का बलात्कार करने की कोशिश की...लेकिन जब भावना ने बेगराज का विरोध किया तो उन दोनों ने मिलकर भापना की चाकू से गोदकर हत्या कर दी...वारदात को अंजाम देने के बाद कातिल को छिपाने का जिम्मा निभाया खुद सुषमा ने...और उसने न केवल पुलिस बल्कि जमाने के सामने इतने घडियाली आंसू बहाये कि उसपर किसी को शक ही न हो लेकिन कहते हैं न कि कातिल कितना ही शातिर क्यों न हो वो एक न एक गलती कर ही जाता है और वही गलती बनती है उसकी गिरफ्तारी का सबब...सुषमा की गलती थी बेगराज को बार बार फोन करना....इन्हीं कॉल ने सुषमा और बेगराज की साजिश को बेनकाब कर दिया और उन्हें पहुंचा दिया सलाखों के पीछे

23 अगस्त 2010

इज्जत के बदले इज्जत

इज्जत के नाम पर कत्लेआम और पंचायत के तुगलकी फरमान तो आपने सुने होगें.. लेकिन इज्जत की दुहाई देकर समाज के ठेकेदारों को किसी की इज्जत नीलाम करते हुए शायद ही आपने देखा हो....लेकिन आज हम आपको दिखाने जा रहे हैं इंसानियत को शर्मसार कर देने वाली एक ऐसी ही वारदात जिसमें खून के बदले खून की तर्ज पर एक शख्स ने अपनी बेटी के आशिक को सबक सिखाने के लिए उसकी भाभी की इज्जत को कर दिया सरेआम नीलाम...वीओ वन..
गुनाह किसी और का और सजा किसी और को.. मनजीत कौर की कहानी कुछ ऐसी ही है... असल में पंजाब के गुरदासपुर के बटाला में रहने वाली मनजीत कौर के देवर को पडोस की ही एक लडकी से प्यार हो गया.. लेकिन इस प्यार की सजा मिली मंनजीत कौर को...
असल में मनजीत का देवर गगनदीव पड़ोस में रहने वाली अंजू नाम की एक लड़की से प्यार करता था....इस बात की भनक जैसे ही अंजू के पिता को लगी...वो आग बबूला हो उठा....उसने गगनदीप के प्यार को अपनी शान के खिलाफ समझा...लिहाजा उसने खून के बदले खून का तरीका अपनाते हुए...इज्जत के बदले इज्जत लेने का फैसला लिया....तैश में आकर वो गगनदीप के घर पहुंचा....घर पर गगनदीप तो न मिला लिहाजा उसने गगनदीप की भाभी मनजीत कौर को उसके घर से उठाया.. उसके साथ मारपीट की गई.. और जब इससे भी उसका मन नही भरा तो आरोप है कि उसने अपने घर की इज्जत की दुहाई देकर मनजीत को निर्वस्त्र कर मोहल्ले भर में घुमाया .. मनजीत का कहना है कि मौके पर लोग थे लेकिन सब तमाशबीन बने रहे .... किसी ने उसकी मदद नहीं की
आरोप है कि पूरे मोहल्ले के सामने मनजीत कौर की इज्जत को निलाम किया गया.. और इस वारदात का गवाह है पूरा मोहल्ला जो सब कुछ होते हुए देखता रहा लेकिन मदद को आगे न आय़ा ....मामले की जानकारी पुलिस को दी गई....लेकिन पुलिस इसे महज मारपीट का मामला बता रही है... और इस पूरे केस के पीछे गढ़ रही है एक अलग ही थ्योरी
हालांकि पुलिस ने इस मामले में मनजीत के साथ मारपीट का मामला दर्ज कर बलदेव नाम के एक युवक को गिरफ्तार कर लिया है.... मनजीत कौर के साथ हुई घटना के चश्मीदद तो हैं लेकिन उसकी मदद के लिए कोई भी तैयार नही है...ऐसे में अब सवाल ये है कि क्या मनजीत अपनी इज्जत के दुश्मनों को सजा दिला पायेगी....वो भी तब की जब पुलिस की थ्योरी अलग है और मनजीत के आरोपों को लेकर चश्मदीद भी उसके साथ नहीं....

भारतीय अर्थव्यवस्था पर हमला

सरहद पार बैठे देश के दुश्मन भारत को बर्बाद करने का कोई मौका नहीं चूकना चाहते... सामने आकर उन्होंने जब जब मुकाबला किया मुंह की खानी पड़ी लिहाजा वो नकली नोटों के जरिये भारत की अर्थव्यवस्था को खोखला करने में जुटे हैं... दिल्ली पुलिस ने एक बार फिर तीन लोगों को गिरफ्तार कर नकली नोटों की एक भारी खेप जब्त की है... पूछताछ में खुलासा हुआ है कि सरहद पार बैठे देश के दुश्मन पूरे देश में फैला चुके हैं नकली नोटों का जाल...लिहाजा जरुरत है कि आप और हम चोकन्ना हो जायें.. क्योंकि हमारी और आपकी चौकसी ही नकली नोटों के इस सिंडिकेट को जड़ से उखाड़ सकती है..
नकली नोटों की खेप
पुलिस के शिकंजे में
नकली नोटों के कारोबारी
सरहद पार से जारी है भारतीय अर्थव्यवस्था को खोखला करने की नापाक साजिश... और इसका सुबूत है दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच के हत्थे चढे ये तीन शातिर... क्राइम ब्रांच ने रामप्रसाद, कृपाशंकर और विकास चौधरी नाम के इन तीन लोगों को नकली नोटों की एक भारी खेप के साथ गिरफ्तार किया है... पुलिस ने इनके कब्जे से आठ लाख नौ हजार के नकली नोट बरामद किए हैं...
नकली नोटों का कारोबार
जिसकी साजिश रची जाती है
सरहद पार
पूछताछ में खुलासा हुआ कि नकली नोटों की खेप इन तीनों लोगों के पास सरहद पार से बांग्लादेश के रास्ते वेस्ट बंगाल होते हुए इनके पास पहुंचती थी... जिसके बाद ये लोग देश के अलग अलग हिस्सों में नकली नोटों को सप्लाई कर देते .... इससे पहले भी ये लोग कई बार नकली नोटों को देश के कई हिस्सों में खपा चुके हैं.... लेकिन इस बार पुलिस की चौकसी के आगे इनकी साजिश नाकाम साबित हुई....और पुलिस ने इस गिरोह के गुर्गे रामप्रसाद को रोहिणी के जापानी पार्क के पास से गिरफ्तार किया... रामप्रसाद की निशानदेही पर बाकी के दो लोग भी पुलिस की गिरफ्त में आ गये....
सरहद पार से नकली नोटों का कारोबार नया नहीं है.. बल्कि देश की अर्थव्यव्था को खोखला करने के लिए सीमापार बैठे दुश्मनों का हमेशा से ही ये मंसूबा रहा है... राजधानी दिल्ली में ही पुलिस ने हाल ही में 41 हजार 6 सौ रूपये के नकली सिक्कों के साथ दो लोगों को गिरफ्तार किया था। भारतीय रिजर्व बैंक के तमाम सुरक्षा इंतजामों और जांच एजेंसियों की पैनी निगाहों के बावजूद जाली नोटों का कारोबार दिन-दुनी रात चौगुनी रफ्तार से फल-फूल रहा है। अगर नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकडों पर गौर करें तो साल
2001 में पुलिस ने 5.3 करोड़ की नकली कैरेंसी जब्त की जबक साल 2005 में ये राशि बढ़कर हो गई 6.9 करोड़
2008 में पुलिस ने 21.45 करोड़ के नकली नोट जब्त किये
जबकि
2009 में ये आंकड़ा बढकर हो गया 22 करोड़
आंकड़े बता रहे हैं कि किस तरह सरहद पार से देश के दुश्मन नकली नोटों का कारोबार बढाने में जुटे हैं... जाली नोटों का कारोबार कानूनन अपराध है इसके लिए भारतीय दंड संहिता की धारा 120बी, आपराधिक साजिश रचने, 489 ए,बी, सी और डी अपराध की जानकारी छुपाना, और धारा 420 के तहत कार्रवाई का प्रावधान है लेकिन जिस तरह से इस कारोबार में इजाफा हुआ है उससे साफ है कि इस प्रावधान का कोई खास असर नही हुआ है। ....
एक तरफ पुलिस अपना काम कर रही है....वो नकली नोटों के कारोबारियों पर बारीक निगाह बनाये हुए है...और जरा सा भी शक होते ही ऐसे कारोबारियों को उनके असल मुकाम तक पहुंचा दिया जाता है....ऐसे में जरुरत है हमारे भी चोकन्ना रहने और पुलिस का साथ निभाने की... हमारी चौकसी ही भारतीय अर्थव्यवस्था को खोखला करने वाले देश के दुश्मनों को जबाव दे सकती है

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भारतीय अर्थव्यवस्था पर हमला

सरहद पार बैठे देश के दुश्मन भारत को बर्बाद करने का कोई मौका नहीं चूकना चाहते... सामने आकर उन्होंने जब जब मुकाबला किया मुंह की खानी पड़ी लिहाजा वो नकली नोटों के जरिये भारत की अर्थव्यवस्था को खोखला करने में जुटे हैं... दिल्ली पुलिस ने एक बार फिर तीन लोगों को गिरफ्तार कर नकली नोटों की एक भारी खेप जब्त की है... पूछताछ में खुलासा हुआ है कि सरहद पार बैठे देश के दुश्मन पूरे देश में फैला चुके हैं नकली नोटों का जाल...लिहाजा जरुरत है कि आप और हम चोकन्ना हो जायें.. क्योंकि हमारी और आपकी चौकसी ही नकली नोटों के इस सिंडिकेट को जड़ से उखाड़ सकती है..
नकली नोटों की खेप
पुलिस के शिकंजे में
नकली नोटों के कारोबारी
सरहद पार से जारी है भारतीय अर्थव्यवस्था को खोखला करने की नापाक साजिश... और इसका सुबूत है दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच के हत्थे चढे ये तीन शातिर... क्राइम ब्रांच ने रामप्रसाद, कृपाशंकर और विकास चौधरी नाम के इन तीन लोगों को नकली नोटों की एक भारी खेप के साथ गिरफ्तार किया है... पुलिस ने इनके कब्जे से आठ लाख नौ हजार के नकली नोट बरामद किए हैं...
नकली नोटों का कारोबार
जिसकी साजिश रची जाती है
सरहद पार
पूछताछ में खुलासा हुआ कि नकली नोटों की खेप इन तीनों लोगों के पास सरहद पार से बांग्लादेश के रास्ते वेस्ट बंगाल होते हुए इनके पास पहुंचती थी... जिसके बाद ये लोग देश के अलग अलग हिस्सों में नकली नोटों को सप्लाई कर देते .... इससे पहले भी ये लोग कई बार नकली नोटों को देश के कई हिस्सों में खपा चुके हैं.... लेकिन इस बार पुलिस की चौकसी के आगे इनकी साजिश नाकाम साबित हुई....और पुलिस ने इस गिरोह के गुर्गे रामप्रसाद को रोहिणी के जापानी पार्क के पास से गिरफ्तार किया... रामप्रसाद की निशानदेही पर बाकी के दो लोग भी पुलिस की गिरफ्त में आ गये....
सरहद पार से नकली नोटों का कारोबार नया नहीं है.. बल्कि देश की अर्थव्यव्था को खोखला करने के लिए सीमापार बैठे दुश्मनों का हमेशा से ही ये मंसूबा रहा है... राजधानी दिल्ली में ही पुलिस ने हाल ही में 41 हजार 6 सौ रूपये के नकली सिक्कों के साथ दो लोगों को गिरफ्तार किया था। भारतीय रिजर्व बैंक के तमाम सुरक्षा इंतजामों और जांच एजेंसियों की पैनी निगाहों के बावजूद जाली नोटों का कारोबार दिन-दुनी रात चौगुनी रफ्तार से फल-फूल रहा है। अगर नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकडों पर गौर करें तो साल
2001 में पुलिस ने 5.3 करोड़ की नकली कैरेंसी जब्त की जबक साल 2005 में ये राशि बढ़कर हो गई 6.9 करोड़
2008 में पुलिस ने 21.45 करोड़ के नकली नोट जब्त किये
जबकि
2009 में ये आंकड़ा बढकर हो गया 22 करोड़
आंकड़े बता रहे हैं कि किस तरह सरहद पार से देश के दुश्मन नकली नोटों का कारोबार बढाने में जुटे हैं... जाली नोटों का कारोबार कानूनन अपराध है इसके लिए भारतीय दंड संहिता की धारा 120बी, आपराधिक साजिश रचने, 489 ए,बी, सी और डी अपराध की जानकारी छुपाना, और धारा 420 के तहत कार्रवाई का प्रावधान है लेकिन जिस तरह से इस कारोबार में इजाफा हुआ है उससे साफ है कि इस प्रावधान का कोई खास असर नही हुआ है। ....
एक तरफ पुलिस अपना काम कर रही है....वो नकली नोटों के कारोबारियों पर बारीक निगाह बनाये हुए है...और जरा सा भी शक होते ही ऐसे कारोबारियों को उनके असल मुकाम तक पहुंचा दिया जाता है....ऐसे में जरुरत है हमारे भी चोकन्ना रहने और पुलिस का साथ निभाने की... हमारी चौकसी ही भारतीय अर्थव्यवस्था को खोखला करने वाले देश के दुश्मनों को जबाव दे सकती है

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जिंदा है वो-1

मौत जितनी दर्दनाक होती है उतनी ही खौफनाक भी.... कहते हैं कि मौत ने जिसे एक बार अपने आगोश में लिया उसका दोबारा जिंदा होना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है... ऐसे में अगर कोई शख्स मरने के बाद दोबारा जिंदा लौट आए....तो उसे आप क्या कहेंगें... क्या ऐसा हो सकता है... जाहिर है यकीन करना थोडा मुश्किल है लेकिन हम आपको बता दें ऐसा हुआ है,... इस दुनिया में एक शख्स ऐसा भी है जो मरकर लौटा है जिंदा...ज़रा सोचिए उस शख्स के बारे में.. जिसे मौत ने अपने आगोश में ले लिया हो...जिसका वजूद ही इस दुनिया में ना हो.. हजारों लोगों की मौजूदगी में जिसे.. कब्रिस्तान में दफन कर दिया गया हो....जिसे हर कोई मुर्दा मान चुका हो... लेकिन वही शख्स जिंदा हो जाए.. वो आपसे बातें करें.... आपके बारे में सबकुछ जानता हो.. उसे आप क्या कहेंगें... अब तक का सबसे बड़ा चमत्कार या फिर आंखों का धोखा... जवाब देना थोडा मुश्किल है.. लेकिन नामुमकिन नही.. क्योंकि ऐसा हुआ है.. उसे हजारों लोगों की मौजूदगी में दफन किया गया लेकिन वो उन्हीं लोगों के सामने दोबारा लौट आया है.. यकीन ना आए तो इस नौजवान को देखिए.. लोगों की भीड़ से घिरा ये है मुस्तफा.. वही मुस्तफा जिसे सात साल पहले मरा समझकर लोगों ने दफना दिया था....लेकिन आज ये जिंदा है.. लोगों से बातें कर रहा है.. अपनी जिंदगी के हर राज आज भी इसे बखूबी याद है.. मुस्तफा की मौत की दास्तां अजीब है... मुरादाबाद के संभल में मुस्तफा अपने परिवार के साथ रहता था...एक दिन मुस्तफा के पूरे शरीर में अचानक दर्द होने लगा..घरवाले उसे अस्पताल लेकर गए। जहां डॉक्टरों ने बताया कि मुस्तफा को सांप ने काट लिया है....सांप के काटने की बात सुनकर परिजनों के पैरों तले से मानो जमीन खिसक गई... और फिर वही हुआ जिसका परिवार को डर था। कुछ देर बाद डॉक्टरों ने मुस्तफा को मृत घोषित कर दिया गया। ये सब आज से ठीक सात साल पहले हुआ था। चौदह साल के बेटे की मौत की खबर ने पूरे परिवार को तोडकर रख दिया....मुस्तफा की मौत के बाद उसके शव को कब्रिस्तान में दफना दिया गया।
सात साल बाद एक बार फिर मुस्तफा अपने परिवार के साथ है। भला एक परिवार इससे ज्यादा और क्या चाहेगा... मौत को मात देकर लौटे मुस्तफा के घर आने से परिवार के लोग खुश है...लेकिन अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर जिसे मरा समझकर लोगों ने दफना दिया...वो आखिर अब जिंदा कैसे लौटा...वो सात साल तक कहां रहा....उसकी जिंदगी कैसे और किन हालातों में बची...जी हां ये वो सनसनीखेज सवाल हैं जिसने मुस्तफा की कहानी को बना दिया है उत्तर प्रदेश की सबसे रहस्यमयी दास्तान...

जिंदा है वो-2

जिस मुस्तफा को सभी ने मरा समझा...जिसे सैकड़ों लोगों की भीड़ के बीच दफना दिया गया ....वो आखिर जिंदा कैसे लोट आया... ये कोई चमत्कार है या फिर धोखा.. यकीनन ये वो सवाल हैं जो मुस्तफा को जिंदा देखकर हर किसी के जहन में कौंध रहे थे....तो आईये हम आपको दिखाते हैं मुस्तफा की मौत और उसकी नई जिंदगी से जुड़े वो सनसनीखेज राज जिसने इस मामले को बना दिया है सूबे की सबसे रहस्यमयी दास्तान..वीओ वन.. मुरादाबाद के रहने वाले मुस्तफा के घर जुटी लोगों की ये भीड़... ये भीड़ मुस्तफा के घर लौटने के बाद जुटी है.. हर कोई खुश है कि सात साल बाद मुस्तफा जिंदा घर लौटा है... लेकिन इस खुशी के साथ साथ हर किसी के जहन ये सवाल भी कौध रहा है कि आखिर ये मुस्तफा की जिंदगी में चमत्कार कैसे हुआ.. आखिर कैसे मौत के बाद मुस्तफा जिंदा लौट आया... वो कौन सी शक्ति थी जिसने विज्ञान को पीछे छोड दिया... डॉक्टरों के दावे को झुठला दिया... मुस्तफा की नई जिंदगी से जुडे ऐसे ही ना जाने और कितने सवाल हैं.. लेकिन इस सभी सवालों का केवल एक ही जवाब है .. अहमद... जी हां अहमद.. यही वो शख्स है जिसके पास मुस्तफा की नई जिदंगी से जुड़े हर सवाल का जवाब है। दरअसल मुस्तफा की मौत के बाद उसे दफना दिया गया...मुस्तफा की मौत की जानकारी इलाके के कुछ सपेरों को लगी... उन सपेरों ने फौरन मुस्तफा की लाश को कब्रिस्तान निकाल लिया.... सपरों ने उससे बेजान जिस्म में जान डालने की कोशिश की...उनकी कोशिश रंग लाई....औऱ कुछ ही समय के बाद मुस्तफा के जिस्म में हलचल होने लगी...उसका बेजान जिस्म हरकत करने लगा... मुस्तफा को उन सपेरों ने नई जिंदगी दे दी... जिसके बाद मुस्तफा उन्हीं का होकर रह गया।
मुस्तफा सपेरों के साथ अपना नया जीवन बिताने लगा....वक्त बीतता गया...लेकिन अब से करीब दो साल पहले मुस्तफा की ने एक बार फिर करवट बदली....उसकी बुआ ने मुस्तफा के परिवार वालों को बताया कि उसने मुस्तफा को सपेरों के साथ घूमते हुआ देखा है...जो शख्स मर चुका हो वो भला किसी के साथ कैसे हो सकता है। कुछ पल के लिए परिवार को लगा कि ये मुस्तफा की बुआ का वहम है लेकिन अब दो साल बाद एक बार फिर मुस्तफा की बुआ ने मुस्तफा को देखने का दावा किया.. परिवार वालों ने अधूरे मन से उसकी बात मानी और एक बार मुस्तफा से मिलने का फैसला किया... परिवार बिना कोई उम्मीद किए ही महमूदपुर कस्बे के सपेरों से मिलने पहुंच गया... परिवार के लोगों ने जब मुस्तफा को सपेरों के बीच देखा तो उन्हें यकीन नही हुआ.. उन्हें लगा कि ये उसका कोई हमशक्ल है। लेकिन उसके जिस्म पर बने निशान परिवार को सोचने पर मजबूर कर रहे थे। जब घर के लोग सामने आए तो मुस्तफा ने भी उन्हें पहचाने में ज्यादा देर नहीं की...
मुस्तफा के घर लौटने की खुशी की लाइफ ज्यादा लंबी न थी क्योंकि सपेरों ने मुस्तफा के परिवार वालों के सामने शर्त रखी है कि वो ही मुस्तफा की नई जिंदगी के हकदार हैं...और मुस्तफा ताउम्र उन्हीं के साथ रहेगा...सपेरों ने मुस्तफा को दो दिन का वक्त दिया है कि वो अपने घरवालों के साथ रहे इसके बाद वो सपेरों की ही टोली में शामिल हो जाये... ऐसे में अब देखना ये है कि मुस्तफा जो सात साल बाद मौत के मुंह से निकलकर अपनों के बीच पहुंचा है क्या वो दोबारा सपेरों की टोली का ही हिस्सा हो जायेगा या फिर वो अपने ही परिवार के साथ अपनी आगे की जिंदगी बितायेगा...

08 अगस्त 2010

बेगुनाही की सजा

गुनाहगार को उसके किए की सजा मिले ये कोई नई बात नही। लेकिन उस शख्स को जेल में सलाखों के पीछे दिन गुजारे पडे जिसने कोई गुनाह किया ही ना हो तो उसे आप क्या कहेंगें। कुछ ऐसा ही हुआ है दिल्ली के एक बुजुर्ग के साथ। जिसे दस साल पहले झुठे केस में पंजाब पुलिस ने गिरफ्तार किया। अदालत ने उसे जेल भेजा और अब उसे न्याय मिला है। पंजाब की एक अदालत ने इस बुजुर्ग को बेगुनाह बताया है..लेकिन इन दस सालों में ना केवल उसे ढेरों मुसीबतों का सामना करना पडा बल्कि परिवार ने भी बहुत कुछ खो दिया।

नाम में क्या रखा है.. भला नाम तो महज एक पहचान है। लेकिन इसी नाम की वजह से अमरजीत सिंह ने चौदह दिन जेल में बिताए..पचासों बार कोर्ट के चक्कर लगाए और अपने नाम की वजह से ही खुद के परिवार को टूटते देखा है। दिल्ली के रोहिणी सेक्टर सोलह में रहने वाले अमरजीत की ये ऐसी कहानी है जिसमें उसपर पंजाब पुलिस ने दस साल पहले गुनाहगार होने का ऐसा तमगा लगाया है सबकुछ बर्बाद हो गया। पुलिस की कारसतानी ने ना उसे कोर्ट के चक्कर लगाने पडे बल्कि जेल की हवा भी खानी पडी। इन दस सालों में आखिर क्या कुछ सहना पडा इस परिवार को आप खुद सुन लिजिए।
अमरजीत के साथ पंजाब पुलिस की ज्यादती का सिलसिला शुरू हुआ था साल 2000 में जब पहली बार पुलिस अमरजीत सिंह गंभीर के ऑफिस पर पहुंची थी। उससे अमरजीत के बारे में पुछा गया और फिर इसका नाम अमरजीत होना ही इसकी मुसीबत की वजह बन गया। दरअसल पंजाब पुलिस को तलाश थी अमरजीत सिंह लांबा नाम के युवक की जिसकों गाडियों के फर्जी कागजात तैयार करने के आरोप में पुलिस को गिरफ्तार करना था। लेकिन पुलिस ने पंजाब के राजपुरा में दर्ज एफआईआर के आधार पर अमरजीत सिंह गंभीर को उठा लिया। पंजाब पुलिस कई बार अमरजीत के घर वक्त-बेवक्त पहुंची। आखिरकार पुलिस ने अमरजीत सिंह लांबा की जगह अमरजीत सिंह गंभीर को गिरफ्तार कर पंजाब की एक अदालत में पेश कर दिया। जहां से अदालत ने उसे तीन दिन की रिमांड पर भेजा और जब तक जमानत होती.. किसी के नाम पहुंचने से पहले ही उसे चौदह दिन के लिए जेल भेज दिया गया। अमरजीत सिंह अपनी बेगुनाही साबित करने के लिए चिल्लाता रहा लेकिन किसी ने उसकी एक नाम सुनी।
हैरानी की बात थी कि जिस योगेश नाम के शख्स ने अमरजीत सिंह को धोखाधडी के मामले में अपना सहयोगी बताया था उसने खुद पुलिस को बताया कि ये वो अमरजीत सिंह नही हो जोकि उसका साथी रहा है। फिर भी पुलिस ने इस केस में कोई लापरवाही दिखाई और अमरजीत सिंह गंभीर को ही अदालत में पेश कर दिया। अमरजीत सिंह को अपनी बेगुनाही साबित करने के लिए पंजाब की अदालत में पचासों बार चक्कर लगाने पडे। आखिरकार अदालत ने माना है अमरजीत सिंह गंभीर बेकसुर है और उसे गलत फंसाया गया था। लेकिन उसका नाम ही अमरजीत की परेशानी का सबब बना। अब अमरजीत सिंह पंजाब पुलिस के उन अफसरों पर कानूनी कार्रवाई चाहते है जिनकी वजह से उसे दस साल तक यातनाएं झेलनी पडी।

बेगुनाही की सजा-2

अमरजीत सिंह के साथ हुई ज्यादती की कहानी यहीं खत्म नही होती.. दस सालों में उसने थाने और अदालत के चक्कर तो लगाए ही बल्कि परिवार का दर्द भी सहना पडा। पिता पर लगे संगीन इल्जामों को बेटी सह ना सकी। जब भी पुलिस वाले घर पहुंचते और अमरजीत सिंह से पुछताछ करते बेटी को अजीब सा डर सताने लगता।
सामने छ सात पुलिस वाले.. एक तरफ एक बुजुर्ग जरा सोचिए उस परिवार पर क्या बितेगी। खासकर उस शख्स की बेटी पर जिसकी शादी होने वाली हो और पिता पुलिस से घिरा हो। कुछ ऐसा ही होता था जब भी पंजाब पुलिस अमरजीत सिंह के घर पहुंची पूरा परिवार सहम उठता। बीस साल की रविन्द्र कौर पिता को पुलिस वालों से घिरा देख परेशान हो जाती..आंसूओं का सैलाब बहने लगता। वो अंदर ही अंदर परेशान रहने लगी। एक दिन अचानकर वो बीमार हो गई। अस्पताल में ईलाज के लिए भर्ती कराया गया तो पता चला कि रविन्द्र को ब्रेन हैमरेज हो गया है।
एक पिता के लिए खुद को बेगुनाह साबित करने से जरूरी बेटी को बचाना था शायद इसी लिए अमरजीत ने पुलिस के सामने पेश होने से पहले बेटी का इलाज कराना जरूरी समझा। लेकिन किस्मत ने साथ नही दिया..रविन्द्र कौर कौमा में चली गई और फिर ठीक दस दिन बाद उसकी मौत हो गई।लेकिन यहां भी पुलिस का एक अजीब ही चेहरा सामने आया। जब अमरजीत ने पटियाला सीआईए अधिकारी के सामने ना पहुंचने की वजह बेटी की मौत बताई तो पुलिस वालो ने इसे एक बहाना बताया।
अमरजीत सिंह की कहानी पहली नही है बल्कि ऐसे और भी ना जाने कितने लोग है जिन्हें बेगुनाही सी सजा दी गई है।

30 जुलाई 2010

लड़कियां सुरक्षित नहीं

राजधानी दिल्ली के सीमापुरी इलाके में एक शर्मसार कर देने वाली घटना सामने आई है। यहां कुछ मनचलों ने राह चलती दो सगी बहनों के साथ छेडछाड की। ये घटना उस वक्त हुई जब दोनों लड़कियां अपने भाई के साथ पंचशील से दिलशाद कॉलोनी स्थित अपने घर लौट रहीं थीं। तभी कुछ कार सवार मनचले लड़कों ने पहले तो दोनों लड़कियों पर फब्तियां कसी और बाद में छेड़छाड़ करने लगे। जब जावेद ने इसका विरोध किया तो...कार सवार लड़कों ने उसकी पिटाई कर दी....और मौके से फरार हो गए। घायल जावेद को इलाज के लिए गुरू तेग बहादुर अस्पताल ले जाया गया....जहां से उसे प्राथमिक उपचार के बाद छुट्टी दे दी गई।

29 जुलाई 2010

रंजिश में गोली मारी

दिल्ली के पालम विहार इलाके में एक युवक को बदमाशों ने गोली मार दी.. घायल युवक को डीडीयू अस्पताल में भर्ती कराया गया है। भीम सिंह नाम का रात के वक्त घर से सामने था कि उसी समय आए एक बदमाश ने भीम पर छह राउंड फायरिंग कर दी। भीम को एक गोली कंधे में लगी है और उसकी हालत स्थिर बनी हुई है। पुलिस के मुताबिक रंजिश के चलते इस वारदात को अंजाम दिया गया है। परिजनों का कहना है कि इलाके के बदमाश पप्पे ने भीम को गोली मारी है। हालांकि अभी तक इस मामले में पुलिस ने किसी को गिरफ्तार नही किया है।
दिल्ली के नेहरू प्लेस इलाके में एक तेज रफ्तार देर रात पलट गया। इस हादसे में ट्रक के हेल्पर को गंभीर चोट आई है। दरअसल रात करीब ढाई बजे सावित्री सिनेमा के पास फ्लाईओवर के नीचे ट्रक डिवाईडर से टकराकर पलट गया। किसी तरह हामिद नाम का ड्राईवर तो ट्रक से निकल गया लेकिन 18 साल का सालिम करीब एक घंटे तक फंसा रहा। मौके पर पहुंची पुलिस और दमकल विभाग ने कई घंटे की मशक्तत के बाद सालिम को बाहर निकाला.. जिसे अस्पताल में भर्ती कराया गया है। ट्रक में कैमिकल पाउडर भरा था और ये ट्रक अलवर से आ रहा था।

28 जुलाई 2010

मार्बल व्यवसायी से लूट

दिल्ली के मंगोलपुरी इलाके में बीती देर शाम बाइक सवार बदमाशों ने मार्बल कारोबारी से साढे चार लाख रूपये लूट लिए। घटना रात करीब नौ बजे की है जब मार्बल कारोबारी विनोद मित्तल दुकान बढाकर घर जाने की तैयारी में थे कि अचानक दो बाइक पर सवार चार बदमाश दुकान में आ घुसे और पिस्टल की नोंक पर साढे चार लाख रूपये नकद और एक सोने की चेन लूटकर फरार हो गए। घटना के वक्त दुकान के अन्य कर्मचारी गोदाम में गए हुए थे दुकान पर विनोद और उनका बेटा ही मौजूद था। विनोद के मुताबिक बदमाशों ने हेलमेट पहन रखा था जिसकी वजह से उनकी पहचान नही हो पाई। पुलिस ने इस संबंध में मामला दर्ज क लिया है लेकिन अभी तक किसी की गिरफ्तारी नही हो पाई है।

25 जुलाई 2010

घर में घुसकर हत्या

दिल्ली के पहाडगंज इलाके में चौबीस वर्षीय युवक की घर में घुसकर हत्या कर दी गई। बदमाशों ने उसके परिवार पर भी हमला किया जिसमें दो लोग घायल हुए है। परिजनों के मुताबिक सुबह के वक्त वीडियों गेम की दुकान चलाने वाले गोलू की कुछ लोगों के साथ कहासुनी हो गई थी। उन्हीं ने गोलू को जान से मारने की धमकी दी। रात करीब ग्यारह बजे पांच से छ की संख्या में लोग पहाडगंज स्थित गोलू के घर में घुस आए और जो भी उनके सामंने आया चाकुओं से वार शुरू कर दिए। गंभीर रूप से घायल गोलू को लेडी हार्डिंग अस्पताल ले जाया गया जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। पुलिस ने हत्या का मामला दर्ज कर लिया है हालांकि अभी तक इस हत्याकांड में किसी की गिरफ्तारी नही हो पाई है।

किसके भरोसे दिल्ली

राजधानी दिल्ली किसके भरोसे है और सुरक्षा व्यवस्था की हालत क्या है इसकी बानगी बीती रात देखने को मिली। जहां सबसे संवेदनशील माने जाने वाले इलाके विजय चौक, संसद भवन के पास कुछ अज्ञात लोग पार्टी मनाते देखे गए। दरअसल रात करीब साढे तीन बजे तीन युवतियां एक युवक के साथ संसद भवन के ठीक सामने सड़क किनारे पार्टी का लुत्फ उठा रही थी। साथ ही कुछ दूरी पर पुलिस पीसीआर वैन और सीआरपीएफ के जवान तैनात थे। लेकिन किसी को भी इनके बारे में भनक तक नही लगी। याद रहे की देर रात इस इलाके में लोगों की आवाजाही प्रतिबंधित है। वहीं राजधानी में महिलाओं की सुरक्षा पर प्रश्नचिंह लगा दिया है जो देर रात इस तरह से बेफ्रिक होकर घुमती है। लेकिन इस मामले में इलाके की चौकसी में लगे सीआरपीएफ के जवान खुद को इससे अंजान बता रहे है।

16 जुलाई 2010

कुत्तों को खिलाई प्रेमिका की लाश

अब बात एक ऐसे कत्ल की.. जिसने पूरी दुनिया में सनसनी फैला दी। कत्ल हुआ एक एक्ट्रेस का कत्ल था। जिसे बेहद खौफनाक ढंग से अंजाम दिया गया। खुबसूरती की उस मल्लिका की हत्या से लोग जितने हैरान थे। उससे कहीं ज्यादा हैरान तब हुए जब कातिल का पता चला। क्योकिं ये कातिल पेशेवर नही है लेकिन उसने कत्ल का ऐसा तानाबाना बुना का ब्राजील पुलिस भी एक महीने तक इस केस में उलझी रही। अब कातिल का चेहरा बेनकाब हो चुका है और उस हसीना के कत्ल का मकसद भी।
हुस्न और अदाओं की ऐसी जुगलबंदी की किसी को भी मदहोश कर दे। पल भर में किसी को भी अपना दिवाना बना ले। हुस्न की ये मल्लिका है ब्राजील की पॉर्न फिल्मों की अदाकारा एलिजा। इसकी मदहोश कर देने वाली अदाओं पर फिदा हो गए ब्राजील के स्टार फुटबॉलर ब्रुनो सूजा। ब्रुनों की मुलाकात एलिजा से साल भर पहले टीम के एक सदस्य की पार्टी में हुई थी। पहली नजर में ही सूजा 25 साल की एलिजा को देखकर उसकी खुबसूरती का कायल हो गया। नजरे मिली तो बात दिल तक आ पहुंची और फिर दिल की बात जिस्म तक। एक रात दोनों हमबिस्तर हो गए। ये एक रात का ऐसा सच था जिसे ब्रुनो सूजा ने चंद रोज बाद ही भूला दिया लेकिन एलिजा ने इसे अब तक जिंदगी का सबसे अहम लम्हा समझा। वो उस दिन को कभी भूलना नही चाहती थी.. सूजा के प्यार को नाम देना चाहती थी। लेकिन यहीं से शुरू हुआ साजिश का दौर और शिकार बनी एलिजा। साजिश के तहत एलिजा का बेरहमी से कत्ल कर उसकी लाश को ठिकाने लगा दिया गया।
एलिजा चार जुन से लापता थी.. शिकायत मिलने के बाद पुलिस एलिजा की तलाश में लगी थी लेकिन उसका कोई पता नही चला। इतना जरूर था कि महीने भर बाद पुलिस ने एलिजा की हत्या की बात मान ली लेकिन सवाल था कि लाश आखिर कहां गई। इस सवाल का जवाब मिला तो पुलिस भी हैरान रह गई। एलिजा की हत्या ब्रुनों सूजा ने अपनी पत्नी के साथ मिलकर भाडे के गुंडों से कराई थी। और हत्या के बाद लाश को ठिकाने लगाने के मकसद से शव के टुकडे कर कुत्ते को खिला दिया। पुलिस का शक ब्रुनों पर तब गहराया जब जांच के दौरान पता चला कि एलिजा ने अक्टूबर महीने में ब्रुनो सूजा के खिलाफ पुलिस में शिकायत की है और सूजा पर गंभीर आरोप लगाए है।
पुलिस ने इस स्टार खिलाडी को हिरासत में लेकर पुछताछ की तो सामने आया खौफनाक सच। दरअसल दोस्त की पार्टी में मुलाकात के बाद एलिजा और सूजा हमबिस्तर हुए थे। ये मुलाकात महज एक रात की थी लेकिन एलिजा एक मुलाकात के बाद प्रेगनेंट हो गई। जब इस बात का पता सूजा को लगा तो उसने अबॉरशन के लिए कहा। लेकिन एलिजा नही मानी वो बच्चे को जन्म देना चाहती थी। सूजा के बार बार मना करने पर एलिजा ने ऐसा नही किया। आखिरकार सूजा ने उसे मारना पीटना शुरू कर दिया जिसको लेकर एलिजा ने पुलिस में शिकायत भी दर्ज कराई और कहा की बच्चा पैदा ना करने के लिए उसपर दबाव बना रहा है। जबरन उसे गर्भनिरोधक गोली खिला रहा है। बच्चा होने के बाद एलिजा उसे ब्रुनो सूजा का नाम देना चाहती थी। बस यहीं से उसके कत्ल की इबारत सूजा ने लिखनी शुरू कर दी।
जांच के दौरान पुलिस को पता चला कि सूजा ने रीयो डी जेनिरियो से चार जून को एलिजा को अगवा कराया और फिर वहां से करीब तीन सौ किलोमीटर दूर बेलो होरिजेंट के पास लेकर जाकर उसकी पीट-पीट कर हत्या कर दी। कोई एलिजा की चीख ना सून सके इसलिए म्यूजिक सिस्टम का वॉल्यूम बढा दिया। ये सारा प्लान ब्रुनों ने तैयार किया था और सुपारी किलर को पैसा देकर एलिजा को ठिकाने लगा दिया। हत्या करने के बाद लाश के टुकडे उन्हें कुत्ते को खिला दिया। एलिजा की हत्या के आरोप में पुलिस ने ब्रुनो सूजा और उसकी पत्नी समेत छ लोगों को गिरफ्तार कर लिया है। लेकिन कत्ल की इस खौफनाक वारदात के बारे में सुना वो सन्न रह गया।

10 जुलाई 2010

सिहर उठी दिल्ली



अगर आप दिल्ली में रहते है तो सुरक्षा की बात अपने दिलो दिमाग से निकाल दे। कब कहां बदमाश आपको शिकार बना ले.. किसी को नहीं पता। दिल्ली के दो अलग-अलग इलाकों से दो घंटे में तीन लाशें मिलने से इलाके में सनसनी फैल गई। दोनों मामलों में अभी तक मृतकों की पहचान नही हो पाई है। दिल्ली में लावारिस लाशों के आंकडें बेहद चौंकाने वाले है।
दिल्ली में रहना दुश्वार हो गया है.. कातिल खुलेआम घुम रहे है.. राह चलते किसी का कत्ल कर दिया जाए.. घऱ में घुसकर मां-बेटे को मार दिया जाए। या फिर आपको राह चलते लूट लिया जाए तो हैरान कतई ना हो। दिल्ली पुलिस बेबस है.. लाचार है दिल्ली पुलिस.. पिछले कुछ दिनों में बदमाशों ने जिस तरह राजधानी में कहर बरपाया है उससे यहां का हर बाशिंदा खौफजदा है। लोग घरों से निकलनें में डरते है। शुक्रवार को बदमाशों ने राजधानी में ऐसा कहर बरपाया कि दिल्ली सिहर उठी। आठ वारदातों को अंजाम देकर आठ लोगों की हत्या कर दी गई। लेकिन वारदातों का सिलसिला शनिवार को भी नही थमा। दिन निकलते है पुलिस को बेहद पॉश इलाके न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी के एक पार्क में दो लाशें मिलने की खबर मिली। ये लाश करीब बीस बाईस साल के युवक और एक युवती की थी। युवती के मुहं से झाग निकल रहे थे.. शुरूआती दौर में पुलिस इसे हत्या का मामला मानकर जाच कर रही है। हालाकि अभी तक दोनों की पहचान नही हो पाई है। घटना का पता उस वक्त चला जब क्रिकेट खेल रहे कुछ बच्चे पार्क में चले गए। उन्होंनें शव देखे तो मामले की जानकारी पुलिस को दी गई।
लाशें मिलने का सिलसिला यहीं नही थमा.. न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी में दो लाशें मिलने के कुछ देर बाद ही पुलिस को आश्रम फ्लाईओवर के नीचे एक युवक की लाश बरामद हुई। युवक की उम्र करीब पेंतीस साल थी और आशंका जताई जा रही है कि युवक की पत्थर मारकर हत्या की गई है। हालांकि इस केस मे भी पुलिस को युवक की पहचान नही हो पाई।
दिल्ली मे लगातार बढते क्राइम ग्राफ पर दिल्ली पुलिस की अपनी है दलील है। पुलिस तो यहां तक कह रही है कि पिछले साल के मुकाबले क्राइम ग्राफ में कमी आई है। दिल्ली पुलिस के प्रवक्ता राजन भगत के मुताबिक पिछले कुछ दिनों में जो भी वारदात हुई है उनमें करीबियों का हाथ रहा है। ऐसे में इन अपराधों को रोकने में दिल्ली पुलिस के लिए इतना आसान नही है।
दिल्ली में दो घंटे के दौरान मिली तीन लावारिस लाशें पुलिस के लिए कोई चौंकाने वाली बात नही है। दिल्ली में लावारिस लाशों संबंधी आंकडे बेहद चौंकाने वाले है। यहां एक दिन- 12 लावारिस लाशें. बरामद होती है। जिनमें से चार लाशें रेलवे ट्रेक से मिलती है। आंकडों के हिसाब से एक महीने में 360 और एक साल 4320 लावारिस लाशें मिलती है। जिनमें से ज्यादातर लोगों की हत्या की गई होती है और पहचान ना हो पाने की वजह से पुलिस के लिए मामले को सुलझाना मुश्किल होता है। साल 2009 के आंकडों पर नजर डालें तो हत्या के 45 मामले ही दिल्ली पुलिस सुलझा पाई थी जिनमें शुरूआती दौर में शव की पहचान नही हुई थी। आंकडों से साफ है कि दिल्ली में रहना कितना मुश्किल हो गया है।

मोबाइल चोर पुलिस गिरफ्त में



एक बार जुर्म की दलदल में क्या फंसा कि बाहर निकलने के बारे में उसने दोबारा नहीं सोचा। सजा मिली जेल भी गया। लेकिन गुनाह से तौबा फिर भी नहीं किया। दिल्ली पुलिस ने एक ऐसे ही शातिर मोबाइल चोर को गिरफ्तार किया है। जो पहले भी मोबाइल चोरी के मामले में गिरफ्तार हो चुका था और हाल ही में जमानत पर रिहा होकर आया था। लेकिन उसकी कारगुजारियों ने फिर से उसे जेल का रास्ता दिखा दिया है।
सस्ते मोबाइल के चक्कर में आप सेकेंड हैंड मोबाइल खरीदने की सोच रहे है तो सावधान हो जाएं। कहीं ऐसा ना हो कि आपके पास पहुंच जाए चोरी का मोबाइल। पुलिस गिरफ्त में आए इस शख्स का धंधा था। ये चोरी के मोबाइल फोन की सौदेबाजी करता था। जितेंद्र कुमार उर्फ कैमरा के पास कैमरा तो नही हां नामी गिरामी कंपनियों के मोबाइल फोन और लैपटॉप बरामद किए है। इसके पास से 60 मोबाइल फोन और 4 लैपटॉप बरामद किए गए है। पुलिस ने इसे उस वक्त गिरफ्तार किया जब ये गफ्फार मार्केट में मोबाइल फोन बेचने के लिए आ रहा था।
पूछताछ में जितेंद्र ने पुलिस को बताया कि वो मोबाइल फोन नाबालिग चोरों से खरीदा करता था...ताकि किसी को शक ना हो क्योंकि कानून के अनुसार किसी भी नाबालिग अपराधी का रिकोर्ड नही रखा जाता है। जिसकी वजह से पुलिस इस तक नहीं पहुंच पाती थी। दिल्ली में बढ़ रही मोबाइल चोरी की घटनाओं के बाद जब पुलिस ने तहकीकात की तो जिंतेद्र इनके हत्थे चढ़ गया...जितेंद्र का नेटवर्क पूरी दिल्ली में फैला हुआ था इसके अलावा ये चोरी के माल को दिल्ली से बाहर भी सप्लाई करता था।
ये कोई पहला मौका नही है जब जितेंद्र पुलिस के हत्थे...जितेंद्र इससे पहले भी चोरी के लैपटॉप के साथ गिरफ्तार हो चुका है और अभी हाल में जमानत पर रिहा हुआ था।

06 जुलाई 2010

प्रेमी जोड़े को मिली सुरक्षा

सिरसा के प्रेमी जोडे ने अब जाकर राहत की सांस ली है। पिछले दो महीने से जान बचाकर छुपते फिर रहे इस जोडे को पुलिस ने सुरक्षा मुहैया करा दी है। सुरक्षा को लेकर सिरसा का ये प्रेमी जोडा दिल्ली पहुंचा था और राष्ट्रीय महिला आयोग में सुरक्षा की गुहार लगाई थी। ऑनर किलिंग के डर से जान बचाते फिर से मनमोहन और शक्ति शर्मा ने अब जाकर राहत की सांस ली है। अब तक इन्हें खुद की जान का डर सता रहा था। दोनों ने इसी साल 29 मई को घर से भाग कर शादी कर ली थी। जिसके बाद खाप पंचायत ने दोनों को जान से मारने की धमकी दी थी। जान बचाने की खातिर दोनों दिल्ली भाग आए थे। कुछ दिन दिल्ली रहने के बाद प्रेमी जोडा राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्षा गिरिजा व्यास से मिला। आखिरकार महिला आयोग के दखल के बाद इन्हें सुरक्षा महैया कराई गई। प्रेमी जोडा सुरक्षा मिलने के बाद खुश है और दोनों अपने घर लौट गई। इनकी सुरक्षा में दो गैनमैन तैनात रहेंगें।
पुलिस के मुताबिक जब तक प्रेमी जोडा खुद को सुरक्षित महसुस नही करता उनकी सुरक्षा में पुलिसकर्मी तैनात रहेंगें। जाहिर है आए दिन ऑनर किलिंग के मामलों के मद्देनजर पुलिस कोई जोखिम मोल लेना नही चाहती। वैसे भी हरियाणा में प्रेमी जोडों की हत्या के कई सनसनीखेज मामले सामने आ चुके है।
दो महिने बाद ही सही मनमोहन और शक्ति ने राहत की सांस ली है। मनमोहन के परिवार ने तो दोनों की शादी को स्वीकार कर लिया है। क्या शक्ति का परिवार इस रिश्ते को स्वीकार करेगा।

खाप का फरमान- मार देगें प्रेमी जोड़े को

खाप पंचायत के एक और तुगलकी फरमान से कानून की धज्जियां फिर उड गई है। ग्रेटर नोएडा से सटे मायचा और दौला गांव के लडके-लडकी ने भागकर शादी कर ली। जिससे नाराज पंचायत ने लडकी के बदले लडकी देने का फरमान सुनाया है। इतना ही नही ऐसा नही करने पर दोनों को जान से मारने की धमकी दी है।
लड़की के बदले लड़की दो.. वरना प्यार की सजा मौत। ये तुगलकी फरमान सुनाया है ग्रेटर नोएडा की खाप पंचायत ने। दरअसल दौला गांव के संजय ने मायचा गांव की लड़की प्रीती से भागकर शादी कर ली। दोनों में डेढ़ साल पहले प्यार हुआ था जिसके बाद दोनों ने परिवार वालों के खिलाफ गुपचुप तरीके से शादी कर ली। इसके बाद 24 जून को दोनों गांव से बिना बताए गायब हो गए। इस बात को लेकर मायचा गांव की पंचायत का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया।
पंचायत ने लड़के के परिवार वाले को आदेश दिया है कि या तो लड़के-लड़की को ढूंढ़कर सामने लाओ, जिन्हें मौत के घाट उतारा जाएगा। इतना ही नहीं पंचायत ने यह भी कहा कि जिस तरह दौला गांव के लड़के ने गांव की लड़की से शादी की, उसी तर्ज पर अब लड़के वाले अपने गांव की एक लड़की दें, तब जाकर हिसाब-किताब बराबर होगा। ऐसा नहीं करने पर लड़के गांव की लड़कियों और औरतों को उठा लाएंगे। पंचायत के इस फरमान के बाद लड़के के परिवार वाले और पूरा गांव अपना घर-बार छोड़कर गायब हो गया है।
इस तुगलकी फरमान के बाद ग्रेटर नोएडा पुलिस थाने में पंचायत और लड़की के परिवार के कुल 40 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया है। मामले की गंभीरता को देखते हुए भारी तादात में पुलिस बल ने मायचा और दौला गांव में डेरा जमा लिया है।

पुलिस गिरफ्त में बलात्कारी

पहले लडकियों को अपने जाल में फांसना.. उन्हें पैसों का लालच देकर अपने साथ ले जाना। और उसके बाद वो खेलता हैवानियत का खेल। कुरूक्षेत्र पुलिस ने ऐसे ही वहशी को गिरफ्तार किया जो भोली भाली लडकियों को फंसा कर उनके साथ बलात्कार करता। अब तक ये तीन लडकियों को अपना शिकार बना चुका है। लेकिन अब कोई और लडकी इसकी शिकार नहीं होगी.. क्योंकि पुलिस ने इस वहशी को गिरफ्तार कर लिया है। ये शख्स इनसान कहने के लायक नही है.. ये वहशी है जिनसे चंद रोज में तीन लड़कियों को अपनी हवस का शिकार बना डाला। हवस मिटाने के लिए पहले भोली भाली लडकियों को बातों में फंसाता और फिर सुनसान जगह ले जाकर उनके साथ बलात्कार करता। इसके लिए ये रेलवे लाइन के आस-पास का इलाका चुनता ताकि पीड़िता की चिख किसी को सुनाई ना दे। लडकी को ये नशीला दवा खिलाता था नशे की हालत में उसके साथ बलात्कार करता। इतना ही नही ये खुद भी दवाओं का इस्तेमाल करता था।
इसने पहला शिकार कुरूक्षेत्र की रहने वाली सुमन को बनाया। सुमन जब अपनी मां के साथ जा रही थी तो ये उसे बहलाकर अपने साथ ले गया। बाद में सुमन अंबाला के रेलवे ट्रेक के पास मिली। इसके बाद इसने कैथल की दो और लडकियों को अपना शिकार बनाया। दोनों ही लडकियां रेलवे ट्रेक के पास मिली। जिसके बाद पुलिस का शक गहराने लगा कि वारदात के पीछे किसी एक शख्स का हाथ है। जो एक के बाद एक लडकियों को अपनी हवस का शिकार बना रहा है। पुलिस ने तीनों मामलों मे हालत के मुद्देनजर जांच तो वहशी अशोक पुलिस गिरफ्त मे आ गया। उसने पुछताछ में कबूल किया कि तीनों बलात्कार की वारदात को उसी ने अंजाम दिया था। और रेवले ट्रेक के पास सुनसान जगह को चुनता था ताकि पीड़ित चीख कोई सुन ना सके। पुलिस के मुताबिक अशोक लडकी को नशीली दवा खिलाता था और खुद भी सेक्स वर्धक दवाओं का इस्तेमाल करता था।
. पिछले कुछ दिनों में हुई बलात्कार एक घटनाओं से पुलिस भी परेशान थी। अब अशोक की गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने राहत की सांस ली है। लेकिन पुलिस की परेशानी अभी कम नही हुई है। पुलिस अब ये जांच कर रही है कि वारदात को अशोक अकेला अंजाम देता था या फिर कुछ और लोग इसकी मदद करते थे।


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खेल खेल में चली गोली

मेरठ में अवैध हथियारों की कोई कमी नही है.. हालत ये है कि बच्चे की हथियारों को खिलौने की तरह इस्तेमाल कर रहे है। इस बार बच्चों की जरा सी भूल एक मासूम की जान पर बन आई है। खेल-खेल में एक बच्ची ने गोली चला दी जो उसके भाई को जा लगी। मासूम प्रीत को अस्पताल में भर्ती कराया गया है जहां उसकी हालत गंभीर बनी हुई है।
अस्पताल में 5 साल का मासूम प्रीत जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहा है....प्रीत के सिर में गोली लगी है और उसकी हालत नाजुक बनी हुई है....प्रीत पर गोली चलाने वाला और कोई नही बल्कि इसकी अपनी 8 साल की बहन है। दरअसल मेरठ के भराला गांव के रहने वाले सेठी सिंह अपने पास तंमचा है। घटना के वक्त तंमचा घर पर ही रखा हुआ था.....सेठी सिंह के बच्चे प्रीत और प्राची घर की छत इलाके के बच्चों के साथ चोर पुलिस का खेल खेल रहे थे....तभी प्राची घर में रखे तमंचा ले आई। खेल खेल में प्राची ने गोली चला दी और गोली प्रीत के सिर में जा लगी।
गोली की आवाज़ सुन कर घरवाले छत की ओर भागे....प्रीत खून में लथपथ पड़ा हुआ था। आनन-फानन में प्रीत को अस्पताल में भर्ती कराया...जहां फिलहाल उसकी हालत गंभीर बनी हुई है। पुलिस के मुताबिक घर में अवैध हथियार रखा था जिससे इस वारदात को अंजाम दिया गया। पुलिस मामले में उचित कार्रवाई करने की बात कह रही है।
जांच में पता चला है कि गांव में अवैध हथियारों की भरमार है लोग खुद की सुरक्षा की बात कहकर इनका धडडले से इस्तेमाल कर रहे है। लेकिन हथियारों का घर में इस तरह मौजूद होना की बच्चे उससे खिलौना समझे.. ये चिंता की बात जरूर है। अब हर कोई प्रीत की सलामती की दुआ मांग रहा है।

05 जुलाई 2010

सॉरी माही


सॉरी माही…
मैं बहुत निराश हूं...परेशान हूं...मन करता है..बस आत्महत्या कर लूं...क्या इसलिए मीडिया में आया था कि ऐसे दिन देखूं। भारतीय मीडिया कितना गैर जिम्मेदार, असंवेदनशील और मौकापरस्त हो गया है। खासकर ये चैनल वाले । बताइये जिस देश में क्रिकेट को पूजा जाता हो उसके एक सितारे की शादी हुई और चैनल वाले तानकर सोते रहे। इतनी बेऱूखी दिखाई कि बस मन करता है लालकिले पर चढकर जोर-जोर से चिल्लाउं कि बस करो.. बस करो.. अपने गिरेबां में झांकों और पत्रकारिता को समझो नहीं तो बहुत देर हो जाएगी। बताइये मुश्किल से सगाई का पता चला.. लेकिन शादी की खबर तक नही लगी.. जब पता चला तो चैनल वाले खानापूर्ति करते नजर आए। ब्रेकिंग न्यूज में भी सारी इन्फोर्मेशन नहीं थी। माही ने काली शेरवाली पहनी..पांच मिनट घोडी पर बैठे..फलां होटल में शादी हुई..फलां मेहमान आए। ये कोई ब्रेकिंग न्यूज है...ये तो सब जानते हैं। ब्रेकिंग न्यूज में बताना चाहिए था.. उस घोडी का नाम जिस पर माही बैठे..चलो नाम नहीं पता कर पाए तो उसे कम से कम थोडी देर के लिए स्टूडियो में ही बुलवा लेते। पर वो भी ना हो सका। इतने बडे सितारे की शादी की कवरेज भला ऐसे होती है। अरे होना तो ये चाहिए था कि करीब दो हफ्ते पहले ही साम दाम दंड भेद से ये पता कर लेते कि देश के मसीहा माही की शादी कब है... और फिर इसके बाद शुरू होता माही के घरवालों से लेकर उसके कुत्ते तक का प्रोफाइल दिखाने का सिलसिला.. क्योंकि माही का कुत्ता करोड़ों हिंदुस्तानियों से ज्यदा नजाकत और शानो शौकत से रहता होगा । इसलिए उसका महिमामंडन करना भी मजबूरी हो जाता है। इसके बाद जीवन संगनी साक्षी की जीवनी पर कई दिन खेला जाता....थोड़ा मसाला लगाकर बताना चाहिए था कि वो आम लड़की नहीं है...अवतार है...अरे कौन सबूत मांगता है...ऐसा करने से लोग भावनात्मक रुप से जुड़ते.....व्रत रखते....अपने घरों को सजाते लिपाई पुताई कराते....पर ऐसा नहीं हुआ। बताइये अब कौन समझाए इन चैनल वालों को अगर ढ़ग से इस इश्यू को उठाते तो सरकार भी जाग जाती...इन चैनल वालों को ये नहीं पता कि पड़ोसी देश कितना जलते है...अगर शादी में कोई आतंकी वारदात हो जाती तो क्या होता ? सरकार दबाव में नहीं आई और इस वजह से ना रेड अलर्ट जारी हुआ और ना ही सीमाओं पर गस्त बढ़ाई गई । इतना ही नहीं राष्टीय अवकाश भी घोषित हो सकता था । अगर राष्ट्रीय छुट्टी होती तो ज्यादा से ज्यादा लोग टीवी से चिपके रहते और चैनलों की टीआरपी काबू से बाहर हो जाती...लेकिन ऐसा हुआ नहीं । तमाम खतरों के बीच शादी के बंधन में बंधे हमारे मसीहा । एक बात और जब ये चैनल वाले माही की शादी का इतना ही ढ़ोंग कर रहे है....खुशी मना रहे है तो खुशी दिखानी भी तो चाहिए ना । मेरे हिसाब से तो हर रिपोर्टर को चाहे वो किसी भी बीट का हो उसे भी स्टूडियों में ठुमका लगाना चाहिए था । मौके पर मौजूद रिपोर्टरों को भी भक्ति रस में डूबना चाहिए था । कुछ ऐसे ही जैसे कृष्ण के जन्म के पूरा देश हर्षोल्लास से झूम उठता है....अगर रिपोर्टर नाचते तो लगता कि हां सच में चैनल माही की शादी से खुश है...मेरे हिसाब से शादी वाले दिन चैनल वालों को भंडारा लगवाना चाहिए था । गरीबों को वस्त्र बांटने चाहिए थे...इसके लिए स्टाफ की एक दिन की सैलरी काट लेते तो कोई मना नहीं करता....जब राष्ट पर कोई आपत्ति आती है तो ऐसा होता है । लेकिन अफसोस कि हम माही का ऋण नहीं उतार पाए । इतनी बड़ी सामाजिक घटना पर भी हम कंजूसी ही बरतते रहे...। मैने जो सलाह दी उसे आजमाते तो इसका सबसे बड़ा एक और फायदा होता....सबको यही एहसास होता कि माही की शादी ही इस देश की सबसे बड़ी समस्या और एजेंडा है....ना नक्सलवाद है....ना महंगाई । अगर ऐसा होता तो मंगाई के खिलाफ भारत बंद भी आगे खिसक जाता....वैसे भी घिसे-पिटे मुद्दे है इनसे आम आदमी का क्या भला होगा...इस देश के लिए माही की शादी जरुरी है...उनका घर बस जाए तो समझो गंगा नहा लिए । खैर जो चूक हो गई हो....गई... । अब आगे से ध्यान रखें । माही पिता भी बनेंगे.....उसकी प्लानिंग चैनलवालों को अभी से कर लेनी चाहिए । कम से कम जब तक पिता ना बनें ये बताते रहें कि उनकी कोशिशें जारी है....ताकि एक और राष्ट्रीय उत्सव के लिए ये देश तैयार रहे । वैसे इस देश में क्रिकेट के और भी सितारे अभी कुंवारे है....इसलिए भूल सुधार करने और खुद को बेस्ट चैनल साबित करने के अभी कई मौके मिलेंगे ।
आपका ही
सर शोभाराम