25 दिसंबर 2010

नजफगढ़ में सगे भाईयों की हत्या

दिल्ली पुलिस भले ही सुरक्षा के लाख दावे करे..लेकिन बदमाश वारदात को अंजाम देकर पुलिस के सारे दावों पर पानी फेर देते हैं.. बेखौफ बदमाशों ने एक बार फिर दिल्ली के दामन को खून से लाल कर दिया.. बदमाशों ने नजफगढ़ इलाके में दो सगे भाईयों की गोली मारकर हत्या कर दी.. माना जा रहा है कि मामला आपसी रंजिश का है..
दिल्ली के सीने पर
फिर चली गोली
सरेशाम कर दिया गया
दो भाईयों का कत्ल
बीती सोमवार रात दिल्ली के नजफगढ़ इलाके में बदमाशों ने डबल मर्डर को अंजाम देकर जता दिया कि राजधानी में बदमाशों के होंसले किस कदर बुलंद हैं... और कितने बेदम है सुरक्षा को लेकर किये गये पुलिस के दावे..HOLD... वारदात उस वक्त की है जब नजफगढ़ निवासी सुरेश कुमार अपने भाई सतेंदर कुमार के साथ बीती सोमवार रात करीब साढे नौ बजे हरिनगर से घर लौट रहे थे..असल में हरिनगर में सुरेश और सतेंदर की मोटर बाइंडिग की दुकान है..दोनों साथ ही काम करते थे.. रात करीब साढे नौ बजे दोनों भाई अपने एक दोस्त के साथ वैगन आर कार से घर आ रहे थे..जैसे ही कार नजफगढ रोड़ पर पपरावत गांव के पास पहुंची...उसी वक्त पीछे से आए बाइक सवार बदमाशों ने कार का रास्ता रोककर पहले तो कार का शीशा तोड़ा औऱ फिर अंधाधुंध फायरिंग शुरु कर दी.. गोलीबारी में सुरेश और सतेंदर गंभीर रूप से जख्मी हो गए जबकि उनका दोस्त बच गया..जैसे ही बदमाश फायरिंग कर फरार हुए...कार में जिंदा बचे सुरेश औऱ सतेंदर के दोस्त ने वारदात की जानकारी उनके परिवार वालों को दी.. दोनों घायलों को मौके पर मौजूद लोगों ने माता चन्नन देवी अस्पातल में भर्ती कराया जहां देर रात दोनों की मौत हो गई..
शुरूआती जांच में मामला आपसी रंजिश का लग रहा है..हालांकि परिजनों का कहना है कि दोनों सगे भाईयों की किसी से कोई दुश्मनी नहीं थी.. वैसे वारदात में किसी तरह की लूटपाट भी नहीं हुई है जिससे रंजिश का शक और भी गहरा गया है.. पुलिस ने हत्या का मामला दर्ज कर तफ्तीश शुरू कर दी है.. वहीं दुसरी ओर पुलिस पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए परिजनों ने आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग की.. परिजनों का आरोप है कि वारदात के कई घंटे बाद पुलिस मौके पर पहुंची..
सतेंदर और सुरेश के कत्ल की वजह अभी तक साफ नहीं हो पाई है.. पुलिस इस संबंध में सुरेश के साथी से भी पुछताछ कर रही है जो वारदात के वक्त कार में मौजूद था..बहुत मुमकीन है कि हत्यारे जल्द पुलिस की गिरफ्त में होगें..लेकिन जिस तरह से राजधानी आये दिन दिल्ली वालों के खून से लाल हो रही है उससे ये सवाल भी बड़ा होता जा रहा है कि आखिर कितनी महफूज रह गई है अब दिल वालों की दिल्ली...

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