22 जून 2009

राजधानी में कत्ल

दिल्ली के ईस्ट आँफ कैलाश में 70 साल की बुजुर्ग महिला की हत्या कर दी गई। महिला की दो दिन पुरानी लाश उसी के घर से बरामद हुई। घर में अकेली रहने वाली महिला का नाम बसन्ती था। ये लाश 70 साल की बसन्ती की है जो दिल्ली के सबसे पाश माने जाने वाले इलाके ईस्ट आफ कैलाश में अकेली रहती। लेकिन किसी ने उसकी हत्या कर दी। बसन्ती की लाश उसी के घर से रविवार की रात करीब आठ बजे बरामद हुई। घर से कुछ कीमती सामान भी गायब मिला-- बसन्ती के चार बेटे है फिर भी वो अकेली रहती। घटना का पता उस वक्त चला जब बुजुर्ग का पौता दादी से मिलने पहुँचा तो दरवाजा बन्द था। हेमन्त ने दरवाजा खोलकर देखा तो उसकी दादी की लाश नीचे पडी थी और उसके शरीर पर चोट के निशान थे। बसन्ती को अन्तिम बार दो दिन पहले देखा गया था शव हालत देखकर लगता है किसी ने बसन्ती की दो दिन पहले ही कत्ल कर दिया गया हो।दो दिन तक बसन्ती की लाश घर में पडी रही और किसी को पता नही चला। बसन्ती के चार बेटे है लेकिन उसके पास किसी का भी आना जाना नही रहता था। परिजनों की माने तो बसन्ती के पास काफी पैसा और प्रोपर्टी थी हो सकता है लूट के इरादे से किसी ने कत्ल की इस वारदात को अंजाम दिया हो। जिस तरह से कत्ल की इस वारदात को अंजाम दिया गया है उससे साफ है कि कातिल कोई जानकार रहा होगा। जो भी हो राजधानी में हुई बुजुर्ग की मौत ने सुरक्षा व्यवस्था पर एक बार फिर सवाल खडे कर दिए है।

21 जून 2009

ख़ुद के जाल में शिकारी

वो अपनी बीवी से नफरत करता-- वो नही चाहता कि उसकी बीवी उसके सामने आए--- उसपर नफरत का रंग कुछ इस कदर चढा कि उसनें अपनी पत्नी को हमेशा के लिए दूर करने की ठान ली। 50 हजार में बीवी के कत्ल का सौदा भी कर लिया।मगर नफरत की इस जंग में शिकारी खुद शिकार हो गया। हरिद्वार का बाबूलाल अपने ही बिछाए जाल में फंसकर अपनी जान गंवा बैठा। बाबूलाल का शव 15 जून को हरिद्वार के एक होटल से बरामद हुआ। पुलिस ने प्रवीण और बिट्टू नाम के इन दो लोगों को बाबूलाल की हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया है। जिस होटल से बाबूलाल का शव मिला वहां उस रात ये तीनों गए थे। होटल के कमरे में तीनों ने खूब शऱाब पी। इसी दौरान उनके बीच कुछ कहासुनी हो गई जिसके बाद प्रवीण और बिट्टू ने बाबूलाल को मारना शुरु कर दिया। शराब के नशे में इन दोनों ने उसे इतना मारा कि उसकी मौत हो गई। इसके बाद ये दोनों भाग गए। अगल दिन जब होटल का वेटर कमरे में आया तो उसने बाबूलाल की ळाश देखी जिसके बाद पुलिस को बुलाया गया। यहां तक ये कहानी शराब के नशे में हुई मारपीट की लगती है लेकिन असल में मामला कुछ और है। पुलिस के मुताबिक बाबूलाल का अपनी बीवी से झगड़ा चल रहा था। इस झगड़े के कारण वो अपनी बीवी को देखना भी पसंद नहीं करता था। एक दिन बाबूलाल ने अपनी पत्नी विनिता को अपने रास्ते से हमेशा के लिए हटाने का फैसला किया। बाबूलाल ने प्रवीण और बिट्टू को 50 हज़ार रुपये में अपनी बीवी के क़त्ल की सुपारी दे दी। बाबूलाल ने एडवांस के रुप में इन दोनों को 20 हज़ार रुपये दिए और काम जल्दी करने को कहा। कर्जदारों के रोज रोज के ताने से परेशान प्रवीण और बिट्टू ने बाबूलाल से पैसे तो ले लिए लेकिन हत्या करने से टालमटोल कर ने लगे। बाबूलाल ने दबाव बढ़ाया तो दोने एक दिन उसके घर विनीता का क़त्ल करने पहुंच तो गए लेकिन उसे देखकर इनका इरादा बदल गया। न जाने क्यों ये दोनों उसकी हत्या नहीं कर पाए और वापस लौट गए। इधऱ बाबूलाल का गुस्सा बढ़ता जा रहा था। इन पर दबाव बनाने के लिए ही प्रवीण और बिट्टू को बाबूलाल ने होटल में बुलवाया। शराब के नशे में जब दोनों बाबूलाल इनपर गुस्सा दिखाने लगा तो दोनों ने उसी की पिटाई शुरु कर दी जिसमें उसकी जान चली गई। बाबूलाल ने अपनी बीवी के लिए जो गड्ढा खोदा था उसमें वो खुद ही गिर गया। पुलिस ने जब जब सख्ती से पूछताछ की तो प्रवीण और बिट्टू ने अपना जुर्म कबूल कर लिया।बाबूलाल की बीवी के लिए उसकी नफरत ही उसकी मौत की वजह बन गई।

मासूम का दर्द

वहशी दरिंदे मासूम सोनी को हवस का शिकार बनाते रहे--यहां तक की हवस में अंधे होकर वो उसकी मासूमित को भी भूल गए। लेकिन किसी ने भी सोनी की दर्द भरी दास्तां जानने की कोशिश नही की। उसका बचपन कितना दुख भरा था। शायद उनके लिए तो ये मासूम महज एक इस्तेमाल की चीज थी जिसे जब चाहे इस्तेमाल कर ले। सोनी की कहानी में जितना दर्द है उससे कहीं ज्यादा बेबसी और लाचारी है। हर मोड पर बेबस थी लाचार थी -- पहले पिता का साया उठा तो फिर माँ ने भी साथ छोड दिया। कभी अपने बेगाने हो गए तो कभी बेगानों ने ही धोखा दे दिया। पिता की मौत और माँ के साथ छोड देने के बाद सोनी सडक पर आ गई वो सडक किनारे बस स्टैड पर रहने लगी। लेकिन वहां से गुजरने वाले हर शख्स की नजर इस मासूम पर पडी लेकिन किसी का भी हाथ मदद के लिये आगे नही आया। एक दिन मदद का हाथ आया -- तो उसने सोनी की दुनिया ही बदल दी। जिस्म की हवस मिटाने के लिए कुछ दरिंदे सोनी को अपने साथ ले गए।फिर उसके साथ वो किया जिसके बारे में मासूम इस उम्र में जानती तक नही थी। और हर रोज सोनी किसी ना किसी की हवस का शिकार बनने लगी। एक दिन विक्की नाम के लडके का हाथ मदद के लिये आगे आया। सोनी को लगा शायद अब उसकी जिंदगी में नया मोड आने वाला है।वो नर्क से बाहर निकल जाएगी मगर ऐसा नही हुआ--- विक्की सोनी को अपने घर ले आया --उसे शादी के सपने दिखाने लगा -- और फिर हर रोज वहीं होने लगा जिससे बचकर सोनी उस घर में आई थी। विक्की उसे हर रोज अपनी हवस का शिकार बनाने लगा।हर दिन उसके जिस्म से अपनी हवस की भूख मिटाता-- मासूम सोनी बेबस थी वो कुछ ना कर सकी -- बस हर जुल्म को सहती रही। शायद सोनी इसे अपनी किस्मत मान लिया था। जिंदगी के हर मोड पर सोनी बेबस होते हुए भी अपने कदम बढाती रही--- लेकिन अब सवाल खुद का नही उसकी कोख से जन्मे बच्चे का भी है भला बिन ब्याही माँ होने के समाज के ताने के साथ वो जिये तो कैसे जिये।

मासूम पर जुल्म

गुजरात में एक के बाद एक गैंग रेप के सामने आ रहे मामले सरकार के दावो की धज्जिया उडा रहे है... गुजरात सरकार का यह दावा है की, गुजरात में महिलाये दुसरे राज्यों के मुकाबले काफी सुरक्षित है... लेकिन जिस तरह से पहले सूरत, फिर राजकोट और अब अहमदाबाद हफ्ते भर में चार गैंग रैप के चार मामले सामने आये है, उसके बाद गुजरात सरकार के सारे दावे खोकले लग रहे है...इस बार मामला 15 साल की नाबालिग का है जिसे एक वहशी ने इस उम्र मे उसे वासना के जूनुन में माँ बना दिया। ये एक मासूम की दर्द भरी दांस्ता-- उस मासूम की दास्तां जिसने अभी ठीक से दुनिया को देखा भी नही है। लेकिन बेहद घिनौनी और कडवी सच्चाई से ये रू-ब-रू हो चुकी है-- इसकी दुनिया में तो ये और बस इसका बच्चा है---इसकी उम्र महज 15 साल है मगर ये एक बच्चे की माँ है--- गोद मे खेल रहा बच्चा इसी का है। इस हालत के लिए जिम्मेदार है इन्सान की शक्ल में घुम रहे वैहशी दरिंदे--- जिन्होने इसे हर बार अपनी हवस का शिकार बनाया। आरोप है कि विक्की नाम का एक लडका मदद करने के लिए सोनी को अपने घर ले गया और फिर लगातार उसे अपनी हवस का शिकार बनाता रहा। सोनी के साथ हुई घटना का खुलासा उस वक्त हुआ जब उसे तबीयत खराब होने पर सिविल अस्पताल में भर्ती कराया गया। दरअसल विक्की नाम के उस शख्स को मालूम था कि सोनी माँ बनने वाली है वो उसका आबोरशन करवाना चाहता था। लेकिन सोनी के नाबालिग होने की वजह से डाक्टरो ने मना कर दिया। जिसके बाद विक्की उसे अस्पताल में छोड भाग गया। जब सोनी को इस बात का पता चला तो उसने सारी बात डा. को बताई तो मामला पुलिस तक पहुँचा। पुलिस ने विक्की के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है और उसकी तालाश कर रही है। अहमदाबाद जैसे शहर में एक मासूम को वहैशी दरिंदे साल भर तक हवस का शिकार बनाते रहे और पुलिस को इसकी भनक तक ना लग सकी। फिलहाल मामला पुलिस तक पहुँच गया है लेकिन सवाल है कि आखिर पुलिस कब तक आरोपी को गिरफ्तार करती है।

20 जून 2009

मनचलों पर मुसीबत



सूरत में स्कूली छात्रा के साथ गैंग रेप के बाद पुलिस हरकत में आ गई है। पुलिस अब हर संदिग्ध गाड़ी पर नजर रख रही है।स्कूल कालेजो की आसपास सुरक्षा को कडा कर दिया गया है।इसके साथ ही पुलिस मनचलों से भी सख्ती के साथ निपट रही है। पुलिस ने इस कार्यवाही के तहत कुछ मनचलों को हिरासत में भी लिया है। -चलती कार में नाबालिग लड़की के साथ सामूहिक बलात्कार की घटना के बाद सूरत पुलिस में हडकंप मचा है। पुलिस अब हर वो उपाय करना चाहती है जिससे फिर कोई ऐसी घटना ना हो। ऐसे ठिकानों पर पुलिस छापेमारी कर रही है जहां मनचले अश्लील हरकत करते है। पिछले दो दिनों से शुरू हुई इस कवायद में अश्लील हरकत करने के आरोप में पुलिस ने दो सौ से ज्यादा मनचलों को रंगेहाथ पकडा है... हर रोज सूरत पुलिस की कुछ टीमें ख़ास तौर पर स्कूल और कालेजो के छात्र- छात्राओं की सुरक्षा के लिए शहर में घूमा करेंगी। स्टूडेंट वैन पर तैनात पुलिसकर्मी स्कुल कालेजो के बाहर पेट्रोलिंग करेगें और आसपास की गतिविधियों पर नजर रखेंगे, पुलिस ने लड़कियो के साथ छेडछाड को रोकने के लिए एक ख़ास सुरक्षा दस्ता भी बनाया है। इसके साथ ही शिक्षण संस्थानों तैनात पुलिसकर्मियो को भी खास प्रशिक्षण दी जा रही है। पुलिस के इस अभियान से लड़कियों को लेकर चितिंत रहने वाले अभिभावक राहत महसूस कर रहे है। हालांकि वो ये भी मान रहे है कि जो कदम पुलिस ने अब उठाया है वो पहले ही उठाने चाहिए थे। ..देर आए दुरूस्त आए की तर्ज पर सूरत पुलिस ने मनचलों के खिलाफ मुहिम तो शुरू कर दी है। मगर ये मुहिम कितनी कारगर साबित होती है ये देखने वाली बात होगी।

19 जून 2009

शर्मसार इंसानियत

उत्तारखंड पुलिस ने एक शख्स को मासूम बच्ची के साथ बलात्कार के आरोप में गिरफ्तार किया है। आरोप है कि युवक ने 13 साल की मासूम बच्ची को सहारा देने के नाम पर तीन साल तक बलात्कार करता रहा। बच्ची ने महिला संगठन की मदद से मामले की जानकारी पुलिस को दी जिसके बाद आरोपी शख्स को गिरफ्तार कर लिया गया। नाम मिलका सिहं -- उम्र 40 साल-- गुनाह--- मासूम बच्ची से बलात्कार-- खुद को पाक साफ बताने वाले इस शख्स पर आरोप है 13 साल की मासूम बच्ची के साथ बलात्कार का--- उस बच्ची के साथ जिसे ये सहारा देने के नाम पर अपने घर लाया। और फिर लगातार तीन साल तक उसे अपनी हवस का शिकार बनाता रहा। एक दिन बच्ची मिलका सिहं के जुल्मों से तंग आकर महिला संगठन के पास पहुँची और अपने साथ हुए जुल्मों की जानकारी दी। जिसके बाद पूरा मामला पुलिस तक पहुँचा। पीलीभीत का रहने वाला मिलका सिहं शादीशुदा है।मिलका फौज में तैनात था हालांकि रिटायर से पहले ही उसने अपनी नौकरी छोड दी और व्यापार शुरू कर लिया। मासूम बच्ची मिलका सिहं के गांव की ही रहने वाली है। उसके माँ बाप बचपन में ही गुजर गए।मिलका सिहं सहारा देने के नाम पर घर ले आया लेकिन कुछ दिनों के बाद उसकी नियत खराब हो गई और फिर शुरू हो गया हवस का ये खेल । हालांकि पुलिस गिरफ्त में आने के बाद खुद को पाक साफ बता रहा है। घटना का पता चलते ही इलाके के लोगो का गुस्सा फुट पडा और लोगो ने थाने पर जमकर हंगामा किया। मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस ने केस दर्ज कर जांच कर रही है। मासूम बच्ची जल्मों की कैद से तो छुट गई मगर अभी भी सहमी हुई है। मिलका सिहं ने ना केवल बच्ची का बलात्कार किया बल्कि भरोसे उस दिवार को भी तोड दिया है जिसकी बुनियाद पर इन्सानी रिश्ते खडे होते है।

दागदार होते रिश्ते

दिल्ली से सटे गाजियाबाद में एक बार फिर रिश्ते दागदार हुए है।पुलिस ने एक महिला को उसके प्रेमी के साथ गिरफ्तार किया है। महिला पर आरोप है कि उसने अपने प्रेमी के साथ मिलकर पति की हत्या की कोशिश की थी। पुलिस मामले की जांच कर रही है। माम्मा पापा को मारना चाहती है-- मैने देखा है मौत से पहले का मंजर--- जी हाँ इस मासूम के सामने ही इसके पिता को मारने की साजिश रची गई। वो भी खुद इसकी माँ ने--- वजह नाजायज रिश्ते-- यही वजह थी राजेश के कत्ल करने की--- लेकिन ये साजिश नाकाम हो गई। क्षमा और प्रवीण चढ गए गाजियाबाद पुलिस के हत्थे-- क्षमा ने प्रवीण के साथ मिलकर राजेश को मारने की कोशिश की थी। जिस वक्त दोनो नाकाम वारदात को अंजाम दे रहे थे। मासूम अभिषेक ने इन्हे देख लिया। इतने में पडोसी भी मौके आ पहुँचे-- अभिषेक ने उन्हे जो कुछ बताया- सब हैरान रह गए। राजेश नगर निगम मे नौकरी करता-- हंसता खेलता परिवार-- प्रवीण राजेश का छोटा भाई है। सभी साथ रहते लेकिन एक दिन देवर भाभी का रिश्ता बदल गया-- प्रवीण क्षमा को चाहने लगा-- और देखते ही देखते बात नाजायज रिश्ते तक आ पहुँची। दोनो के बीच दिवार था राजेश तो दोनो ने मिलकर राजेश को ही रास्ते से हटाने की तैयारी कर ली। पहले तो राजेश को बेहोश किया और बाद में खुदकुशी का रूप देने के लिए उसे पंखे से लटकाने की कोशिश करने लगी। दोनो की ये साजिश नाकाम हो गई। हंसता खेलता परिवार अब टूट गया है-- क्षमा को ना तो प्रवीण ही मिला और ना ही वो एक आदर्श पत्नी ही बन सकी। पुलिस ने हत्या के प्रयास का मामला दर्ज कर दोनो को जेल भेजने की तैयारी कर ली है।

15 जून 2009

मां की मुजरिम

राजधानी में फिर एक बार माँ बेटी के रिश्ते पर सवाल उठे है। एक बेटी ने जन्म देने वाली माँ को ऐसे जख्म दिए जिसके बारे मे किसी ने सोचा भी नही होगा। उस बेटी ने अपनी माँ को पूरे दो साल तक घर में बंधक बनाकर रखा-- वो भी दौलत की खातिर---वो दौलत की खातिर माँ के मायने ही भूल बैठी। माँ तुम सबसे प्यारी हो -- तुमने मुझे जन्म दिया--- मेरा ख्याल रखा -- मुझे अपने आंचल की छांव दी --एक बेटी के लिए माँ के मायने क्या होते है उससे ज्यादा कोई नही जानता--- मगर राजधानी दिल्ली में तो....एक और बेटी ने इस रिश्ते के मायने बदल दिए। दरअसल दिल्ली के पश्चिम विहार इलाके मे रहने वाली संतोष के साथ जो कुछ हुआ वो दिल दहला देने वाला है--- संतोष की बेटी नीलम पहले तो अपनी माँ को साथ रखने के बहाने ले गई और बाद में उसे प्रताडित करने लगी। वजह थी पैसो की चाह-- संतोष के नाम पश्चिम विहार में एक कोठी थी। नीलम ने धोखे से कुछ कागजात पर साईन करा लिए-करीब दो साल पहले नीलम.... अपनी माँ को, अपने ससुराल पंजाब के भटिंडा शहर ले गई। बाद में नीलम की पति की मौत हो जाती है। पति को खोने के बाद नीलम की दोस्ती राजीव नाम के एक युवक से हो जाती है। फिर शुरु होता है लालच का खेल...और दोनो मिलकर दे देते है संतोष को काली कोठरी की कैद। दो साल बीतने को हुआ तो उन्हें दिल्ली ले आए----- लेकिन इस बार इनकी किस्मत साथ ना दे पाई
संतोष को जब दिल्ली लाया गया तो इसका पता उसके बेटे को चल गया --- सितेन्दर ने मामले की जानकारी पश्चिम विहार थाना को दी--- और पुलिस की मदद से अपनी मां को इस कोठी से छुडाया। पुलिस ने बुजुर्ग संतोष की शिकायत दर्ज कर ली है। बुजुर्ग इतनी सहमी हुई है कि.....अभी भी बेटी के दिए दर्द को, भूल नही पाई है।
आखिर क्या हो गया है हमारे समाज को.....क्यों बदलने लगे हैं रिश्तें...ये कुछ ऐसा सवाल है जिनका जबाब हमीं को ढूंढना है। जिन्दगी के आखिरी पडाव पर पहुँची संतोष को अपनी ही संतान से ऐसा दर्द मिलेगा--- सुनकर ही दिल सहम जाता है।

कातिल बेटा

बाहरी दिल्ली के अलीपुर इलाके में हुई 65 साल के बुजुर्ग की हत्या की गुत्थी को दिल्ली पुलिस ने सुलझाने का दावा किया है। पुलिस ने इस मामले में बुजुर्ग के बेटे को उसके एक साथी के साथ गिरफ्तार किया है। 13 जून की सुबह रघुबीर की लाश घर से बरामद हुई थी।
सतीश दिल्ली पुलिस की गिरफ्त में है। आरोप है पिता के कत्ल का --- उस पिता के कत्ल का जिसने इसे उंगली पकड चलना सिखाया --- जिंदगी के हर मोड पर बेटे का साथ दिया --- नई राह दिखाई --- मगर य़े भूल गया ---सारे रिश्तो को -- कर दिया बेरहमी से अपने ही पिता का---- कत्ल रंग लिए पिता के खून से हाथ --- बन गया पिता का मुजरिम ---- दरअसल 13 जून को दिल्ली के अलीपुर मे ऱघुवीर की लाश उसी के घर से बरामद हुई थी। किसी ने उसकी गला दबाकर हत्या कर दी थी। रघुबीर के शरीर पर कुछ चोट के निशान भी थे।पहली नजर में साफ था कि किसी ने ऱघुवीर का कत्ल कर दिया है। कमरे मे सारा सामान ठीक ठाक था यानि कत्ल का मकसद लूट-पाट नही था--- पुलिस को शक हो गया की हत्या में किसी जानकार का ही हाथ है। मगर कई सवाल भी थे आखिर रघुवीर के मौत से किसे फायदा होने वाला है।रघुवीर की पत्नी भी खुद हैरान थी।
पुलिस ने मामले की तफ्तीश तेजी से शुरू कर दी। पुलिस की जांच कुछ परिचित लोगो के इर्द गिर्द ही घुम रही थी। मगर सवाल अब भी बरकरार था -- कत्ल के मकसद का --- जैसे ही मकसद साफ हुआ तो कातिल भी बेनकाब हो गया। दिल्ली पुलिस के मुताबिक खुद रघुवीर के बेटे ने ही अपने पिता की हत्या की है। पुलिस का शक उस वक्त और गहरा हो गया हो गया जब रघुवीर की डायरी में कई बार बेटे के साफ झगडे का जिक्र था। सतीश ने वारदात को अंजाम देने के लिए अपने दो साथियों की मदद भी ली। जिनमें से पुलिस ने एक को गिरफ्तार कर लिया है जबकि दूसरा अभी फरार है।
पुलिस के मुताबिक 13 जून की रात सतीश ने अपने दो साथी के साथ मिलकर ऱघुवीर की गला दबाकर हत्या की थी।वजह थी पिता की अय्याशी --- दरअसल रघुवीर पिछले दो दशको से अपनी पत्नी से अलग रहता था। इसी दौरान उसके संबंध किसी और महिला से हो गए -- रघुवीर उसपर खुब पैसा लुटाता-- ये बात सतीश को नागवार गुजरी-- वो पिता की जिंदगी मे दखल देने लगा मगर रघुवीर नही माना तो सतीश ने पिता को खत्म करने की ठान ली -- उसने अपने साथियों को पैसा और शराब पिलाने की बात कहकर इस वारदात में शामिल होने के लिए तैयार कर लिया। फिर तीनो ने मिलकर रघुवीर की हत्या कर दी। सतीश ने पुलिस को गुमराह करने की कोशिश की मगर वो खुद ही बयानों में उलझ गया और आखिरकार पुलिस के सामने टुट गया।
सतीश ने पिता को सही रास्ते पर लाने की लाख कोशिश की मगर अंत मे उसने जो रास्ता अख्तियार किया-- वो रास्ता अय्याश पिता को सही रास्ता तो नही दिखा सका--- बल्कि बेटे को ही सलाखों के पिछे लाकर खडा कर दिया।