15 जून 2009

कातिल बेटा

बाहरी दिल्ली के अलीपुर इलाके में हुई 65 साल के बुजुर्ग की हत्या की गुत्थी को दिल्ली पुलिस ने सुलझाने का दावा किया है। पुलिस ने इस मामले में बुजुर्ग के बेटे को उसके एक साथी के साथ गिरफ्तार किया है। 13 जून की सुबह रघुबीर की लाश घर से बरामद हुई थी।
सतीश दिल्ली पुलिस की गिरफ्त में है। आरोप है पिता के कत्ल का --- उस पिता के कत्ल का जिसने इसे उंगली पकड चलना सिखाया --- जिंदगी के हर मोड पर बेटे का साथ दिया --- नई राह दिखाई --- मगर य़े भूल गया ---सारे रिश्तो को -- कर दिया बेरहमी से अपने ही पिता का---- कत्ल रंग लिए पिता के खून से हाथ --- बन गया पिता का मुजरिम ---- दरअसल 13 जून को दिल्ली के अलीपुर मे ऱघुवीर की लाश उसी के घर से बरामद हुई थी। किसी ने उसकी गला दबाकर हत्या कर दी थी। रघुबीर के शरीर पर कुछ चोट के निशान भी थे।पहली नजर में साफ था कि किसी ने ऱघुवीर का कत्ल कर दिया है। कमरे मे सारा सामान ठीक ठाक था यानि कत्ल का मकसद लूट-पाट नही था--- पुलिस को शक हो गया की हत्या में किसी जानकार का ही हाथ है। मगर कई सवाल भी थे आखिर रघुवीर के मौत से किसे फायदा होने वाला है।रघुवीर की पत्नी भी खुद हैरान थी।
पुलिस ने मामले की तफ्तीश तेजी से शुरू कर दी। पुलिस की जांच कुछ परिचित लोगो के इर्द गिर्द ही घुम रही थी। मगर सवाल अब भी बरकरार था -- कत्ल के मकसद का --- जैसे ही मकसद साफ हुआ तो कातिल भी बेनकाब हो गया। दिल्ली पुलिस के मुताबिक खुद रघुवीर के बेटे ने ही अपने पिता की हत्या की है। पुलिस का शक उस वक्त और गहरा हो गया हो गया जब रघुवीर की डायरी में कई बार बेटे के साफ झगडे का जिक्र था। सतीश ने वारदात को अंजाम देने के लिए अपने दो साथियों की मदद भी ली। जिनमें से पुलिस ने एक को गिरफ्तार कर लिया है जबकि दूसरा अभी फरार है।
पुलिस के मुताबिक 13 जून की रात सतीश ने अपने दो साथी के साथ मिलकर ऱघुवीर की गला दबाकर हत्या की थी।वजह थी पिता की अय्याशी --- दरअसल रघुवीर पिछले दो दशको से अपनी पत्नी से अलग रहता था। इसी दौरान उसके संबंध किसी और महिला से हो गए -- रघुवीर उसपर खुब पैसा लुटाता-- ये बात सतीश को नागवार गुजरी-- वो पिता की जिंदगी मे दखल देने लगा मगर रघुवीर नही माना तो सतीश ने पिता को खत्म करने की ठान ली -- उसने अपने साथियों को पैसा और शराब पिलाने की बात कहकर इस वारदात में शामिल होने के लिए तैयार कर लिया। फिर तीनो ने मिलकर रघुवीर की हत्या कर दी। सतीश ने पुलिस को गुमराह करने की कोशिश की मगर वो खुद ही बयानों में उलझ गया और आखिरकार पुलिस के सामने टुट गया।
सतीश ने पिता को सही रास्ते पर लाने की लाख कोशिश की मगर अंत मे उसने जो रास्ता अख्तियार किया-- वो रास्ता अय्याश पिता को सही रास्ता तो नही दिखा सका--- बल्कि बेटे को ही सलाखों के पिछे लाकर खडा कर दिया।