29 दिसंबर 2011



मेरा पति बलात्कारी है!

मेरा पति जुल्मी है

मेरे पति ने किया
मेरा बलात्कार

वाकई इन बातों को सुनकर कोई भी हैरान रह जाये.. लेकिन ये कोरी अफवाह नहीं बल्कि हकीकत है.. मामला राजस्थान के जयपुर का है..पंकज अग्रवाल नाम के इस शख्स पर बलात्कार का आरोप लगा है.. हैरानी की बात तो ये की बलात्कार का आरोप लगाने वाली कोई और महिला नहीं बल्कि खुद इसकी पत्नी है.. जयपुर पुलिस ने महिला की शिकायत पर मामला दर्ज कर आरोपी पंकज को गिरफ्तार कर लिया है..लेकिन बलात्कार के इस केस के बारे में जिसने भी सुना बस हैरान रह गया कि आखिर एक महिला ने अपनी ही पति पर बलात्कार का आरोप क्यों लगाया..

जयपुर के महेश नगर थाना इलाके के रहने वाले पंकज की शादी फरवरी 2010 में हुई थी.. शादी के बाद सबकुछ ठीक ठाक था.. लेकिन बाद में पति-पत्नी के बीच अनबन रहने लगी..पीड़िता ने लिखित शिकायत में कहा है कि पंकज ने उसे अपने घर में जोर जबरदस्ती से रखा था..उसके साथ पंकज मारपीट करता था..इतना ही नहीं पंकज ने तलाक के पेपर तैयार कर जबरन अपनी बीवी के उसपर साइन कराने के बाद...कोर्ट में दाखिल कर दिये लेकिन फिर भी वो अपनी पत्नी के जिस्म से खेलता रहा ..हालांकि बाद में पंकज अपनी पत्नी को उसके मायके छोड़कर आ गया..इस संबंध में महिला ने अपने पति के खिलाफ महेश नगर थाने में बलात्कार का मामला दर्ज कराया दिया..

पुलिस ने बिना वक्त जाया किए आरोपी के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है..पुलिस ने पंकज को गिरफ्तार कर लिया है लेकिन उसके चेहरे पर शिकन तक नहीं है..लेकिन बीवी के लगाए गए बलात्कार के आरोपों के बारे में जानकर हर कोई हैरान है..

11 दिसंबर 2011

तफ्तीश-पत्नी और बेटी को भी ले डूबा चरित्रहीन पप्पू चौधरी



शायद उपर वाले ने बबली के उपर खास मेहरबानी की थी तभी चार बच्चों की मां होने के बावजूद वह बिल्कुल नवयौवना दिखती थी। शादी-शुदा पप्पू चैधरी, बबली के पति असलम का सबसे अच्छा दोस्त था। एक दिन पप्पू चैधरी, पत्नी और बिटिया के साथ अपने घर में मृत पड़ा मिला। उन तीनों का किसी ने बेरहमी पूर्वक कत्ल कर दिया था। जब पुलिस ने घटना की एक-एक कड़ी को जोड़ते हुए मामले का खुलासा किया, तो तिहरे हत्याकांड का मुख्य सूत्रधार असलम था। आखिर असलम ने ऐसा क्यों किया? और कैसे हुआ मामले का खुलासा? पूरी कहानी जानने के लिए पढि़ए यह खास रिपोर्ट।
तीन लाश मिली
उस दिन तारीख थी 4 अक्टूबर, 2011 और समय दोपहर के सवा दो बजे थे। हरियाणा के फरीदाबाद जिला स्थित एनआईटी थाने की पुलिस को सूचना मिली, ‘‘मकान नंबर एफ-139, एसजीएम नगर में तीन लाशें पड़ी हैं। शायद कत्ल का मामला है।’’ चुकि इलाका एनआईटी थाने के अधीन था अतः सूचना मिलते ही थानाध्यक्ष सब इंसपेक्टर अब्दुल शहीद दल-बल के साथ मौका ए वारदात के लिए रवाना हो गये जहां पहुंचने में उन्हें बामुश्किल 15 मिनट का वक्त लगा। तीनों लाश मकान के पीछे वाले कमरे में पड़ी थी जिनके गले में कपड़े का फंदा लगा हुआ था। साफ था कि उनकी हत्या गला दबाकर की गयी है। कमरे के सारे सामान यथावत पड़े थे इसलिए घटना का कारण लूटपाट है इससे पुलिस को इंकार था। लाश की शिनाख्त किराएदार 30 वर्षीय पप्पू चैधरी, उसकी पत्नी 28 वर्षीया शोभा चैधरी और साढ़े तीन वर्षीया बिटिया कोमल के रूप में हुई। फरीदाबाद शहर स्थित एक एक्सपोर्ट कंपनी में काम करने वाला पप्पू चैधरी मूल रूप से गांव ककराल, थाना खतौली, जिला मुजफ्फरनगर (उत्तरप्रदेश) का रहने वाला था। उसके परिवार में सिर्फ इकलौता लड़का ढ़ाई वर्षीय गोल्ड सही सलामत था। सबसे पहले लाशों पर नजर उस मकान में रहने वाली एक अन्य किराएदार मीना की गयी जब वह ड्यूटी से कमरे पर लौटी। उस समय गोल्ड बेहद तेज-तेज रो रहा था तो वह जिज्ञासावश पप्पू चैधरी के कमरे में पहुंची। लेकिन अंदर का दृश्य देखते ही उसके मुंह से जोर की चीख निकल गयी। पप्पू, शोभा और कोमल मृत अवस्था में थे। जबकि गोल्ड मां से चिपककर बेतहाशा रोए जा रहा था। मीना की चीख सुनकर पास-पड़ोस के कई लोग वहां आ पहुंचे। फिर उनमें से किसी ने फोन कर घटना की सूचना पुलिस को दी तो पुलिस मौके पर पहुंची थी। घटना का कोई चश्मदीद गवाह नहीं था। बहरहाल थानाध्यक्ष अब्दुल शहीद ने तीनों लाशें अपने कब्जे में लीं और घटनास्थल की सभी जरूरी औपचारिकतायें पूरी करने के बाद इस बाबत थाने में हत्या का मुकदमा अपराध संख्या 220/11 पर धारा 302 भादवि के तहत दर्ज कर लिया। तीनों शवों को पोस्टमार्टम के लिए मुर्दाघर भेज भेज दिया। फिर एक विशेष टीम का गठन कर पुलिस ने मामले की पड़ताल शुरू की।
वारदात में किसी जानकार का हाथ
जांच के दौरान पुलिस टीम इस निष्कर्ष पर पहुंची कि हत्यारे का मकसद सिर्फ हत्या करना था। वारदात में किसी परिचित के हाथ से पुलिस को इंकार नहीं था क्योंकि वारदात को दोस्ताना अंदाज में अंजाम दिया गया था। आसपास किसी को घटना की भनक तक नहीं लगी थी।
कैसे हुआ तिहरे हत्याकांड का खुलासा?
पुलिस टीम ने पप्पू चैधरी के मोबाइल फोन के पिछले छह माह की काल डिटेल निकलवाकर पड़ताल की तो एक मोबाइल नंबर पर पुलिस का ध्यान ठहर गया। संदिग्ध नंबर पर पप्पू चैधरी की रोजाना कई-कई बार लंबी बातें हुई थीं। पुलिस टीम ने संदिग्ध नंबर की लोकेशन और उसके धारक का पता किया तो वह नंबर पप्पू चैधरी के नाम था। जबकि उस फोन का लोकेशन दिल्ली के तुगलकाबाद इलाके का था। चूंकि उस फोन का रात्रि लोकेशन रोजाना तुगलकाबाद का था इसलिए पुलिस टीम इस नतीजे पर पहुंची कि संदिग्ध नंबर का धारक तुगलकाबाद इलाके में कहीं रहता है। फिर पुलिस टीम ने उन लोगों से पुछताछ की जिनके मोबाइल पर संदिग्ध नंबर से फोन आए और गये थे। पता चला कि संदिग्ध नंबर का इस्तमाल मकान नंबर 2853, गली नंबर 32, तुगलकाबाद एक्सटेंशन (दिल्ली) में रहने वाली 28 वर्षीया एक युवती बबली कर रही है। अब इस संभावना को बल मिला कि शायद प्रेम चैधरी और बबली के बीच अनैतिक संबंध रहे होंगे। फिर पुलिस टीम बबली के घर पहुंची। बबली मिली। पूछताछ में पता चला कि वह उस किराए के मकान में पति असलम और अपने चार बच्चों के साथ रहती थी। असलम का जीजा 27 वर्षीय सलमान भी उनके साथ रहता था। असलम और सलमान के बारे में बबली ने बताया कि दोनों 3 अक्टूबर को अजमेर शरीफ गये थे जहां से वे अब तक नहीं लौटे हैं। 30 वर्षीय असलम पुत्र खैराती गांव डडेला, थाना फैजगंज, जिला बदायूं (उत्तरप्रदेश) का रहने वाला था। जबकि सलमान पुत्र इस्लाम गांव जुलेहपुरा, थाना व जिला बुलंदशहर (उत्तरप्रदेश) का रहने वाला था। दोनों दिल्ली के ओखला इलाके में स्थित एक एक्सपोर्ट कंपनी में काम करते थे। इस जानकारी के बाद पुलिस टीम उस कंपनी में पहुंची जहां दोनों काम करते थे। वहां पता चला कि दोनों 3 अक्टूबर से ड्यूटी से गैरहाजिर हैं। जबकि उनके सहकर्मियों ने पूछताछ में बताया कि असलम ओखला इलाके में हुए एक युवक के कत्ल के आरोप में वर्ष 2006 में जेल गया था। सलमान के बारे में पता चला कि वह भी वर्ष 2008 में ओखला इलाके में हुए एक युवक के कत्ल के आरोप में जेल जा चुका है। यह पुलिस के लिए एक अहम सुराग था। संभव था कि बबली से नाजायज संबंध रखने की खुदंक में असलम ने सलमान के साथ मिलकर इस वारदात को अंजाम दिया हो। अब पुलिस टीम सावधानी पूर्वक उनकी तलाश में लग गयी।
हत्या में प्रेमिका का पति गिरफ्तार
सलमान 10 अक्टूबर की शाम करीब पांच बजे उस समय पुलिस टीम के हत्थे चढ़ गया जब वह बबली से मुलाकात कर घर से बाहर निकल रहा था। फिर थाने में लाकर उससे मनोवैज्ञानिक तरीके से पूछताछ की गयी तो वह जल्द टूट गया। बकौल सलमान वारदात में उसके अलावा असलम और शोएब शामिल थे। असलम के पड़ोस में रहने वाला 26 वर्षीय शोएब पुत्र शमीमुल्ला मूलतः शाहजहांपुर (उत्तरप्रदेश) का रहने वाला था और ओखला इलाके में एक एक्सपोर्ट कंपनी में काम करता था। वह सलमान का बहुत अच्छा दोस्त था। फिर पुलिस टीम ने सलमान की निशानदेही पर 11 अक्टूबर को तुगलकाबाद एक्सटेंशन इलाके से शोएब को गिरफ्तार कर लिया। जबकि असलम पुलिस के हाथ नहीं आया। शोएब ने सलमान से दोस्ती की वजह से वारदात में साथ उनका साथ दिया था।
हत्या की वजह
पप्पू चैधरी और बबली के बीच अबैध संबंध बन गये थे जिस पर असलम को एतराज था। असलम ने लोक-लाज का हवाला देते हुए बबली को काफी समझाया कि वह पप्पू चैधरी से दूरी बना ले। लेकिन बबली पर उसकी बातों का कोई असर नहीं पड़ा। उसका रिश्ता पप्पू चैधरी से पूर्ववत रहा। दरअसल वह पप्पू चैधरी की इतनी दीवानी थी कि उसकी खातिर वह पति का साथ भी छोड़ सकती थी। जब बबली की बेहयाई हद से पार हो गयी तो असलम का एक मन किया कि वह बबली की हत्या कर दे। लेकिन बच्चों के भविष्य के लिए उसने यह विचार त्याग दिया। दरअसल उसे लगा कि मां के बिना बच्चे अनाथ हो जाएंगे। फिर उसने असलम और शोएब के साथ मिलकर पप्पू चैधरी की हत्या का प्लान तैयार कर लिया।
कैसे दिया वारदात को अंजाम?
योजना के तहत 3 अक्टूबर, 2011 की रात करीब ग्यारह बजे असलम अपने साढ़ू सलमान और शोएब के साथ पप्पू चैधरी के घर पहुंचा। उसने पप्पू को बताया कि वे तीनों किसी काम से फरीदाबाद आए थे इसलिए मिलने चले आए। उस रात वे तीनों पप्पू के घर ठहर गये। असलम साथ में नशीली बर्फियों का एक डिब्बा ले गया था जिसमें से दो बर्फी उसने पप्पू को खिला दी। थोड़ी देर बाद जब नशे ने असर दिखाया तो पप्पू बिना खाना खाये सो गया। जबकि शोभा उन्हें व दोनों बच्चों को खाना खिलाने के बाद सो गयी। मध्य रात्रि में जब पप्पू उसकी पत्नी और दोनों बच्चों के साथ गहरी नींद में था तो उपयुक्त अवसर देखकर असलम ने सलमान और शोएब की मदद से कमरे में पड़ी तीन अलग-अलग चुन्नियों से पप्पू, शोभा और कोमल की गला घोंटकर हत्या कर दी। सबसे पहले शोभा को मारा। जबकि कोमल की हत्या अंत में की। गोल्ड की हत्या इसलिए नहीं की कि वह उन्हें नहीं पहचान सकता था। वारदात को अंजाम देने के बाद तीनो वहां से फरार हो गए थे।

सत्रह रूपये में पांच घंटे के लिए पुलिस इंस्पेक्टर उपलब्ध!


महंगाई की मार से जब आम जन त्राहि-त्राहि कर रहा है तब मांगे जाने की सूरत में पंजाब पुलिस मात्र सत्रह रूपये में अपने एक इंस्पेक्टर की सेवाएं पांच घंटों के लिए उपलब्ध करवाने तत्पर है। इस स्तर के अधिकारी से नीचे के रैंक के कर्मियों की सेवाएं तो और भी सस्ते दरों पर उपलब्ध हैं। और भी आश्चर्य की बात है कि पुलिस के लिए घोड़े की कीमत तीन हजार रूपये और ऊंट की मात्र अढ़ाई सौ रूपये ही है। और तो और चमचमाती गाडि़यों के इस युग में पुलिस ने साईकिल को भी अपनी सवारी घोषित किया है। यह किफायती जो है!
दुनिया बदल गई, पर पंजाब पुलिस अंग्रजों के समय में बनाए गए नियमों-कायदों में लिपटी बैठी है। दो-तीन साल पहले संशोधित पंजाब पुलिस रूल्स में पुलिस द्वारा प्रदत की जाने वाली सुरक्षा और उसकी आवा-जाही के लिए दरें तथा वाहनों का निर्धारण किया गया है। सवारी के लिए साईकिल के अलावा घोड़े तथा ऊंट का भी जिक्र है। जाहिर सी बात है कि कागजों पर पुलिस अपराधियों के पीछे अभी भी घोड़े को ऐड़ लगाती हुई और ऊंट हांकते हुए साईकिल के पैडलों पर जोर लगा रही है।
पंजाब पुलिस रूल्स के मुताबिक जन सेवाएं बहुत ही किफायती हैं। नियमों के मुताबिक अगर आपको सुरक्षा चाहिए तो आपको ऊंट या घुड़सवार यह साईकिल घसीटते हुए पुलिस वालों की सेवाएं हाजिर हैं। बस आपको इन वाहनों की कीमत के बराबर सुरक्षा राशि जमा करवानी होगी। यह राशि रिफंडेबल है। पुलिस की तरफ से यह तोहफा (!) आज से 89 वर्षों पूर्व इन वाहनों की तय कीमत पर उपलब्ध है। उस जमाने में घोड़ा तीन हजार और ऊंट मात्र अढ़ाई सौ रूपये में मिल जाता था। यह तो रही यातायात की बात और बात करते हैं पुलिस वालों द्वारा उपलब्ध करवाई गई सेवा के बदले वसूले जाने वाले शुल्क की। शादी, सामाजिक कार्यों अथावा खेल समारोहों व बैठकों आदि में सुरक्षा व्यवस्था बनाए रखने के लिए आयोजक पुलिस में आवेदन कर सकता है। अर्जी मंजूर हो जाने पर सुरक्षा मुहैया करवाई जाएगी लेकिन, इसके बदले में प्रार्थी से नकदी वसूल की जाएगी। इंस्पेक्टर रैंक के अधिकारी द्वारा की जाने वाली सुरक्षा के लिए आयोजक को दिन के समय पांच घंटों के लिए 17 रूपये और रात में चार घंटों के लिए इतनी ही राशि अदा करनी होगी। समयावधि बढ़ जाने पर पुलिस द्वारा वसूल किये जाने वाली राशि दोगुनी हो जाएगी। आईए, अब एक नजर इंस्पेक्टर रैंक से नीचे के अधिकारियों-कर्मचारियों की सेवाएं लेने वालों के द्वारा लिए जाने वाले चार्जेज पर भी एक नजर डाल लेते हैं। सब-इंस्पेक्टर के लिए दस रूपये, एएसआई के लिए आठ रूपये, हवलदार के लिए सात रूपये तथा सिपाही के लिए यह चार्ज छह रूपये निर्धारित है।
लकीर की फकीर पुलिस के कुछ अन्य नियम भी आऊट आॅफ डेटेड हो चुके हैं। पुलिस में भर्ती हो जाने के बाद जवानों को घोड़े, ऊंट तथा साईकिल उपलब्ध करवाने के प्रावधान विभाग नियमावली में हैं। जवानों को घोड़े के लिए तीन हजार और ऊंट के लिए अढ़ाई सौ रूपये बतौर सुरक्षा राशि जमा करवानी होती है। यह राशि रिफंडेबल है। साईकिल की कीमत का अंदाजा सुधि पाठक लगा लें। ज्ञात रहे कि पंजाब पुलिस नियमावली उत्तर भारत के अन्य राज्यों हिमाचल, दिल्ली तथा हरियाणा और केंद्र शासित चंडीगढ़ में लागू है।