23 सितंबर 2010

इज्जत के नाम पर..

किसी से मोहब्बत करना पाप नहीं.. और ना ही उसे मुकाम तक पहुंचाना.. ये बात अब प्रेमी जोडों के परिजन भले ही मानने लगे हों लेकिन..प्रेम करने वालों के... इस ज़माने में दुश्मन कम नहीं.. क्योंकि जो वारदात अब हम आपको दिखाने जा रहे हैं.. उसमें मियां बीवी ही नहीं..उनके घरवाले भी राजी थे.. लेकिन फिर भी उस ल़ड़की को अपनी मर्जी से शादी करने की सजा के तौर पर मिली बंदूक की गोली...और ये हमला करने वाला शख्स भी कोई और नहीं बल्कि उस लड़की का एक दूर का भाई है ....
पंजाब के पटियाला शहर की रहने वाली वीरपाल कौर के जिस्म पर ये घाव किसी और ने नहीं बल्कि उसी के अपनों ने दिए हैं.. जिस शख्स को ये अपना भाई कहती .. वही इसकी जान का दुश्मन बन गया.. बहन की रक्षा करने के बजाए उसने इसकी हत्या करनी चाही.. इस जानलेवा हमले की वजह थी.. वीरपाल की शादी.. असल में वीरपाल पटियाला के गांव असंद में रहती थी.. पडोसी गांव के संदीप कक्कड नाम के लड़के से वीरपाल को प्यार हो गया.. दोनों ने महीने भर पहले ही प्यार को शादी के अंजाम तक भी पहुचाया.. शुरूआत में वीरपाल कौर के परिवार ने इस अंतर्रजातिय विवाह का विरोध किया लेकिन बाद में परिवार के लोगों ने इस शादी को स्वीकार कर लिया..लेकिन ये बात वीरपाल कौर के मौसेरे भाई को नागवार गुजरी..
वीरपाल के मुताबिक बुधवार को वो अपनी मौसी के घर गई हुई थी.. तभी उसका मौसेरे भाई अपने दो साथियों के साथ वहां पहुंचा.. उसने वीरपाल कौर को शादी के लिए खूब फटकार लगाई और तैश में आकर दो गोली फायर भी कर दीं ..गनीमत रही की गोली वीरपाल को छुते हुए निकल गई.. जानलेवा हमला करने के बाद वीरपाल मौके से फरार हो गया..
पुलिस के मुताबिक शादी के बाद वीरपाल का मौसेरा भाई वीरपाल और उसके पति संदीप को जान से मारने की धमकी दे रहा था... इसी डर से वो दोनों छिपते घूम रहे थे .. लेकिन जब परिवार ने दोनों की शादी स्वीकार कर ली उसके बाद वो दोनों घर आ गये .... लेकिन वीरपाल को इस बात का जरा भी अंदेशा न था कि उसके मौसरे भाई के दिल में उसे लेकर कोई साजिश पनप रही है... बहरहाल जब तक वीरपाल पर हमला करना वाला वो आरोपी पुलिस के शिकंजे में नहीं आ जाता तब तक मुमकिन है कि वीरपाल के चेहरे पर खौफ यूं ही बरकरार रहे...वहीं पुलिस का दावा है कि वो इस वारदात में शामिल तीनों आरोपियों को जल्द से जल्द गिरफ्तार कर लेगी....
वीरपाल ने अपने प्यार को शादी के अंजाम तक पहुंचाने की जुर्रत की तो उसे गोली मिली.. लेकिन इस वारदात ने ये साबित कर दिया है कि अगर परिवार किसी के प्यार को स्वीकार कर ले तो ये जरुरी नहीं कि समाज का भी नजरिया बदल जाये.. वीरपाल की दास्तां कुछ इसी और इशारा करती है.. हो सकता है कि परिवार की नजर में प्यार पाप ना हो लेकिन रिश्तेदार तो इसे अब भी पाप से कम मानने को तैयार नहीं..

बेगुनाही की सजा-गाजियाबाद

जुर्म, तफ्तीश, सूबत और फिर गिरफ्त में गुनहागार..असल में जुर्म के किसी भी मामले में तहकीकात की ये वो कड़ियां हैं जिनके जुड़ते ही गुनहागार शिकंजे में होता है.. जाहिर है किसी भी मुलजिम को मुजरिम साबित करने के लिए.. पुलिस को सूबूतों की दरकार होती...लेकिन जरा उस शख्स के बारे में सोचिये जिसे जबरन ही सलाखों के पीछे पहुंचाया गया हो.....गाजियाबाद के रहने वाले इसरार को उस गुनाह की सजा मिली जो उसने कभी किया ही नहीं.. लेकिन कशमश देखिए की गाजियाबाद पुलिस ने इसरार से जुर्म भी कुबूल करा लिया.. आखिर गाजियाबाद पुलिस के पास जादु की वो कौन सी छडी है... जिसे घुमाते ही इसरार ने वो जुर्म कुबूल कर लिया..जो उसने किया ही नहीं.. असल में गाजियाबाद के विजय नगर में बीती 14 जुलाई को एक बुजुर्ग महिला और उसकी नातिन की हत्या हुई...हत्या के आरोप में पुलिस ने 17 जुलाई को इसरार को गिरफ्तार कर लिया ... पुलिस ने अदालत के सामने इसरार के खिलाफ सुबूत भी पेश किये जिसकी बिनाह पर उसे दो महीने की सजा भुगतनी पड़ी... लेकिन इस कहानी में अचानक एक ऐसा मोड़ आ गया कि आज खुद गाजियाबाद पुलिस के आलाधिकारी इसरार को बेकुसूर बता रहे है..इसरार बुजुर्ग संगीता और उसकी तीन साल की नातिन गुनगुन का कातिल नहीं है..बल्कि इस डबल मर्डर की वारदात को अंजाम दिया था..राकेश नाम के इस शख्स ने..पुलिस इस केस को जितना हल्के में लेकर चल रही थी..इसमें उससे कहीं ज्यादा पेंच निकले.. संगीता अपनी बेटी दिव्यांशी और नातिन गुनगुन के साथ विजयनगर में रहती थी.. दिव्यांशी की कई लड़कों से दोस्ती थी...उन लड़कों का दिव्यांशी के घर आना जाना भी था .. उन्हीं लोगों में इसरार और राकेश भी थे जो मौका मिलते ही दिव्यांशी के घर उससे मिलने पहुंचते.. लेकिन इसी बीच राकेश को दिव्यांशी से प्यार हो गया.... राकेश दिव्यांशी के घर की हर जरूरत पूरी करने लगा .... आलम ये हो गया कि वो अपनी सारी तनख्वाह दिव्यांशी के घर पर लूटा देने लगा... लेकिन इसी बीच राकेश को इसरार के बारे में पता चला जो दिव्यांशी के घर आता जाता था... राकेश को इसरार का वहां जाना नागवार गुजरा... ... जब इस बारे राकेश ने दिव्यांशी की मां संगीता से बातचीत की और एतराज जाहिर किया तो दोनों के बीच काफी कहासुनी होने लगी...
संगीता और राकेश के बीच कहासुनी काफी बढ गई...उसने दिव्यांशी को लेकर राकेश से ऐसी बातें कहीं जो उसपर नागवार गुजरीं.... राकेश ने तैश मे आकर मोबाइल चार्जर के तार से संगीता का गला घोंटकर उसकी हत्या कर दी.. लेकिन इस वारदात को गुनगुन ने होते देख लिया था... राकेश को लगा गुनगुन इस कत्ल का राज खोल देगी...लिहाजा उसने पकड़े जाने के डर से गुनगुन की भी गला घोंटकर हत्या कर दी.संगीता और गुनगुन की हत्या करने के बाद राकेश मौके से फरार हो गया.. जाते हुए वो संगीता का मोबाइल अपने साथ ले गया... यूपी पुलिस की तहकीकात का तरीका देखिये कि उसने संगीता और गुनगुन के कत्ल के आरोप में इसरार को गिरफ्तार कर लिया...
पुलिस इसरार को गिरफ्तार कर चैन से बैठी थी लेकिन दो महीने पहले वारदात को अंजाम देने के बाद जो मोबाइल राकेश लेकर फरार हुआ था उसी मोबाइल की बदौलत अब डबल मर्डर के इस केस में ऐसा मोड़ आया जिससे साबित हो गया कि इसरार बेगुनाह है जबकि असली कातिल राकेश है
बहरहाल पुलिस अब इस कार्रवाई में जुटी है कि इसरार को अदालत के आदेश पर गुनाह से बरी कराया जाये जबकि राकेश को उसके किये की सजा दिलाई जाये...लेकिन जिस तरह से इस केस में यूपी पुलिस ने बेगुनाह इसरार को दोषी बना दिया ... उसके लिए का कानून दोषी पुलिस वालों के खिलाफ भी कोई कार्रवाई करेगा... सवाल ये भी है कि क्यों और किन हालत में इसरार ने बेकसूर होते हुए भी जुर्म कबूल किया.. ये ऐसे कड़वे सवाल ह जिनका जवाब यूपी पुलिस के अधिकारियों के हलक से निकलते नहीं बन रहा..

05 सितंबर 2010

खूनी रक्षाबंधन

भाई बहन के पवित्र रिश्ते को दागदार करती अब जो वारदात हम आपको दिखाने जा रहे हैं यकीन मानिये इसे देखकर कोई भी बहन ये कहने को मजबूर हो जाये कि ऐसे भाईयों से तो बिना भाईयों के ही होना अच्छा है... जी हां हवस में अंधे हुए ये उस शख्स की दास्तान है जिसने अपनी बहन की हिफाजत करने के बजाये रक्षा बंधन के मौके पर उसकी अस्मत पर ही डाल दिया डाका...और बना डाला उसे अपनी हैवानियत का शिकार...
रक्षा बंधन के मौके पर
भाई बना कसाई
हिफाजत करने के बदले लूट ली
बहन की अस्मत
15 साल की रश्मि को रिश्तों में मिले धोखे ने इस कदर तोडकर रख दिया है..कि उसका रिश्तों से भरोसा ही उठ गया है..राखी के त्यौहार के दिन नाबालिग रश्मि की अस्मत को लूट लिया गया.. आपको ये जानकर हैरत होगी कि जो भाई रश्मि को रक्षा बंधन के मौके पर उसकी हिफाजत करने का वादा करता आ रहा था उसी भाई ने अपनी बहन यानि की रश्मि की इज्जत पर हाथ डाल दिया ...HOLD... इंसानियत को शर्मसार करने वाली इस वारदात को अंजाम दिया गया रक्षा बंधन से ठीक एक दिन पहले... यानि की बीती सोमवार रात को... भोपाल के होशांगाबाद से 55 किलोमीटर दूर सोहागपुर में रहने वाली रश्मि का आरोप है कि जब वो घर पर अकेली थी.. उसी समय उसका मौसेरा भाई..विनोद घर आया.. उस वक्त रश्मि सो रही थी.. रश्मि को सोते देख विनोद की नियत बदल गई.. रश्मि का आरोप है कि विनोद ने पहले उससे छेडछाड की.. रश्मि ने जब विनोद का विरोध किया तो विनोद पर रश्मि पर और ताकत के साथ टूट पड़ा....रश्मि ने उसे राखी का वास्ता दिया....उससे रहम की भीख मांगी लेकिन विनोद के सिर पर हवस का ऐसा भूत सवार था कि उसकी नजरों में राखी के कोई मायने नहीं बचे थे.. उसने रश्मि की अस्मत को तार तार कर दिया..
शर्मसार करने देने वाली इस वारदात को अंजाम देने के बाद विनोद फरार हो गया.. मां के घर पहुंचने पर रश्मि ने अपने साथ हुई वारदात की जानकारी उन्हें दी..जिसके बाद रश्मि अपनी मां के साथ होशांगाबाद थाने पहुंची और विनोद के खिलाफ बलात्कार का मामला दर्ज कराया.. पुलिस ने विनोद की तलाश शुरू की और उसे उसी के घर से धर दबोचा..
पुलिस ने आरोपी विनोद को गिरफ्तार कर लिया है.. वो सलाखों के पीछे है..जाहिर तौर पर कानून उसे उसके किये की सख्त से सख्त सजा देगा लेकिन रक्षा बंधन के मौके पर विनोद अपनी बहन की हिफाजत के बदले उसकी अस्मत लूटकर जो पाप किया है यकीन मानिये उसके लिए कोई भी सजा नाकाफी है

ऐसी है लक्ष्मी सहगल

उम्र ढलती गई.. शरीर पर झुर्रियां पड गई..लेकिन हौंसले कमजोर नहीं हुए.. 87 साल की उम्र में भी वही जोश और जुनून बना रहा.. जो कभी जवानी में हुआ करता था.. जी हां हम बात कर रहे हैं.. डॉ. लक्ष्मी सहगल की..जिन्होंनें मजबूत इरादों के साथ हालात का न केवल डटकर सामना किया..बल्कि बुलंदियों को छुआ .. और सफलताओं के नये नये आयम खडे किए.. लक्ष्मी सहगल ने जहां विदेश में जाकर डॉक्टरी पेशे में खूब नाम कमाया वहीं द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान आजाद हिन्द फौज में शामिल होकर सुभाष चन्द्र बोस के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलीं.. आईये जानते है..लक्ष्मी सहगल के उन अनछुए पहलुओं को जिनसे हम आज तक हम अनजान रहे)
लक्ष्मी सहगल.. एक ऐसा नाम जिन्होंने भारत का नाम न केवल दुनिया में रोशन किया बल्कि हर दिन सफलताओं की नई मिसालें कायम कीं..... महिलाओं को अपने जोश और जुनून से प्रेरणा दी.. महिला होने पर गर्व का अहसास कराया..कुछ ऐसी ही शख्सियत हैं डॉ. लक्ष्मी सहगल.... लक्ष्मी जी 96 बरस की हो गई हैं.. लेकिन आज भी उनके जोश में कोई कमी नहीं.. लक्ष्मी सहगल का जन्म 24 अक्टूबर 1914 में मद्रास के जाने माने क्रिमिनल लॉयर डॉ. एस स्वामीनाथन के घर हुआ.. पिता लॉयर थे तो मां गृहणी.. तमिल परिवार में जन्मी लक्ष्मी बचपन से ही जुझारू रहीं.. कुछ नया करने की ललक हमेशा उनमें रही.. सेवा भावना मानों उनके मन-मस्तिष्क में कुट कुट कर भरी हो.. गरीबों की सेवा करने के उद्देश्य से लक्ष्मी स्वामीनाथन ने डॉक्टरी पेशे में आने का विचार किया.. इसके लिए लक्ष्मी ने कड़ी मेहनत कर पढाई पूरी की और उन दिनों मद्रास के मद्रास मेडिकल कॉलेज में दाखिला लिया.. साल 1938 में लक्ष्मी की मेडिकल की पढाई पूरी हुई और उन्हें एमबीबीएस की डीग्री मिल गई.. दो साल तक सेवा भावना के साथ लक्ष्मी गरीबों की सेवा मे लगी रहीं.. लक्ष्मी गरीबों की हर संभव मदद करतीं.. उन्हें इसमें आत्म संतुस्टी मिलती...लोग उनके सेवा भाव को देखकर बड़े प्रभावित होते थे.... इसी दौरान लक्ष्मी को विदेश जाने का अवसर मिला.. 1940 में लक्ष्मी सिंगापुर चली गईं वहां भी उन्होंने अपने डॉक्टरी पेशे को जारी रखा.. सिंगापुर में उन्होंने एक क्लीनिक शुरू किया और वे भारतीयों की मदद करती रहीं.. खासकर उनकी जो गरीब तबके से ताल्लुक रखते थे.... लक्ष्मी मजदूर वर्ग का खास ख्याल रखती थीं.. द्वितीय विश्वयुद्ध के समय लक्ष्मी के जीवन में एक नया मोड आया.. राष्ट्रवादी आंदोलन से प्रभावित लक्ष्मी स्वामिनाथन डॉक्टरी पेशे से निकलकर आजाद हिंद फौज़ में शामिल हो गईं..
अब लक्ष्मी सिर्फ डॉक्टर ही नहीं बल्कि कैप्टन लक्ष्मी के नाम से भी लोगों के बीच जानी जाने लगीं ..सुभाष चंद्र बोस के साथ कंधे से कंधा मिलाकर सेना मे रहते हुए उन्होंने कई सराहनीय काम किये.. आजाद हिंद फौज में लक्ष्मी जी .. रानी रेजिमेंट की कैप्टन बनीं.. उनको बेहद मुश्किल जिम्मेदारी सौंपी गई थी.. उनके कंधों पर जिम्मेदारी थी फौज में महिलाओं को भर्ती होने के लिए प्रेरणा देना और उन्हें फौज में भर्ती कराना.. लक्ष्मी ने इस जिम्मेदारी को बखूबी अंजाम तक पहुंचाया....उनकी सुभाष चंद्र बोस के साथ ली गई ढेरों तस्वीरें आज भी उनकी पुरानी यादों को फिर से ताजा कर जाती हैं .. हालांकि उनका सुभाष चंद्र बोस के साथ बाहर निकलना कम ही होता था.. लक्ष्मी जी बताती हैं कि सुभाष जी की जान को हमेशा खतरा रहता था .. इसी वजह से वो सुरक्षा के मद्देनजर कोई लापरवाही नहीं बरतते थे.. 4 मार्च 1946 को आजाद हिंद फौज की हार के बाद ब्रिटिश सेना ने लक्ष्मी को गिरफ्तार कर किया हालांकि बाद में उन्हें रिहा भी कर दिया गया..
लक्ष्मी जी का कद हिन्दुस्तान के जुझारु लोगों में बढता जा रहा था.... उन दिनों घरवालों के कहने पर लक्ष्मी जी ने विवाह बंधन में बंधने का मन बनाया .. 1947 में लक्ष्मी ने कर्नल प्रेम कुमार सहगल से विवाह कर शादीशुदा जीवन की शुरुआत की.... लक्ष्मी स्वामीनाथन अब लक्ष्मी सहगल हो गईं.. लक्ष्मी सहगल ने हमेशा अमीरी गरीबी का विरोध किया...वो हमेशा सभी को एक समान नजरों से देखती .. शायद यही वजह थी कि सुभाष चंद्र बोस के आलोचक भी उनके मुरीद हो गए.. सेवा और सेना में अपनी हर संभव कोशिशों के बाद लक्ष्मी सहगल जी का 1971 में राजनीति की तरफ झुकाव हुआ.. लक्ष्मी सहगल को साल 1998 में पद्मविभूषण से सम्मानित भी किया गया.. लक्ष्मी सहगल हमेशा से मानती रही हैं कि व्यक्ति की कथनी और करनी एक होनी चाहिए.. साल 2001 में 87 साल की उम्र तक लक्ष्मी जी गरीबों की सेवा में लगी रहीं.. लेकिन अब जब वो 96 बरस की हो चुकी है तब भी उनके जुझारुपन और जोश में कोई कमी नहीं दिखती..
भले ही वक्त के साथ उम्र ढल रही हो.. नजरें कमजोर हो गई हों.. लेकिन उनकी पुरानी यादें आज भी न केवल उन्हें ताकत देती हैं बल्कि वो यादें हर नौजवान यूवक युवती के लिए एक मिसाल है... लक्ष्मी सहगल ने अपने जीवन में सफलताओं के इतनी मंजिलें कायम की हैं कि बताना और गिनाना मुश्किल है... हां अगर कुछ संभव है तो उनके जीवन से एक सीख लेना कि अगर हिम्मत और बुलंद हौंसले हो तो कोई भी मुकाम पाना मुश्किल नही होता..

सरेआम बुजुर्ग की हत्या

रुपये पैसों की जरुरत किसे नहीं पड़ती...और आड़े वक्त पर लोग एक दूसरे से कर्ज भी लेते हैं लेकिन क्या किसी की मदद करना गुनाह है.. क्या किसी को कर्ज देना पाप है....यकीन मानिये जो वारदात अब हम आपको दिखाने जा रहे हैं वो तो यही इशारा करती है... असल में लखनऊ में एक शख्स को कर्ज देना इतना महंगा पड़ा कि कर्ज वापस मांगने पर उसे तलवार से काट दिया गया...
सड़कों पर उतरे ये लोग..गुस्साये लोगों का पीछा करती पुलिस..HOLD.. पुलिस पब्लिक के बीच हुए इस तनाव की वजह है सरेआम हुआ एक कत्ल...HOLD.. लोगों का ये गुस्सा एक बुजुर्ग के कत्ल के बाद फूटा... लखनऊ के शाहदतगंज के यासीनगंज में शुक्रवार सुबह साठ साल के एक बुजुर्ग रहमत अली की सरेआम हत्या कर दी गई.. आरोप है कि पडोसी शुजात ने पैसों के लेनदेन के चलते इस वारदात को अंजाम दिया .. सुबह के वक्त रहमत अली घर के बाहर मौजूद थे.. तभी पडोसी शुजात उनके पास आया और तलवार से रहमत की गर्दन पर जानलेवा वार कर दिया..जख्मी हालत में रहमत जमीन पर गिर गए..और कुछ ही देर में उनकी मौत हो गई..परिजनों के मुताबिक करीब साल भर पहले रहमत ने एक प्लाट खरीदने के लिए बिना किसी कागजी कार्यवाही के शुजात को ढेड लाख रूपये दिए थे.. शुजात ने रहमत को ना तो प्लाट दिलाया..और ना ही उसके पैसे वापिस किए.. पिछले कुछ दिनों से रहमत शुजात पर पैसे लौटाने के लिए दबाव बना रहा था.. शुक्रवार सुबह भी रहमत ने शुजात से पैसों की मांग की...जिसपर दोनों में कहासुनी हो गई...गुस्से में लाल पीले हुए शुजात ने तैश में आकर रहमत पर तलवार से वार कर दिया..
रहमत अली की सड़क पर ही मौत हो गई.. सरेआम हुए कत्ल के बाद लोगों की भीड़ इलाके मे जमा होनी शुरू हो गई.. गुस्साए लोगों ने जब शुजात के घर के बाहर हंगामा किया तो शुजात ने अपने भाई गुलाम और कादिर के साथ मिलकर छत से लोगों पर फायरिंग शुरू कर दी..जिसके बाद लोगों का गुस्सा और भडक उठा.. गुस्साए लोगों ने जमकर हंगामा काटा और आगजनी की.. वारदात के बाद मौके पर पहुंची पुलिस ने लोगों को शांत करने की कोशिश की..... और आरोपी शुजात को उसके दो भाइयों समेत गिरफ्तार कर लिया..पुलिस ने वारदात में इस्तेमाल तलवार और दुनाली बंदुक भी बरामद कर ली है.
पुलिस ने सरेआम हुई कत्ल की इस वारदात में आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है.. लेकिन इलाके में अभी भी दहशत का माहौल बना हुआ है.. हर किसी की जहन पर केवल एक ही सवाल है कि क्या किसी की मदद करना पाप है....रहमत अली की क्या गलती थी जो उसे शुजात ने मौत दे दी....क्या रहमत को सुजात को पैसे ही नहीं देने चाहिये थे.... इलाके के लोग अब रहमत अली के गुनाहगारों को कड़ी से कड़ी सजा दिये जाने की मांग कर रहे है..

मुंबई में सफ़ेद जहर

ऐसा जहर जो धीरे धीरे इंसान को मौत की तरफ ले जाता है.. इस जहर को हिंदुस्तान में तैयार किया जा रहा था.. और तैयार करने वाले थे चंद विदेशी लोग....रुपयों के लालच में अंधे हुए ये लोग सफेद जहर को दवाइयों के डिब्बों की आड़ में न केवल हिन्दुस्तान बल्कि विदेशों में भी सप्लाई करते थे... लेकिन मुम्बई पुलिस ने नौजवान लोगों को मीठी मौत बांटने वाले इन सौदागरों को कर लिया गिरफ्तार औऱ कर ली इनके कब्जे से 26 करोड़ की ड्रग्स बरामद...
ना होगा धमाका..ना होगी कोई गुंज.. फिर भी दहल उठेंगे..हजारों लोगों के घर....हजारों घरों में होगा मातम.. एक बड़ा खुलासा... मुंबई में युवाओं पर हमले की साजिश.. जीं हां.. कुछ ऐसी ही साजिश को बेपर्दा किया है..मुंबई नारकोटिक्टस विभाग ने..विभाग ने 26 करोड़ की ड्रग्स के साथ नौ लोगों को गिरफ्तार किया है.. इनके पास से भारी मात्रा में ड्रग्स बरामद की गई है.. आपको ये जानकर हैरत होगी कि ड्रग्स बनाने का ये गोरखधंधा मुंबई में किसी एक जगह नहीं.. बल्कि कई ठिकानों पर चल रहा था..और इस धंधे के सूत्रधार हैं.. विदेशी युवक.. ड्रग्स बनाने और उसे महाराष्ट्र और विदेशो में सप्लाई करने के मामले में पुलिस ने कुल नौ लोगों को गिरफ्त में लिया जिनमें से आठ विदेशी हैं..इन आठ विदेशियों में छ ईरानी ,एक डच जबकि एक कमबोडिया का रहने वाला है.. एंटी नारकोटिक्स विभाग के मुताबिक ये लोग भारतीय मूल के डच नागरिक किशोर नंदन के बुलावे पर महाराष्ट्र में आए थे..और मुंबई के कई इलाकों में अपना धंधा चला रहे थे..
ड्रग्स सप्लाई करने का इनका तरीका बेहद शातिराना था..ये लोग ड्रग्स तैयार करने के बाद उसे दवाईयों में मिलाते और फिर विदेशों में सप्लाई करते.. नारकोटिक्स विभाग ने गिरफ्तार आरोपियों के कब्जे से करीब साढ़े आठ किलो मेथामफेटमाइन, 60 किलो इफेड्रीन और बड़ी मात्रा में केमिकल और ड्रग्स बनाने से जुड़ी सामग्री बरामद की है। इसके अलावा आरोपियों से पूछताछ के बाद फिर ओशिवरा में स्वाति अपार्टमेंट में छापा मारा गया और वहां से भी काफी मादक सामग्री जब्त की गई।
भारत में ड्रग्स तैयार करने और उन्हे विदेश में सप्लाई करने की खास वजह थी..दरअसल यूरोप में कुछ महीने बाद क्रिसमस पर और नये साल के मौके पर काफी मात्रा में ड्रग्स की डिमांड होती है .... महाराष्ट्र में पकड़ा गया गैंग जिस तरह की ड्रग्स बनाता था, उसमें यूज होने वाला केमिकल भारत में बहुत सस्ता मिलता है। इस वजह से ये अंतरराष्ट्रीय गैंग ड्रग्स बनाने महाराष्ट्र आया। इन विदेशियों ने अपना धंधा तो जमा लिया लेकिन उसे ज्यादा दिन तक चला ना सके..हालांकि अभी नौ लोग ही पुलिस की गिरफ्त में आए हैं.. पुलिस को उम्मीद है कि गिरफ्त में आये लोगों से पूछताछ के बाद इस गिरोह से जुड़े औऱ लोग भी आ सकते हैं शिकंजे में

मोहब्बत में बनी माँ

मोहब्बत करने वालों की कमी नहीं...और फिर मोहब्बत करना कोई पाप भी नहीं लेकिन जरा ठहिरये हम आपको बता दें कि मोहब्बत के नाम पर हवस मिटाने वाले भेडिये भी इस दुनिया कम नहीं हैं लिहाजा किसी से मोहब्बत करने से पहले....उसे अपना तन सोंपने से पहले सौ बार सोच लें ...कहीं ऐसा न हो कि मोहब्बत के नाम पर आप बन जायें बिन ब्याही मॉं....और आपका ही बच्चा आपसे पूछे कि मेरे पापा कौन हैं...
15 दिन का ये मासूम ना बोलना जानता है..ना ही इसे दुनिया के रस्मों रिवाज पता हैं.. इसे अगर कुछ पता है तो बस मां की गोद और उसका प्यार.. भूख लगती है.. तो रोने लगता है.. प्यास लगती है तो छटपटाने लगता है... लेकिन इस छोटी सी उम्र में ही इस मासूम को जिंदगी की एक कड़वी हकीकत से रूबरू होना पड रहा है.. रिश्तों की ऐसी कड़वी हकीकत की इसे इंसाफ दिलाने के लिए इसकी मां इसे अदालत की चौखट पर ले आई है .. इस महिला को न केवल अपना बल्कि इसकी गोद में पल रहे अपने बच्चे का हक चाहिये....अंकुश नाम के इस मासूम को अपनी मां नमिता का तो अहसास है लेकिन ये...नहीं जानता कि इसका पिता कौन है.... .चंडीगढ की अदालत में नमिता ने अपने बच्चे के हक के लिए दायर की है याचिका जिसमें मांग की गई है कि अंकुश का पिता उसे मुआवजा दे... ताकि नमिता नमिता अंकुश की जिंदगी का ठीक से गुजर बसर कर सके...
आखिर क्या है नमिता और उसके मासूम बेटे अंकुश की दास्तां .. और इन्हें क्यों अदालत तक जाना पडा.. इसके लिए हम आपको नमिता के अतीत से रुबरु कराते हैं असल में चंडीगढ के सेक्टर 56 में रहने वाली 22 साल की नमिता की मां की मौत उसके बचपन में ही हो गई थी.... कम उम्र में ही उसके भाई और पिता भी इस दुनिया से चल बसे.. नमिता इस दुनिया में अकेली थी.. हर कदम पर धोखे थे.. कोई नहीं था जिसे नमिता अपना समझकर कुछ पल के लिए उसके कंधे का सहारा ले सकती.. इसी बीच नमिता की मुलाकात चंडीगढ के सेक्टर 43 में रहने वाले सोनी नाम के एक लडके से हुई .. इस मुलाकात के बाद नमिता के सपनों को नई उडान मिली.. उसे लगने लगा कि उसकी जिंदगी अब बोझ नहीं रही.... नमिता और सोनी एक दुसरे के बेहद करीब आ गए.. इतने करीब के दोनों के बीच जिस्मानी संबंध भी बन गये .. नमिता.. सोनी की हर बात पर आंख मूंदकर भरोसा करती.. सोनी भी हर दिन उसे नए नए सपने दिखाता.. और इन्हीं सपनों की उडान देकर वो नमिता के जिस्म से हर रोज खेलता.. इसी बीच नमिता के पेट में सोनी का प्यार पलना शुरु हो गया...नमिता ने सोनी से शादी की बात की लेकिन उसने शादी करने से साफ इंकार कर दिया.. नमिता के पास दो ही रास्ते थे.. या तो वो बच्चे को जन्म दे या फिर बच्चे के साथ खुद को खत्म कर ले.. दोराहे पर खडी नमिता ने बच्चे को जन्म देने का फैसला किया.. लेकिन साथ ही उसने फैसला किया कि वो सोनी को सबक सिखाकर ही मानेगी ..... नमिता ने सोनी के खिलाफ अदालत के मार्फत मुकद्दमा दर्ज कराया.. जिसके बाद सोनी को गिरफ्तार कर लिया गया..और उसे जेल भेज दिया गया..
सोनी के जेल जाने के बाद नमिता ने एक बच्चे को जन्म दिया.. जिसके बाद सोनी के परिजनों का दिल पसीज गया.. उन्होनें नमिता से केस वापिस लेने की गुजारिश की और दोनों की शादी कराने का वादा भी किया.. नमिता को और क्या चाहिए था... उसके बच्चे को पिता का नाम मिल जाए.. उसकी जिंदगी फिर से खुशहाल हो जाये.. लेकिन यहां भी नमिता की जिंदगी में एक बार फिर धोखा हुआ .. जेल से जमानत पर बाहर आने के बाद सोनी विदेश भाग गया.. अब बेटे को इंसाफ दिलाने के लिए नमिता अदालत पहुंची है.. हर कदम पर धोखे का सामना करने वाली नमिता को क्या इंसाफ मिल पाएगा.. क्या उसके मासूम बेटे को उसके पिता का नाम मिलेगा.. इनका जवाब तो वक्त के साथ ही मिलेगा.. खैर इस मामले में अदालत ने आने वाली 13 अक्टूबर की तारीख मुकर्रर की है.. जिसके बाद ही ये तय हो पायेगा कि आगे आने वाले दिनों में नमिता और उसके बेटे अंकुश के लिए राह आसान होगी या फिर मुश्किल भरी

अमिताभ को बनाया मुखबिर

वर्दी की आड़ में छिपे झारखंड के कुछ भ्रष्ट आला अधिकारियों की जिन्होंने अमिताभ बच्चन को ही बना दिया मुखबिर... बात अगर यहीं तक रहती तब भी महकमें की साख शायद बच जाती लेकिन यहां तो भ्रष्ट अधिकारियों ने अमिताभ बच्चन के नाम पर डकार लिये लाखों रुपये... जी हां झारखंड के आला अधिकारियों ने सिक्रेट सर्विस फंड के सरकारी खजाने से अपनी जेब भर लीं और अमिताभ बच्चन को दे दिया मुखबिर का खिताब...बिग बी यानी अमिताभ बच्चन सदी का महानायक..आपके बिग बी को एंग्रीयंगमैन के रोल में देखा होगा...रोमांटिक रोल में भी देखा होगा...कहीं चोर तो कहीं पुलिस के गेटअप में.. रील लाइफ में आपने बिग बी को ना जाने कितने गेटअप में देखा होगा..लेकिन यकीन मानिए जो कुछ हम बिग बी के बारे में बताने जा रहे है..उसे ना तो कभी आपने देखा होगा..और न ही सुना..जरा सोचिए क्या कभी आपने बिग बी को पुलिस के मुखबिर के रोल में देखा है...फिल्मी पर्दे में आपने देखा हो या न देखा हो...लेकिन असल जिंदगी में बिग बी को बना दिया गया है पुलिस का मुखबिर...जी हां, चौंकिए मत...क्योंकि ये सौ फीसदी सच है..ये बात सुनकर..आप जितना हैरान होंगे... मुमकिन है बिग बी भी उतने ही हैरान हों...लेकिन ये दावा है झारखंड पुलिस का... भले ही ये बात आपके गले भी ना उतरे...लेकिन झारखंड पुलिस के दस्तावेज इसी बात की तसदीक कर रहे हैं...गौर से देखिए इस दस्तावेज को...झारखंड के मुख्य सचिव की ओर से जारी इस दस्तावेज से साफ है कि अमिताभ बच्चन का नाम मुखबिर के तौर पर इस्तेमाल करके किस तरह लाखों की हेरा-फेरी की गई है...दरअसल झारखंड पुलिस ने सीक्रेट सर्विस के खजाने से मुखबिरों को पैसे दिए जाने के नाम पर लाखों रुपए की हेरा-फेरी की गई है...वो भी फर्जी नाम से....इन्हीं फर्जी नामों में से एक नाम अमिताभ बच्चन का भी है...दो दिनों के अंदर-अंदर बिग बी के नाम पर 21 लाख छह हजार पांच सौ रुपए का भुगतान दिखा दिया गया है...वो भी महज दो रसीद के जरिए...तस्वीरों में दिख रहे दस्तावेज पूरी सच्चाई बयां कर रहे हैं...लेकिन राज्य के मुख्य सचिव इस मामले से पल्ला झाड़ रहे हैं...पर शक की सुई झारखंड के पूर्व डीजीपी बीडी राम की ओर जा रही है...उन पर आरोप है कि उन्होंने असली मुखबिर को डरा-धमका कर उससे दोनों रसीद पर दस्तखत करवा लिया...और इसके बदले में असली मुखबिर को सिर्फ दस हजार रुपए ही दिए..बाकी का पैसा खुद ही डकार गए...लेकिन असली मुखबिर को ये बिल्कुल रास नहीं आया कि उसके हिस्से का पैसा अधिकारी साहब खुद हजम कर जाएं...फिर क्या था.. उसने पूरे मामले की हकीकत एक लेटर में फिलहाल मामला हाई कोर्ट में चल रहा है...सच्चाई सामने आने में तो अभी थोड़ा वक्त लगेगा...लेकिन इतना तो साफ है कि घोटालेबाज पैसों की हेरा-फेरी के लिए कुछ भी कर सकते हैं....और इसके लिए वो बिग बी जैसी बड़ी शख्सियत को भी नहीं बख्शने वाले..

सिपाही की हत्या

वर्दी लोगों की हिफाजत के लिए है... बदमाशों को उनके असल मुकाम तक पहुंचाने के लिए है... भले ही इसके लिए क्यों न वर्दीवालों को अपनी जान गंवानी पड़े....वर्दी की शान की खातिर मौत को गले लगाने की एक ऐसी ही खबर आई है पंचकुला से...जहां एक जांबाज सिपाही ने दो बदमाशों को गिरफ्तार करने के लिए अपनी जान गंवा दी.... भले ही उस जांबाज सिपाही की इस हमले में मौत हो गई लेकिन वो मरते मरते भी आरोपियों को गिरफ्तार करा गया....
ये लाश है 22 साल के सुरेश की.... सुरेश पंचकुला के कालकाजी थाने में बतौर सिपाही तैनात था.... बीते मंगलवार को सुरेश की हत्या कर दी गई.. और हत्या का आरोप लगा दो वाहन चोरों पर... असल में सुरेश अपने फर्ज के लिए कुछ भी कर गुजरने को तैयार रहने वाला एक सिपाही था.... और फर्ज निभाने के प्रति उसका जुनून ही उसकी मौत की वजह बन गया.. बात बीते मंगलवार की है....पंचकुला के कालकाजी थाना पुलिस को खबर मिली कि वाहन चोरी की कई वारदातों को अंजाम दे चुके दो बदमाश पंचकुला सेक्टर पांच में आ रहे हैं.. खबर मिलते ही थाने तैनात सिपाही सुरेश और राजेश....बदमाशों की गिरफ्तारी के लिए निकल पड़े.. दोनों ताक लगाकर बदमाशों का इंतजार करने लगे... इसी बीच बाइक पर सवार आरोपी मोनू और तेजा नाम के दो आरोपी सेक्टर 5 के चौक से होकर गुजरे.... जैसे ही राजेश और सुरेश की निगाह उन पर पड़ी दोनों ने उनका पीछा किया....पुलिस को देख मोनू और तेजा भागने लगे.. इतने में सुरेश ने मोनू को दबोच लिया.. लेकिन मोनू ने खुद को बचाने के लिए सुरेश पर चाकुओं से कई वार कर दिए.. सुरेश गंभीर रूप से घायल हो गया..मौका पाकर आरोपी तेजा तो फरार हो गया.. लेकिन सुरेश ने जख्मी होने के बाद भी मोनू को नहीं छोड़ा ..इसी बीच राजेश ने आकर मोनू पर शिकंजा कस दिया..
गंभीर रूप से घायल सुरेश को तुरंत पंचकुला सेक्टर 6 के जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया.. जहां डॉक्टरों ने सुरेश को मृत घोषित कर दिया.. सुरेश मूलरूप से यमुनानगर के मुस्तफाबाद का रहने वाला था..और महीना भर पहले ही घर से छुट्टी मनाने के बाद ड्यूटी पर लौटा था.. सुरेश की मौत की खबर मिलते ही उसके घर में मातम पसर गया .. महकमें के सिपाही की हत्या के मामले को संजीदगी से लेते हुए पुलिस ने मंगलवार को फरार आरोपी तेजा को भी गिरफ्तार कर लिया.. पुलिस ने दोनों आरोपियों को बुधवार को अदालत में पेश किया ..जहां से उन्हें दो दिन की पुलिस रिमांड पर भेज दिया गया है.. लेकिन अभी तक पुलिस के हाथ वो चाकू नहीं लगा है जिससे मोनू ने सुरेश की हत्या की थी.. सुरेश भले ही अब इस दुनिया में नहीं है लेकिन उसके होसले ने महकमे का सिर उंचा कर दिया है
सुरेश की लाश को पोस्टमॉर्टम के बाद उसके घरवालों को सोंप दिया गया है जिसके बाद पूरे इलाके में शोक है....
इस वारदात में ना केवल एक परिवार ने अपना नौजवान खोया ..बल्कि हरियाणा पुलिस ने भी एक जांबाज सिपाही को खो दिया..

एस आई पर फायरिंग

वर्दी और फर्ज की दास्तां सिपाही सुरेश तक ही सीमित नहीं है बल्कि हर वो वर्दीवाला जिसके जहन में देश के प्रति जज्बा है वर्दी को लेकर सम्मान है..वो कभी बदमाशों के मंसूबों के आगे नहीं झुकेगा...चाहे भले ही उसे इसके लिए अपना खून ही क्यों न बहाना पड़े.. हम आपको दिखाते हैं एक और जांबाज वर्दीवाले की दास्तान जिसने जख्मी होने के बाद भी हिम्मत नहीं हारी...और बदमाशों के सामने दीवार बनकर खडा हो गया...नतीजा ये हुआ कि कानून के गुनहगार पहुंच गये हवालात...
दिल्ली एनसीआर में बेखौफ हैं बदमाश .. वो वारदातों को दे रहें है अंजाम.. लेकिन पुलिस ने भी..कस ली है कमर.. बदमाश होगें जेल के अंदर.. डटकर करेंगें बदमाशों का सामना और पहुंचाएंगे उन्हें उनके असल ठिकाने.. बदमाशों को हवालात पहुंचाने के जुनून का ही ये अंजाम ये है कि आज गाजियाबाद के सिंभावली थाने में तैनात एएसआई सेठपाल की बदौलत दो बदमाश पुलिस के शिकंजे में हैं.... भले ही इसके लिए सेठपाल को अपना खून ही क्यों न बहाना पड़ा .... लेकिन उन्होंने अपने फर्ज को अंजाम तक पहुंचाया.. दो बदमाशों को हवालात का रास्ता दिखाया .. असल में सेठपाल की ड्यूटी इलाके में वाहनों की चेकिंग पर लगी थी .. बुधवार सुबह भी वो इलाके के चौक पर तैनात सिपाहियों के साथ हर गाडी की बारीकी से जांच कर रहे थे.. इसी बीच पशुओं से भरा एक ट्रक वहां से गुजरा.... सेठपाल ने ट्रक ड्राइवर को रुकने का इशारा किया.... ट्रक ड्राईवर ने ट्रक तो रोक लिया.. लेकिन जैसे ही ड्राइवर से ट्रक की चेंकिंग की बात कही गई... ट्रक में सवार लोगों ने पुलिस वालों पर फायरिंग शुरू कर दी..
पुलिसकर्मियों पर फायरिंग करने के बाद बदमाशों ने भागने की कोशिश की.. लेकिन सेठपाल समेत कुछ सिपाहियों ने बदमाशों का पीछा करना शुरु कर दिया .... बदमाशों ने फायरिंग की....एक गोली सीधे सेठपाल के पेट में जा लगी...लेकिन सेठपाल ने हिम्मत नहीं हारी....नतीजा ये हुआ कि पुलिस ने दो बदमाशों को दबोच लिया .. जबकि तीन बदमाश ट्रक समेत फरार हो गये ... सेठपाल को गाजियाबाद के निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया .. जहां उनका इलाज चल रहा है.. पुलिस के मुताबिक गिरफ्त में आये बदमाश पशुओं की तस्करी करते थे.. पुलिस का दावा है कि मौके से फरार हुए बदमाशों की भी जल्द ही गिरफ्तारी कर ली जायेगी .
वर्दी लोगों की हिफाजत के लिए है....कानून के गुनहगारों को उनके किये की सजा दिलाने के लिए है... वर्दी हर खासोआम की सुरक्षा का नाम है.... सेठपाल भले ही इस हमले में जख्मी हो गया हो...लेकिन ये उसका जज्बा ही था कि वो घायल होने के बावजूद भी आरोपियों का पीछा करता रहा जिसकी वजह से आरोपी पुलिस की गिरफ्त में हैं....वाकई सेठपाल के जुनून ने साबित कर दिया है कि अगर हर वर्दी वाला बदमाशों के खिलाफ ऐसा ही जोश और जज्बा दिखाये तो किसी भी बदमाश का सलाखों से बाहर रह पाना नामुमकिन है....

कातिल मां-भाग एक

यूं तो कत्ल की कई वारदात आपने देखी होंगी और सुनी होंगी लेकिन आज जिस वारदात की असलियत हम आपको दिखाने जा रहे हैं यकीन मानिये इसे देखकर.. एक पल के लिए तो आप भी सोच में पड़ जायेंगे ..कि आखिर ऐसा कैसे हो सकता है कि कातिल पुलिस के सामने हो और पुलिस उसे पहचान न सके.... लेकिन हम आपको बता दें कि इस वारदात का कातिल खुद आपकी भी नजरों के सामने है अगर आप भी उस कातिल को पहचान सकते हैं तो पहचानिये....
एक मां का दर्द.... एक मां की बेबसी... बेटी की मौत पर एक मां की लाचारी.... ये मां अपनी बेटी की हत्या का इंसाफ चाहती है.. बेटी के कातिलों को सलाखों के पीछे देखना चाहती है.. इंसाफ की मांग करती इस का दर्द सुनकर लोग सड़कों पर उतर आए... रेलवे ट्रेक जाम कर दिये गये.HOLD......असल में सुषमा नाम की ये महिला बिजनौर के चांदपुर इलाके में अपनी बेटी भावना और बेटे रोहित के साथ जिंदगी गुजार रही थी...जबकि सुषमा का पति विदेश में नौकरी करता है.... बात बीते 21 अगस्त की है.... किसी ने बड़ी ही बेरहमी के साथ भावना का उसी के घर में कत्ल कर दिया... .भावना के शरीर पर चाकुओँ से वार किए गए.... भावना के कत्ल की जानकारी जैसे ही पुलिस को लगी पुलिस ने सुषमा के घर का मौका मुआयना कर कातिल की तलाश शुरु कर दी... दो दिन तक पुलिस ने इस केस की हर कड़ी को बारीकी से खंगाला... लेकिन कातिल को लेकर पुलिस के हाथ कोई सुराग न लगा....बेटी को खोकर एक मां भला क्या कर सकती थी...सुषमा पुलिस के तौर तरीके से बेहद नाराज थी...वो हर हाल में कातिलों की गिरफ्तारी चाहती थी...लिहाजा सुषमा और उसके परिजनों का गुस्सा पुलिस पर टूटा....गुस्साये इलाके के लोगों ने सड़क और रेलवे ट्रक जाम कर दिये.. इनकी मांग थी कि भावना के कातिलों को जल्द से जल्द गिरफ्तार किया जाए..
सुषमा पुलिस को हर संभल मदद दे रही थी....उसका मकसद हर हाल में अपनी बेटी के कातिलों को बेनकाब करना था.... पुलिस की पूछताछ में सुषमा ने कत्ल की इस वारदात में पडोस के ही दो लड़कों पर शक जाहिर किया.. भावना की मां के मुताबिक पडोस का एक लड़का ललित भावना को परेशान करता था.. और उसी ने भावना की घर में घुसकर चाकु से गोदकर हत्या की है.. पुलिस ने सुषमा के बयान के बिनाह पर ललित और उसके एक साथी को हिरासत में ले लिया..
शक की बिनाह पर पुलिस की गिरफ्त में दो आरोपी थे.. वारदात हुए दो दिन बीत चुके थे.... पुलिस न तो कत्ल के मकसद का ही पता लगा पाई थी और न ही कातिल का....वहीं हिरासत में लिए गये दोनों आरोपी भी खुद को बेकुसूर बता रहे थे....ऐसे में सवाल था कि कत्ल ललित और उसके साथी ने नहीं किया तो फिर किसने किया .. आखिर वो कौन था जो बेबाक होकर घर में दाखिल हुआ.. भावना पर ताबड़तोड़ चाकू से वार किये और फरार हो गया.... पुलिस इन सभी सवालों में उलझ कर रह गई.... लेकिन हम यहां आपको बता दें कि कातिल पुलिस की पहुंच से ज्यादा दूर नहीं बल्कि पुलिस के बेहद नजदीक था...पुलिस की आंखों के सामने था....लेकिन पुलिस उसे पहचान नहीं पा रही थी....आप सोच रहे होंगे कि आखिर कौन है भावना का हत्यारा....आप खुद भी सोचिये की पुलिस का हमकदम होकर पुलिस को चकमा देने वाला वो कातिल कौन है...नहीं तो बस कुछ देर हम करेंगे आपके सामने भावना के कातिल का खुलासा...

कातिल मां- भाग दो

एक नाबालिग का उसी के घर में दाखिल होकर किसी ने कत्ल कर दिया.... पुलिस के पास न तो कातिल का कोई सुराग था और न ही इस वारदात का कोई चश्मदीद....लेकिन पुलिस को यकीन था कि गुनहगार की महज एक गलती ही उसका पता बता देगी.... इस केस में भी वही हुआ...कातिल ने बड़ी ही सफाई से रंगे थे उस नाबालिग के खून से हाथ लेकिन फिर भी वो एक गलती कर बैठा जिससे इस वारदात का हो गया पर्दाफाश..और कातिल हो गया बेनकाब..अब देखिये जरा कातिल को औऱ सोचिये कि क्या आपकी तहकीकात में सामने आया कातिल भी वही है जिसे पुलिस ने बेनकाब किया...
एक बेटी को खो देने का गम क्या होता.. भला इस मां से ज्यादा कौन जान सकता है.. इस मां के आंसू.. इसके दिल का दर्द..बयां कर रहे हैं.. लेकिन जरा ठहरिए..
ये आंसू बेटी को खोने के गम मे नहीं है.. ना ही ये दर्द बेटी को खोने का है.. बल्कि सब एक खौफनाक साजिश का हिस्सा है.. ऐसी साजिश जिसे खुद इसी महिला ने रचा.. इस महिला ने साचिश रची ...अपने हिसाब से मोहरे बिछाए.. और मात दी अपनी ही बेटी को.. उसकी हत्या कराकर.. जीं हां भावना की हत्या कराने वाला कोई और नहीं बल्कि खुद उसी की मां सुषमा है.....
अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर पुलिस का हमकदम बनकर...पुलिस के सामने रहकर कातिल को पकड़ने की गुहार करने वाली ये महिला पुलिस की नजरों से दो दिन तक कैसे बची रही...और पुलिस ने किस बिनाह पर इस महिला को गिरफ्तार किया.... असल में इस कत्ल के पीछे छिपी हकीकत जितनी दर्दनाक है उतनी ही शर्मनाक भी ..क्योंकि कत्ल की ये दास्तां अवैध रिश्तों का अंजाम है .. पुलिस के मुताबिक सुषमा ने जो बयान दिये थे वो किसी भी तरह से हजम नहीं हो रहे थे .. तफ्तीश में लगी पुलिस ने कत्ल के तीन दिन बाद सुषमा के मोबाइल फोन की कॉल डिटेल निकलवाई.. जिसके बाद ना केवल पुलिस को कातिल का ठोस सुराग मिला बल्कि कत्ल का मकसद भी पूरी तरह साफ हो गया.. कॉल डिटेल से पुलिस को पता चला कि जिस दिन भावना की हत्या हुई.. उसी दिन सुषमा ने एक ही नंबर पर 64 से ज्यादा बार फोन किए थे.. बस यहीं से पुलिस का माथा ठनका.. भला ऐसा कौन सा जरूरी काम थी कि सुषमा ने बेटी की हत्या के बाद एक ही शख्स को 64 बार फोन किये.. जब पुलिस ने उस नंबर का पता किया तो सामने आई एक मां की खौफनाक हकीकत..दरअसल ये नंबर था बेगराज नाम के एक युवक का.. पुलिस की टीम ने तुरंत बेगराज को हिरासत में लेकर कड़ाई से पुछताछ करनी शुरु कर दी .. पहले तो बेगराज पुलिस को गुमराह करता रहा लेकिन बाद में टूट गया.. बेगराज ने पुलिस को बताया कि सुषमा के साथ उसके अवैध संबंध थे..जिनकी जानकारी भावना को लग चुकी थी...कत्ल वाले रोज भावना ने अपनी मां सुषमा को बेगराज के साथ आपत्तिजनक हालत में देख भी लिया था जिसके बाद भावना ने अपनी मां को धमकी दी कि वो इस रिश्ते के बारे में अपने पिता को बता देगी.. .
पुलिस के मुताबिक कत्ल वाले रोज ही सुषमा की शय पर बेगराज ने अपने एक दोस्त सोनू त्यागी के साथ मिलकर पहले तो भावना का बलात्कार करने की कोशिश की...लेकिन जब भावना ने बेगराज का विरोध किया तो उन दोनों ने मिलकर भापना की चाकू से गोदकर हत्या कर दी...वारदात को अंजाम देने के बाद कातिल को छिपाने का जिम्मा निभाया खुद सुषमा ने...और उसने न केवल पुलिस बल्कि जमाने के सामने इतने घडियाली आंसू बहाये कि उसपर किसी को शक ही न हो लेकिन कहते हैं न कि कातिल कितना ही शातिर क्यों न हो वो एक न एक गलती कर ही जाता है और वही गलती बनती है उसकी गिरफ्तारी का सबब...सुषमा की गलती थी बेगराज को बार बार फोन करना....इन्हीं कॉल ने सुषमा और बेगराज की साजिश को बेनकाब कर दिया और उन्हें पहुंचा दिया सलाखों के पीछे