23 सितंबर 2010

इज्जत के नाम पर..

किसी से मोहब्बत करना पाप नहीं.. और ना ही उसे मुकाम तक पहुंचाना.. ये बात अब प्रेमी जोडों के परिजन भले ही मानने लगे हों लेकिन..प्रेम करने वालों के... इस ज़माने में दुश्मन कम नहीं.. क्योंकि जो वारदात अब हम आपको दिखाने जा रहे हैं.. उसमें मियां बीवी ही नहीं..उनके घरवाले भी राजी थे.. लेकिन फिर भी उस ल़ड़की को अपनी मर्जी से शादी करने की सजा के तौर पर मिली बंदूक की गोली...और ये हमला करने वाला शख्स भी कोई और नहीं बल्कि उस लड़की का एक दूर का भाई है ....
पंजाब के पटियाला शहर की रहने वाली वीरपाल कौर के जिस्म पर ये घाव किसी और ने नहीं बल्कि उसी के अपनों ने दिए हैं.. जिस शख्स को ये अपना भाई कहती .. वही इसकी जान का दुश्मन बन गया.. बहन की रक्षा करने के बजाए उसने इसकी हत्या करनी चाही.. इस जानलेवा हमले की वजह थी.. वीरपाल की शादी.. असल में वीरपाल पटियाला के गांव असंद में रहती थी.. पडोसी गांव के संदीप कक्कड नाम के लड़के से वीरपाल को प्यार हो गया.. दोनों ने महीने भर पहले ही प्यार को शादी के अंजाम तक भी पहुचाया.. शुरूआत में वीरपाल कौर के परिवार ने इस अंतर्रजातिय विवाह का विरोध किया लेकिन बाद में परिवार के लोगों ने इस शादी को स्वीकार कर लिया..लेकिन ये बात वीरपाल कौर के मौसेरे भाई को नागवार गुजरी..
वीरपाल के मुताबिक बुधवार को वो अपनी मौसी के घर गई हुई थी.. तभी उसका मौसेरे भाई अपने दो साथियों के साथ वहां पहुंचा.. उसने वीरपाल कौर को शादी के लिए खूब फटकार लगाई और तैश में आकर दो गोली फायर भी कर दीं ..गनीमत रही की गोली वीरपाल को छुते हुए निकल गई.. जानलेवा हमला करने के बाद वीरपाल मौके से फरार हो गया..
पुलिस के मुताबिक शादी के बाद वीरपाल का मौसेरा भाई वीरपाल और उसके पति संदीप को जान से मारने की धमकी दे रहा था... इसी डर से वो दोनों छिपते घूम रहे थे .. लेकिन जब परिवार ने दोनों की शादी स्वीकार कर ली उसके बाद वो दोनों घर आ गये .... लेकिन वीरपाल को इस बात का जरा भी अंदेशा न था कि उसके मौसरे भाई के दिल में उसे लेकर कोई साजिश पनप रही है... बहरहाल जब तक वीरपाल पर हमला करना वाला वो आरोपी पुलिस के शिकंजे में नहीं आ जाता तब तक मुमकिन है कि वीरपाल के चेहरे पर खौफ यूं ही बरकरार रहे...वहीं पुलिस का दावा है कि वो इस वारदात में शामिल तीनों आरोपियों को जल्द से जल्द गिरफ्तार कर लेगी....
वीरपाल ने अपने प्यार को शादी के अंजाम तक पहुंचाने की जुर्रत की तो उसे गोली मिली.. लेकिन इस वारदात ने ये साबित कर दिया है कि अगर परिवार किसी के प्यार को स्वीकार कर ले तो ये जरुरी नहीं कि समाज का भी नजरिया बदल जाये.. वीरपाल की दास्तां कुछ इसी और इशारा करती है.. हो सकता है कि परिवार की नजर में प्यार पाप ना हो लेकिन रिश्तेदार तो इसे अब भी पाप से कम मानने को तैयार नहीं..

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