23 सितंबर 2010

बेगुनाही की सजा-गाजियाबाद

जुर्म, तफ्तीश, सूबत और फिर गिरफ्त में गुनहागार..असल में जुर्म के किसी भी मामले में तहकीकात की ये वो कड़ियां हैं जिनके जुड़ते ही गुनहागार शिकंजे में होता है.. जाहिर है किसी भी मुलजिम को मुजरिम साबित करने के लिए.. पुलिस को सूबूतों की दरकार होती...लेकिन जरा उस शख्स के बारे में सोचिये जिसे जबरन ही सलाखों के पीछे पहुंचाया गया हो.....गाजियाबाद के रहने वाले इसरार को उस गुनाह की सजा मिली जो उसने कभी किया ही नहीं.. लेकिन कशमश देखिए की गाजियाबाद पुलिस ने इसरार से जुर्म भी कुबूल करा लिया.. आखिर गाजियाबाद पुलिस के पास जादु की वो कौन सी छडी है... जिसे घुमाते ही इसरार ने वो जुर्म कुबूल कर लिया..जो उसने किया ही नहीं.. असल में गाजियाबाद के विजय नगर में बीती 14 जुलाई को एक बुजुर्ग महिला और उसकी नातिन की हत्या हुई...हत्या के आरोप में पुलिस ने 17 जुलाई को इसरार को गिरफ्तार कर लिया ... पुलिस ने अदालत के सामने इसरार के खिलाफ सुबूत भी पेश किये जिसकी बिनाह पर उसे दो महीने की सजा भुगतनी पड़ी... लेकिन इस कहानी में अचानक एक ऐसा मोड़ आ गया कि आज खुद गाजियाबाद पुलिस के आलाधिकारी इसरार को बेकुसूर बता रहे है..इसरार बुजुर्ग संगीता और उसकी तीन साल की नातिन गुनगुन का कातिल नहीं है..बल्कि इस डबल मर्डर की वारदात को अंजाम दिया था..राकेश नाम के इस शख्स ने..पुलिस इस केस को जितना हल्के में लेकर चल रही थी..इसमें उससे कहीं ज्यादा पेंच निकले.. संगीता अपनी बेटी दिव्यांशी और नातिन गुनगुन के साथ विजयनगर में रहती थी.. दिव्यांशी की कई लड़कों से दोस्ती थी...उन लड़कों का दिव्यांशी के घर आना जाना भी था .. उन्हीं लोगों में इसरार और राकेश भी थे जो मौका मिलते ही दिव्यांशी के घर उससे मिलने पहुंचते.. लेकिन इसी बीच राकेश को दिव्यांशी से प्यार हो गया.... राकेश दिव्यांशी के घर की हर जरूरत पूरी करने लगा .... आलम ये हो गया कि वो अपनी सारी तनख्वाह दिव्यांशी के घर पर लूटा देने लगा... लेकिन इसी बीच राकेश को इसरार के बारे में पता चला जो दिव्यांशी के घर आता जाता था... राकेश को इसरार का वहां जाना नागवार गुजरा... ... जब इस बारे राकेश ने दिव्यांशी की मां संगीता से बातचीत की और एतराज जाहिर किया तो दोनों के बीच काफी कहासुनी होने लगी...
संगीता और राकेश के बीच कहासुनी काफी बढ गई...उसने दिव्यांशी को लेकर राकेश से ऐसी बातें कहीं जो उसपर नागवार गुजरीं.... राकेश ने तैश मे आकर मोबाइल चार्जर के तार से संगीता का गला घोंटकर उसकी हत्या कर दी.. लेकिन इस वारदात को गुनगुन ने होते देख लिया था... राकेश को लगा गुनगुन इस कत्ल का राज खोल देगी...लिहाजा उसने पकड़े जाने के डर से गुनगुन की भी गला घोंटकर हत्या कर दी.संगीता और गुनगुन की हत्या करने के बाद राकेश मौके से फरार हो गया.. जाते हुए वो संगीता का मोबाइल अपने साथ ले गया... यूपी पुलिस की तहकीकात का तरीका देखिये कि उसने संगीता और गुनगुन के कत्ल के आरोप में इसरार को गिरफ्तार कर लिया...
पुलिस इसरार को गिरफ्तार कर चैन से बैठी थी लेकिन दो महीने पहले वारदात को अंजाम देने के बाद जो मोबाइल राकेश लेकर फरार हुआ था उसी मोबाइल की बदौलत अब डबल मर्डर के इस केस में ऐसा मोड़ आया जिससे साबित हो गया कि इसरार बेगुनाह है जबकि असली कातिल राकेश है
बहरहाल पुलिस अब इस कार्रवाई में जुटी है कि इसरार को अदालत के आदेश पर गुनाह से बरी कराया जाये जबकि राकेश को उसके किये की सजा दिलाई जाये...लेकिन जिस तरह से इस केस में यूपी पुलिस ने बेगुनाह इसरार को दोषी बना दिया ... उसके लिए का कानून दोषी पुलिस वालों के खिलाफ भी कोई कार्रवाई करेगा... सवाल ये भी है कि क्यों और किन हालत में इसरार ने बेकसूर होते हुए भी जुर्म कबूल किया.. ये ऐसे कड़वे सवाल ह जिनका जवाब यूपी पुलिस के अधिकारियों के हलक से निकलते नहीं बन रहा..

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