29 दिसंबर 2011



मेरा पति बलात्कारी है!

मेरा पति जुल्मी है

मेरे पति ने किया
मेरा बलात्कार

वाकई इन बातों को सुनकर कोई भी हैरान रह जाये.. लेकिन ये कोरी अफवाह नहीं बल्कि हकीकत है.. मामला राजस्थान के जयपुर का है..पंकज अग्रवाल नाम के इस शख्स पर बलात्कार का आरोप लगा है.. हैरानी की बात तो ये की बलात्कार का आरोप लगाने वाली कोई और महिला नहीं बल्कि खुद इसकी पत्नी है.. जयपुर पुलिस ने महिला की शिकायत पर मामला दर्ज कर आरोपी पंकज को गिरफ्तार कर लिया है..लेकिन बलात्कार के इस केस के बारे में जिसने भी सुना बस हैरान रह गया कि आखिर एक महिला ने अपनी ही पति पर बलात्कार का आरोप क्यों लगाया..

जयपुर के महेश नगर थाना इलाके के रहने वाले पंकज की शादी फरवरी 2010 में हुई थी.. शादी के बाद सबकुछ ठीक ठाक था.. लेकिन बाद में पति-पत्नी के बीच अनबन रहने लगी..पीड़िता ने लिखित शिकायत में कहा है कि पंकज ने उसे अपने घर में जोर जबरदस्ती से रखा था..उसके साथ पंकज मारपीट करता था..इतना ही नहीं पंकज ने तलाक के पेपर तैयार कर जबरन अपनी बीवी के उसपर साइन कराने के बाद...कोर्ट में दाखिल कर दिये लेकिन फिर भी वो अपनी पत्नी के जिस्म से खेलता रहा ..हालांकि बाद में पंकज अपनी पत्नी को उसके मायके छोड़कर आ गया..इस संबंध में महिला ने अपने पति के खिलाफ महेश नगर थाने में बलात्कार का मामला दर्ज कराया दिया..

पुलिस ने बिना वक्त जाया किए आरोपी के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है..पुलिस ने पंकज को गिरफ्तार कर लिया है लेकिन उसके चेहरे पर शिकन तक नहीं है..लेकिन बीवी के लगाए गए बलात्कार के आरोपों के बारे में जानकर हर कोई हैरान है..

11 दिसंबर 2011

तफ्तीश-पत्नी और बेटी को भी ले डूबा चरित्रहीन पप्पू चौधरी



शायद उपर वाले ने बबली के उपर खास मेहरबानी की थी तभी चार बच्चों की मां होने के बावजूद वह बिल्कुल नवयौवना दिखती थी। शादी-शुदा पप्पू चैधरी, बबली के पति असलम का सबसे अच्छा दोस्त था। एक दिन पप्पू चैधरी, पत्नी और बिटिया के साथ अपने घर में मृत पड़ा मिला। उन तीनों का किसी ने बेरहमी पूर्वक कत्ल कर दिया था। जब पुलिस ने घटना की एक-एक कड़ी को जोड़ते हुए मामले का खुलासा किया, तो तिहरे हत्याकांड का मुख्य सूत्रधार असलम था। आखिर असलम ने ऐसा क्यों किया? और कैसे हुआ मामले का खुलासा? पूरी कहानी जानने के लिए पढि़ए यह खास रिपोर्ट।
तीन लाश मिली
उस दिन तारीख थी 4 अक्टूबर, 2011 और समय दोपहर के सवा दो बजे थे। हरियाणा के फरीदाबाद जिला स्थित एनआईटी थाने की पुलिस को सूचना मिली, ‘‘मकान नंबर एफ-139, एसजीएम नगर में तीन लाशें पड़ी हैं। शायद कत्ल का मामला है।’’ चुकि इलाका एनआईटी थाने के अधीन था अतः सूचना मिलते ही थानाध्यक्ष सब इंसपेक्टर अब्दुल शहीद दल-बल के साथ मौका ए वारदात के लिए रवाना हो गये जहां पहुंचने में उन्हें बामुश्किल 15 मिनट का वक्त लगा। तीनों लाश मकान के पीछे वाले कमरे में पड़ी थी जिनके गले में कपड़े का फंदा लगा हुआ था। साफ था कि उनकी हत्या गला दबाकर की गयी है। कमरे के सारे सामान यथावत पड़े थे इसलिए घटना का कारण लूटपाट है इससे पुलिस को इंकार था। लाश की शिनाख्त किराएदार 30 वर्षीय पप्पू चैधरी, उसकी पत्नी 28 वर्षीया शोभा चैधरी और साढ़े तीन वर्षीया बिटिया कोमल के रूप में हुई। फरीदाबाद शहर स्थित एक एक्सपोर्ट कंपनी में काम करने वाला पप्पू चैधरी मूल रूप से गांव ककराल, थाना खतौली, जिला मुजफ्फरनगर (उत्तरप्रदेश) का रहने वाला था। उसके परिवार में सिर्फ इकलौता लड़का ढ़ाई वर्षीय गोल्ड सही सलामत था। सबसे पहले लाशों पर नजर उस मकान में रहने वाली एक अन्य किराएदार मीना की गयी जब वह ड्यूटी से कमरे पर लौटी। उस समय गोल्ड बेहद तेज-तेज रो रहा था तो वह जिज्ञासावश पप्पू चैधरी के कमरे में पहुंची। लेकिन अंदर का दृश्य देखते ही उसके मुंह से जोर की चीख निकल गयी। पप्पू, शोभा और कोमल मृत अवस्था में थे। जबकि गोल्ड मां से चिपककर बेतहाशा रोए जा रहा था। मीना की चीख सुनकर पास-पड़ोस के कई लोग वहां आ पहुंचे। फिर उनमें से किसी ने फोन कर घटना की सूचना पुलिस को दी तो पुलिस मौके पर पहुंची थी। घटना का कोई चश्मदीद गवाह नहीं था। बहरहाल थानाध्यक्ष अब्दुल शहीद ने तीनों लाशें अपने कब्जे में लीं और घटनास्थल की सभी जरूरी औपचारिकतायें पूरी करने के बाद इस बाबत थाने में हत्या का मुकदमा अपराध संख्या 220/11 पर धारा 302 भादवि के तहत दर्ज कर लिया। तीनों शवों को पोस्टमार्टम के लिए मुर्दाघर भेज भेज दिया। फिर एक विशेष टीम का गठन कर पुलिस ने मामले की पड़ताल शुरू की।
वारदात में किसी जानकार का हाथ
जांच के दौरान पुलिस टीम इस निष्कर्ष पर पहुंची कि हत्यारे का मकसद सिर्फ हत्या करना था। वारदात में किसी परिचित के हाथ से पुलिस को इंकार नहीं था क्योंकि वारदात को दोस्ताना अंदाज में अंजाम दिया गया था। आसपास किसी को घटना की भनक तक नहीं लगी थी।
कैसे हुआ तिहरे हत्याकांड का खुलासा?
पुलिस टीम ने पप्पू चैधरी के मोबाइल फोन के पिछले छह माह की काल डिटेल निकलवाकर पड़ताल की तो एक मोबाइल नंबर पर पुलिस का ध्यान ठहर गया। संदिग्ध नंबर पर पप्पू चैधरी की रोजाना कई-कई बार लंबी बातें हुई थीं। पुलिस टीम ने संदिग्ध नंबर की लोकेशन और उसके धारक का पता किया तो वह नंबर पप्पू चैधरी के नाम था। जबकि उस फोन का लोकेशन दिल्ली के तुगलकाबाद इलाके का था। चूंकि उस फोन का रात्रि लोकेशन रोजाना तुगलकाबाद का था इसलिए पुलिस टीम इस नतीजे पर पहुंची कि संदिग्ध नंबर का धारक तुगलकाबाद इलाके में कहीं रहता है। फिर पुलिस टीम ने उन लोगों से पुछताछ की जिनके मोबाइल पर संदिग्ध नंबर से फोन आए और गये थे। पता चला कि संदिग्ध नंबर का इस्तमाल मकान नंबर 2853, गली नंबर 32, तुगलकाबाद एक्सटेंशन (दिल्ली) में रहने वाली 28 वर्षीया एक युवती बबली कर रही है। अब इस संभावना को बल मिला कि शायद प्रेम चैधरी और बबली के बीच अनैतिक संबंध रहे होंगे। फिर पुलिस टीम बबली के घर पहुंची। बबली मिली। पूछताछ में पता चला कि वह उस किराए के मकान में पति असलम और अपने चार बच्चों के साथ रहती थी। असलम का जीजा 27 वर्षीय सलमान भी उनके साथ रहता था। असलम और सलमान के बारे में बबली ने बताया कि दोनों 3 अक्टूबर को अजमेर शरीफ गये थे जहां से वे अब तक नहीं लौटे हैं। 30 वर्षीय असलम पुत्र खैराती गांव डडेला, थाना फैजगंज, जिला बदायूं (उत्तरप्रदेश) का रहने वाला था। जबकि सलमान पुत्र इस्लाम गांव जुलेहपुरा, थाना व जिला बुलंदशहर (उत्तरप्रदेश) का रहने वाला था। दोनों दिल्ली के ओखला इलाके में स्थित एक एक्सपोर्ट कंपनी में काम करते थे। इस जानकारी के बाद पुलिस टीम उस कंपनी में पहुंची जहां दोनों काम करते थे। वहां पता चला कि दोनों 3 अक्टूबर से ड्यूटी से गैरहाजिर हैं। जबकि उनके सहकर्मियों ने पूछताछ में बताया कि असलम ओखला इलाके में हुए एक युवक के कत्ल के आरोप में वर्ष 2006 में जेल गया था। सलमान के बारे में पता चला कि वह भी वर्ष 2008 में ओखला इलाके में हुए एक युवक के कत्ल के आरोप में जेल जा चुका है। यह पुलिस के लिए एक अहम सुराग था। संभव था कि बबली से नाजायज संबंध रखने की खुदंक में असलम ने सलमान के साथ मिलकर इस वारदात को अंजाम दिया हो। अब पुलिस टीम सावधानी पूर्वक उनकी तलाश में लग गयी।
हत्या में प्रेमिका का पति गिरफ्तार
सलमान 10 अक्टूबर की शाम करीब पांच बजे उस समय पुलिस टीम के हत्थे चढ़ गया जब वह बबली से मुलाकात कर घर से बाहर निकल रहा था। फिर थाने में लाकर उससे मनोवैज्ञानिक तरीके से पूछताछ की गयी तो वह जल्द टूट गया। बकौल सलमान वारदात में उसके अलावा असलम और शोएब शामिल थे। असलम के पड़ोस में रहने वाला 26 वर्षीय शोएब पुत्र शमीमुल्ला मूलतः शाहजहांपुर (उत्तरप्रदेश) का रहने वाला था और ओखला इलाके में एक एक्सपोर्ट कंपनी में काम करता था। वह सलमान का बहुत अच्छा दोस्त था। फिर पुलिस टीम ने सलमान की निशानदेही पर 11 अक्टूबर को तुगलकाबाद एक्सटेंशन इलाके से शोएब को गिरफ्तार कर लिया। जबकि असलम पुलिस के हाथ नहीं आया। शोएब ने सलमान से दोस्ती की वजह से वारदात में साथ उनका साथ दिया था।
हत्या की वजह
पप्पू चैधरी और बबली के बीच अबैध संबंध बन गये थे जिस पर असलम को एतराज था। असलम ने लोक-लाज का हवाला देते हुए बबली को काफी समझाया कि वह पप्पू चैधरी से दूरी बना ले। लेकिन बबली पर उसकी बातों का कोई असर नहीं पड़ा। उसका रिश्ता पप्पू चैधरी से पूर्ववत रहा। दरअसल वह पप्पू चैधरी की इतनी दीवानी थी कि उसकी खातिर वह पति का साथ भी छोड़ सकती थी। जब बबली की बेहयाई हद से पार हो गयी तो असलम का एक मन किया कि वह बबली की हत्या कर दे। लेकिन बच्चों के भविष्य के लिए उसने यह विचार त्याग दिया। दरअसल उसे लगा कि मां के बिना बच्चे अनाथ हो जाएंगे। फिर उसने असलम और शोएब के साथ मिलकर पप्पू चैधरी की हत्या का प्लान तैयार कर लिया।
कैसे दिया वारदात को अंजाम?
योजना के तहत 3 अक्टूबर, 2011 की रात करीब ग्यारह बजे असलम अपने साढ़ू सलमान और शोएब के साथ पप्पू चैधरी के घर पहुंचा। उसने पप्पू को बताया कि वे तीनों किसी काम से फरीदाबाद आए थे इसलिए मिलने चले आए। उस रात वे तीनों पप्पू के घर ठहर गये। असलम साथ में नशीली बर्फियों का एक डिब्बा ले गया था जिसमें से दो बर्फी उसने पप्पू को खिला दी। थोड़ी देर बाद जब नशे ने असर दिखाया तो पप्पू बिना खाना खाये सो गया। जबकि शोभा उन्हें व दोनों बच्चों को खाना खिलाने के बाद सो गयी। मध्य रात्रि में जब पप्पू उसकी पत्नी और दोनों बच्चों के साथ गहरी नींद में था तो उपयुक्त अवसर देखकर असलम ने सलमान और शोएब की मदद से कमरे में पड़ी तीन अलग-अलग चुन्नियों से पप्पू, शोभा और कोमल की गला घोंटकर हत्या कर दी। सबसे पहले शोभा को मारा। जबकि कोमल की हत्या अंत में की। गोल्ड की हत्या इसलिए नहीं की कि वह उन्हें नहीं पहचान सकता था। वारदात को अंजाम देने के बाद तीनो वहां से फरार हो गए थे।

सत्रह रूपये में पांच घंटे के लिए पुलिस इंस्पेक्टर उपलब्ध!


महंगाई की मार से जब आम जन त्राहि-त्राहि कर रहा है तब मांगे जाने की सूरत में पंजाब पुलिस मात्र सत्रह रूपये में अपने एक इंस्पेक्टर की सेवाएं पांच घंटों के लिए उपलब्ध करवाने तत्पर है। इस स्तर के अधिकारी से नीचे के रैंक के कर्मियों की सेवाएं तो और भी सस्ते दरों पर उपलब्ध हैं। और भी आश्चर्य की बात है कि पुलिस के लिए घोड़े की कीमत तीन हजार रूपये और ऊंट की मात्र अढ़ाई सौ रूपये ही है। और तो और चमचमाती गाडि़यों के इस युग में पुलिस ने साईकिल को भी अपनी सवारी घोषित किया है। यह किफायती जो है!
दुनिया बदल गई, पर पंजाब पुलिस अंग्रजों के समय में बनाए गए नियमों-कायदों में लिपटी बैठी है। दो-तीन साल पहले संशोधित पंजाब पुलिस रूल्स में पुलिस द्वारा प्रदत की जाने वाली सुरक्षा और उसकी आवा-जाही के लिए दरें तथा वाहनों का निर्धारण किया गया है। सवारी के लिए साईकिल के अलावा घोड़े तथा ऊंट का भी जिक्र है। जाहिर सी बात है कि कागजों पर पुलिस अपराधियों के पीछे अभी भी घोड़े को ऐड़ लगाती हुई और ऊंट हांकते हुए साईकिल के पैडलों पर जोर लगा रही है।
पंजाब पुलिस रूल्स के मुताबिक जन सेवाएं बहुत ही किफायती हैं। नियमों के मुताबिक अगर आपको सुरक्षा चाहिए तो आपको ऊंट या घुड़सवार यह साईकिल घसीटते हुए पुलिस वालों की सेवाएं हाजिर हैं। बस आपको इन वाहनों की कीमत के बराबर सुरक्षा राशि जमा करवानी होगी। यह राशि रिफंडेबल है। पुलिस की तरफ से यह तोहफा (!) आज से 89 वर्षों पूर्व इन वाहनों की तय कीमत पर उपलब्ध है। उस जमाने में घोड़ा तीन हजार और ऊंट मात्र अढ़ाई सौ रूपये में मिल जाता था। यह तो रही यातायात की बात और बात करते हैं पुलिस वालों द्वारा उपलब्ध करवाई गई सेवा के बदले वसूले जाने वाले शुल्क की। शादी, सामाजिक कार्यों अथावा खेल समारोहों व बैठकों आदि में सुरक्षा व्यवस्था बनाए रखने के लिए आयोजक पुलिस में आवेदन कर सकता है। अर्जी मंजूर हो जाने पर सुरक्षा मुहैया करवाई जाएगी लेकिन, इसके बदले में प्रार्थी से नकदी वसूल की जाएगी। इंस्पेक्टर रैंक के अधिकारी द्वारा की जाने वाली सुरक्षा के लिए आयोजक को दिन के समय पांच घंटों के लिए 17 रूपये और रात में चार घंटों के लिए इतनी ही राशि अदा करनी होगी। समयावधि बढ़ जाने पर पुलिस द्वारा वसूल किये जाने वाली राशि दोगुनी हो जाएगी। आईए, अब एक नजर इंस्पेक्टर रैंक से नीचे के अधिकारियों-कर्मचारियों की सेवाएं लेने वालों के द्वारा लिए जाने वाले चार्जेज पर भी एक नजर डाल लेते हैं। सब-इंस्पेक्टर के लिए दस रूपये, एएसआई के लिए आठ रूपये, हवलदार के लिए सात रूपये तथा सिपाही के लिए यह चार्ज छह रूपये निर्धारित है।
लकीर की फकीर पुलिस के कुछ अन्य नियम भी आऊट आॅफ डेटेड हो चुके हैं। पुलिस में भर्ती हो जाने के बाद जवानों को घोड़े, ऊंट तथा साईकिल उपलब्ध करवाने के प्रावधान विभाग नियमावली में हैं। जवानों को घोड़े के लिए तीन हजार और ऊंट के लिए अढ़ाई सौ रूपये बतौर सुरक्षा राशि जमा करवानी होती है। यह राशि रिफंडेबल है। साईकिल की कीमत का अंदाजा सुधि पाठक लगा लें। ज्ञात रहे कि पंजाब पुलिस नियमावली उत्तर भारत के अन्य राज्यों हिमाचल, दिल्ली तथा हरियाणा और केंद्र शासित चंडीगढ़ में लागू है।

19 नवंबर 2011

तफ्तीश-दिल्ली का डॉक्टर क्यों बना बीवी का कातिल




संपन्न और सुंस्कृत परिवार से ताल्लुक रखने वाले डॉक्टर चंद्र विभास और सुप्रिया तुषार की शादी एक-दूसरे की पसंद से हुई थी। दोनों चरित्र के धनी और काफी पढ़े-लिखे थे। चंद्र विभास दिल्ली के एक बड़े अस्पताल में सीनियर रेजीडेंट सर्जन था तो सुप्रिया ने इंजीनियरिंग और एमबीए का कोर्स कर रखा था। उन्हें न तो किसी चीज का अभाव था और ना किसी बात की परेशानी। लेकिन उनका साथ मात्र दस माह रहा क्योंकि सुप्रिया का कत्ल हो गया। जब कत्ल का खुलासा हुआ तो हत्यारा कोई और नहीं चंद्र विभास ही था। आखिर चंद्र विभास ने ऐसा क्यों किया? और वह कैसे चढ़ा पुलिस के हत्थे? पूरी कहानी जानने के लिए घटना के अतीत में जाना होगा।
पारिवारिक पृष्ठभूमि
एलआईसी कॉलोनी, दुमका, जिला दुमका (झारखंड) में सपरिवार रहने वाले देवेन्द्र प्रसाद झारखंड बिजली बोर्ड में असिस्टेंट इंजीनियर थे। सुप्रिया उनकी इकलौती संतान थी। उसने बीएसी तक पढ़ाई दुमका से की। फिर उसने जयपुर से बीटेक करने के बाद बंगलौर के एक नामचीन संस्थान से एमबीए का कोर्स किया। जबकि, देवघर (झारखंड) के रहने वाले चंद्र विभास के पिता वीपी साहा झारखंड बिजली बोर्ड में अधीक्षण अभियंता के पद से हाल ही में सेवानिवृत्त हुए थे। वीपी साहा की चार संतानों तीन लड़के और एक लड़की में चंद्र विभास दूसरे नंबर पर था। उसने कलकत्ता मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस फिर असम मेडिकल कलेज, डिब्रुगढ़ से वर्ष 2009 में एमएस (मास्टर ऑफ सर्जन) किया था। फिलहाल वह जुलाई, 2010 से दिल्ली नगर निगम के अधीन संचालित दीन दयाल उपाध्याय अस्पताल में सीनियर रेजीडेंट डॉक्टर के पद पर कार्यरत था।
पसंद से शादी
सुप्रिया और चंद्र विभास की शादी उन दोनों की पसंद से 22 नवंबर, 2010 को बड़ी धूमधाम से दुमका में हुई थी। देवेन्द्र प्रसाद ने शादी में सार्मथ्य से अधिक खर्च किया था। उन्होंने भरपूर दान-दहेज देने के अलावा विदाई के समय नव दम्पत्ति को सफेद कलर की एक आई-20 कार भी भेंट की जिसका नंबर यूपी-16 एबी-4351 था। शादी में मध्यस्थ की भूमिका दुमका शहर में रहने वाले चंद्र विभास के एक रिश्तेदार ने निभाई जो देवेन्द्र प्रसाद के अच्छे जानकार थे। शादी के कुछ दिन बाद ही चंद्र विभाष अपनी पत्नी सुप्रिया को अपने साथ दिल्ली ले आया था। दोनों किराये के मकान नंबर ए-24(प्रथम तल), हरिनगर, दिल्ली में रहते थे। मकान अनिल जैन का था जो पड़ोस में ही सपरिवार रह रहे थे।
रिश्ते में खटास
दिल्ली आने के कुछ दिन बाद ही सुप्रिया के प्रति चंद्र विभास के व्यवहार में अचानक बदलाव आ गया। अब उसे सुप्रिया पसंद नहीं थी। वह बात-बात पर सुप्रिया को ताना देता कि मैं तुमसे शादी कर फंस गया। तुम मेरे से शादी लायक नहीं थी। उसके अलावा वह सुप्रिया को नौकरी करने देने के पक्ष में भी नहीं था। उसका कहना था कि उसके घर की रिवाज नहीं है कि घर की महिला बाहर जाकर नौकरी करे। जबकि सुप्रिया इतनी पढ़ाई के बाद घर बैठकर अपनी डिग्रियां बेकार नहीं करना चाहती थी। नतीजन दोनों में मन-मुटाव शुरू हो गया। फिर चंद्र विभास ने सुप्रिया को तंग करना और उसके साथ मार-पीट करना शुरू कर दिया। सारी बात सुप्रिया टेलीफोन के माध्यम से अपने माता-पिता और परिवार के अन्य सदस्यों को बताती रहती थी। दोनों की गृहस्थी ठीक तरह से चले इसलिए सुप्रिया के माता-पिता ने चंद्र विभास को समझाने का प्रयास किया लेकिन, उसके व्यवहार में कोई बदलाव नहीं आया। सुप्रिया के प्रति उसका नजरिया पूर्ववत रहा। उसने शादी के मात्र दो माह बाद ही 6 फरवरी, 2011 को सुप्रिया को मारपीट कर घर से निकाल दिया सुप्रिया विवश होकर मायके आ गई। सुप्रिया के माता-पिता के काफी अनुनय-विनय के बाद भी चंद्र विभास उसे लेने नहीं आया। फिर दोनों के रिश्तेदारों ने पहल कर उनकी सुलह करावाई। उसके बाद 10 जुलाई, 2011 को चंद्र विभास सुप्रिया को दिल्ली ले आया। इस बार सुप्रिया अपनी सारी डिग्रियां और लैपटाॅप मायके में ही छोड़ आयी थी, ताकि घर में क्लेश न हो। लेकिन जिस दिन वह दिल्ली आई उसी दिन किसी बात पर चंद्र विभास ने उसकी पिटाई कर दी। वह अब हमेशा सुप्रिया को जलील करने लगा था। सुप्रिया ने अपनी परेशानी माता-पिता को बतायी तो उसके पिता देवेन्द्र प्रसाद 20 जुलाई को दिल्ली आए। उन्होंने चंद्र विभास से याचना की कि वह उनकी बिटिया को परेशान न करे और दोनों को समझा-बुझाकर वे पुनः दुमका लौट गये।
माता-पिता से सुप्रिया का संपर्क टूटा
सुप्रिया रोजाना फोन कर मायके वालों को अपनी खैरियत की जानकारी देती रहती थी। 23 सितंबर की दोपहर करीब ढाई बजे उससे फोन पर अंतिम बार मां निमाषा प्रसाद की बातचीत हुई तब सुप्रिया ने मां को बताया था कि चंद्र विभास उसके साथ मारपीट कर रहा है। उसके बाद सुप्रिया का कोई फोन मायके वालों के पास नहीं आया। ऐसे में उसके माता-पिता की चिंता जायज थी। उन्होंने कई बार सुप्रिया के मोबाइल पर फोन कर उससे संपर्क करने की कोशिश की लेकिन हर बार उसका मोबाइल फोन बंद मिला। जबकि चंद्र विभास को फोन करने पर वह किसी न किसी बहाने सुप्रिया से बातचीत कराने में टाल-मटोल कर रहा था।
हत्या की जानकारी मिली
देवेन्द्र प्रसाद किसी अनहोनी की आशंका से 25 सितंबर की शाम करीब आठ बजे दिल्ली पहुंचे। वे चंद्र विभास के कमरे पर पहुंचे तो वहां ताला लगा मिला। जबकि उन्हें पड़ोसियों और मकान मालिक से पूछताछ में पता चला कि 23 सितंबर की दोपहर करीब दो बजे गली में सुप्रिया और चंद्र विभास के बीच झगड़ा हुआ था। उसके बाद सुप्रिया किसी को दिखायी नहीं दी थी। अलबत्ता यह जानकारी मिली कि चंद्र विभास उस दिन के बाद उस शाम करीब सात बजे कमरे पर दिखायी दिया था। इतना पता चलने पर देवेन्द्र प्रसाद ने अपने स्तर से चंद्र विभास की काफी तलाश की पर वह उन्हें रात्रि दो बजे तक नहीं मिला। चुकि उसका मोबाइल सुबह से बंद था, इसलिए फोन पर भी उससे संपर्क नहीं हो सका। फिर देवेन्द्र प्रसाद अजन्ता गेस्ट हाउस आ गये जहां वे रात को रुके। अगले दिन सुबह देवेन्द्र प्रसाद जब चंद्र विभाष के कमरे में पहुंचे तो वह उन्हे मिल गया। जबकि सुप्रिया मौजूद नहीं थी। उसके बारे में पूछने पर चंद्र विभाष ने बताया कि वह बीती शाम उससे झगड़ा कर कहीं चली गयी। बकौल चंद्र विभाष उसने सुप्रिया को ढ़ूढ़ने की काफी कोशिश की पर वह उसे नहीं मिली थी। लेकिन चंद्र विभास की यह बात देवेन्द्र प्रसाद को हजम नहीं हुई। उन्हें लगा कि उनकी बिटिया के साथ जरूर कोई अनहोनी घटना घटी है जिसे चंद्र विभास छिपा रहा है। फिर उन्होंने समझदारी से काम लेते हुए चंद्र विभास को विश्वास में लिया, ‘‘बेटा! यदि अनजाने में तुमसे कोई गलती हो गयी हो तो मुझे साफ बता दो। भरोसा रखो, मैं तुम्हें माफ कर दूंगा।’’ देवेन्द्र प्रसाद ने सहानभूति का महलम लगाया, ‘‘आखिर तुम मेरे बेटे हो। कोई भी बाप अपने बेटे का अनिष्ट नहीं चाहेगा।’’ इतना सुनते ही चंद्र विभाष की आंखें भर आयी, ‘‘पापाजी, मुझे माफ कर दो। मेरे से बहुत बड़ी गलती हो गयी। मैने सुप्रिया को...।’’ उसने वाक्य पूरा नहीं किया और फफक-फफक कर रो पड़ा। देवेन्द्र प्रसाद के दिल की धड़कन बढ़ गयी, ‘‘कहां है सुप्रिया?’’ उन्होंने घबराहट भरे स्वर में पूछा, ‘‘वह सही सलामत तो है?’’ चंद्र विभाष खामोश रहा। देवेन्द्र प्रसाद ने सवाल कई बार दोहराया, पर चंद्र विभास ने कोई जवाब नहीं दिया। वह बेतहाशा रोये जा रहा था। फिर देवेन्द्र प्रसाद को समझते देरी नहीं लगी कि सुप्रिया के साथ जरूर कोई अनहोनी घटना घट चुकी है। अब उनका धैर्य जवाब दे गया था, ‘‘तुमने सुिप्रया को मार डाला?’’ उन्होंने सख्त तेवर में चंद्र विभाष के चेहरे की तरफ देखा, ‘‘तुम खामोश क्यों हो?’’ उनकी आंखें भर आई, ‘‘मेरे सवाल का जवाब दो?’’ तो चंद्र विभाष ने रोते हुए हौले से कहा, ‘‘पापाजी, अब सुप्रिया इस दुनिया में नहीं है। मेरे से अनजाने में गलती हो गयी...मुझे माफ कर दो।’’ इतना सुनते ही देवेन्द्र प्रसाद कुछ पल के लिए बिल्कुल जड़वत हो गये। फिर रुद्व गले से बोले, ‘‘तुमने बहुत गलत किया। आखिर तुमने ऐसा क्यों किया?...।’’ और वह उसी समय हरिनगर थाने के लिए निकल गये।
कत्ल में पति गिरफ्तार
देवेन्द्र प्रसाद ने हरीनगर थाने के इंसपेक्टर (तफ्तीश) हरपाल सिंह को पूरी बात बताई तो इंसपेक्टर सिंह उसी समय दल-बल के साथ चंद्र विभास के घर के लिए रवाना हो गए जहां पहुंचने में उन्हें बमुश्किल पंद्रह मिनट का वक्त लगा। लेकिल चंद्र विभास घर से फरार मिला। तो पुलिस ने उसके मोबाइल फोन को सर्विलांस पर लगा दिया। फिर पुलिस ने मोबाइल फोन की लोकेशन की मदद से उसे उसी शाम उसे हरिनगर इलाके से गिरफ्तार कर लिया। थाने में लाकर जब उससे मनोवैज्ञानिक तरीके से पूछताछ की गई तो उसने सुप्रिया की हत्या की बात कबूल कर ली। बकौल चद्र विभास उसने सुप्रिया की हत्या कर उसका शव इलाहाबाद के पास फेंक दिया था।
क्यों किया कत्ल?
चंद्र विभास ने सुप्रिया से मनमुटाव के तीन मुख्य कारण बताये। पहला, सुप्रिया शारीरीक संबंध बनाना नहीं चाहती थी। जब चंद्र विभास जबरदस्ती संबंध बनाने की कोशिश करता, तो वह उसे बलात्कार के मुकदमें मे फंसा देने की धमकी देती। उसने शादी के दस माह में मात्र तीन बार संबंध बनाये थे वह भी चंद्र विभास के काफी अनुनय-विनय के बाद। दूसरा, वह घर के काम-काज में कन्नी काटती थी। उसका कहना था कि वह तीसरी कक्षा से छात्रावास में रही है इसलिए उससे घर का काम-काज नहीं हो सकता। और तीसरा यह कि जब एक बार दोनों के बीच झगड़ा हुआ तो सुप्रिया ने चंद्र विभास को पकड़वाने के लिए पुलिस को बुला लिया था। बकौल चंद्र विभास इन्हीं कारणों से 23 सितंबर की रात करीब साढ़े नौ बजे उसका सुप्रिया के साथ झगड़ा हुआ तो सुप्रिया ने उसे तमाचा जड़ दिया। फिर उसका गुस्सा नियंत्रण में नहीं रहा और उसने सुप्रिया का सिर फर्श पर दे मारा। सुप्रिया बेहोश हो गयी। उसके बाद उसने चुन्नी से गला घोंटकर उसकी हत्या कर दी थी। चंद्र विभास ने बताया कि उसने सुप्रिया का शव उसी कार में डालकर इलाहाबाद जिले के हांडिया में एक फ्लाईओवर के नीचे फंेक दिया था जो कार सुप्रिया के पिता ने उसे भेंट की थी।
सुप्रिया का शव बरामद
पुलिस चंद्र विभास को साथ लेकर हांडिया पहुंची और उस जगह की निशानदेही की जहां चंद्र विभास ने सुप्रिया का शव फंेका था। वहां लाश नहीं मिली। फिर पुलिस ने इस बाबत हांडिया थाने के थानाध्यक्ष ए के निगम से संपर्क किया तो पता चला कि उन्हें उस जगह 25 सितंबर की सुबह एक महिला की लाश मिली थी जिसकी शिनाख्त नहीं होने पर उन्होंने उसका शव पहचान के लिए स्थानीय मुर्दाघर में सुरक्षित रखवा दिया था। इस जानकारी के बाद वह शव देवेन्द्र प्रसाद को दिखाया गया तो उन्होंने उक्त लाश की शिनाख्त सुप्रिया के रूप में कर दी। पुलिस को दिए चंद्र विभास के बयानों पर विश्वास करें तो सुप्रिया का चरित्र पति नहीं निबाहने वाली पत्नी के रूप में सामने आता हैं। खूब पढ़े-लिखे होने के बावजूद दोनों वैवाहिक संबंधों को निबाहने में कामयाब नहीं रहे।

11 अगस्त 2011

तीन दुकानों के ताले टूटे, पत्रकार का लैपटॉप, कैमरा चोरी

नरेला थाना इलाके में चोरों ने एक ही रात में तीन दुकानों के ताले तोड़कर हजारों रूपये के माल और नकदी पर हाथ साफ कर दिया। वारदात पुलिस कालोनी के सामने स्थित एक प्लाजा में हुई। एक अन्य मामले में अज्ञात बदमाश एक पत्रकार की कार का शीशा तोडकर लैपटॉप, कैमरा तथा टाटा फोटोन और कैसेट्स आदि उड़ा ले गए। वारदात दिन में करीब ग्यारह बजे अति व्यस्त नरेला टर्मिनल पर हुई।

जानकारी के मुताबिक पॉकेट-9, सेक्टर ए-5, नरेला उपनगर स्थित एक प्लाजा की तीन दुकानों पर रात में सेंधमारों ने धावा बोल दिया। दुकानों के शटर तोड़कर सेंधमार हजारों रूपये नकद तथा मोबाईल फोन और कंप्यूटर आदि उड़ा ले गए। सेंधमारी का पता गुरूवार सुबह चला जब किसी व्यक्ति ने दुकानदारों को उनकी दुकानों के शटर टूटे होने की सूचना दी। जिन दुकानों को सेंधमारों ने निशाना बनाया वे पुलिस कालोनी के सामने बनी हुई हैं।

एक अन्य वारदात नरेला बस टर्मिनल पर हुई। जिसमें अज्ञात चोर एक समाचार चैनल के रिपोर्टर राजेश खत्री की कार का शीशा तोड़कर उसमें रखा लैपटॉप तथा कैमरा आदि निकाल ले गए। कार मालिक गाड़ी को अपने भाई की दुकान के सामने खड़ी करके एटीएम से पैसा निकलवाने के लिए गया। दस मिनट बाद जब खत्री वापस आया तो उसे वारदात की जानकारी मिली। मामलों की पुलिस द्वारा जांच की जा रही है।

डीसीपी को मिठाई परोसना पड़ा महंगा, एसएचओ लाईन हाजिर

नरेला, नई दिल्ली।। दौरे पर आए डीसीपी की आवभगत करना नरेला थाना प्रभारी को महंगा पड़ गया। उसे तुरंत प्रभाव से लाईन हाजिर कर दिया गया। विभागीय कार्रवाई की अन्य वजहें जनता के प्रति थाना पुलिस का गैर जिम्मेदाराना रवैया और कार्य में अनियमितताएं बताई गई हैं। उपायुक्त ने थाना प्रभारी के निलंबन की पुष्टि की है।

जानकारी के मुताबिक बाहरी जिला पुलिस उपायुक्त भोलानाथ जायसवाल नरेला थाना के औचक निरीक्षण पर आए थे। उनके थाने में आने के जरा देर बाद ही स्थानीय पुलिस ने इलाके के एक मशहूर हलवाई की मिठाईयों आदि से उनकी सेवा करनी शुरू कर दी। आवभगत मामले में पुलिस की तत्परता देखकर उपायुक्त आग-बबूला हो गए और उन्होनें थाने का रिकॉर्ड चेक करना शुरू कर दिया। हत्या तथा लूट आदि के कई मामलों में प्रगति ना देख उन्होनें इलाके के घोषित अपराधियों के संबंधी में जानकारी मांगनी शुरू कर दी। इस मामले में भी थाना प्रभारी से जवाब देते ना बना। इस पर सख्त कदम उठाते हुए डीसीपी ने थाना प्रभारी सतीश दहिया को तुरंत प्रभाव से लाईन हाजिर कर दिया। उल्लेखनीय है कि गत माह डीसीपी के जनता दरबार के दौरान थाना पुलिस की कार्यप्रणाली से नाराज डीसीपी ने अपने मोबाईल फोन का नंबर लोगों को नोट करवाकर सीधे शिकायत करने को कह दिया था।

22 जुलाई 2011

आतंक के मासूम हथियार

ये खबर दुनिया भर के मां-बाप के माथे पर शिकन ला सकती है..हर मां-बाप को परेशान कर सकती हैं..क्योंकि उनके बच्चों पर अब आतंकियों की नजर पड़ चुकी है..आतंकी अब बच्चों को जेहाद के नाम पर उकसाने की साजिश रच रहे हैं..इसके लिए अल-कायदा ने हथियार बनाया है कार्टून फिल्म्स को..जी हां..अल-कायदा एनिमेटिड कार्टून फिल्मों के जरिए मासूम बच्चों के दिलो दिमाग में आतंक भरना चाहता है..अल-कायदा चाहता है कि बच्चों को आतंक की फिल्म दिखाकर उनके दिमाग को अपने काबू में किया जा सके..अलकायदा के आतंकियों को बखूबी मालूम है कि कार्टून फिल्म मासूम बच्चों के दिलो दिमाग पर किस कदर छा जाती हैं..बस इसी बात का फायदा अलकायदा उठाना चाहता है..इसके लिए अल-कायदा ने एक एनिमेटिड फिल्म तैयार कराई है.. इस फिल्म में दिखाया गया है कि कैसे मासूम बच्चें जेहाद के नाम पर खून बहा सकते हैं..वो कैसे ट्रेनिंग लेकर कत्लेआम मचा सकते हैं..इस फिल्म को अबु अल लैथ एल येमन ने तैयार किया है...इतना ही नहीं अलकायदा ने अपनी जेहाद नाम से जारी एक वेबसाइट पर आतंक फैलाने की खातिर बच्चों के लिए तैयार की गई फिल्म का जिक्र किया है..और साफ लफ्जों में लिखा है कि बच्चों को अपने संगठन में भर्ती करने के लिए ऐसा किया गया है..वेबसाइट पर कुछ तस्वीरें भी जारी कि गई हैं..अलकायदा अच्छी तरह जानता है कि बच्चों को दिलो दिमाग में जेहाद की बात भरकर वो आतंक में उनका इस्तेमाल कर सकता है..और दुनिया के विभिन्न हिस्सों में धमाके करा सकता है..वेबसाइट पर अरबी भाषा में कुछ निर्देश भी दिए गए हैं..मंसूबा खौफनाक है..और लादेन की मौत के बाद अलकायदा पहले ही बौखलाया हुआ है..लिहाजा अल-कायदा किसी भी सूरत में दुनिया को दहलाना चाहता है..

14 जुलाई 2011

हाईप्रोफाइल सेक्स रैकेट का भंडाफोड़


दिल्ली पुलिस ने बुधवार को राजधानी में चले रहे जिस सेक्‍स रैकेट का पर्दाफाश किया है वह अबतक का सबसे हाई प्रोफाइल और सबसे बड़ा सेक्‍स रैकेट है। दिल्‍ली पुलिस ने बुधवार को मुखबिर की सहायता से देह व्‍यापार में लिप्‍त पांच लड़कियों सहित सात लोगों को गिरफ्तार किया है जिसमें दो दलाल भी शामिल हैं। पुलिस ने गिरोह के पास से ऑडी कार बरामद की है। कॉल गर्ल्स महंगी ऑडी कार में चलती थीं और हाईप्रोफाइल ग्राहकों को फांसती थीं। खास बात ये है कि इस गिरोह ने दक्षिणी दिल्ली के ही महरौली इलाके में चार लक्जरी फ्लैट खरीद रखे थे और पूरा रैकेट वहीं से चलाया जाता था। पकड़े गए दो दलाल कॉलगर्ल्स रैकेट चलाने वाली मशहूर सोनू पंजाबन के चचेरे भाई है। पकड़ी गई लड़कियों में से एक मुंबई की रहने वाली है।
दिल्‍ली पुलिस के हत्‍थे चढ़ी हाईप्रोफाइल सेक्स रैकेट की सरगना नगमा खान दुबई की रहने वाली है। ऐसा माना जा रहा है कि पूर्व में गिरफ्तार हुई अबतक की सबसे बड़ी सेक्‍स सरगना सोनू पंजाबन ने अपनी कमान नगमा को सौंप दी थी। पूरे मामले में खास बात यह है कि सोनू के बाद नगम ने जब कमान सौंपा तो उसने इस धंधे को ऑर्गेनाइज्‍ड कर दिया और एक कॉरपोरेट की तरह इसे चलाने लगी। नगमा लड़कियों के बदले ग्राहकों से एक रात के 15 से 50 हजार रुपये तक वसूलती थी।
ग्राहकों द्वारा दिए गये रकम में कॉलगर्ल्‍स का कोई हिस्‍सा नहीं होता था बल्कि नगमा उन्‍हें सैलरी देती थी। आप सुनकर शायद चौक जाएं कि नगमा लड़कियों को उनकी प्रोफाइल के अनुसार 1 लाख से 1.5 लाख रुपये तक सैलरी देती थी। नगमा उन लड़कियों को ज्‍यादा पैसे देती थी जो मुंबई, पूणे, गोवा, और बैंगलोर आकर ग्राहकों को खुश करती थी। पुलिस को शक है कि इस गिरोह में कई और बड़े नाम भी शामिल हो सकते हैं। फिलहाल इनका नेटवर्क खंगाला जा रहा है।
पूछताछ में पुलिस को इस बात का भी पता चला कि नगमा ने कॉलगर्ल्‍स की एक कैटगरी बाट रखी थी। नगमा ने लड़कियों को तीन श्रेणी 1 एक्‍स, 2 एक्‍स और 3 एक्‍स ग्रेड दिया हुआ था। 1 एक्‍स वाली कॉलगर्ल्‍स की कीमत सबसे कम (5 से 10 हजार रुपये) होती थी और वह गरीब परिवार और बैकवर्ड जगहों से संबंध रखती थी। 2 एक्‍स की श्रेणी में उसने मध्‍यमवर्गीय कॉलेज स्‍टूडेंट्स को रखा था जिसकी एक रात की कीमत 15 हजार रुपये थे। नगमा ने 3 एक्‍स श्रेणी में जिन युवतियों को रखा था उनकी कीमत 50 हजार से 75 हजार रुपये थी और मुबई की मॉडल थी।
नगमा उन्‍हें पांच सितारा होटलों और रेव पार्टियों में भी लड़कियों की सप्लाई करती थी। नगमा ने ग्राहकों के लिए बकायदा पैकेज बनाए हुए थे। मसलन एक लाख में एक हफ्ते के लिए छुट्टियों का पैकेज। गिरोह के तार दिल्ली-मुंबई व लखनऊ तक फैले हैं। वह हर दो माह में अपना ठिकाना बदलती थी। वह खुद ऑडी कार से चलती थी। उसके पास ए-4 सीरीज की कई लग्जरी कारें हैं। वह हर बार नया साल विदेशों में मनाने जाती है।
पुलिस के मुताबिक इस सेक्स रैकेट में दिल्ली की कुख्यात सेक्स रैकेट सरगना सोनू पंजाबन के दो चचेरे भाई भी गिरप्तार किए गए हैं। खुद पकड़ी गई लड़कियां भी चिल्ला चिल्ला कर कैमरे पर सोनू पंजाबन का नाम ले रही हैं। तो क्या जेल में बंद सोनू पंजाबन का भी इस सेक्स रैकेट से कुछ लेना देना है या फिर उसके भाई अब सोनू का धंधे को देख रहे हैं।
सूत्रों की माने तो इस रैकेट की सरगना नगमा असल में दिल्ली में सोनू पंजाबन के लिए ही काम कर रही है। मकोका एक्ट जेल में बैठी सोनू पंजाबन ने गिरफ्तारी के बाद नगमा को अपनी कमान सौंपी। जानकारी के मुताबिक सोनू पंजाबन के हाई प्रोफाइल ग्राहकों से सोनू के जरिए नगमा ने संपर्क साधा। सोनू नगमा को सेक्स रैकेट चलाने में अपनी एक्सपर्टीज के जरिए मदद करती है।

29 जून 2011

जयपुर में सेक्स रैकेट का खुलासा


इज्जत बिकाऊ नहीं होती.. इज्जत की खातिर लोग जान तक दे डालते हैं.. लेकिन 21वीं सदी का चेहरा देखिए.. यहां तो कुछ लोग अपने ही हाथों अपनी ही इज्जत का ही मोल भाव कर रहे हैं.. जवानी की दहलीज पर युवाओं के कदम पैसों की खातिर ऐसे बहकते हैं कि वो अपनी जिंदगी ही तबाह कर डालते हैं..जयपुर पुलिस ने दिल्ली की रहने वाली चार लड़कियों को गिरफ्तार किया है..जयपुर पुलिस ने लड़कियों को जिस्मफरोशी के आरोप में गिरफ्तार किया..लड़कियों के साथ पुलिस ने एक दलाल और एक होटल मैनेजर को भी अपने शिंकजे में लिया हैं..
जयपुर पुलिस को मुखबिर से खबर मिली थी कि सदर थाना इलाके के वैष्णवी होटल में जिस्मफरोशी हो रही है ..जिसके बाद पुलिस का एक जवान फर्जी ग्राहक बनकर होटल में दाखिल हुआ..होटल में दलालों से बातचीत के बाद अय्याशी के लिए लड़की मुहैया कराने की बात तय हो गई..जिसके बाद पुलिस ने होटल पर छापा मारकर चार लड़कियों समेत छह आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया..पुलिस के मुताबिक दलालों ने लड़कियों को 60 से 70 हजार रूपये महीना तनख्वाह पर रखा था..और इन्हें बड़े-बड़े होटल और फॉर्महाउस में रईसजादों की रात रंगीन करने के लिए सप्लाई करते थे..
जिस्म और हुस्न के दलालों ने अब बड़े शहरों के साथ-साथ छोटे शहरों में भी अपने पैर पसार लिए हैं..और लाखों के वारे न्यारे कर रहे हैं..जयपुर में सेक्स रैकेट का खुलासा होने के बाद अब पुलिस अलर्ट हो गई है..पुलिस अब ये पता लगाने में जुटी है कि आखिर इस गिरोह के तार आखिर कहां-कहां तक जुड़े हैं..और इस गिरोह में कौन लोग शामिल हैं..

21 मई 2011

अखबार की कद्र नहीं, खुद को पत्रकार बताती है..


21 मई 2011 शनिवार की सुबह तपती गर्मी से कुछ राहत देने वाली थी। कुछ देर की धुल भरी आंधी के बाद हल्की बारिश ने मौसम को सुहाना बना दिया था। हर दिन की तरह मैं दोपहर करीब एक बजे अपने दफ्तर पहुंचा। आपको बता दूं कि मैं एक पत्रकार हूं। मौसम सुहाना था लिहाजा काम शुरू करने से पहले मन किया कि चाय की चुस्की का लुत्फ क्यों ना लिया जाए। अक्सर बाकी काम के दिनों में लंच के वक्त ही चाय पीने का मौका करीब 4 से 5 बजे के बीच ही मिलता है। लेकिन शनिवार होने की वजह से काम का बोझ थोड़ा हल्का भी था। चाय पीने के लिए मैं अपनी टीम के एक सहयोगी के साथ दफ्तर के बाहर चाय वाले के पास जा धमका। चाय वाले के सामने एक अच्छी खासी जगह है जहां बैठकर दो चार मिनट पत्रकारगण बतिया लेते हैं। वहीं पर हम भी जा पहुंचे। सामने ऑफिस के ही कुछ मित्र भी मौजूद थे। उनमें एक महिला पत्रकार भी थी (अभी नई हैं लेकिन ख्वाब उंचे पाल रखें है) साथ ही अनुभव के मामले में भी मुझसे कुछ कम ही है। दिन की शुरूआत हुई थी लिहाजा मित्रों से हाथ मिलाया और एक दूसरे का हाल-चाल भी लिया। अचानक मेरी निगाह महिला पत्रकार पर पड़ी जोकि खुद को धुल मिट्टी से बचाने के लिए एक समाचार पत्र को बिछोना बनाकर बैठी थी। एक पत्रकार होने के नाते मुझे थोड़ा अजीब लगा। और अचानक मेरे मुंह से निकल पड़ा मित्र आपने ये क्या कर रखा है। समाचार पत्र हमारी रोजी रोटी है, हमें अपनी कलम को इस तरह शर्मसार नहीं करना चाहिए। जिस पत्र के साथ हमारे दिन की शुरूआत होती है। जिसके सहारे हम जिंदगी के ढेरों ख्वाब संजोए हुए हैं। उसकी बेकद्री न कीजिए। मुझे पूरी उम्मीद थी कि इस नवेली पत्रकार पर जरूर कुछ असर होगा और वो अपनी इस हरकत के लिए शर्मिंदगी महसूस करेगी। लेकिन अफसोस की मेरी सोच..मेरा विचार गलत था। क्योंकि हुआ इससे बिल्कुल उलट। इस पत्रकार मित्र ने ये कहकर और भी चौंका दिया कि वो दफ्तर से इस पेपर को महज इसलिए लेकर आई थी ताकि इसे अपना बिछौना बना सके। मैं ये सब सुनकर भौंचक्का रह गया। आगे कुछ बोलता या फिर वहां मौजूद कोई मित्र प्रतिक्रिया देता। उससे पहले ही मैडम ने जवाब दिया, कि अगर ये सब आप नहीं देख सकते तो अपनी नजरें क्यों नहीं फेर लेते। ज्यादा ही परेशानी है तो फिर कहीं और जाकर बैठ जाएं। बस फिर क्या था, बिना वक्त गंवाए मैं अपने सहयोगी के साथ दूसरे कोने में जाकर बैठ गया और कुछ देर में चाय वाला चाय लेकर आ गया। चाय की चुस्की के साथ बुदबुदाते हुए। दफ्तर वापस आ गया। मुझे लगा कि उस मुद्दे पर किसी के साथ चर्चा करने से बेहतर है कि मैं अपनी सारी कहानी कलम के सहारे उकेर दूं। और मैने वही किया। एक पत्रकार होने के नाते मेरे अब तक के अनुभव और कार्यकाल का ये दिन शायद सबसे दुखद था। जब एक मोहतरमा ओछी सोच के साथ एक सफल और जुझारू पत्रकार बनने का सपना देखती है। कुछ लोग इसे नॉर्मल बात भी समझ सकते हैं..लेकिन जिसकी आत्मा तक में पत्रकारिता बसती हो भला कैसे बर्दाश्त कर सकता है। कहने और करने के लिए तो मैं इस मुद्दे को हवा भी दे सकता था। लेकिन ये सब मेरी फितरत में नहीं है।

14 मई 2011

धार्मिक स्थलों से बाइक चुराने वाले दो गिरफ्तार

पटियाला,पंजाब 11 मई। पटियाला के त्रिपड़ी थाना क्षेत्र पुलिस ने दो मोटरसाइकिल चोरों को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार किए गए युवकों की पहचान प्रिंस कुमार(23), प्रेमसी (25) के रुप में हुई है। इनके निशाने पर धार्मिक स्थलों रहा करते थे। जहां से दोनों बेहद शातिर अंदाज में मोटरसाईकिल चोरी की वारदातों को अंजाम दिया करते थे। डी.एस.पी “डी.एस बराड़” ने बताया के पुलिस को इस सम्बन्ध में कई शिकायतें मिली थी जिसमें गुरुद्वारा साहिब में आने वाले श्रद्दालु माथा टेकने आते हैं उनकी मोटरसाइकिल चोरी हो रही हैं। इस संबंध में पुलिस ने मामले को गंभीरता से लेते हुए जांच शुरू की तो दो चोरों प्रिंस कुमार और प्रेमसी को गिरफ्तार किया गया। इनमें से एक पंजाबी भाग पटियाला और दूसरा भवानीगढ़ का रहने वाला है। पुलिस ने इनके पास से चोरी की सात मोटरसाइकिल बरामद की हैं। इनके खिलाफ मामला दर्ज कर जाँच शुरू कर दी है। अब पुलिस इस बात की जांच कर रही है कि इन शातिरों ने इससे पहले कहां कहां और कितनी वारदातों को अंजाम दिया है।

10 मई 2011

कांस्टेबल या कार चोर..

दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच ने मनोज कुमार नाम के शख्स को दिल्ली में कार चोरी के आरोप में गिरफ्तार किया है..पुलिस ने मनोज के साथ उसके दो अन्य साथियों को भी गिरफ्तार किया..पुलिस के मुताबिक मनोज हरियाणा पुलिस का सिपाही है..और इन दिनों गुड़गांव के सिटी थाने में तैनात है.. मनोज ने जनकरी पुरी डिस्ट्रिक सेंटर के पार्किंग अटेंडेंट के साथ मिलकर वाहन चोरों का गिरोह तैयार कर रखा था..
वाहनों चोरों का ये शातिर गिरोह बीते कई महीनों से सिलसिलेवार तरीके से गाड़ियों और बाइक चोरी की वारदात को अंजाम दे रहा था.. बीती 18 अप्रैल को जनकपुरी डिस्ट्रिक्ट सेंटर से एक कार चोरी हुई..पुलिस इसी केस की तफ्तीश में जुटी थी..इसी बीच पुलिस के हाथ लगी पार्किंग में लगे सीसीटीवी कैमरे की फुटेज जिससे इस गिरोह की सारी हकीकत सामने आ गई..
मणिशंकर ने पुलिस के सामने सारी हकीकत तोते की तरह उगल दी.. उसने खुलासा किया कि वाहन चोरी में हरियाणा पुलिस का कांस्टेबल मनोज और दो अन्य लोग शामिल हैं..जिन्हें पुलिस ने अलग अलग इलाकों से गिरफ्तार कर लिया..जबकि मनोज को पुलिस ने गुड़गांव से अपने शिकंजे में लिया...
चुंकि इस बदमाश कंपनी का सरगना हरियाणा पुलिस का एक सिपाही था लिहाजा इस कंपनी के लोगों का ये गुरुर था कि वो पुलिस के शिकंजे से बचते रहेंगे लेकिन सीसीटीवी फुटेज बन गई इनकी गिरफ्तारी का सबब

पंजाब में बदमाश कंपनी..

सतनाम सिंह नाम के शख्स को फतेहगढ साहिब पुलिस ने गिरफ्तार किया है..सतनाम सिंह एक ऐसे परिवार का मुखिया है जिसने लंबे समय से पंजाब पुलिस की नाक में दम कर रखा था.. फतेहगढ़ साहिब में पुलिस ने सतनाम सिंह को बीते सालों में लूटपाट की कई वारदातों के सिलसिले में गिरफ्तार किया है..पुलिस के मुताबिक सतनाम ने पूरी बदमाश कंपनी तैयार कर रखी थी.. जिसमें उसी के परिवार के लोग शामिल थे.. लूट को अंजाम देने के लिए इसने अपनी पत्नी और बेटे को भी गिरोह में शामिल कर रखा था..
पुलिस के मुताबिक बीते कई महीनों से फतेहगढ़ साहिब में कारोबारियों से लूटपाट की वारदात अंजाम दी जा रही थी..पुलिस ने इसी सिलसिले में दो लूटेरों के स्केच जारी किए..जिसके बाद पुलिस ने गुप्त सूचना पर सतनाम सिंह को गिरफ्तार कर लिया.. पुलिस की मानें तो सतनाम सिंह साल 1984 से वारदातों को अंजाम दे रहा था.. लूट के एक मामले में तो सतनाम करीब पांच साल तक जेल भी गया.. लेकिन बाहर निकलने के बाद इसने अपने बेटे और बीवी के साथ मिलकर बदमाश कंपनी तैयार की..
बदमाश कंपनी में परिवार के लोगों को शामिल करने के पीछे खास मकसद था.. और ये मकसद था लूट की सारी रकम घर में लाना...इन लोगों का सोचना था कि अगर गिरोह में बाहर के लोग होंगे तो लूट की रकम को बांटना होगा..औऱ गिरोह में घर के ही लोग होंगे तो लूट की सारी रकम घर में ही आयेगी.. इतना ही नहीं ये लोग लूट की बडी वारदात को अंजाम देते थे.. हाल ही में सतनाम ने अपने बेटे के साथ मिलकर 29 मार्च को एक कारोबारी से लूट की वारदात को अंजाम दिया था..
वारदात को अंजाम देने से पहले ये लोग अपने शिकार की रेकी करते थे.. इस काम में सतनाम के दो रिश्तेदार उसकी मदद करते.. जबकि वारदात के बाद मौके से फरार होने में सतनाम की पत्नी मदद करती थी.. लंबे अर्से तक पुलिस की नाक में दम करने वाले इस गिरोह के मुखिया सतनाम को आखिरकार पुलिस ने गिरफ्तार कर ही लिया.. लेकिन अभी गिरोह में शामिल सतनाम का बेटा, पत्नी और दो रिश्तेदार फरार हैं पुलिस उनकी तलाश कर रही है.. पुलिस ने सतनाम के पास से लूट के करीब दो लाख रूपये..एक लाल बत्ती लगी कार..एक पिस्टल और अन्य कीमती सामान बरामद किया है.. गिरोह पर कोई शक ना करे इसके लिए पूरा परिवार लाल बत्ती लगी कार में घुमता था..
पंजाब के कई इलाकों में ताबड़तोड़ वारदात कर सतनाम ने पुलिस को खूब छकाया.. लेकिन पुलिस की गिरफ्त से बच ना सका..और अब पुलिस गिरोह में शामिल अन्य आरोपियों की शिद्दत से तलाश कर रही है...ताकि एक ही परिवार की ये पूरी बदमाश कंपनी पहुंच सके सलाखों के पीछे...

बाबा की काली करतूत..

माथे पर तिलक..गले में एक दो नहीं चार चार मालाएं..और लंबी दाढ़ी.. शुरूआती दौर में ऐसी तस्वीर को देखकर कोई भी कहेगा कि ये साधू है...जी हां वो शख्स जिसका दुनियादारी से रिश्ता कम बल्कि अध्यात्म से ज्यादा होता है...लेकिन ये बात कतई जरूरी नहीं की जो बाहरी तौर पर बाबा दिखाई दे..उसका मन भी भगवान में ही रमा हो..रेवानंद उर्फ रेवतसिंह नाम के एक बाबा को जोधपुर पुलिस ने गिरफ्तार किया है..बाबा का जुर्म है एक नाबालिग लड़की को अपने जाल में फांसकर उससे शादी करने का.. रेवानंद इन दिनों जोधपुर के चौपासनी इलाके के हाउसिंग बोर्ड के सेक्टर 23 में रह रहा था..शक होने पर जब पुलिस ने पुछताछ की तो बाबा के जुर्म का खुलासा हुआ.. पुलिस को पता चला कि रेवानंद पर गुजरात के भाभर थाने में नाबालिग के अपहरण का मुकदमा दर्ज है..
पुलिस ने हिरासत में लेकर जब रेवतसिंह से पुछताछ की तो खुलासा हुआ कि रेवतसिंह मूलरूप से गुजरात का रहने वाला है..और गुजरात के बनासकांठा के भाभर थाना इलाके में एक गौशाला चलाता है.. जहां पर ये दुनियादारी छोड़ सन्यासी हो गया.. गौशाला में ही एक गरीब परिवार काम करता था..इसी दौरान परिवार की नाबालिग बेटी से रेवानंद इश्क कर बैठा..और हैरत की बात देखिए की सन्यासी बने रेवानंद ने गृहस्थी बसाने का मन बना लिया..और नाबालिग लड़की को भगाकर जोधपुर ले आया..यहां अपनी दाढी मुछ कटाकर रहने लगा..
रेवानंद ने नाबालिग लड़की से ब्याह रचाकर ना केवल साधू संतों की मान मर्यादा को मिट्टी में मिला दिया..बल्कि खुद भी गुनहगार बन बैठा.. रेवानंद की विलासिता की जिंदगी भोगने की ख्वाहिश ने उसे कानून की दहलीज पर ला दिया..जहां अब उसे अपने गुनाहों की सजा भुगतनी पड़ेगी..

21 अप्रैल 2011

बक्से में बंद लाश

दिल्ली, मुंबई और किशनगढ़ के बाद अब कोटा पुलिस की नींद उड़ी हुई है.. कोटा की चंबल नदी से बरामद हुए लावारिस बक्से ने पुलिस को पसीना पसीना कर रखा है.. क्योंकि बक्से से पुलिस ने बरामद की एक युवती की लाश..पुलिस ने ये बक्सा बीते बुधवार को बरामद किया था.. बक्से में बंद थी तकरीबन 25 साल की एक युवती की लाश..जिसे पुलिस ने पोस्टमार्टम के लिए मुर्दाघर में रखवा दिया.. लेकिन अभी तक युवती की शिनाख्त नहीं हो पाई है..हालांकि युवती की हमउम्र लापता लड़कियों के परिजन शव की शिनाख्त के लिए पहुंच रहे हैं..
बक्से में लाश मिलने की खबर से कोटा में हड़कंप मच गया.. मौके पर FSL की टीम बुलाई गई.. FSL अधिकारियों के मुताबिक युवती की उम्र तकरीबन 25 साल है.. और लाश को देखने से लगता है कि लाश दो से तीन दिन पुरानी है.. हालांकि युवती के जिस्म पर किसी तरह के चोट के निशान नहीं मिले हैं...इस बेहद सनसनीखेज मामले का खुलासा उस वक्त हुआ जब पानी में तैरते बक्से का ढक्कन खुल गया... और लाश पानी की वजह से फूल गई....जब लाश का कुछ हिस्सा बक्से से बाहर नदी में आया तब लोगों की इस पर नजर पडी
जहां तक इस केस के सुलझने की बात है तो पुलिस के हाथ अभी खाली ही हैं.. पुलिस तमाम सुराग जुटाकर बक्से में बंद लाश के राज़ को खंगालने में जुटी है..
पुलिस ने अज्ञात लोगों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है.. राजस्थान में इस महीने बंद बक्से में युवती का शव मिलने की यह दूसरी वारदात है..अजमेर जिले के किशनगढ़ में बीती 8 अप्रैल को एक पार्सल से युवती की लाश बरामद हुई थी..ये पार्सल दिल्ली से किशनगढ़ की एक ट्रांसपोर्ट कंपनी को लोहे के बक्से में भेजा गया था.. लेकिन हैरत की बात देखिए की इस केस की तफ्तीश में जुटी पुलिस के हाथ सीसीटीवी फूटेज लगने के बाद भी ना तो युवती की शिनाख्त हो पाई.. और ना ही अब तक कातिल का ही कोई सुराग लग सका.. वहीं एक बार फिर राजस्थान में इस तरह से लोहे के बक्से में लाश मिलने से पुलिस बेहद संजीदा है.. लेकिन देखने वाली बात होगी कि ये केस भी कहीं किशनगढ़ में मिले शव की तरह मिस्ट्री बनकर ना रह जाए..

14 अप्रैल 2011

कर्ज के बदले दो कत्ल



जालंधर में दोहरे हत्याकांड से लोग सकते में हैं..यहां रहने वाली राजरानी नाम की महिला की उसी के घर में घुसकर हत्या कर दी गई..राजरानी अपनी गोद ली गई बेटी के साथ जालंधर के शिव नगर में रहती थी..बीती 28 मार्च को राजरानी का गला रेतकर कत्ल कर दिया गया..कातिल ने इस वारदात को अंजाम देने के बाद लाश को उसी के घर में दफन कर दिया..वारदात का खुलासा उस वक्त हुआ जब राजरानी का बेटा घर आया..घर का ताला बंद था और राजरानी लापता थी..साथ ही उसकी 5 साल की मुहंबोली बहन खुशबू भी घर पर नहीं थी..कई दिनों तक राजरानी का कहीं कोई सुराग न मिला.. लेकिन बीती 12 अप्रैल को घर से तेज बदबू आने लगी तो चन्दन ने इसकी शिकायत पुलिस से की..जब पुलिस ने घर में खुदाई की तो हर कोई हैरान रह गया..घर से मिली लाश राजरानी की थी..

पुलिस ने राजरानी की लाश उसी के घर से बरामद की तो राजरानी के कत्ल का खुलासा हो गया..लेकिन घऱ से पांच साल की खुशबू लापता थी.. पुलिस उसकी तलाश में जुट गई..पुलिस को उम्मीद थी कि खुशबू से इस कत्ल के बारे में कुछ अहम सुराग हाथ लग सकता है..पुलिस ने इस सिलसिले में जब राजरानी के बेटे से बात की तो उसने कुछ लोगों पर कत्ल का शक जाहिर किया..

शक की बिनाह पर पुलिस ने अशोक नाम के पंजाब पुलिस के एक निलंबित सिपाही को हिरासत में लेकर पुछताछ की तो कत्ल का खुलासा होते देर ना लगी.. अशोक ने खुलासा किया कि उसी ने अपने दो साथियों और एक महिला के साथ मिलकर राजरानी की गला रेतकर हत्या की है.. और पांच साल की खुशबू को भी उसी ने मारा था..अशोक की निशानदेही पर पुलिस ने राजरानी के घऱ से खुशबू की लाश भी बरामद कर ली..
तफ्तीश में खुलासा हुआ कि राजरानी ने अशोक से करीब पचास हजार रूपये कर्ज लिया था.. जिसे राजरानी चुका नहीं पा रही थी.. इसी को लेकर अशोक की नजर राजरानी के मकान पर थी..वो किसी भी तरह घर को हथियाना चाहता था..अशोक ने बाकायदा फर्जी कागजात भी तैयार करा लिये थे..आरोप है कि जब कत्ल की रात राजरानी ने घर उसके नाम करने से इंकार किया तो अशोक ने अपने साथियों के साथ मिलकर राजरानी और खुशबू का कत्ल कर डाला..
बहरहाल दोहरे कत्ल की इस वारदात मे पुलिस ने एक शख्स को गिरफ्तार कर लिया है जबकि दो आरोपी अभी फरार हैं...और पुलिस उनकी तलाश में जगह जगह छापेमारी कर रही है.. लेकिन जिस तरह से इस वारदात को एक पड़ोसी ने ही अंजाम दे डाला उसने एक बार फिर साबित कर दिया कि लालच इंसान को अंधा बना देता है

12 अप्रैल 2011

इंसानी जिस्म का मांस खाने वाला पाकिस्तानी परिवार


नरभक्षियों को लेकर आज तक ना जाने कितनी ही कहानियां आपने सुनी और किताबों में पढ़ी होंगी.. लेकिन असल जिंदगी में क्या वाकई आपका सामना..नरभझी इंसानों से हुआ है...शायद नहीं..लेकिन कुछ लोग ऐसे भी हैं जो इंसानी जिस्म को खाकर अपना पेट भरते थे.. इंसानी भेष में छिपे ये उन शैतानों की दास्तान है जिन्हें सब्जी रोटी से नफरत और इंसानी जिस्म को खाकर मजा आता था... खूंखार जानवरों की हैवानियत के तमाम किस्से आपने सुने पढे औऱ देखे होंगे.. लेकिन क्या आपने कभी सुना है कि इंसान जानवरों से भी ज्यादा खुंखार बन गया...क्या आपने कभी ऐसे इंसानों के बारे में सुना है जो जानवरों की तरह इंसानों को मार कर खा जाते हैं..यकीनन हमारे ये सवाल आपको अटपटे लगें...लेकिन ये सच है...इंसान से जानवर बने लोगों की असलियत बेहद डरावनी है...जो हरी सब्जियां नहीं...जानवरों का गोश्त नहीं बल्कि इंसानी जिस्म को खाते हैं.....जी हां ऐसे लोग जिन्हें फल सब्जी, पकवान या फिर रोटी खाने में कोई मजा नहीं आता.. बल्कि वो इंसान का मांस खाकर सुकून पाते हैं...ऐसे लोग जो सप्ताह भर भूखे रहे लेकिन उन्होंने जब भी खाया तो इंसान का जिस्म ही खाया.. ये उन नरभझी लोगों की असलियत है जिन्हें मासूम बच्चों औऱ नौजवान युवक युवतियों का मांस ज्यादा पसंद है.. आप सोच रहे होंगे कि आखिर इंसान से शैतान बने ये लोग कौन हैं...और कैसे इन्होंने इंसानों को शिकार बनाया...शैतान बने ये उन इंसानों की दास्तान है जो सरहद पार पाकिस्तान के रहने वाले हैं...और इन लोगों को इंसानी जिस्म खाने का शौक अभी से नहीं बल्कि पिछले दस साल से है...दस साल पहले इन्हें इंसानी जिस्म खाने का ऐसा चस्का लगा कि इसके बाद तो ये इंसान का मांस खाने के आदी हो गये.. ये नरभक्षी लोग पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के भक्कर इलाके के रहने वाले हैं..आरोप है कि आरिफ और फरमान..नरभझी हैं... ये लोग फल या फिर सब्जी नहीं बल्कि इंसानों का मांस खाते थे.. पुलिस ने बीती 4 अप्रैल को इनके घर पर छापा मारकर इन्हें गिरफ्तार किया है..पुलिस ने घऱ से एक शव भी बरामद किया..जोकि एक 19 साल की लड़की का था..इसके अलावा पुलिस ने घर से कुछ बर्तन और इंसानी जिस्म को काटने के इस्तेमाल में लाये जाने वाले हथियार भी बरामद किये हैं .. हैरत की बात देखिये कि इन लोगों ने अपनी एक बहन को भी मारकर खाया था.. और पहली दफा इन्होनें अपनी बहन को ही शिकार बनाया था.. इस वारदात को इन लोगों ने पहली बार दस साल पहले अंजाम दिया था..जिसके बाद इन्हें इंसानी मांस खाने का ऐसा चस्का लगा कि फिर इन्होंने सब्जियां और फल छोड़कर इंसानी जिस्म को ही खाना शुरु कर दिया.. .. पाकिस्तान पुलिस की मानें तो आरिफ और फरमान के साथ इस जघन्य अपराध में एक महिला और दो अन्य करीबी रिश्तेदार भी शामिल हैं.. इन लोगों पर आरोप है कि ये ना केवल इंसान बल्कि ये लोग कुत्ते और बिल्लियों को भी अपना शिकार बनाते थे..पुलिस की मानें तो आरिफ और फरमान ने करीब छह मासूम बच्चों को अपना शिकार बनाया..जिनमें दो तो इन्हीं के बच्चे थे.. इंसान मांस से अपनी भूख मिटाने के लिए इनके निशाने पर होती थी कब्र में दफन लाशें..जिन्हें दोनों भाई रात के वक्त चुराया करते थे..पुलिस ने तफ्तीश के दौरान खुलासा किया है कि दोनों भाई किसी तरह की मानसिक बीमारी से पीड़ित नहीं है..बल्कि ये लोग तो इस खौफनाक वारदात को पूरे होशो हवास में अंजाम दे रहे थे.. आरिफ और फरमान ने जिस तरह से इस खौफनाक वारदात को अंजाम दिया उसे देखकर किसी के भी रोंगटे खड़े हो सकते हैं..लेकिन जुर्म छिपता नहीं और एक ना एक रोज गुनहगार का चेहरा बेपर्दा हो ही जाता है..इन दोनों के साथ भी ठीक ऐसा ही हुआ.. दस साल तक एक घर के ही कुछ लोग इंसानी जिस्म खाकर अपना पेट भरते रहे.. और हैरत की बात देखिए..कि किसी को कानों कान खबर तक नहीं हुई..लेकिन कहते हैं न कि गुनहगार कितना ही शातिर क्यों न हो.. वो वारदात के पीछे अपने निशां छोड़ ही जाता है...इनके साथ भी कुछ यही हुआ...पुलिस ने इन लोगों को इन्हीं के फुटप्रिंटस के जरिये गिरफ्तार किया.... इंसानी जिस्म को खाने में बेहद आरिफ और फरमान को सुकून मिलता था... पिछले दस साल से ये लोग इंसानी जिस्म को खाकर अपने पेट की भूख मिटा रहे थे...जितनी खौफनाक इनकी करतूत रही...उससे कहीं ज्यादा सनसनीखेज रही इनकी गिरफ्तारी जिसके लिए पाकिस्तान के पंजाब में पुलिस को दस साल तक इंतजार करना पडा...पिछले दस साल से इंसानों का मांस खाने वाले इन दरिंदो को पुलिस ने बीती 4 अप्रैल को गिरफ्तार किया.. असल में दरिया खां की रहने वाली 19 साल की शायरा परवीन की कैंसर की वजह से मौत हो गई थी..परवीन की मौत के बाद उसकी लाश को रीति रिवाज के मुताबिक कब्रिस्तान में दफन कर दिया गया..कुछ दिन बाद जब परवीन के परिवार के लोग कब्रिस्तान में गए तो परवीन की कब्र खुली पड़ी थी..और उसकी लाश कब्र से गायब..ये देखकर परिवार के पैरों तले से जमीन खिसक गई..जिसके बाद परिजनों ने मामले की जानकारी पुलिस को दी.. कब्र से लाश का गायब होना वाकई हैरान करने वाला था..पुलिस ने मामले की गहनता से तफ्तीश शुरू की तो जांच के दौरान पुलिस को पता चला कि देर रात दो लोग साईकिल पर एक बोरी रखकर ले जा रहे थे..ये बात पुलिस को रेलवे लाइन पर तैनात चौकीदार ने बताई..इतना कुछ साफ होने के बाद पुलिस जान चुकी थी कि लाश को चुराने वाला कोई आस-पास का ही रहने वाला है..तफ्तीश के दौरान पुलिस को मौका ए वारदात से पैरों के कुछ निशान मिले..जिनकी बिनाह पर ने तफ्तीश की और पुलिस आरिफ और फरमान के घर तक जा पहुंची.. आरिफ के घर के हालात देखकर पुलिस भी दंग रह गई..क्योंकि घर में 19 साल की शायरा परवीन की लाश पड़ी थी..उसका एक पैर कटा हुआ था जिसे दोनों भाई एक बर्तन में पका रहे थे..जिसके बाद पुलिस ने दोनों को गिरफ्तार कर लिया..दोनों भाईयों ने पुलिस के सामने कुबूल किया कि उन्हीं ने शायरा परवीन की लाश को चुराया था..और बीते कई सालों से वो इस तरह वारदात को अंजाम देते आ रहे हैं.. जैसे ही इस सनसनीखेज वारदात का लोगों को पता चला उनका गुस्सा फूट पड़ा..गुस्साए लोगों ने आरोपियों को जिंदा जलाकर मारने की सजा की मांग की..वहीं बीते सालों में जिन परिवारों के जानकारों की लाशें गायब हुई थी उन्होनें कड़ी से कड़ी सजा की मांग की है.. आरिफ और फऱमान की करतूत को देखकर कोई भी समझ सकता है कि दोनों भाई किस कदर हैवान बन चुके थे..जिन्हें ना मासूम बच्चों की लाश खाते डर लगता था..और ना ही बड़ो की..तफ्तीश में पुलिस को पता चला कि करीब दस साल पहले..आरिफ और फरमान के पिता ने उनकी मां की बेरहमी से तेजधार हथियार से काटकर हत्या कर दी थी..जिसके दोनों भाईयों ने अपने पिता को मारने की कोशिश की और उसी के बाद से दरिंदगी का ये सिलसिला शुरू हुआ..

09 अप्रैल 2011

सोशल नेटवर्किंग साइट के साइड इफेक्ट्स


नेटवर्किंग वेबसाइट आजकल लोगों की बाचतीच का एक मुफीद जरिया बन चुकी हैं लेकिन सोशल नेटवर्किंग साइट आपकी बर्बादी का सबब भी बन सकती हैं..क्योंकि अलीगढ़ में एक ऐसा ही मामला सामने आया है...जहां एक लड़की की फोटोग्राफ वेबसाइट से हैक कर...उसे एडिट कर...अश्लील बना दिया गया...औऱ फिर उस अश्लील फोटो के जरिये लड़की को ब्लैकमेल किया गया...हैरत की बात देखिये कि जब हैकर्स लड़की को ब्लैकमेल करने में नाकाम रहे तो उन्होंने अश्लील तस्वीरों को यू ट्यूब पर अपलोड कर दिया...दौड़ती भागती जिंदगी में लोग इतने व्यस्त है कि उन्हें अपने जानकारों से संपर्क बनाने और उनसे बातचीत करने के लिए सोशल नेटवर्किंग साइट्स का सहारा लेना पड़ रहा है.. लोगों के लिए फेसबुक, ऑरकुट, ट्विटर अत्यादि साइट्स एक बेहतर जरिया बनकर सामने आई हैं... लेकिन अब तक आप इन साइट के फायदे ही जानते होगें.. लेकिन यही सोशल नेटवर्किंग साइट आपकी जिंदगी तूफान खड़ा कर सकती है...आपकी जिंदगी में भूचाल ला सकती हैं..आपकी जरा सी लापरवाही आपको बदनाम कर सकती है.. असल में सोशल नेटवर्किंग साइट पर अपने खूबसूरत फोटो अपलोड करना एक छात्रा को महंगा पड़ गया.. अलीगढ़ की मंगलायतन यूनिवर्सिटी से पढाई कर रही एक छात्रा ने अपने कुछ फोटो सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक पर अपलोड कर दिए..जिन्हें यूनिवर्सिटी के ही दो छात्रों हर्षवर्धन और राहुल गुप्ता ने कॉपी किया ..और फिर उन्हें एडिट कर अश्लील बना दिया अश्लील फोटो तैयार करने के बाद दोनों छात्रों ने छात्रा को ब्लैकमेल करने की कोशिश की..लेकिन जब लड़की ने उनकी बात नहीं मानी तो दोनों ने वीड़ियो को यू ट्यूब पर अपलोड़ दिया..जिसे यूनिवर्सिटी के ही कई छात्रों ने अपने मोबाइल में डाउनलोड कर लिया.. आरोप है कि छात्रों ने लड़की को इसके बाद भी ब्लैकमेल करना नहीं छोड़ा और तीस लाख रूपये की मांग कर डाली.. ब्लैकमेंलिंग से परेशान होकर छात्रा के परिजनों ने मामले की शिकायत बन्ना देवी थाना पुलिस से की..पुलिस ने कार्रवाई करते हुए तुरंत वीडियो को यू ट्यूब से तो हटवा दिया..वैसे ये वारदात युवाओं के लिए सबक है..जो सोशल नेटवर्किंग साइट पर अपने फोटो और निजी बातें शेयर करते हैं..मुमकीन है कि अगर आपने वक्त रहते सबक ना लिया तो एक दिन आप भी किसी शातिर का शिकार बन जाएं..

17 फ़रवरी 2011

डुमका में बीएसएफ जवान की हत्या

डुमका के हंसडीहा इलाके में सड़क के बीचों बीच पड़ी ये लाश एक जवान की है..जिसकी बेरहमी से हत्या कर उसकी लाश को हत्यारे यहां फेंककर फरार हो गए..वारदात की खबर मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची तो लाश की शिनाख्त हुई..पुलिस को पता चला कि मरने वाला शख्स प्रभात कुमार सोलंकी है जोकि नालंदा के मायर गांव का रहने वाला है..प्रभात की लाश के पास से पुलिस ने बीएसएफ जवान की वर्दी और एक आई कार्ड बरामद किया..जो कि प्रभात का ही था..पुलिस को अब तक साफ हो चुका था कि बीएसएफ की 14 बटालियन में तैनात कांस्टेबल प्रभात सोलंकी की हत्या कर उसकी लाश को ठिकाने लगाने के मंसूबे से यहां फेंका गया है..
इन दिनों प्रभात की पोस्टिंग किशनगंज में थी..पुलिस को लाश के पास से एक पत्र भी बरामद हुआ..जिसमें प्रभात ने 40 दिन की छुट्टी का जिक्र किया है..और उसमें लिखा है कि वो छुट्टी के दिनों मे गिरिडीह जाने वाला है..प्रभात के जिस्म पर चोट के निशान मिले है..साथ ही उसके एक हाथ को बड़ी की बेदर्दी के साथ काटा गया है..पुलिस ने लाश को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है..लेकिन अभी तक ये साफ नहीं हो पाया है कि किसने और क्यों प्रभात की हत्या की..
पुलिस को अंदेशा है कि प्रभात की हत्या कर उसकी लाश को यहां लाकर फेंका गया है..फिलहाल पुलिस ने मामले की जानकारी प्रभात के परिवार वालों को दे दी है..और मामले की बारिकी से छानबीन कर रही है..लेकिन बीएसएफ जवान के कत्ल की वारदात से इलाके के लोग खौफजदा है..हर किसी के जहन में बस एक ही सवाल है कि किसने और क्यों किया प्रभात का कत्ल..

इंसान के भेष में.. घूम रहे वहशी दरिंदें..

इंसान के भेष में.. घूम रहे वहशी दरिंदें.. मासूम को बनाया..वहशत का शिकार.. औरंगाबाद के ओबरा थाने में ये नाबालिग इंसाफ की गुहार लगा रही है.. ओबरा इलाके के रहने वाले राकेश नाम के एक दबंग ने इस मासूम के साथ खेला है वहशत का घिनौना खेल.. ये वारदात बीती 16 फरवरी की है.. आशा शाम करीब साढे सात बजे घर से किसी काम के लिए निकली थी.. रास्ते में उसे अकेला पाकर गांव के ही राकेश नाम के एक दबंग लड़के ने उसे दबोच लिया और फिर जबरन उसे सुनसान जगह ले जाकर इस मासूम को हवस का शिकार बना डाला..वहशी के जुल्मों सितम से मासूम आशा बेहोश हो गई और आरोपी राकेश मौके से फरार हो गया..होश आने पर देर शाम जब लोगों ने आशा की आवाज सुनी तो किसी तरह उसे घर पहुंचाया.. बेटी के साथ हुई ज्यादती की शिकायत परिजनों ने ओबरा थाने में दर्ज कराई..
परिजनों ने मामले की शिकायत थाने में दर्ज कराई..पुलिस को आरोपी का नाम भी बताया..लेकिन पुलिस की लापरवाही का आलम ये रहा है कि पुलिस ने मुकद्दमा तक दर्ज करना मुनासीब नहीं समझा.. आरोप है कि आरोपी के रसूख के चलते पुलिस उसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर रही है.. लेकिन जब इस पूरे मामले में मीडिया ने दखल दिया तो पुलिस को मुकद्दमा दर्ज करना पड़ा..लेकिन आरोपी अब भी पुलिस की गिरफ्त से बाहर है..
जिस तरह से पुलिस ने नाबालिग के साथ बलात्कार के मामले में लापरवाही दिखाई उससे साफ है कि पुलिस भी दबंगों के सामने बेबस नजर आती है..यही वजह है कि दबंग बेखौफ होकर वहशत का घिनौना खेल खेलते हैं..मीडिया के दबाव के चलते पुलिस ने मामला तो दर्ज कर लिया है..लेकिन देखने वाली बात होगी कि पुलिस कब तक आरोपी को गिरफ्तार कर उसे उसके असली ठिकाने पहुंचाती है..

10 फ़रवरी 2011

मां, मोब्बत और मर्डर-1

मां के हलक से निकला हर अल्फाज उसके लिए पत्थर की लकीर था.. मां ने उसे जिंदगी भर जो भी करने को कहा..उसने बिना सोचे समझे किया.. लेकिन एक दिन उसी मां ने उससे मांग डाला दुध का कर्ज.. उस मां ने दूध के बदले मांगा खून.. खून भी किसी गैर का नहीं बल्कि किसी अपने का ही...जी हां कलयुग की इस मां ने..अपने बेटे से मांगी दुध के बदले अपनी बेटी की जान.. और क्या हुआ एक मां की इस खौफनाक मांग का अंजाम...
रूह कांप उठेगी
दिल थर्रा उठेगा
भूल जाओगे प्यार करना
भूल जाओगे कस्में वादे
जब सामने आएगी
प्रियंका-नगीम की खून भरी
प्रेम कहानी
प्रियंका और नगीम... दोनों ही इस दुनिया में नहीं हैं.. दोनों का बेरहमी से कत्ल कर दिया गया.. दोनों को सच्ची मोहब्बत करने की सजा मिली.. हैरानी की बात ये है कि दोनों को सजा-ए-मौत किसी गैर ने नहीं बल्कि अपनों ने दी.. फर्रूखाबाद के कायमगंज की रहने वाली प्रियंका और उसके प्रेमी का उसी के भाई ने कत्ल कर दिया.. प्रियंका और नगीम दोनों के धर्म अलग अलग थे लेकिन फिर भी दोनों एक दुसरे से बेइंतहा प्यार करते थे..दोनों ने जिंदगी भर साथ निभाने की कसमें भी खाईं थीं.. दोनों की मोहबब्त की गाड़ी करीब तीन साल पहले पटरी पर आई थी.. लेकिन इस बात की भनक प्रियंका के परिवार वालों को उस वक्त लगी जब बीती 19 जनवरी को प्रियंका नगीम के साथ घर छोड़कर चली गई.. सवाल घर की इज्ज्त का था लिहाजा प्रियंका की मां ने बेटे संजय वर्मा को एक अजीबो गरीब फरमान सुना डाला.. प्रियंका की मां ने संजय को कहा कि उसे प्रियंका और उसका प्रेमी किसी भी कीमत पर जिंदा या फिर मुर्दा चाहिए.. संजय के लिए एक तरह दुध का कर्ज था तो दुसरी तरफ बहन का प्यार..ऐसे में उसने लिया एक खौफनाक फैसला..
घर से चले जाने के बाद प्रियंका और नगीम कोर्ट मैरिज करने के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट पहुंचे.. लेकिन इस बात की भनक संजय को भी लग गई.. संजय अपने साले मनोज और उसके उमेश यादव ड्राईवर के साथ इलाहाबाद पहुंचा और प्रियंका और नगीम को समझा बुझाकर अपने साथ वापस फर्रूखाबाद ले आया.. प्रियंका और नगीम को उम्मीद थी कि उनके घर वाले दोनों के प्यार को समझ गए हैं.. लेकिन ये उनका वहम ही निकला.. क्योंकि अभी तो उनकी प्रेम कहानी में वो मोड़ आना बाकी थी जिसकी हकीकत जानकर कोई मोहब्बत करने से पहले एक बार नहीं सौ बार सोचे... अभी तो इश्क और साजिश के इस खेल में वो मोड़ आना बाकी था जिसकी हकीकत किसी के भी होश फाख्ता कर दे...

मां, मोहब्बत और मर्डर-2

प्रियंका और नगीम संजय के साथ कोर्ट से वापस फर्रुखाबाद आ गये...ये सोचकर कि शायद उनका प्यार अब शादी के अंजाम तक पहुंच जायेगा... लेकिन वो इस बात से अंजान थे कि उनके प्यार को कब्र में दफन में कर देने तक की साजिश रच दी गई है... प्रियंका और उसके आशिक को मारने की पूरी की पूरी तैयारी कर ली गई है... प्रियंका की मां ने बाजाफ्ता इस काम के लिए तैयार किया था प्रियंका के भाई संजय को...आरोप है कि बीती 26 जनवरी को संजय और उसका साला मनोज.. नगीम और प्रियंका को अपने साथ कायमगंज से कन्नौज ले गए..जहां काली नदी के पुल पर तीनों ने नगीम के चेहरे पर पहले तो तेजाब डाला और फिर तीन गोली मारकर उसकी हत्या कर दी.. इतना ही नहीं तीनों ने प्रियंका की भी गला दबाकर हत्या कर दी..दोनों के प्रेम संबंधों से गुस्साए संजय ने प्रियंका को भी कई गोली मारी और दोनों की लाश को नदी में फेंक दिया..
दोनों की हत्या करने के बाद तीनों इत्मिनान से घर आए..इसके बाद पुलिस से बचने के लिए प्रियंका के परिवार वालों ने कायमगंज थाने में प्रियंका की गुमशुदगी की शिकायत दर्ज करा दी.. अगले दिन यानी 27 जनवरी को प्रियंका की लाश काली नदी से बरामद हुई... पुलिस ने लाश को कब्जे में लेकर प्रियंका के घरवालों को शिनाख्त के लिए बुलाया जिसके बाद लाश की शिनाख्त कर ली गई.. पुलिस ने प्रियंका के पोस्टमॉर्टम के बाद लाश परिजनों को सौंप दी...और परिजनों ने उसी दिन देर शाम प्रियंका का दाह संस्कार कर दिया..पोस्टमॉर्टम से ये तो साफ था कि प्रियंका का कत्ल किया गया है...लेकिन अब सवाल था कि प्रियंका का कातिल कौन है... पुलिस को जांच के दौरान पता चला कि प्रियंका के नगीम से प्रेम संबंध से जो कि उसके घरवालों को नागवार गुजर रहे थे...बस फिर क्या था पुलिस ने संजय को हिरासत में लेकर पूछताछ की तो उसने पुलिस की सख्ताई के आगे तोते की तरह अपना गुनाह कुबूल कर लिया...
संजय के कुबूलनामे के बाद पुलिस ने वारदात में शामिल उसके साले मनोज और उमेश यादव को भी गिरफ्तार कर लिया...पुलिस के सामने ये बात साफ हो चुकी थी कि प्रियंका के कत्ल के लिए संजय को उसकी मां ने ही उकसाया था..
बहरहाल आनर किलिंग के इस मामले में आरोपी पुलिस के शिकंजे में है और पुलिस नगीम की लाश की तलाश में जुटी है... लेकिन इस मामले ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि लोग भले ही पश्चिमी सभ्यता को अपनाकर 14 फरवरी जैसे दिन को प्यार के इजहार के दिन के रुप में मान चुके हों लेकिन हिन्दुस्तान में आनर किलिंग का जिन्न अब भी जिंदा है जो वक्त बे वक्त प्यार करने वालों को अपना निबाला बनाता ही है...

छह टुकड़ों में कटी लाश

लाल रंग के ये दो बैग देखिए.. बैग ने यूपी के बाराबंकी में पुलिस में महकमे में हड़कंप मचा रखा है.. बाराबंकी में पुलिस के सिपाही से लेकर आलाअधिकारी तक सकते में हैं.. पुलिस ने इन दोनों बैग को फैजाबाद हाइवे के किनारे जंगलों से बरामद किया ...लेकिन पुलिस ने जब बैग खोलकर देखे.. तो पुलिस के होश फाख्ता हो गए..
दो बैग में बंद
छह टुकड़ों में कटी एक लाश
इन बैग से पुलिस ने कोई सामान नहीं बल्कि एक लाश बरामद की.... लाश किसकी है अभी तक साफ नहीं हो पाया है..लेकिन इतना पता चला है कि लाश किसी युवक की है जिसकी बड़ी ही बेरहमी से हत्या की गई.. और लाश के एक दो नहीं पूरे छह टुकड़े कर उन्हें बैग में भरकर यहां लाकर डाला गया..लेकिन सवाल है कि..
किसकी है ये लाश ? और
क्यों इतनी बेरहमी से किया गया कत्ल ?
पुलिस ने जांच भले ही शुरु कर दी है लेकिन पुलिस के पास अभी तक किसी भी सवाल का जबाव नहीं.. पुलिस ने लाश को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है..और शुरु कर दी है उस एक अदद सुराग की तलाश जो पुलिस को बतायेगा कातिल का पता..
लाश के छह टुकड़े कर उसे दो बैग में भरकर डाला गया था..एक बैग में शरीर के नीचे का हिस्सा निकला तो दुसरे में शरीर का उपरी हिस्सा..पुलिस के मुताबिक किसी ने बड़ी ही बेरहमी से युवक की हत्या की है..हालांकि अभी तक युवक की शिनाख्त नहीं हो पाई है लेकिन लाश की हालत देखकर पुलिस को कुछ हुलिया जरूर समझ में आ रहा है..
मरने वाले शख्स की शिनाख्त नहीं हो पाई है.. लेकिन जिस तरह से हत्या कर लाश के छह टुकड़े किए गए उससे इतना तो तय है कि कातिल को जुनून की हद तक नफरत थी..जो उसने इस बेरहमी से वारदात को अंजाम दिया...बहरहाल लाश के छह टुकडों से पुलिस सुराग तलाश रही है लेकिन वो कब तक कातिल के करीब पहुंचेगी...कहना मुश्किल है..

मां की आंखों से गिरते आंसू

मां की आंखों से गिरते आंसू.. पिता की सिसकती आवाज...और रूंधे गले से निकले चंद अल्फाज.. इस परिवार की पीड़ा साफ बयां कर रहे हैं.. सुपौल के करजाईन इलाके के गोसपुर गांव के रहने वाले इस परिवार पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा है..गोसपुर में रहने वाले पंड़ित मंडल की बेटी को अगवा कर लिया गया है.. मामला बीती 31 जनवरी का है.. पंड़ित मंडल की बेटी चन्दना कुमारी शाम के वक्त घर से निकली थी..लेकिन देर रात तक वापस नहीं लौटी.. घर वालों ने उसकी हर जगह तलाश की लेकिन अगले दिन तक भी उसका कहीं कोई सुराग ना मिला.. थक हार कर परिजनों ने इस संबंध में करजाईन थाने में अपहरण का मुकद्दमा दर्ज कराया.. आरोप है कि संजय यादव नाम के पड़ोसी ने इस वारदात को अंजाम दिया है.. जो चन्दना को किसी अनजान जगह पर बंधक बनाकर रखे हुए है..लेकिन अभी तक पुलिस आरोपी को नहीं तलाश पाई है..परिजनों का आरोप है कि पुलिस शिकायत मिलने के बाद ठीक से कार्रवाई नहीं कर रही है..वहीं गांव वाले भी पुलिसिया तफ्तीश पर सवाल उठा रहे हैं..
चन्दना के अपहरण को दस दिन बीत चुके हैं.. दिन ब दिन परिवार की चिंता बढती जा रही है.. लेकिन अभी तक पुलिस उसका कोई सुराग नहीं लगा पाई है..पुलिस ने अपहरण का नामजद मुकद्दमा तो दर्ज कर लिया है लेकिन वो इस पूरे मामले को प्रेम-प्रसंग से जोड़कर तफ्तीश कर रही है..

पुलिस इसे प्रेम-प्रसंग का मामला बताकर अपना पल्ला झाड़ने में लगी है..लेकिन सवाल है की चन्दना आखिर कहां है.. और पुलिस बिना चन्दना को बरामद किए.. आखिर कैसे दावे के साथ इसे प्रेम-प्रसंग का मामला बता रही है.. खैर पुलिस जल्द मामले को सुलझाने का दावा तो कर रही है लेकिन पुलिस की कथनी और करनी में कितना फर्क है ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा..

जानी दुश्मन..जेल से दी सुपारी

वो दोनों जेल में बंद हैं..फिर भी रच रहे हैं खौफनाक साजिश..सलाखों के पीछे होने के बावजूद निभा रहे हैं दुश्मनी..जी हां धनबाद पुलिस की गिरफ्त में आए ये दो शातिर इसी बात को पुख्ता करते हैं..असल में पुलिस ने इन दोनों आरोपियों को फहीम खान नाम के शख्स की हत्या की साजिश रचने के आरोप में गिरफ्तार किया है..इन दिनों धनबाद के वासेपुर का रहने वाला फहीम धनबाद मंडल कारगार में बंद है..उसपर हत्या, हत्या के प्रयास, लूट, डकैती जैसे कई संगीन इल्जाम है..वहीं वासेपुर के रही रहने वाले साबिर से फहीम की जाति दुश्मनी है..दोनों एक दुसरे के खून के प्यासे बने हुए हैं..साबिर भी कई आपराधिक मामलों में झारखंड की हजारीबाग जेल में कैद है..लेकिन फिर भी दोनों आए दिन वारदातों को अंजाम देते हैं..और एक दुसरे के गिरोह के गुर्गो को मारने की साजिश रचते हैं...
इस बार साबिर की साजिश फहीम को ठिकाने लगाने की थी..साबिर ने अपने एक रिश्तेदार फिरदोश की मदद से बिहार से दो शॉर्प शूटरों को बुलाया..और फहीम को पेशी के दौरान कत्ल कराने की साजिश रची..लेकिन बीते बुधवार जब ये लोग धनबाद कोर्ट परिसर में रेकी करने गए तो गुप्त सूचना के आधार पर पुलिस ने इन्हें धर दबोचा..पुलिस ने इनके पास से दो पिस्टल, सात जिंदा कारूतस, दो मोबाइल फोन और करीब 2200 रूपये बरामद किए..
पुलिस ने तीन आरोपियों को गिरफ्तार कर साबिर के नापाक मंसूबों पर तो पानी फेर दिया..लेकिन अब पुलिस ये पता लगाने में लगी है कि साबिर जेल में बंद होते हुए भी कैसे इन लोगों के संपर्क में था..साथ ही पुलिस ये भी पता लगा रही है कि साबिर के गिरोह में और कौन कौन लोग शामिल है जो उसकी गैर मौजूदगी में वारदातों को अंजाम दे रहे हैं..

बुजुर्ग की लाश चोरी

क्या मुर्दा चल सकता है ?
क्या वो कब्र से निकल सकता है ?
क्या वो कहीं भी घूम फिर सकता है ?
यकीनन ऐसा होना मुश्किल ही नहीं नामुमकीन है.. 120 साल की जिस बुजुर्ग को उसकी मौत के बाद कब्र में दफना दिया गया हो.. अगर उसकी लाश कब्र से गायब मिले.. तो इसे आप क्या कहेगें.. आपको सुनने में भले ही अजीब लगे लेकिन उत्तर-प्रदेश के लखीमपुरी खीरी में कुछ ऐसा ही हुआ है.. कब्रिस्तान में मौजूद ये लोग.. और खुली पड़ी कब्र.. इस बात की गवाही दे रही है कि यहां से हुई है एक बुजुर्ग की लाश गायब.. असल में बीती 3 फरवरी को हैदराबाद थाने इलाके के छेतानिया गांव में रहने वाली 120 साल की शहजादी की मौत हो गई थी..रीति रिवाज से परिजनों ने शहजादी के शव को अगले दिन कब्रिस्तान में दफना दिया..लेकिन जब बीते शनिवार को परिजन कब्रिस्तान पहुंचे तो शहजादी की कब्र खुली पड़ी थी और उसमें से लाश गायब मिली.. परिजनों को शक है कि इसके पीछे किसी तांत्रिक का हाथ हो सकता है जिसने तंत्र क्रियाओं को पूर्ण करने के लिए लाश को गायब कराया है..
कब्र से लाश गायब मिलने से शहजादी के परिजनों के पैरों तले से जमीन खिसक गई.. उन्होनें फोरन मामले की जानकारी पुलिस को दी..पुलिस ने शिकायत मिलने पर मामले की तफ्तीश शुरू कर दी है..हालांकि पुलिस ये भी मानकर चल रही है कि ये किसी जानवर का काम भी हो सकता है..जिसने लाश को बाहर निकाला हो..
पुलिस लाश को कब्र से निकालने वालों की तलाश कर रही है..लेकिन गांव वालों को पूरा शक है कि किसी तांत्रिक ने ही इस वारदात को अंजाम दिया है..ऐसा पहली बार नहीं है जब कब्र से लाश गायब होने का मामला सामने आया हो..इससे पहले भी ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं.. ऐसे में अब देखने वाली बात होगी कि इस मामले को पुलिस कितनी संजीदगी से लेती है और कब तक वो कर पाती है मुर्दे के मुजरिमों को गिरफ्तार..

05 फ़रवरी 2011

कातिलों के कातिल-2

तीन कत्ल और दो कातिल.. सवाल उठना लाजमी था कि आखिरी ऐसी क्या वजह थी कि कपिल और बेबी ने मिलकर तीन लोगों को मौत के घाट उतार डाला.. यकीन मानिए जब पुलिस के सामने कातिलों ने इस राज को बेपर्दा किया तो सामने आई साल 2011 की सबसे खौफनाक साजिश.. एक ऐसी साजिश जिसे हुस्न, दौलत और नायाजय रिश्तों के बीच रचा गया और शिकार बनाया गया एक दौलतमंद शख्स को.. साल 2011 की ये वो वारदात है जिसमें कातिलों ने ही कर दिया कातिलों का कत्ल...

रोहताश, योगेन्द्र और नेहा को मौत की नींद सुलाने वाले कातिल पुलिस की गिरफ्त में थे..लेकिन जब इन कातिलों ने कत्ल की वजह का खुलासा किया तो हर कोई हैरान रह गया..इस वारदात के पीछे वजह थी दौलत..असल में रोहताश भूमि सरंक्षण अधिकारी था..लेकिन बीवी की मौत के बाद उसे अय्याशी की लत लग गई..और वो अय्याशी में खूब पैसा लुटाता..इसी बीच उसकी मुलाकात नेहा से हुई..नेहा एक एक कर अपने पहले दो पतियों से रिश्ता तोड़ चुकी थी..जबकि उसने योगेन्द्र से तीसरी शादी की थी..योगेन्द्र आपराधिक प्रवृति का था..उसे दौलत की चाह थी..बस यहीं से नेहा ने अपने हुस्न के बुते फुलप्रुफ साजिश रची..साजिश के तहत नेहा और उसके पति ने रोहताश का कत्ल कर उसकी सारी दौलत लूटने का प्लान बनाया..साजिश में दोनों ने कपिल और बेबी को भी शामिल कर लिया..साजिश के मुताबिक बीती 31 जनवरी की दोपहर चारों रोहताश के घर पहुंचे और रोहताश के मफलर से उसकी गला दबाकर हत्या करने के बाद मौके से फरार हो गए..

रोहताश का कत्ल करने के बाद चारों को उसकी ढेर सारी दौलत हाथ लग चुकी थी..लेकिन अब बारी थी लूट की रकम के बंटवारे की..बस यहीं से कपिल का इमान डोल गया..उसे लगा कि सारी दौलत चार हिस्सों की बजाय दो में ही क्यों ना बांटी जाये...और फिर कपिल और बेबी ने मिलकर रची एक और खौफनाक साजिश..जिसके तहत कपिल ने बीती 2 फरवरी को योगेन्द्र को मिलने के बहाने से बुलाया..और फिर उसकी गोली मारकर हत्या कर दी..साजिश के तहत दोनों ने मिलकर अगले दिन यानी 3 फरवरी को नेहा को भी उसी के घर में गला दबाकर मौत के घाट उतार दिया..

पुलिस के सामने कत्ल की वजह और कातिलों का चेहरा बेनकाब हो चुका था..पुलिस ने दोनों को गिरफ्तार कर लिया..लेकिन जिस तरह से योगेन्द्र और बेबी ने साजिश के तहत रोहताश को ठिकाने लगाने की साजिश रची थी..उसी साजिश के वो दोनों मोहरे बनकर रह गए..साफ है कि जुर्म का रास्ता हमेशा इंसान को बर्बादी की तरफ ही ले जाता है..और यही हुआ योगेन्द्र और नेहा के साथ जिन्हें दौलत के लालच में गुनाह करने के बदले मौत मिली तो कपिल और बेबी आज कानून के शिकंजे में हैं..

कातिलों के कातिल-1

उत्तर-प्रदेश के मेरठ में हुए उस सनसनीखेज ट्रिपल मर्डर की..जिसमें चार दिन में..तीन लोगों को बेरहमी से मार दिया गया...इस वारदात के बाद पुलिस से लेकर पब्लिक तक...चारों ओर हड़कंप मच गया...यूं तो कातिल ने बड़ी सफाई से रंगे थे खून से हाथ लेकिन कातिलों की एक गलती ने ही उन्हें करा दिया बेनकाब.. यकीन मानिये इस वारदात के बाद जो खुलासा हुआ..उसे जानने के बाद आपके पैरों तले से जमीन खिसक जायेगी...

तारीख- 31 जनवरी 2010
वक्त- शाम के करीब 6 बजे
जगह- मेरठ का कंकरखेडा इलाका

मेरठ के कंकरखेडा थाने में पुलिस हर दिन की तरह काम में लगी थी..कि अचानक शाम करीब छह बजे थाने में रखे फोन की घंटी घनघनाई.. और पूरे थाने में हड़कंप मच गया..वजह थी कंकरखेडा के श्रद्धापुरी में एक अधेड़ युवक की हत्या..मामले की सूचना मिलते ही पुलिस के आलाअधिकारी भी मौके पर पहुंचे.. मृत्तक की शिनाख्त रोहताश सिंह के रूप में हुई.. पुलिस को पता चला कि रोहताश मेरठ मे ही भूमि संरक्षक अधिकारी के पद पर तैनात था..करीब तीन साल पहले रोहताश की पत्नी की मौत हो गई थी लिहाजा रोहताश घर में अकेला ही रहता था.. रोहताश की गला दबाकर हत्या की गई थी.. और घर का सारा कीमती सामान गायब था.. पुलिस को समझते देर ना लगी कि कत्ल की इस वारदात को लूटपाट के मंसूबे से अंजाम दिया गया है.. लिहाजा पुलिस ने मामले की गंभीरता को देखते हुए तफ्तीश शुरू कर दी..

पुलिस मामले की तफ्तीश में जुटी थी....इससे पहले की पुलिस कत्ल की इस गुत्थी में किसी नतीजे तक पहुंचती.. कि बीती 2 फरवरी को मेरठ के ही सरधना इलाके के जंगलों से एक युवक की लाश बरामद हुई..लाश मिलने से पुलिस महकमें में एक बार फिर खलबली मच गई..पुलिस ने लाश को कब्जे में लिया और तफ्तीश की तो मृत्तक की पहचान योगेन्द्र के रूप में हुई.. योगेन्द्र की गोली मारकर हत्या की गई थी..इतना ही नहीं पुलिस जब तक योगेन्द्र के कातिलों को गिरफ्तार करती बेखौफ बदमाशों ने एक और सनसनीखेज कत्ल की वारदात को अंजाम दे डाला..बीती 3 फरवरी को पुलिस को मेरठ के नंगला ताशी इलाके से एक महिला की लाश उसी के घर से बरामद हुई..महिला की गला दबाकर हत्या की गई थी..महिला की पहचान नेहा के रूप में हुई..इतना ही नहीं पुलिसिया जांच में ये बात भी सामने आई कि नेहा और योगेन्द्र पति पत्नी थे..

महज चार दिनों में कत्ल की तीन सनसनीखेज वारदातों ने मेरठ पुलिस के हाथ पांव फुला दिए..पुलिस ने मामले की गंभीरता को देखते इस ट्रिपल मर्डर केस की बारिकी से तफ्तीश शुरू कर दी.. पुलिस को शक हुआ कि कहीं इन तीनों कत्ल के पीछे कोई एक ही वजह तो नहीं.. इस बीच जब पुलिस ने योगेन्द्र की फोन कॉल डीटेल खंगाली तो कत्ल के राज से पर्दा भी उठ गया..पुलिस को पता चला कि कत्ल के रोज कपिल नाम के एक शख्स ने योगेन्द्र को फोन कर बुलाया था..इसके बाद योगेन्द्र की किसी से बात नहीं हुई...पुलिस को शक हुआ कि कपिन ने ही योगेन्द्र की हत्या की है... ये बात भी सामने आई की कपिल ने ही बेबी नाम की एक महिला के साथ मिलकर योगेन्द्र की पत्नी नेहा को भी मौत के घाट उतारा था..

पुलिस के हाथ नेहा और उसके पति का कातिल लग चुका था..जब पुलिस ने कपिल और बेबी से सख्ती से पुछताछ की तो तीसरे कत्ल यानि रोहताश की हत्या का मामला भी सुलझ गया..कपिल ने खुलासा किया कि रोहताश की हत्या में वो और बेबी भी शामिल रहे हैं.. सच सामने आने के बाद पुलिस भी हैरान थी..लेकिन इससे भी बड़ा सवाल था कि कपिल ने बेबी के साथ मिलकर कत्ल की इन वारदातों को अंजाम क्यों दिया.