27 नवंबर 2009

बेटे का फर्ज

मुझे मेरे पापा से मिलने दो.. ये बात कोई बच्चा कहे तो शायद आपको जरा भी अजीब नही लगेगा लेकिन ये बात कह रहा है एक चालीस साल का आदमी। जिसका हंसता खेलता परिवार है बीवी है बच्चे है वो बार बार यही कहता है कि मुझे पापा है पास जाना है मैं अपने पापा को एक बार देखना चाहता हूं। मुझे ये सब देखकर खुद का बचपन याद आ गया.. दरअसल ये वाक्या उस वक्त का है जब मैं एक न्यूज कवर करने के लिए गया था। जब कुलविंद्र नाम का एक शख्स अपने पिता से मिलने को इतना बेताब था जैसे एक छोटा बच्चा बीन दुध के मां को याद करता है। जब कुलविंद्र की वास्तविकता सामने आई तो कुछ पल के लिए मैं भी हैरान हो गया। दुख ये जानकार हुआ की कुलविंद्र के पिता अब इस दुनिया में नही रहे। और पिछले सात दिन से कुलविंद्र पिता से मिलने की कोशिश कर रहा है। दरअसल 15 साल पहले अपनी बीवी और बेटी के साथ अमेरिका में जा बसे त्रिलोचन की अमेरिका के वर्जिनाया में हुए एक सडक हादसे में मौत हो गई। पिता की लाश सात संमदर पार है और बेटा लगातार वहां जाने की जिद कर रहा है लेकिन वीजा नही मिल रहा है। अब बेटा करे तो क्या करें। ये हकीकत है दिल्ली के वसंत विहार के रहने वाले कुलविंद्र की। कुलविंद्र पिछले सात दिन से अमेरिकी दूतावास के चक्कर लगा रहा है आज कल कभी तो वीजा मिले... पिता की लाश सात दिनों से एक मुर्दा घर में पडी है मां ने जिद लगा रखी है बेटा नही आएगा तो अंतिम संस्कार भी नही होने देगी। बेटा ऐसे दोराहे पर खडा है जहां से उसे कोई रास्ता दिखाई नही दे रहा। दरअसल अमेरिकी दूतावास भी अपने कुछ कायदे कानूनो पर अडा हुआ है। कुलविंद्र के मुताबिक दूतावास का कहना है कि अगर वो अमेरिका गया तो फिर भारत नही लौटेगा इसलिए उसे वीजा नही दिया जा रहा है। पिता के लिए बेटे की तडप और बेटे की तडप क्या होती है आज मैने एक बार फिर अपनी आंखो से देखी है। कौन कहता है कि रिश्तों का प्यार समय के साथ कमजोर हो जाता है कुलविंद्र की कहानी देखकर मुझे पल भर के लिए भी ऐसा अहसास नही हुआ। कुलविंद्र का दर्द उसकी आंखों से साफ झलक रहा था। मेरा बस एक ही सवाल है ऐसे में कुलविंद्र क्या करें मुझे तो इसका जवाब नही सुझ रहा है अगर आप को मिले तो जरूर बता देना।
आपका मित्र

08 नवंबर 2009

बेटी का गम

बेटे के लिए सब कुछ कर गुजरने वालो के बारे में आपने खूब सुना होगा, देखा भी होगा। बेटे की चाह में लोग क्या से क्या हो जाते है वो दुनिया की हर रस्म भूल जाते है। उन्हे होती है बस एक बेटे की अदद चाह। लेकिन क्या कभी सुना है एक पिता बेटी के लिए दर-दर भटकता रहे। अगर बेटी नही तो उस पिता को खुद की जिंदगी भी गवारा नही है। दिल दहला देने वाला ये वाक्या है संगरूर के मालेरकोटला इलाके का। मुझे मेरी बेटी लौटा दो-- तुम जो कहोगे मैं करूंगा। मैं हमेशा के लिए तुम्हारी दुनिया से चला जाउंगा। बस तुम मेरी बेटी लौटा दो। वो मेरी बेटी नही--- मेरी जान है। ये दर्दनाक गुहार थी एक पिता की जिसने बेटी के लिए मौत को गले लगा लिया। बेटी को पाने के लिए वो दर-दर भटकता रहा। और जब बेटी ना मिल सकी तो उस बेबस पिता ने जहरीला पदार्थ खाकर खुद को मौत के हवाले कर दिया। भवानीगढ के रहने वाले हैप्पी सिंह की शादी मालेरकोटला गांव की रहने वाली संदीप कौर से हुई थी। दोनो की चार साल की एक बेटी थी लेकिन गांव की पंचायत को संदीप के चरित्र पर शक होने की वजह से उसे गांव से निकाल दिया। संदीप गांव छोडने से पहले अपनी चार साल की बेटी हरमन कौर को भी अपने साथ ले गई। बेटी के जाने के बाद हैप्पी उदास रहने लगा, उसे दिन रात बेटी की याद सताती। एक दिन हैप्पी ने फैसला किया की वो खुद ससुराल जाकर बेटी को वापिस लेकर आएगा। ससुराल में जाने पर हैप्पी ने लाख कोशिश की मगर ससुराल वालों ने हरमन को देने से इनकार कर दिया। हताश हुए हैप्पी ने वहीं पर जहरीला पदार्थ खाकर खुदकुशी कर ली। हालांकि हैप्पी के परिजनों का कहना ही की उसकी हत्या की गई है।
फिलहाल पुलिस हैप्पी की मौत को खुदकुशी का मामला मानकर तफ्तीश कर रही है। पुलिस ने हैप्पी के ससुराल के पांच लोगों के खिलाफ आत्महत्या के लिए मजबूर करने का मामला दर्ज कर लिया है। घटना के बाद से हैप्पी के ससुराल वाले उसकी बेटी हरमन कौर के साथ फरार है पुलिस उनकी तलाश कर रही है। हैप्पी ने बेटी की चाहत में जान दी या फिर उसकी हत्या कर दी गई। ये बात तो जांच के बाद ही साफ हो जाएगी। लेकिन समाज में जिस तरह से पति पत्नी के बीच तकरार की बाते सामने आ रही है उसका खामयाजा बच्चों को भुगतना पडता है। इस मामले में भी चार साल की मासूम बच्ची को पिता से महरूम होना पडा।

रिश्तों का खून

ग्रेटर नोएडा में रिश्तों को शर्मसार करने वाला मामला सामने आया है। यहां सगे भाई ने ही अपने बडे भाई की गोली मारकर हत्या कर दी। बताया जा रहा है कि मामला अवैध सम्बंधों का है जिसके चलते इस वारदात को अंजाम दिया गया। घटना में मृतक की पत्नी भी घायल हो गई। घटना के बाद से आरोपी शख्स फरार है। फिलहाल पुलिस उसकी तलाश कर रही है। एक शक और फिर सामने थी लाश--वो लाश थी एक भाई कि-- जिसे अपने छोटे भाई पर शक करने की सजा मिली मौत। खुद सगे भाई ने कर दिया चंद पलों में रिश्तों का खून। सगा भाई ही बन गया भाई का कातिल। रिश्तों को शर्मसार करने वाली ये घटना है ग्रेटर नोएडा के धममानिकपुर गांव की। दरअसल धममानिकपुर गांव में मनोज रावल और उसका बडा भाई अमित रावल रहते। साल भर पहले अमित ने शादी कर ली। भाभी घर में आई तो मनोज की खुशी का ठिकाना नही रहा। वो भाई और भाभी की हर बात मानता जो कुछ वो कहते खुशी-खुशी करता। और फिर धीरे-धीरे मनोज की नजदीकियां अपनी भाभी से बढने लगी। वो भाभी के लिए कुछ भी करने को तैयार होता। अमित हर दिन काम पर निकल जाता वहीं मनोज घर पर ही रहकर भाभी की खिदमत में हाजिर रहता, दिन बीतते गए। अमित जब भी घर लौटता मनोज को अपनी पत्नी के साथ ही पाता। अमित को ये बाते अखरने लगी थी। उसे पसन्द नही था कि मनोज घर पर ही रहे। धीरे-धीरे अमित को शक होने लगा कि मनोज के उसकी पत्नी के साथ अवैध संबंध है इस बात को लेकर उसने मनोज को समझाया भी लेकिन मनोज पर कोई फर्क नही पडा। वहीं दोनों भाईयों के रिश्तों में खटास आ गई। मंगलवार की रात दोनों भाई घर पर बैठकर शराब पी रहे थे। इसी दौरान दोनो भाईयों में कहासुनी हो गई, मनोज अमित से मारपीट करने लगा। आवाज सुनरकर अमित की पत्नी बीच बचाव करने पहुंची तो मनोज ने उसपर गोली चला दी, इसी दौरान मनोज ने तैश में आकर अमित पर भी गोली दाग दी। खून में लथपथ पडे अमित को अस्पताल ले जाया गया जहां उसकी मौत हो गई। जबकि उसकी पत्नी संतोष को गाजियाबाद के यशोदा अस्पताल में भर्ती कराया गया है। इस घटना में संतोष के गर्भ में पल रहे बच्चे की भी मौत हो गई। भाई को गोली मारने के बाद मनोज मौके से फरार हो गया। फिलहाल पुलिस ने हत्या का मामला दर्ज कर लिया है और फरार मनोज की तलाश कर रही है पुलिस को उम्मीद है कि मनोज को जल्द गिरफ्तार कर लिया जाएगा। हालांकि पुलिस भी मान रही है कि मामला अवैध संबंधों का है। अब पुलिस भले ही सगे भाई के हत्यारे मनोज को गिरफ्तार कर ले। लेकिन रिश्तों को शर्मसार करने वाली इस घटना ने जाहिर कर दिया है कि आज समाज में खून के रिश्ते किस कदर टूटते जा रहे है।