08 नवंबर 2009

बेटी का गम

बेटे के लिए सब कुछ कर गुजरने वालो के बारे में आपने खूब सुना होगा, देखा भी होगा। बेटे की चाह में लोग क्या से क्या हो जाते है वो दुनिया की हर रस्म भूल जाते है। उन्हे होती है बस एक बेटे की अदद चाह। लेकिन क्या कभी सुना है एक पिता बेटी के लिए दर-दर भटकता रहे। अगर बेटी नही तो उस पिता को खुद की जिंदगी भी गवारा नही है। दिल दहला देने वाला ये वाक्या है संगरूर के मालेरकोटला इलाके का। मुझे मेरी बेटी लौटा दो-- तुम जो कहोगे मैं करूंगा। मैं हमेशा के लिए तुम्हारी दुनिया से चला जाउंगा। बस तुम मेरी बेटी लौटा दो। वो मेरी बेटी नही--- मेरी जान है। ये दर्दनाक गुहार थी एक पिता की जिसने बेटी के लिए मौत को गले लगा लिया। बेटी को पाने के लिए वो दर-दर भटकता रहा। और जब बेटी ना मिल सकी तो उस बेबस पिता ने जहरीला पदार्थ खाकर खुद को मौत के हवाले कर दिया। भवानीगढ के रहने वाले हैप्पी सिंह की शादी मालेरकोटला गांव की रहने वाली संदीप कौर से हुई थी। दोनो की चार साल की एक बेटी थी लेकिन गांव की पंचायत को संदीप के चरित्र पर शक होने की वजह से उसे गांव से निकाल दिया। संदीप गांव छोडने से पहले अपनी चार साल की बेटी हरमन कौर को भी अपने साथ ले गई। बेटी के जाने के बाद हैप्पी उदास रहने लगा, उसे दिन रात बेटी की याद सताती। एक दिन हैप्पी ने फैसला किया की वो खुद ससुराल जाकर बेटी को वापिस लेकर आएगा। ससुराल में जाने पर हैप्पी ने लाख कोशिश की मगर ससुराल वालों ने हरमन को देने से इनकार कर दिया। हताश हुए हैप्पी ने वहीं पर जहरीला पदार्थ खाकर खुदकुशी कर ली। हालांकि हैप्पी के परिजनों का कहना ही की उसकी हत्या की गई है।
फिलहाल पुलिस हैप्पी की मौत को खुदकुशी का मामला मानकर तफ्तीश कर रही है। पुलिस ने हैप्पी के ससुराल के पांच लोगों के खिलाफ आत्महत्या के लिए मजबूर करने का मामला दर्ज कर लिया है। घटना के बाद से हैप्पी के ससुराल वाले उसकी बेटी हरमन कौर के साथ फरार है पुलिस उनकी तलाश कर रही है। हैप्पी ने बेटी की चाहत में जान दी या फिर उसकी हत्या कर दी गई। ये बात तो जांच के बाद ही साफ हो जाएगी। लेकिन समाज में जिस तरह से पति पत्नी के बीच तकरार की बाते सामने आ रही है उसका खामयाजा बच्चों को भुगतना पडता है। इस मामले में भी चार साल की मासूम बच्ची को पिता से महरूम होना पडा।

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