05 सितंबर 2010

सरेआम बुजुर्ग की हत्या

रुपये पैसों की जरुरत किसे नहीं पड़ती...और आड़े वक्त पर लोग एक दूसरे से कर्ज भी लेते हैं लेकिन क्या किसी की मदद करना गुनाह है.. क्या किसी को कर्ज देना पाप है....यकीन मानिये जो वारदात अब हम आपको दिखाने जा रहे हैं वो तो यही इशारा करती है... असल में लखनऊ में एक शख्स को कर्ज देना इतना महंगा पड़ा कि कर्ज वापस मांगने पर उसे तलवार से काट दिया गया...
सड़कों पर उतरे ये लोग..गुस्साये लोगों का पीछा करती पुलिस..HOLD.. पुलिस पब्लिक के बीच हुए इस तनाव की वजह है सरेआम हुआ एक कत्ल...HOLD.. लोगों का ये गुस्सा एक बुजुर्ग के कत्ल के बाद फूटा... लखनऊ के शाहदतगंज के यासीनगंज में शुक्रवार सुबह साठ साल के एक बुजुर्ग रहमत अली की सरेआम हत्या कर दी गई.. आरोप है कि पडोसी शुजात ने पैसों के लेनदेन के चलते इस वारदात को अंजाम दिया .. सुबह के वक्त रहमत अली घर के बाहर मौजूद थे.. तभी पडोसी शुजात उनके पास आया और तलवार से रहमत की गर्दन पर जानलेवा वार कर दिया..जख्मी हालत में रहमत जमीन पर गिर गए..और कुछ ही देर में उनकी मौत हो गई..परिजनों के मुताबिक करीब साल भर पहले रहमत ने एक प्लाट खरीदने के लिए बिना किसी कागजी कार्यवाही के शुजात को ढेड लाख रूपये दिए थे.. शुजात ने रहमत को ना तो प्लाट दिलाया..और ना ही उसके पैसे वापिस किए.. पिछले कुछ दिनों से रहमत शुजात पर पैसे लौटाने के लिए दबाव बना रहा था.. शुक्रवार सुबह भी रहमत ने शुजात से पैसों की मांग की...जिसपर दोनों में कहासुनी हो गई...गुस्से में लाल पीले हुए शुजात ने तैश में आकर रहमत पर तलवार से वार कर दिया..
रहमत अली की सड़क पर ही मौत हो गई.. सरेआम हुए कत्ल के बाद लोगों की भीड़ इलाके मे जमा होनी शुरू हो गई.. गुस्साए लोगों ने जब शुजात के घर के बाहर हंगामा किया तो शुजात ने अपने भाई गुलाम और कादिर के साथ मिलकर छत से लोगों पर फायरिंग शुरू कर दी..जिसके बाद लोगों का गुस्सा और भडक उठा.. गुस्साए लोगों ने जमकर हंगामा काटा और आगजनी की.. वारदात के बाद मौके पर पहुंची पुलिस ने लोगों को शांत करने की कोशिश की..... और आरोपी शुजात को उसके दो भाइयों समेत गिरफ्तार कर लिया..पुलिस ने वारदात में इस्तेमाल तलवार और दुनाली बंदुक भी बरामद कर ली है.
पुलिस ने सरेआम हुई कत्ल की इस वारदात में आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है.. लेकिन इलाके में अभी भी दहशत का माहौल बना हुआ है.. हर किसी की जहन पर केवल एक ही सवाल है कि क्या किसी की मदद करना पाप है....रहमत अली की क्या गलती थी जो उसे शुजात ने मौत दे दी....क्या रहमत को सुजात को पैसे ही नहीं देने चाहिये थे.... इलाके के लोग अब रहमत अली के गुनाहगारों को कड़ी से कड़ी सजा दिये जाने की मांग कर रहे है..

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