07 अक्तूबर 2010

फैसले का दिन

एक दिन.. दो केस और दोनों में अहम फैसला.. 6 अक्टूबर 2010 का दिन अहम फैसलों का दिन रहा.. दो परिवारों को लंबे अर्से बाद न्याय मिला और गुनहगारों को उनके किए की सजा.. हिन्दुस्तान के बहुचर्चित प्रियदर्शनी मट्टू हत्याकांड मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी के बेटे आरोपी संतोष सिंह को राहत देते हुए.. फांसी की सजा को उम्र कैद में बदल दिया है.. 23 जनवरी 1996 को दिल्ली विश्वविद्यालय से लॉ में थर्ड ईयर की पढाई कर रही प्रियदर्शनी की लाश साउथ दिल्ली स्थित उसके आवास से बरामद हुई थी.. इस मामले में पुलिस ने दिल्ली यूनिवर्सिटी से लॉ की ही पढाई कर रहे संतोष सिंह को गिरफ्तार किया था.. मामला संतोष को अदालत में पेश किया गया.. और दो दिन बात ही यानी 25 जनवरी 1996 को केस सीबीआई को सौंपा गया.. सीबीआई ने जांच की और अदालत में सबूत पेश किए.. निचली अदालत ने 3 दिसम्बर 1996 को फैसला सुनाया और सबूतों के अभाव में संतोष को बरी कर दिया... निचली अदालत के फैसले को सीबीआई ने हाई कोर्ट में चुनौती दी.. हाई कोर्ट ने डीएनए टेस्ट और कुछ अहम सुबूतों की बिनाह पर माना कि वारदात के वक्त संतोष प्रियदर्शनी के आवास पर मौजदू था और उसी ने प्रियदर्शनी की बलात्कार के बाद हत्या की.. सबूतों को मद्देनजर रखते हुए हाई कोर्ट ने 17 अक्टूबर 2006 को संतोष को प्रियदर्शनी से बलात्कार और उसकी हत्या का दोषी माना.. और 30 अक्टूबर 2006 को आरोपी संतोष सिंह को फांसी की सजा सुनाई.. हाई कोर्ट के इस फैसले की खिलाफ संतोष ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की..अपील पर सुनावाई करते हुए बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया और फांसी की सजा को उम्र कैद में बदल दिया.. सुप्रीम कोर्ट मे दो जजों की बेंच ने कहा की कुछ तथ्य संतोष के पक्ष में है.. जिन्हें ध्यान में रखते हुए फांसी की सजा को उम्र कैद में बदला गया है..वहीं चौदह साल बाद आए इस फैसले से पीड़ित परिवार काफी निराश है.. और वो सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर रिव्यू पैटिशन फाइल कर सकते हैं..
दुसरी ओर बंगलुरू की प्रतिभा मूर्ति की बलात्कार के बाद हत्या के मामले में बंगलूरु फास्ट ट्रेक कोर्ट ने अहम फैसला सुनाया..कोर्ट ने इस केस के आरोपी शिवकुमार को दोषी करार दिया है,... बंगलुरू की एक बीपीओ कंपनी में काम करने वाली प्रतिभा मूर्ति की 25 दिसम्बर 2005 को बलात्कार के बाद हत्या कर दी गई थी.. इस जघन्य अपराध को बीपीओ कंपनी के कैब ड्राईवर शिवकुमार ने अंजाम दिया था.. अदालत में इस केस से जुडे कुल 71 लोगों के ब्यान दर्ज किए गए ..करीब पांच साल चले केस में फास्ट टैक कोर्ट ने आरोपी कैब ड्राइवर को दोषी करार दिया है.. कोर्ट सजा का एलान आने वाले शुक्रवार को करेगी.. .

कोई टिप्पणी नहीं: