16 अक्तूबर 2010

मां-बाप का कातिल

एक दंपत्ति ने एक बच्चे को गोद लिया... ये सोचकर कि बड़ा होकर वो उनके बुढापे की लाठी बनेगा... उस बच्चे को उन्होंने पाला पोसा..पढाया लिखाया..उसकी शादी भी कराई...औऱ तो और अपनी दौलत का उसे वारिस भी बना दिया...लेकिन जल्द से जल्द दौलत पाने के लिए उस शख्स ने बुजुर्ग दंपत्ति का क्या हश्र किया यकीन मानिये सुनकर रुह कांप जायेगी... जिस बुजुर्ग दंपत्ति ने उस बच्चे को दिया था बाप का नाम...उसी सौतेले बेटे ने दौलत के लालच में मिटा अपने मां बाप का ही नामोनिशां को....और कर दिया रिश्तों का खून..यूपी पुलिस ने मथुरा के पॉश इलाके कृष्णा नगर में रहने वाले दीपक नाम के युवक को उसकी पत्नी के साथ हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया है.. हत्या भी किसी और की नहीं बल्कि अपने ही मां बाप की.. जिन बुजुर्ग ने इस लावारिस को मां बाप का नाम दिया...पाल पोसकर बड़ा किया... जिंदगी की राह दिखाई.. सगा बेटा ना होते हुए भी.. अपनों से ज्यादा प्यार दिया....लेकिन बदले में इस शख्स ने उन मां बाप को दे दी मौत.... पुलिस ने दीपक और उसकी पत्नी सुनीता के साथ दो बदमाशों को भी गिरफ्तार किया है..
असल में बुजुर्ग दंपति सत्यनारायण गौतम और उनकी पत्नी उषा गौतम की बीते 25 सित्मबर को रात गला दबाकर हत्या कर दी गई थी.. शुरूआती दौर में दीपक ने इसे लूटपाट के मकसद से हत्या का मामला बताया.. उस वक्त घर से कुछ कीमती सामान भी गायब मिला था.. पुलिस ने मामला दर्ज कर छानबीन की तो शक की सुई दीपक और उसकी पत्नी पर आकर टीक गई.. जैसे ही पुलिस ने इन दोनों से पूछताछ की...वारदात से जुड़ा सारा सच सामने आ गया... पुलिस ने दीपक को उसकी पत्नी, और भाड़े के दो हत्यारों के साथ गिरफ्तार कर लिया..
पुलिस को इस दोहरे हत्याकांड में ठोस मकसद की दरकार थी.. जब दीपक पुलिस गिरफ्त में आया तो बुजुर्ग दंपत्ति की मौत का मंसूबा भी साफ हो गया..असल में इस दोहरे हत्याकांड की वजह थी पैसा.. पुलिस के मुताबिक सत्यनारायण की अपनी कोई औलाद नहीं थी.. दीपक को सत्यनारायण ने उस वक्त गोद लिया था जब उसकी उम्र महज दो साल थी... वक्त बीतता गया औऱ दीपक भी बड़ा होता गया...सत्यनारायण ने दीपक की शादी भी करा दी.. दीपक का परिवार बस चुका था...और सत्यनारायण बुढापे की दहलीज पर थे उन्हें इस उम्र में सहारे की जरुरत थी... हाल ही में सत्यनारायण ने अपनी कुछ प्रोपर्टी बेच दी और पैसों को फिक्स डिपोजिट करा दिया.. दीपक को लगा कि उसके हाथ कुछ नहीं लगने वाला..दौलत के लालच में दीपक अंधा हो गया...उसने अपनी पत्नी के साथ मिलकर साजिश रची और दो भाड़े के हत्यारों से सत्यनारायण और उनकी पत्नी की हत्या करा दी...खुद को बचाने के लिए उसने वारदात को लूट का रंग दे दिया ...
सत्यनारायण ने दीपक को अपनाया था...बाप का नाम दिया था ताकि दीपक उसके घर का चिराग बने...उसके बुढापे की लाठी बने... लेकिन दौलत के लालच में दीपक ने तो सत्यनारायण की जिंदगी में ही अंधेरा कर दिया.. दीपक ने दौलत के लालच में रिश्तों का खून कर दिया...वो न तो एक बेटे का फर्ज निभा पाया और न ही वो पा सका दौलत...अलबत्ता इतना जरुर है कि अब उसे आगे की जिंदगी जेल में बितानी पड़े

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