08 अगस्त 2010

बेगुनाही की सजा

गुनाहगार को उसके किए की सजा मिले ये कोई नई बात नही। लेकिन उस शख्स को जेल में सलाखों के पीछे दिन गुजारे पडे जिसने कोई गुनाह किया ही ना हो तो उसे आप क्या कहेंगें। कुछ ऐसा ही हुआ है दिल्ली के एक बुजुर्ग के साथ। जिसे दस साल पहले झुठे केस में पंजाब पुलिस ने गिरफ्तार किया। अदालत ने उसे जेल भेजा और अब उसे न्याय मिला है। पंजाब की एक अदालत ने इस बुजुर्ग को बेगुनाह बताया है..लेकिन इन दस सालों में ना केवल उसे ढेरों मुसीबतों का सामना करना पडा बल्कि परिवार ने भी बहुत कुछ खो दिया।

नाम में क्या रखा है.. भला नाम तो महज एक पहचान है। लेकिन इसी नाम की वजह से अमरजीत सिंह ने चौदह दिन जेल में बिताए..पचासों बार कोर्ट के चक्कर लगाए और अपने नाम की वजह से ही खुद के परिवार को टूटते देखा है। दिल्ली के रोहिणी सेक्टर सोलह में रहने वाले अमरजीत की ये ऐसी कहानी है जिसमें उसपर पंजाब पुलिस ने दस साल पहले गुनाहगार होने का ऐसा तमगा लगाया है सबकुछ बर्बाद हो गया। पुलिस की कारसतानी ने ना उसे कोर्ट के चक्कर लगाने पडे बल्कि जेल की हवा भी खानी पडी। इन दस सालों में आखिर क्या कुछ सहना पडा इस परिवार को आप खुद सुन लिजिए।
अमरजीत के साथ पंजाब पुलिस की ज्यादती का सिलसिला शुरू हुआ था साल 2000 में जब पहली बार पुलिस अमरजीत सिंह गंभीर के ऑफिस पर पहुंची थी। उससे अमरजीत के बारे में पुछा गया और फिर इसका नाम अमरजीत होना ही इसकी मुसीबत की वजह बन गया। दरअसल पंजाब पुलिस को तलाश थी अमरजीत सिंह लांबा नाम के युवक की जिसकों गाडियों के फर्जी कागजात तैयार करने के आरोप में पुलिस को गिरफ्तार करना था। लेकिन पुलिस ने पंजाब के राजपुरा में दर्ज एफआईआर के आधार पर अमरजीत सिंह गंभीर को उठा लिया। पंजाब पुलिस कई बार अमरजीत के घर वक्त-बेवक्त पहुंची। आखिरकार पुलिस ने अमरजीत सिंह लांबा की जगह अमरजीत सिंह गंभीर को गिरफ्तार कर पंजाब की एक अदालत में पेश कर दिया। जहां से अदालत ने उसे तीन दिन की रिमांड पर भेजा और जब तक जमानत होती.. किसी के नाम पहुंचने से पहले ही उसे चौदह दिन के लिए जेल भेज दिया गया। अमरजीत सिंह अपनी बेगुनाही साबित करने के लिए चिल्लाता रहा लेकिन किसी ने उसकी एक नाम सुनी।
हैरानी की बात थी कि जिस योगेश नाम के शख्स ने अमरजीत सिंह को धोखाधडी के मामले में अपना सहयोगी बताया था उसने खुद पुलिस को बताया कि ये वो अमरजीत सिंह नही हो जोकि उसका साथी रहा है। फिर भी पुलिस ने इस केस में कोई लापरवाही दिखाई और अमरजीत सिंह गंभीर को ही अदालत में पेश कर दिया। अमरजीत सिंह को अपनी बेगुनाही साबित करने के लिए पंजाब की अदालत में पचासों बार चक्कर लगाने पडे। आखिरकार अदालत ने माना है अमरजीत सिंह गंभीर बेकसुर है और उसे गलत फंसाया गया था। लेकिन उसका नाम ही अमरजीत की परेशानी का सबब बना। अब अमरजीत सिंह पंजाब पुलिस के उन अफसरों पर कानूनी कार्रवाई चाहते है जिनकी वजह से उसे दस साल तक यातनाएं झेलनी पडी।

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