08 अगस्त 2010

बेगुनाही की सजा-2

अमरजीत सिंह के साथ हुई ज्यादती की कहानी यहीं खत्म नही होती.. दस सालों में उसने थाने और अदालत के चक्कर तो लगाए ही बल्कि परिवार का दर्द भी सहना पडा। पिता पर लगे संगीन इल्जामों को बेटी सह ना सकी। जब भी पुलिस वाले घर पहुंचते और अमरजीत सिंह से पुछताछ करते बेटी को अजीब सा डर सताने लगता।
सामने छ सात पुलिस वाले.. एक तरफ एक बुजुर्ग जरा सोचिए उस परिवार पर क्या बितेगी। खासकर उस शख्स की बेटी पर जिसकी शादी होने वाली हो और पिता पुलिस से घिरा हो। कुछ ऐसा ही होता था जब भी पंजाब पुलिस अमरजीत सिंह के घर पहुंची पूरा परिवार सहम उठता। बीस साल की रविन्द्र कौर पिता को पुलिस वालों से घिरा देख परेशान हो जाती..आंसूओं का सैलाब बहने लगता। वो अंदर ही अंदर परेशान रहने लगी। एक दिन अचानकर वो बीमार हो गई। अस्पताल में ईलाज के लिए भर्ती कराया गया तो पता चला कि रविन्द्र को ब्रेन हैमरेज हो गया है।
एक पिता के लिए खुद को बेगुनाह साबित करने से जरूरी बेटी को बचाना था शायद इसी लिए अमरजीत ने पुलिस के सामने पेश होने से पहले बेटी का इलाज कराना जरूरी समझा। लेकिन किस्मत ने साथ नही दिया..रविन्द्र कौर कौमा में चली गई और फिर ठीक दस दिन बाद उसकी मौत हो गई।लेकिन यहां भी पुलिस का एक अजीब ही चेहरा सामने आया। जब अमरजीत ने पटियाला सीआईए अधिकारी के सामने ना पहुंचने की वजह बेटी की मौत बताई तो पुलिस वालो ने इसे एक बहाना बताया।
अमरजीत सिंह की कहानी पहली नही है बल्कि ऐसे और भी ना जाने कितने लोग है जिन्हें बेगुनाही सी सजा दी गई है।

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