23 अगस्त 2010

जिंदा है वो-2

जिस मुस्तफा को सभी ने मरा समझा...जिसे सैकड़ों लोगों की भीड़ के बीच दफना दिया गया ....वो आखिर जिंदा कैसे लोट आया... ये कोई चमत्कार है या फिर धोखा.. यकीनन ये वो सवाल हैं जो मुस्तफा को जिंदा देखकर हर किसी के जहन में कौंध रहे थे....तो आईये हम आपको दिखाते हैं मुस्तफा की मौत और उसकी नई जिंदगी से जुड़े वो सनसनीखेज राज जिसने इस मामले को बना दिया है सूबे की सबसे रहस्यमयी दास्तान..वीओ वन.. मुरादाबाद के रहने वाले मुस्तफा के घर जुटी लोगों की ये भीड़... ये भीड़ मुस्तफा के घर लौटने के बाद जुटी है.. हर कोई खुश है कि सात साल बाद मुस्तफा जिंदा घर लौटा है... लेकिन इस खुशी के साथ साथ हर किसी के जहन ये सवाल भी कौध रहा है कि आखिर ये मुस्तफा की जिंदगी में चमत्कार कैसे हुआ.. आखिर कैसे मौत के बाद मुस्तफा जिंदा लौट आया... वो कौन सी शक्ति थी जिसने विज्ञान को पीछे छोड दिया... डॉक्टरों के दावे को झुठला दिया... मुस्तफा की नई जिंदगी से जुडे ऐसे ही ना जाने और कितने सवाल हैं.. लेकिन इस सभी सवालों का केवल एक ही जवाब है .. अहमद... जी हां अहमद.. यही वो शख्स है जिसके पास मुस्तफा की नई जिदंगी से जुड़े हर सवाल का जवाब है। दरअसल मुस्तफा की मौत के बाद उसे दफना दिया गया...मुस्तफा की मौत की जानकारी इलाके के कुछ सपेरों को लगी... उन सपेरों ने फौरन मुस्तफा की लाश को कब्रिस्तान निकाल लिया.... सपरों ने उससे बेजान जिस्म में जान डालने की कोशिश की...उनकी कोशिश रंग लाई....औऱ कुछ ही समय के बाद मुस्तफा के जिस्म में हलचल होने लगी...उसका बेजान जिस्म हरकत करने लगा... मुस्तफा को उन सपेरों ने नई जिंदगी दे दी... जिसके बाद मुस्तफा उन्हीं का होकर रह गया।
मुस्तफा सपेरों के साथ अपना नया जीवन बिताने लगा....वक्त बीतता गया...लेकिन अब से करीब दो साल पहले मुस्तफा की ने एक बार फिर करवट बदली....उसकी बुआ ने मुस्तफा के परिवार वालों को बताया कि उसने मुस्तफा को सपेरों के साथ घूमते हुआ देखा है...जो शख्स मर चुका हो वो भला किसी के साथ कैसे हो सकता है। कुछ पल के लिए परिवार को लगा कि ये मुस्तफा की बुआ का वहम है लेकिन अब दो साल बाद एक बार फिर मुस्तफा की बुआ ने मुस्तफा को देखने का दावा किया.. परिवार वालों ने अधूरे मन से उसकी बात मानी और एक बार मुस्तफा से मिलने का फैसला किया... परिवार बिना कोई उम्मीद किए ही महमूदपुर कस्बे के सपेरों से मिलने पहुंच गया... परिवार के लोगों ने जब मुस्तफा को सपेरों के बीच देखा तो उन्हें यकीन नही हुआ.. उन्हें लगा कि ये उसका कोई हमशक्ल है। लेकिन उसके जिस्म पर बने निशान परिवार को सोचने पर मजबूर कर रहे थे। जब घर के लोग सामने आए तो मुस्तफा ने भी उन्हें पहचाने में ज्यादा देर नहीं की...
मुस्तफा के घर लौटने की खुशी की लाइफ ज्यादा लंबी न थी क्योंकि सपेरों ने मुस्तफा के परिवार वालों के सामने शर्त रखी है कि वो ही मुस्तफा की नई जिंदगी के हकदार हैं...और मुस्तफा ताउम्र उन्हीं के साथ रहेगा...सपेरों ने मुस्तफा को दो दिन का वक्त दिया है कि वो अपने घरवालों के साथ रहे इसके बाद वो सपेरों की ही टोली में शामिल हो जाये... ऐसे में अब देखना ये है कि मुस्तफा जो सात साल बाद मौत के मुंह से निकलकर अपनों के बीच पहुंचा है क्या वो दोबारा सपेरों की टोली का ही हिस्सा हो जायेगा या फिर वो अपने ही परिवार के साथ अपनी आगे की जिंदगी बितायेगा...

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