10 जुलाई 2010

सिहर उठी दिल्ली



अगर आप दिल्ली में रहते है तो सुरक्षा की बात अपने दिलो दिमाग से निकाल दे। कब कहां बदमाश आपको शिकार बना ले.. किसी को नहीं पता। दिल्ली के दो अलग-अलग इलाकों से दो घंटे में तीन लाशें मिलने से इलाके में सनसनी फैल गई। दोनों मामलों में अभी तक मृतकों की पहचान नही हो पाई है। दिल्ली में लावारिस लाशों के आंकडें बेहद चौंकाने वाले है।
दिल्ली में रहना दुश्वार हो गया है.. कातिल खुलेआम घुम रहे है.. राह चलते किसी का कत्ल कर दिया जाए.. घऱ में घुसकर मां-बेटे को मार दिया जाए। या फिर आपको राह चलते लूट लिया जाए तो हैरान कतई ना हो। दिल्ली पुलिस बेबस है.. लाचार है दिल्ली पुलिस.. पिछले कुछ दिनों में बदमाशों ने जिस तरह राजधानी में कहर बरपाया है उससे यहां का हर बाशिंदा खौफजदा है। लोग घरों से निकलनें में डरते है। शुक्रवार को बदमाशों ने राजधानी में ऐसा कहर बरपाया कि दिल्ली सिहर उठी। आठ वारदातों को अंजाम देकर आठ लोगों की हत्या कर दी गई। लेकिन वारदातों का सिलसिला शनिवार को भी नही थमा। दिन निकलते है पुलिस को बेहद पॉश इलाके न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी के एक पार्क में दो लाशें मिलने की खबर मिली। ये लाश करीब बीस बाईस साल के युवक और एक युवती की थी। युवती के मुहं से झाग निकल रहे थे.. शुरूआती दौर में पुलिस इसे हत्या का मामला मानकर जाच कर रही है। हालाकि अभी तक दोनों की पहचान नही हो पाई है। घटना का पता उस वक्त चला जब क्रिकेट खेल रहे कुछ बच्चे पार्क में चले गए। उन्होंनें शव देखे तो मामले की जानकारी पुलिस को दी गई।
लाशें मिलने का सिलसिला यहीं नही थमा.. न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी में दो लाशें मिलने के कुछ देर बाद ही पुलिस को आश्रम फ्लाईओवर के नीचे एक युवक की लाश बरामद हुई। युवक की उम्र करीब पेंतीस साल थी और आशंका जताई जा रही है कि युवक की पत्थर मारकर हत्या की गई है। हालांकि इस केस मे भी पुलिस को युवक की पहचान नही हो पाई।
दिल्ली मे लगातार बढते क्राइम ग्राफ पर दिल्ली पुलिस की अपनी है दलील है। पुलिस तो यहां तक कह रही है कि पिछले साल के मुकाबले क्राइम ग्राफ में कमी आई है। दिल्ली पुलिस के प्रवक्ता राजन भगत के मुताबिक पिछले कुछ दिनों में जो भी वारदात हुई है उनमें करीबियों का हाथ रहा है। ऐसे में इन अपराधों को रोकने में दिल्ली पुलिस के लिए इतना आसान नही है।
दिल्ली में दो घंटे के दौरान मिली तीन लावारिस लाशें पुलिस के लिए कोई चौंकाने वाली बात नही है। दिल्ली में लावारिस लाशों संबंधी आंकडे बेहद चौंकाने वाले है। यहां एक दिन- 12 लावारिस लाशें. बरामद होती है। जिनमें से चार लाशें रेलवे ट्रेक से मिलती है। आंकडों के हिसाब से एक महीने में 360 और एक साल 4320 लावारिस लाशें मिलती है। जिनमें से ज्यादातर लोगों की हत्या की गई होती है और पहचान ना हो पाने की वजह से पुलिस के लिए मामले को सुलझाना मुश्किल होता है। साल 2009 के आंकडों पर नजर डालें तो हत्या के 45 मामले ही दिल्ली पुलिस सुलझा पाई थी जिनमें शुरूआती दौर में शव की पहचान नही हुई थी। आंकडों से साफ है कि दिल्ली में रहना कितना मुश्किल हो गया है।

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