05 जुलाई 2010

सॉरी माही


सॉरी माही…
मैं बहुत निराश हूं...परेशान हूं...मन करता है..बस आत्महत्या कर लूं...क्या इसलिए मीडिया में आया था कि ऐसे दिन देखूं। भारतीय मीडिया कितना गैर जिम्मेदार, असंवेदनशील और मौकापरस्त हो गया है। खासकर ये चैनल वाले । बताइये जिस देश में क्रिकेट को पूजा जाता हो उसके एक सितारे की शादी हुई और चैनल वाले तानकर सोते रहे। इतनी बेऱूखी दिखाई कि बस मन करता है लालकिले पर चढकर जोर-जोर से चिल्लाउं कि बस करो.. बस करो.. अपने गिरेबां में झांकों और पत्रकारिता को समझो नहीं तो बहुत देर हो जाएगी। बताइये मुश्किल से सगाई का पता चला.. लेकिन शादी की खबर तक नही लगी.. जब पता चला तो चैनल वाले खानापूर्ति करते नजर आए। ब्रेकिंग न्यूज में भी सारी इन्फोर्मेशन नहीं थी। माही ने काली शेरवाली पहनी..पांच मिनट घोडी पर बैठे..फलां होटल में शादी हुई..फलां मेहमान आए। ये कोई ब्रेकिंग न्यूज है...ये तो सब जानते हैं। ब्रेकिंग न्यूज में बताना चाहिए था.. उस घोडी का नाम जिस पर माही बैठे..चलो नाम नहीं पता कर पाए तो उसे कम से कम थोडी देर के लिए स्टूडियो में ही बुलवा लेते। पर वो भी ना हो सका। इतने बडे सितारे की शादी की कवरेज भला ऐसे होती है। अरे होना तो ये चाहिए था कि करीब दो हफ्ते पहले ही साम दाम दंड भेद से ये पता कर लेते कि देश के मसीहा माही की शादी कब है... और फिर इसके बाद शुरू होता माही के घरवालों से लेकर उसके कुत्ते तक का प्रोफाइल दिखाने का सिलसिला.. क्योंकि माही का कुत्ता करोड़ों हिंदुस्तानियों से ज्यदा नजाकत और शानो शौकत से रहता होगा । इसलिए उसका महिमामंडन करना भी मजबूरी हो जाता है। इसके बाद जीवन संगनी साक्षी की जीवनी पर कई दिन खेला जाता....थोड़ा मसाला लगाकर बताना चाहिए था कि वो आम लड़की नहीं है...अवतार है...अरे कौन सबूत मांगता है...ऐसा करने से लोग भावनात्मक रुप से जुड़ते.....व्रत रखते....अपने घरों को सजाते लिपाई पुताई कराते....पर ऐसा नहीं हुआ। बताइये अब कौन समझाए इन चैनल वालों को अगर ढ़ग से इस इश्यू को उठाते तो सरकार भी जाग जाती...इन चैनल वालों को ये नहीं पता कि पड़ोसी देश कितना जलते है...अगर शादी में कोई आतंकी वारदात हो जाती तो क्या होता ? सरकार दबाव में नहीं आई और इस वजह से ना रेड अलर्ट जारी हुआ और ना ही सीमाओं पर गस्त बढ़ाई गई । इतना ही नहीं राष्टीय अवकाश भी घोषित हो सकता था । अगर राष्ट्रीय छुट्टी होती तो ज्यादा से ज्यादा लोग टीवी से चिपके रहते और चैनलों की टीआरपी काबू से बाहर हो जाती...लेकिन ऐसा हुआ नहीं । तमाम खतरों के बीच शादी के बंधन में बंधे हमारे मसीहा । एक बात और जब ये चैनल वाले माही की शादी का इतना ही ढ़ोंग कर रहे है....खुशी मना रहे है तो खुशी दिखानी भी तो चाहिए ना । मेरे हिसाब से तो हर रिपोर्टर को चाहे वो किसी भी बीट का हो उसे भी स्टूडियों में ठुमका लगाना चाहिए था । मौके पर मौजूद रिपोर्टरों को भी भक्ति रस में डूबना चाहिए था । कुछ ऐसे ही जैसे कृष्ण के जन्म के पूरा देश हर्षोल्लास से झूम उठता है....अगर रिपोर्टर नाचते तो लगता कि हां सच में चैनल माही की शादी से खुश है...मेरे हिसाब से शादी वाले दिन चैनल वालों को भंडारा लगवाना चाहिए था । गरीबों को वस्त्र बांटने चाहिए थे...इसके लिए स्टाफ की एक दिन की सैलरी काट लेते तो कोई मना नहीं करता....जब राष्ट पर कोई आपत्ति आती है तो ऐसा होता है । लेकिन अफसोस कि हम माही का ऋण नहीं उतार पाए । इतनी बड़ी सामाजिक घटना पर भी हम कंजूसी ही बरतते रहे...। मैने जो सलाह दी उसे आजमाते तो इसका सबसे बड़ा एक और फायदा होता....सबको यही एहसास होता कि माही की शादी ही इस देश की सबसे बड़ी समस्या और एजेंडा है....ना नक्सलवाद है....ना महंगाई । अगर ऐसा होता तो मंगाई के खिलाफ भारत बंद भी आगे खिसक जाता....वैसे भी घिसे-पिटे मुद्दे है इनसे आम आदमी का क्या भला होगा...इस देश के लिए माही की शादी जरुरी है...उनका घर बस जाए तो समझो गंगा नहा लिए । खैर जो चूक हो गई हो....गई... । अब आगे से ध्यान रखें । माही पिता भी बनेंगे.....उसकी प्लानिंग चैनलवालों को अभी से कर लेनी चाहिए । कम से कम जब तक पिता ना बनें ये बताते रहें कि उनकी कोशिशें जारी है....ताकि एक और राष्ट्रीय उत्सव के लिए ये देश तैयार रहे । वैसे इस देश में क्रिकेट के और भी सितारे अभी कुंवारे है....इसलिए भूल सुधार करने और खुद को बेस्ट चैनल साबित करने के अभी कई मौके मिलेंगे ।
आपका ही
सर शोभाराम

1 टिप्पणी:

ravi shankar kumar ने कहा…

ना लाल किले पर जाने की जरूरत है ना ही जहर खाने की और भी ऐसे मसीहाओं के साथ ऐसा कुछ चैनल वालों ने बत्तमीजी पहले भी की है। आशा है आगे भी करते रहेंगें। ना इनको इस बात का डर है कि इनका क्या होगा..शायद माही की शादी में टीआरपी बेकाबू हो जाती तो संभालना मुश्किल होता खैर आपकी राय अच्छी लगी।