25 फ़रवरी 2010

दहेज का दंश

वो लडकी सारे दुख हंसकर सहती रही... जब भी उसपर जुल्म किए गए.. उसने उफ तक नही की। जानते है ऐसा क्यों किया उस लडकी ने। वो लडकी नही चाहती थी कि उसके मां-बाप को उसके दुख का जरा भी अहसास हो। बेटी के गम को देखकर उसके मां-बाप की आंख में आंसू आ जाए। बस यही सोचकर वो लडकी सारे दुख सारे गम हंसकर सहती चली गई। जब भी वो परेशान होती अपने दुख को वो कागज के पन्नों पर उकेर देती।
ये एक मां के अल्फाज है.. ये एक मां का दर्द है। उस मां का दर्द जिसने अपनी बेटी को लाल जोडे में घर से विदा तो किया लेकिन अब वो दुनिया को ही अलविदा कह चुकी। ये दर्दनाक कहानी गाजियाबाद की रहने वाली प्रशंसा की है। प्रशंसा की मौत हो चुकी है। दरअसल प्रशंसा और मिथुन सक्सेना की शादी ढाई साल पहले हुई थी। सबकुछ ठीक ठाक चल रहा था। प्रशंसा ने एक बेटे को भी जन्म दिया तो घर में खुशी का ठिकाना ना रहा। लेकिन सात दिसम्बर 2009 के दिन प्रशंसा के परिवार में मातम छा गया। दरअसल प्रशंसा के परिवार वालो को उसके ससुराल से फोन आया की प्रशंसा की तबीयत ठीक नही है। ये सुनकर मायके वाले तुरंत ससुराल पहुंच गए। पता चला की प्रशंसा अपने कमरे में पंखे से लटकी हुई है। और उसकी मौत हो चुकी है। ये देखकर मायके वालों की आंखो में आंसूओं का सैलाब बह निकला। अब एक दुसरे को दिलासा देने के अलावा कुछ नही बचा था। मायके वालों को यकीन नही हो रहा था कि हमेशा खुश रहने वाली प्रशंसा ने ऐसा क्यों किया. क्यों उसने मौत को गले लगा लिया।
प्रशंसा के ससुराल वालों ने उसके मायके वालो को बताया की उसने फांसी लगाकर खुदकुशी की है। हालांकि इस बात को किसी का दिल नही मान रहा था लेकिन जब लाश सामने लटकी हो तो यकीन खुद ब खुद हो रहा था। प्रंशसा के मायके वालो ने उसकी मौत को अपनी किस्मत मान लिया। लेकिन दिल अब भी मानने को तैयार नही था कि उसने ऐसा क्यों किया।
प्रंशसा के मायके वाले इसी बात को लेकर परेशान थे कि उसने ऐसा खौफनाक कदम क्यों उठाया। उन्हे इसका जवाब भी मिला। जब प्रंशसा के मौत का राज खुला तो हर कोई सन्न रह गया। ढाई साल का दर्द प्रंशसा ने चंद कागज के टुकडो पर उकेर दिया था। जो वो कागज के खत सामने आए तो सामने आई एक खौफनाक कहानी।
मुझे उम्मीद है कि आप सब खुश होगें। लेकिन मुझे नही मालूम की मेरी जिदंगी में आगे क्या होने वाला है.. मेरी गृहस्थी दोराहे पर खडी है कब क्या हो जाए मुझे नही मालूम। मेरी दोनों ननदें प्रग्नेंसी के समय मेरे साथ दुर्वयवहार करती थी। अब भी उनके बर्ताव में कोई फर्क नही आया है। पिताजी है कि कोई लिहाज नही करते जब भी मैं अकेली होती हूं अचानक आ जाते है।वो लिहाज़ नहीं करते। कई बार मिथुन को भी कह चुकी हूं लेकिन उन्होने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया। उलटा मुझे ही डांटने लगते है.. मेरे साथ मारपीट करते है। हालात ये है कि सब मिलकर मुझे मार देना चाहते है। मम्मी मेरी जिदंगी कभी भी खत्म हो सकती है। मुझे ये भी नही मालूम की ये खत आपको मिलेगा भी या नही। हां मेरे बेटे साथर्क की जान भी खतरे में है।
तुम्हारी बेटी
प्रंशसा
खत लिखते हुए जब प्रशंसा की कलम रूकी तो, इसी के साथ उसकी सांसे भी थम गई। जो दर्द वो अपनी मां को ढाई साल में ना बता सकी, वो उसने इस खत में लिख दिया। ये खत प्रंशसा की मौत के ठीक ढाई महिने बाद मिला। और जब ये खत सामने आया तो उसकी मौत के राज से भी पर्दा उठ गया। दरअसल शादी के बाद से ही प्रशंसा को परेशान किया जा रहा था। उसके साथ मारपीट होती थी। लेकिन उसने ये बाते कभी अपने मायके वालो को नही बताई। मायके वालों के मुताबिक शादी के बाद से ही प्रशंसा को परेशान किया जाने लगा था। यहां तक की गाडी की मांग भी की गई थी।
प्रशंसा के खत मिलने के बाद मायके वालो की शिकायत पुलिस में की। पुलिस ने दहेज हत्या का मामला दर्ज कर प्रशंसा की सास, ससुर और पति मिथुन को गिरफ्तार कर लिया है। जबकि उसकी दोनों ननदें अभी फरार है और उन्हीं के पास प्रशंसा का बेटा साथर्क है हालांकि पुलिस ने दोनों को गिरफ्तार करने के लिए दबिश भी दी लेकिन कोई सुराग हाथ नही लग सका है।
डेढ़ साल के सार्थक के अभी तक न मिलने से प्रशंसा की मां अंजू को चिंता सता रही है। वही पुलिस दो आरोपियों को भी जल्द गिरफ्तार करने का भरोसा दे रही है। फिलहाल मिथुन के घर पर ताला लटका है। लेकिन एक बार फिर दहेज की आग ने. एक परिवार को तबाह कर दिया है।

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