22 दिसंबर 2009

दोस्त का ही अपहरण

दिल्ली पुलिस ने प्रदीप नाम के मानसिक रुप से विक्षिप्त युवक को इलाहाबाद से अपर्हणकर्ताओ से मुक्त करवाया। अपर्हणकर्ताओ ने युवक को छोड़ने के बदले 15 लाख रुपये की मांग की थी। पुलिस की मुताबिक आरोपी राहुल डेढ़ साल शाहपुर जाट इलाकें में किराये के माकन में रहता था।
पहले तो प्रदीप को कुदरत ने मारा...... फिर दोस्त ने दोस्ती में मारा....... प्रदीप मानसिक रुप से विक्षिप्त है....... जिसका फायदा उठा कर राहुल ने उससे दोस्ती कर ली। प्रदीप जहां कही भी राहुल को देखता उसके साथ हो लेता। राहुल को मालुम था... कि प्रदीप के घर लाखों रूपये मकान का किराया आता है।जिसकी वो पिछले कई महीनों से तहकीकात कर रहा था। इसी सिलसले में वो अक्सर प्रदीप के घर के पास चाय की दुकान पर आता रहता.....और वही.प्रदीप से मिलता। जिससे उस पर कोई भी शक नहीं करता.....लेकिन राहुल ने इसी महीने की 10 तारीख को रच डाली एक खतरनाक साजिश।...कि वो प्रदीप को लेकर इलाहाबाद पहुंच गया....और फिर वही से फिरौती की रकम वसूलने के लिए फोन करने लगा।
राहुल हर बार रकम वसूल करने के लिए नए नंबर का इस्तेमाल करता। इतना ही नही वो पुलिस से बचने के लिए जगह भी बदलता रहा।... राहुल को फिरौती रकम में देरी होता देख लगा कि उसका खेल बिगड़ गया । जिसके के लिए राहुल ने फिर से फिरौती के लिए फोन की घंटी बजा दी...। इस बार उसने परिजनों को धमकी दी अगर रकम समय से नही मिली तो वो प्रदीप की किडनी निकाल बेच देगा। .इसके बाद तो पुलिस के भी होश फख्ता हो गये। राहुल हर बार पुलिस को चकमा देता रहा। राहुल आगे आगे तो पुलिस पीछे पीछे। लेकिन आखिरकार राहुल का पुलिस से आखं मिचौली का खेल खत्म हो गया।

पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर सलाखों के पीछे पहुंचा दिया है। लेकिन अभी वारदात में शामिल तीन बदमाश फरार है।साथ ही पुलिस की मुक्कल्ल तफ्तीश भी अधूरी है।क्या अब दोस्ती में जान देने के बजाए जान लेने का रिवाज़ का चलन हो गया है.... शायद मालूम नहीं।..

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