09 दिसंबर 2009
फर्जी आईजी पार्ट टू
एक कहावत है बकरे की मां कब तक खैर मनाएगी। ऐसा ही कुछ इन नटवर लाल के साथ हुआ। एक दिन पूरा कुनबा ही पुलिस के हत्थे चढ गया। आईये आपको बताते है कि कैसे ये लोग पुलिस के शिकंजे में आ गए। फर्जी आईजी बने ज्ञानेद्र ने अपनी जेके नम्बर की जिप्सी पर रैपिड एक्शन फोर्स की प्लेट लगा रखी थी...बल्कि सायरन भी लगा रखा था। इसी सायरन इन्हे पुलिस थाने पहुंचा दिया... दरअसल सायरन बजाते हुए ये लोग नोएडा से गुजर रहे थे... तभी नाके पर तैनात पुलिस कर्मियों ने इन्हें रोक लिया... चैकिंग के दौरान ज्ञानेद्र ने खुद को रैपिड एक्शन फोर्स का आईजी बताया... कुछ पल के लिए तो पुलिसकर्मियों को लगा कि ज्ञानेन्द्र सही बोल रहा है। लेकिन शक होने पर जब आईकार्ड की मांग की गई तो पूरी हकीकत सामने आ गई। जो आईकार्ड उसने पुलिस वालों को दिखाया वो फर्जी था। यही नही उसकी पत्नी और बेटे का आईकार्ड भी फर्जी निकला। पुलिस को समझते देर नही लगी की ये कोई आईजी या सर्कल ऑफिसर नही बल्कि शातिर नटवर लाल है। पुलिस ने जब तीनो से गहराई से पूछताछ की तो कई चौंकाने वाली बाते सामने आई। ज्ञानेन्द्र ने पुलिस को बताया कि उसने ग्रेटर नोएडा में आल इंडिया बैंक रिकवरी रैपिड एक्शन फोर्स नाम से एक रिकवरी कम्पनी खोल रखी है और वो बैंको के लिए पैसा वसूल करने का काम करता है। इसमें उसका बेटा और पत्नी भी बखूबी साथ देते। इसी की आड में ये लोग खुद को रैपिड एक्शन फोर्स का अधिकारी बताकर लोगों को चूना लगाते थे। पुलिस को जांच में पता चला की जिस कम्पनी का नाम आरोपी ने बताया है उस नाम से तो किसी कम्पनी का रजिस्ट्रेशन ही नही हुआ है। पुलिस ने इनके पास से कई तरह के फर्जी दस्तावेज भी बरामद किए है। फिलहाल तीनों के खिलाफ धोखाधडी का मामला दर्ज कर लिया गया है। अब पुलिस ये पता लगाने में जुटी है कि अब तक इन्होंने कितने लोगों को फंसाया है...साथ ही उस बैंक का भी पता किया जा रहा जिसके लिए ये काम करते थे
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