दिल्ली पुलिस ने 26 दिसम्बर को जहांगीर पुरी इलाके से अगवा बच्चे की हत्या के मामले को सुलझा लिया है। पुलिस ने इस मामले में दो लोगों को गिरफ्तार किया है। पुलिस के मुताबिक 12 साल के करणदीप का अपहरण फिरौती के लिए किया गया था और पकडे जाने के डर से उसकी हत्या की गई थी।
देखने में मासूम लेकिन हरकत बेहद खौफनाक। पुलिस के शिकंजे में आए इन शातिरों पर आरोप है एक बच्चे के कत्ल का। 20 साल के गुड्डु ने अपने एक साथी के साथ मिलकर जल्द पैसा कमाने की चाहत में 26 दिसम्बर की शाम 12 साल के करणदीप का अपहरण किया था। लेकिन पकडे जाने के डर से दोनों ने उसकी बेरहमी से हत्या कर दी। सोमवार को करणदीप का शव गाजियाबाद के कविनगर इलाके से बरामद हुआ। पुलिस के मुताबिक दोनों का कोई आपराधिक रिकॉर्ड नही है। दोनों को मौज मस्ती के लिए पैसों की जरूरत थी और इसलिए इन्होंने राजबहादुर के बेटे को अगवा कर लिया।
पुलिस के मुताबिक गुड्डू अपने पिता के साथ राजबहादुर के घर शीशा फिटिंग का काम कर रहा था। जब गुड्डू राजबहादुर से पैसे ले रहा था तभी उसने रची एक खैफनाक साजिश। इस साजिश में गुड्डु ने अपने एक साथी मोहम्मद फहीम को भी शामिल कर लिया। शनिवार को ये लोग करणदीप को बहाने से अपने साथ ले गए। जब बच्चा देर रात तक घर नहीं लौटा तो परिजनों ने तुरंत पुलिस को सूचना दी। परिजनों ने गुड्डु पर शक जाहिर किया। फिर क्या था। पुलिस ने गुड्डू को हिरासत में लेकर सख्ती से पूछताछ की तो हकीकत सामने आ गई। गुड्डु ने पुलिस को बताया कि उसने करणदीप को फहीम के हवाले कर दिया है।
पैसो की चाहत ने दोनों को इस कदर अंधा बना दिया की गुनाह की राह पर भी इनके कदम नही डगमगाए। इनके गुनाह ने जहां इनकों जेल का रास्ता दिखा दिया वहीं एक मां- बाप से उनका बच्चा हमेशा के लिए छीन लिया।
29 दिसंबर 2009
27 दिसंबर 2009
जौहरी से लूटपाट
.दिल्ली के नजफगढ इलाके में बेखौफ बाइक सवार बदमाशों ने एक जौहरी की लूट के बाद गोली मारकर हत्या कर दी। बदमाश जौहरी की कार समेत उसमें रखे पांच लाख रूपये भी लेकर फरार हो गए। घटना के वक्त रोशन सिंह नाम का जौहरी अपने घर लौट रहा था। क्या दिल्ली... और क्या दिल्ली वाले.... यहां कोई नहीं है सुरक्षित । दिल्ली पुलिस सुस्त है और बदमाश यहां मस्त है । एक बार फिर दिल्ली पुलिस ने दिखा दिया कि वो किस कदर बेबस है । रविवार की शाम करीब छ बजे रोशन सिंह नजफगढ से अपने घर नांगलोई लौट रहे थे । अचानक रनहोला गांव के पास बाइक पर सवार बदमाशों ने उनकी स्विफ्ट कार के सामने बाइक लगा दी । जब तक रोशन कुछ समझ पाते बदमाशों ने उनपर ताबड़तोड़ फायरिंग कर दी। जिससे रोशन की मौके पर ही मौत हो गई।
रोशन सिंह की दिल्ली के करोल बाग में ज्वैलरी शॉप है और रविवार को वो नजफगढ से पांच लाख रूपये लेकर लौट रहे थे । नज़फगढ़ के रास्ते में बदमाश हरियाणा नम्बर की बाइक पर सवार होकर आए और वारदात को अंजाम देने के बाद रोशन सिंह की स्विफ्ट कार लेकर फरार हो गए...बदमाशों ने अपनी बाइक को मौका-ए-वारदात पर ही छोड़ दिया। जिस तरह से इस वारदात को अंजाम दिया गया है उससे पुलिस को शक है कि इसमें रोशन का कोई जानकार भी शामिल है।
फिलहाल पुलिस ने लूटपाट और हत्या का मामला दर्ज कर लिया है। लेकिन अभी तक लुटेरों का कोई भी सुराग हाथ नही लग सका है। अब पुलिस के सामने बदमाशों को जल्द गिरफ्तार करने की चुनौती है।
रोशन सिंह की दिल्ली के करोल बाग में ज्वैलरी शॉप है और रविवार को वो नजफगढ से पांच लाख रूपये लेकर लौट रहे थे । नज़फगढ़ के रास्ते में बदमाश हरियाणा नम्बर की बाइक पर सवार होकर आए और वारदात को अंजाम देने के बाद रोशन सिंह की स्विफ्ट कार लेकर फरार हो गए...बदमाशों ने अपनी बाइक को मौका-ए-वारदात पर ही छोड़ दिया। जिस तरह से इस वारदात को अंजाम दिया गया है उससे पुलिस को शक है कि इसमें रोशन का कोई जानकार भी शामिल है।
फिलहाल पुलिस ने लूटपाट और हत्या का मामला दर्ज कर लिया है। लेकिन अभी तक लुटेरों का कोई भी सुराग हाथ नही लग सका है। अब पुलिस के सामने बदमाशों को जल्द गिरफ्तार करने की चुनौती है।
22 दिसंबर 2009
दोस्त का ही अपहरण
दिल्ली पुलिस ने प्रदीप नाम के मानसिक रुप से विक्षिप्त युवक को इलाहाबाद से अपर्हणकर्ताओ से मुक्त करवाया। अपर्हणकर्ताओ ने युवक को छोड़ने के बदले 15 लाख रुपये की मांग की थी। पुलिस की मुताबिक आरोपी राहुल डेढ़ साल शाहपुर जाट इलाकें में किराये के माकन में रहता था।
पहले तो प्रदीप को कुदरत ने मारा...... फिर दोस्त ने दोस्ती में मारा....... प्रदीप मानसिक रुप से विक्षिप्त है....... जिसका फायदा उठा कर राहुल ने उससे दोस्ती कर ली। प्रदीप जहां कही भी राहुल को देखता उसके साथ हो लेता। राहुल को मालुम था... कि प्रदीप के घर लाखों रूपये मकान का किराया आता है।जिसकी वो पिछले कई महीनों से तहकीकात कर रहा था। इसी सिलसले में वो अक्सर प्रदीप के घर के पास चाय की दुकान पर आता रहता.....और वही.प्रदीप से मिलता। जिससे उस पर कोई भी शक नहीं करता.....लेकिन राहुल ने इसी महीने की 10 तारीख को रच डाली एक खतरनाक साजिश।...कि वो प्रदीप को लेकर इलाहाबाद पहुंच गया....और फिर वही से फिरौती की रकम वसूलने के लिए फोन करने लगा।
राहुल हर बार रकम वसूल करने के लिए नए नंबर का इस्तेमाल करता। इतना ही नही वो पुलिस से बचने के लिए जगह भी बदलता रहा।... राहुल को फिरौती रकम में देरी होता देख लगा कि उसका खेल बिगड़ गया । जिसके के लिए राहुल ने फिर से फिरौती के लिए फोन की घंटी बजा दी...। इस बार उसने परिजनों को धमकी दी अगर रकम समय से नही मिली तो वो प्रदीप की किडनी निकाल बेच देगा। .इसके बाद तो पुलिस के भी होश फख्ता हो गये। राहुल हर बार पुलिस को चकमा देता रहा। राहुल आगे आगे तो पुलिस पीछे पीछे। लेकिन आखिरकार राहुल का पुलिस से आखं मिचौली का खेल खत्म हो गया।
पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर सलाखों के पीछे पहुंचा दिया है। लेकिन अभी वारदात में शामिल तीन बदमाश फरार है।साथ ही पुलिस की मुक्कल्ल तफ्तीश भी अधूरी है।क्या अब दोस्ती में जान देने के बजाए जान लेने का रिवाज़ का चलन हो गया है.... शायद मालूम नहीं।..
पहले तो प्रदीप को कुदरत ने मारा...... फिर दोस्त ने दोस्ती में मारा....... प्रदीप मानसिक रुप से विक्षिप्त है....... जिसका फायदा उठा कर राहुल ने उससे दोस्ती कर ली। प्रदीप जहां कही भी राहुल को देखता उसके साथ हो लेता। राहुल को मालुम था... कि प्रदीप के घर लाखों रूपये मकान का किराया आता है।जिसकी वो पिछले कई महीनों से तहकीकात कर रहा था। इसी सिलसले में वो अक्सर प्रदीप के घर के पास चाय की दुकान पर आता रहता.....और वही.प्रदीप से मिलता। जिससे उस पर कोई भी शक नहीं करता.....लेकिन राहुल ने इसी महीने की 10 तारीख को रच डाली एक खतरनाक साजिश।...कि वो प्रदीप को लेकर इलाहाबाद पहुंच गया....और फिर वही से फिरौती की रकम वसूलने के लिए फोन करने लगा।
राहुल हर बार रकम वसूल करने के लिए नए नंबर का इस्तेमाल करता। इतना ही नही वो पुलिस से बचने के लिए जगह भी बदलता रहा।... राहुल को फिरौती रकम में देरी होता देख लगा कि उसका खेल बिगड़ गया । जिसके के लिए राहुल ने फिर से फिरौती के लिए फोन की घंटी बजा दी...। इस बार उसने परिजनों को धमकी दी अगर रकम समय से नही मिली तो वो प्रदीप की किडनी निकाल बेच देगा। .इसके बाद तो पुलिस के भी होश फख्ता हो गये। राहुल हर बार पुलिस को चकमा देता रहा। राहुल आगे आगे तो पुलिस पीछे पीछे। लेकिन आखिरकार राहुल का पुलिस से आखं मिचौली का खेल खत्म हो गया।
पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर सलाखों के पीछे पहुंचा दिया है। लेकिन अभी वारदात में शामिल तीन बदमाश फरार है।साथ ही पुलिस की मुक्कल्ल तफ्तीश भी अधूरी है।क्या अब दोस्ती में जान देने के बजाए जान लेने का रिवाज़ का चलन हो गया है.... शायद मालूम नहीं।..
बाघ की खाल तस्कर गिरफ्तार
हरिद्वार पुलिस दुर्लभ प्रजाति के जानवरों की खाल तस्करी करने वाले दो लोगों को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने इनके पास से पांच बाघों की खाल बरामद की है। पुलिस के मुताबिक ये गिरोह जानवरों का शिकार कर उन्हें खाल को महंगी कीमत पर बेच दिया करता था। फिलहाल पुलिस को इस गिरोह के कुछ और बदमाशों की तलाश हैउत्तराखंड के घने जंगल भी जानवरों के लिए सुरक्षित नहीं रह गए हैं वन विभाग की लापरवाही के चलते दुर्लभ प्रजाति के बाघों के अस्तित्व पर ही खतरा मंडरा रहा है। शिकारी इस कदर बेखौफ है कि एक दो नही बल्कि पांच पांच बाघों को भी मौत के घाट उतारने से भी गुरेज नही करते। हरिद्वार पुलिस के हत्थे चढ़े गढ़वाल के दोनों खाल तस्करों के पास मिली पांच खालें तो कुछ यही बयां करती हैं हैरानी की बात तो ये है कि इन लोगों ने पांच बाघों का शिकार महज दो सप्ताह में वो भी बिना गोली मारे किया था। ताकि इनकी अछी कीमत मिल सके अब पुलिस इस गिरोह के अन्य बदमाशों की तलाश में दबिश दे रही है।
पुलिस के हत्थे चढ़े बाघों के शिकारी कोई आम शिकारी नहीं हैं, ये बखूबी जानते थे की बाघों की कौन सी खाल की कीमत कितनी मिलने वाली है। इसी बात को ध्यान में रखकर ये लोग शिकार करते। ये लोग बाघ को गोली से मरने के बजाये उसे ज़हर देकर मौत के घाट उतारते इसके लिए एक बड़ा पिंजरा और उसमे जहरीला मांस रखा जाता। बाघ जैसे ही उसे खाने आता पिंजरे में बंद तो हो ही जाता साथ ही जहरीला मांस खाने से उसकी मौत भी हो जाती। तस्करों के लिए फायदा इस बात को लेकर था कि बाघ की खाल में कोई छेद भी नही होता।
. पुलिस के हत्थे चढ़े वन्य जीव तस्करों ने जानवरों की सुरक्षा और वन विभाग की कार्यप्रणाली पर ही सवालिया निशान लगा दिया है इसी प्रकार बाघ सरीखे दुर्लभ प्रजाति के जानवरों को आसानी से शिकार बनाया जाता रहेगा तो आने वाले दिनों में उत्तराखंड के जंगलों से बाघों का अस्तितव ही मिट जायेगा
18 दिसंबर 2009
कातिल बेटी
तारीख 29 मई... दिन शुक्रवार.. वक्त... शाम के सात बजे... जगह दिल्ली का पश्चिम विहार इलाका और खबर थी एक महिला के घर में लाश मिलने की। मरने वाली महिला थी पचपन साल की किरण कपूर। पहली नजर में साफ था की महिला की हत्या की गई है। चारों तरफ घर का सामान बिखरा पडा था। घर के हालात देखकर लग रहा था कि लूट के इरादे से आए बदमाशों ने लूट का विरोध करने पर हत्या की है। और फिर घर से गायब कुछ कीमती सामान से बात पुख्ता होती दिख रही थी। वहीं किरण कपूर की बेटी ने इस बात को ये कहकर और भी पुख्ता कर दिया की जिस वक्त मां बेटी घर में मौजूद थी। साक्षी ने पुलिस का बताया कि वह खाना बना रही थी तभी दो बदमाश लूटपाट के इरादे से घर में घुस आए..उनसे डरकर वह छिप गयी। उसने अपनी मां के कमरे से टीवी की तेज आवाज सुनी लेकिन बाहर निकलकर मां की मदद करने की हिम्मत नही जुटा सकी। बाद में साक्षी ने बाहर जाकर देखा तो मां खून में लथपथ मृत पडी थी। शुरूआती दौर में ये बात कुछ लोगों को सही लगी लेकिन तफ्तीश में जुटी पुलिस को साक्षी का बयान गले नही उतर रहा था।
पुलिस की तफ्तीश कई पहुलओं को लेकर आगे बढ रही थी.. मामले की साक्षी अकेली चश्मदीद था साफ था कि पुलिस साक्षी से पूछताछ कर मामले के बेहद करीब पहुंच सकती थी। लेकिन पुलिस उस वक्त चौंक गई जब पता चली कि जो गहने किरण कपूर ने पहन रखे थे वो ज्यों के त्यों है। बस यहीं से पुलिस का माथा ठनक गया। भला ऐसा कैसे हो सकता है कि बदमाश लूटपाट के मकसद से घर में घूसे बाकायदा कीमती सामान ले भी जाए लेकिन जिस महिला का कत्ल करें उसके जैवरात को छुए तक नही। बस यहीं से पुलिस ने साक्षी से दोबारा पुछताछ की। पहले और अब के बयान में विरोधाभास था। साक्षी ने पुलिस को अपने एक दर्जन बॉयफ्रेंड्स के नाम बताए, लेकिन सनी का नाम उसने छिपा लिया। बस, यहीं से पुलिस का शक गहराता गया। पुलिस के शक के दायरे में सन्नी का नाम था। पुलिस के मुताबिक सन्नी साक्षी का ब्वायफ्रेन्ड था लेकिन उसने इसका नाम पुलिस को नही बताया था।
साक्षी ने पुलिस को ये भी बताया था कि लुटेरों ने मां की हत्या की और वह सोफे के पीछे छिपी रही। घर में घुसने और बाहर निकलने के कई रास्ते थे। इसके बावजूद मां पर हमले के दौरान उसने बाहर निकलकर शोर नहीं मचाया। यहां पुलिस का शक और गहरा गया। अब तक पुलिस के सामने ये बात तो साफ हो चुकी थी कि किरण की हत्या लूटपाट के मकसद से तो कतई नही कि गई है। यानि शुरूआती दौर में जो तस्वीर उभरकर सामने आई वो महज एक मनघडंत कहानी है। जब पुलिस ने साक्षी की फोन कॉल डिटेल खंगाली तो तस्वीर और भी साफ हो गई। दरअसल कत्ल के दिन साक्षी और उसके बॉयफ्रेन्ड सन्नी के बीच पूरे नौ बार बात हुई थी। पुलिस ने उससे सनी के बारे में सवाल किया। साक्षी ने शुरुआत में उसके बारे में कोई जानकारी देने से इनकार किया, लेकिन सबूत दिखाने के बाद उसने सनी के साथ अपने संबंध मान लिए। एक ओर तो साक्षी इस बात से साफ इनकार कर रही थी कि इस मर्डर केस में उसका और सनी का हाथ है, वहीं दूसरी ओर पुलिस सनी को ट्रेस कर रही थी। वह शालीमार बाग स्थित अपने घर से लापता था। आखिरकार पुलिस ने सन्नी को शालीमार बाग से गिऱफ्तार कर लिया। सनी ने जल्द ही अपना जुर्म कबूल कर लिया। उसकी निशानदेही पर किरण कपूर के घर से उठाए गए सेलफोन, जूलरी, 16,600 रुपये, टीएफटी स्क्रीन एलजी, स्विस स्टार वॉच और उसके खून सने कपड़े बरामद कर लिए।
किरण कपूर का कत्ल खुद साक्षी ने अपनी बॉयफ्रेन्ड सन्नी के साथ मिलकर किया था। दरअसल किरण को बेटी के चाल चलन पर पहले से ही शक था। उसने बेटी को समझाने की लाख कोशिश की लेकिन कोई फायदा नही हुआ। इसी वजह से साक्षी का घर से आना जाना बन्द कर दिया गया। फिर भी किसी ना किसी तरह वो अपने बॉयफ्रेन्ड को घर पर बुला लेती। वारदात वाले दिन दोनों घर पर ही मौजूद थे जबकि किरण काम के सिलसिले से बाहर गई हुई थी। जब किरण घर लौटी तो बेटी को आपत्तिजनक हालात में देखकर गुस्सा गई। बस इसी बात पर दोनों ने किरण का बेरहमी से कत्ल कर दिया और फिर खुद को बचाने के लिए हत्या को शक्ल दी लूटपाट के बाद हत्या की। आखिरकार असलियत सबके सामने आ गई।..
पुलिस की तफ्तीश कई पहुलओं को लेकर आगे बढ रही थी.. मामले की साक्षी अकेली चश्मदीद था साफ था कि पुलिस साक्षी से पूछताछ कर मामले के बेहद करीब पहुंच सकती थी। लेकिन पुलिस उस वक्त चौंक गई जब पता चली कि जो गहने किरण कपूर ने पहन रखे थे वो ज्यों के त्यों है। बस यहीं से पुलिस का माथा ठनक गया। भला ऐसा कैसे हो सकता है कि बदमाश लूटपाट के मकसद से घर में घूसे बाकायदा कीमती सामान ले भी जाए लेकिन जिस महिला का कत्ल करें उसके जैवरात को छुए तक नही। बस यहीं से पुलिस ने साक्षी से दोबारा पुछताछ की। पहले और अब के बयान में विरोधाभास था। साक्षी ने पुलिस को अपने एक दर्जन बॉयफ्रेंड्स के नाम बताए, लेकिन सनी का नाम उसने छिपा लिया। बस, यहीं से पुलिस का शक गहराता गया। पुलिस के शक के दायरे में सन्नी का नाम था। पुलिस के मुताबिक सन्नी साक्षी का ब्वायफ्रेन्ड था लेकिन उसने इसका नाम पुलिस को नही बताया था।
साक्षी ने पुलिस को ये भी बताया था कि लुटेरों ने मां की हत्या की और वह सोफे के पीछे छिपी रही। घर में घुसने और बाहर निकलने के कई रास्ते थे। इसके बावजूद मां पर हमले के दौरान उसने बाहर निकलकर शोर नहीं मचाया। यहां पुलिस का शक और गहरा गया। अब तक पुलिस के सामने ये बात तो साफ हो चुकी थी कि किरण की हत्या लूटपाट के मकसद से तो कतई नही कि गई है। यानि शुरूआती दौर में जो तस्वीर उभरकर सामने आई वो महज एक मनघडंत कहानी है। जब पुलिस ने साक्षी की फोन कॉल डिटेल खंगाली तो तस्वीर और भी साफ हो गई। दरअसल कत्ल के दिन साक्षी और उसके बॉयफ्रेन्ड सन्नी के बीच पूरे नौ बार बात हुई थी। पुलिस ने उससे सनी के बारे में सवाल किया। साक्षी ने शुरुआत में उसके बारे में कोई जानकारी देने से इनकार किया, लेकिन सबूत दिखाने के बाद उसने सनी के साथ अपने संबंध मान लिए। एक ओर तो साक्षी इस बात से साफ इनकार कर रही थी कि इस मर्डर केस में उसका और सनी का हाथ है, वहीं दूसरी ओर पुलिस सनी को ट्रेस कर रही थी। वह शालीमार बाग स्थित अपने घर से लापता था। आखिरकार पुलिस ने सन्नी को शालीमार बाग से गिऱफ्तार कर लिया। सनी ने जल्द ही अपना जुर्म कबूल कर लिया। उसकी निशानदेही पर किरण कपूर के घर से उठाए गए सेलफोन, जूलरी, 16,600 रुपये, टीएफटी स्क्रीन एलजी, स्विस स्टार वॉच और उसके खून सने कपड़े बरामद कर लिए।
किरण कपूर का कत्ल खुद साक्षी ने अपनी बॉयफ्रेन्ड सन्नी के साथ मिलकर किया था। दरअसल किरण को बेटी के चाल चलन पर पहले से ही शक था। उसने बेटी को समझाने की लाख कोशिश की लेकिन कोई फायदा नही हुआ। इसी वजह से साक्षी का घर से आना जाना बन्द कर दिया गया। फिर भी किसी ना किसी तरह वो अपने बॉयफ्रेन्ड को घर पर बुला लेती। वारदात वाले दिन दोनों घर पर ही मौजूद थे जबकि किरण काम के सिलसिले से बाहर गई हुई थी। जब किरण घर लौटी तो बेटी को आपत्तिजनक हालात में देखकर गुस्सा गई। बस इसी बात पर दोनों ने किरण का बेरहमी से कत्ल कर दिया और फिर खुद को बचाने के लिए हत्या को शक्ल दी लूटपाट के बाद हत्या की। आखिरकार असलियत सबके सामने आ गई।..
17 दिसंबर 2009
फिर लुटी दिल्ली
दिल्ली के लोग लुट जाते हैं और पुलिस तमाशा देखती रह जाती है...पुलिस लोगों को सुरक्षित होने का दावा तो करती है..लेकिन उन दावों में कितना दम होता है, ये सबको मालूम है...बदमाश बेखौफ होकर दिल्ली पुलिस की दावों का हवा निकाल देते हैं....बदमाश दिनदहाड़े वारदात को अंजाम देकर फरार हो जाते हैं...और पुलिस खाक छानती रह जाती है...ताजा मामला है दिल्ली के अशोक विहार का...जहां बाइक सवार बदमाशों ने ज्वैलरी व्यवसायी से एक करोड पचपन लाख रूपये लूट लिए। माना जा रहा है कि दिल्ली में अब तक का ये सबसे बड़ी लूट है.... लुट रही है दिल्ली.. बेखौफ है बदमाश.. नही है पुलिस का डर.. पुलिस है बेबस.. लगातार हो रही लूट की वारदात से व्यापारी वर्ग खौफजदा है। बेखौफ बदमाशों ने इस बार निशाना बनाया दिल्ली के ज्वैलरी व्यवसायी पूर्ण चन्द बंसल को। दरअसल अशोक विहार फेज दो में रहने वाले पूर्ण चंद सुबह तकरीबन नौ बजे घर से बैंक जाने के लिए निकले ...उनके साथ दो बैग में एक करोड पचपन लाख रूपये थे जिन्हें बैंक में जमा करना था....जैसे ही उन्होंने घर के बाहर खड़ी अपनी गाडी में बैग रखा तो दो बाइक पर सवार होकर आए चार बदमाशों ने उनपर पिस्टल सटा दी। जब तक पूर्णचंद कुछ समझ पाते बदमाश बैग लेकर फरार हो चुके थे। पुलिस के मुताबिक पूर्ण चंद का सदर बाजार और अशोक विहार में ज्वैलरी का कारोबार है और कई दिन की कलेक्शन इक्ठठा होने की वजह से वो बैंक में पैसा जमा कराने जा रहे थे। पुलिस को पुछताछ में पता चला है कि बदमाश पहले से ही घर के बाहर घात लगाए थे। वे घर के पास रहने वाले धोबी की दुकान में बैठकर पूर्ण चंद का इंतजार कर रहे थे.... जैसे ही पूर्णचंद घर से बाहर निकले उन्हे निशाना बना लिया। पुलिस को आशंका है कि बदमाशों को पहले से ही पुख्ता जानकारी रही होगी। तभी बदमाशों ने इस वारदात को बेखौफ होकर अंजाम दिया है...पुलिस ने पुछताछ के लिए इस मामले में धोबी समेत तीन लोगों को हिरासत मे लिया है। हालांकि घटना के तुरंत बाद पुलिस ने इलाके की नाकेबंदी कर वहां से गुजर रहे सभी बाइक सवार लोगों की जांच कर रही है। . नार्थ वेस्ट दिल्ली में लूट की ये कोई पहली वारदात नही है...इससे पहले भी बेखौफ बदमाश कई व्यापारियों को अपना शिकार बना चुके है। हालांकि कुछ दिन पहले पुलिस ने बदमाशों को गिरफ्तार कर लूटपाट के कई मामले सुलझाने का दावा किया था,...लेकिन पुलिस का दावों में कितना दम था...इस वारदात के बाद जाहिर हो चुका है....दिन दहाडे हुई इतनी बडी लूट के बाद इलाके के कारोबारी सहमे हुए है।
माता के नाम पर लूट
दिल्ली पुलिस ने एक ऐसे गैंग का पर्दाफाश किया है जो माता के जागरण के नाम पर लोगों के घरों में सेंधमारी करता था। पुलिस ने इस मामले में तीन लोगों को गिरफ्तार किया है। तीनों बिहार के रहने वाले है और इन दिनों दिल्ली के अलग अलग इलाके में रह रहे थे। पुलिस ने इनके पास से सेंधमारी का काफी सामान बरामद किया है इसी के साथ वारदात में इस्तेमाल किए जाने वाले हथियार भी बरामद किए है। पुलिस ने इनकी गिरफ्तारी से लूट और सेंधमारी की दो दर्जन से ज्यादा वारदातों को सुलझाने का दावा किया है।कहते हैं कि मां के दर जो भी गया वो कभी खाली हाथ नही लौटा। मां अपने बच्चों का ख्याल रखती है और उन्हें खाली हाथ नहीं लौटाती....पर वे दुसरों से कुछ अलग थे... वो माता के दर नहीं बल्कि माता के नाम पर लोगों के दर जाते थे... और वो भी कभी खाली हाथ नही लौटे.... जहां भी गए उनकी झोली में कुछ ना कुछ आ ही जाता... प्यार से नहीं तो लूट कर, डकैती कर....जी हां दिल्ली पुलिस की गिरफ्त में आए ये तीनों शातिर माता के नाम पर ही लूट और सेंधमारी की वारदात को अंजाम देते थे। पुलिस के मुताबिक ये लोग माता के जागरण की पर्ची के बहाने लोगों के घरों में दान लेने जाते ... और फिर घर में किसी को ना पा उस घर को लूट लेते थे.... जिस घर मे ये लोग जाते... इनकी निगाह घर में रखे सामान पर ही होती थी। जिस घर में कोई नही होता उस घर का ताला तोड़ ये शातिर कीमती सामान लेकर फरार हो जाते। पिछले कई महीनों से दक्षिणी दिल्ली में हो रही सेंधमारी से पुलिस भी तंग आ चुकी थी... पुलिस ने इनकी धरपकड के लिए टीम का गठन किया तो तीनों शातिर पुलिस के शिकंजे में आ गए। इनकी गिरफ्तारी में अहम भूमिका निभाई एक स्कूली छात्र ने.... दरअसल बीस अक्टूबर को गैंग लोधी कॉलोनी के एक मकान में ताला तोडकर सेंधमारी की वारदात को अंजाम दे रहा था...वहीं पास के मकान में एक स्कूली छात्र इन बदमाशों की सारी हरकतें देख रहा था....बच्चे ने इनकी सारी हरकतों को मोबाइल फोन में कैद कर लिया। जब पुलिस ने इनकी तलाश शुरू की तो पुलिस को भी छात्र की क्लीपिंग के बारे में पता चला। क्लिपिंग के आधार पर पुलिस ने इन्हें गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तार किए गए तीनों शातिरों के नाम अखिल, सुनिल और अजय है और तीनों मूलरूप से बिहार के रहने वाले है हालांकि इन दिनों ये शातिर दिल्ली के अलग अलग इलाके मे रह रहे थे। पुलिस ने गिरफ्तार बदमाशों के पास से चार लाख से अधिक के सोने के गहने, तीन चाकू, वारदात में इस्तेमाल किये जाने वाले हथियार और एक मोटरसाईकिल भी बरामद की है। अभी इस गैंग के कुछ और बदमाश फरार है जिनकी पुलिस तलाश कर रही है। पुलिस को यकीन है कि इनकी गिरफ्तारी से कुछ और वारदात के मामले सुलझ सकते हैं
14 दिसंबर 2009
एक मासूम पूछ रहा सवाल.... मेरा गुनाह क्या था...
दिल्ली के केशवपुरम इलाके में एक साल के बच्चे की गोली मारकर हत्या कर दी गई। घटना के वक्त बच्चा घर में अपने माता- पिता और बहनों के साथ सो रहा था। गोली बच्चे के सिर में लगी जिससे उसकी अस्पताल में मौत हो गई। पुलिस ने गैरइरादतन हत्या का मामला दर्ज कर लिया है और आरोपी की तलाश कर रही है। एक साल का मासूम इरशाद अब इस दुनिया में नही है.. और ना ही उसकी यादें तस्वीरों में बची है। इरशाद की गोली लगने से मौत हो गई... ग्यारह दिसम्बर की रात इरशाद अपने परिवार के साथ केशवपुरम रेलवे ट्रैक के पास बसी झुग्गी में सो रहा था। रात एक बजे के करीब अचानक वो जोर जोर से रोने लगा...पास ही में सोयी उसकी मां ने जब लाइट जलाकर देखा तो इरशाद के सिर से खून बह रहा था। ये देखकर माता पिता घबरा गए। तुरंत उसे एलएनजेपी अस्पताल ले जाया गया। लेकिन घर वालों को अभी तक नहीं मालूम पड़ा था कि आखिर बच्चे को हुआ क्या... कुछ ही देर में डॉक्टरों ने बच्चे को मृत घोषित कर दिया। पता चला की इरशाद से सिर में गोली लगी है और गोली लगने के वजह से ही उसकी मौत हुई है। अस्पताल से सूचना मिलने के बाद पुलिस अस्पताल पहुंची...पुलिस ने परिजनों से भी पूछताछ की...साथ ही पुलिस उस घर में भी पहुंची जहां बच्चें को गोली लगी थी पुलिस को जांच में पता चला की गोली गत्ते और पॉलिथिन की छत को भेदते हुए बच्चे को जा लगी थी.... पुलिस के मुताबिक हो सकता है किसी ने शादी समारोह के दौरान फायरिंग की हो और नीचे गिरते हुए गोली बच्चे को लग गई। फिलहाल पुलिस ने अज्ञात शख्स के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज कर लिया है . बेहद अजीबो गरीब हालात में हुई मासूम की मौत से इलाके के लोग सन्न है तो पुलिस भी परेशान दिखती है। उसे समझ नही आ रहा कि गोली चलाने वाले शख्स तक वो कैसे पहुंचे।
11 दिसंबर 2009
असली बोतल नकली शराब
एंकर.. अगर आप भी महंगी शराब पीने के शौकीन है तो जरा संभल जाएं। हो सकता है कि आपका ये शौक महंगा पड जाए। राजधानी में ना केवल जहरीली शराब बेची जा रही है। बल्कि महंगी और उमदा किस्म की शराब के नाम पर लोगों को जहर बेचा जा रहा है। दिल्ली पुलिस ने एक ऐसे ही शख्स को गिरफ्तार किया है जो उमदा किस्म शराब की खाली बोतलों में सस्ती शराब भर बाजार में बेच दिया करता था। पुलिस ने जयप्रकाश नाम के इस शख्स के पास से ब्रांडिड किस्म की 108 बोतलें भी बरामद की हैं। शादी-विवाह के मौकों पर आपने खूब जाम छलकाएं होगें...पार्टियों में भी शराब का लुत्फ उठाया होगा..और तो और जहरीली शराब पीकर लोगों को तिल तिल कर मरते हुए भी देखा होगा...। हो सकता है इसके बाद आपने फैसला भी किया हो...शराब से तौबा करने का। अगर कोई आपको उम्दा शराब लाकर दे दे, तो हो सकता है फिर से आपका मन डोल जाए...आप अपनी सोच बदले दे और ये कह उठे कि दो दो पैक लगाने में बुराई ही क्या है। लेकिन आपकी सोच में हम जरा सी दखल देने की हिमाकत कर रहें हैं....आपको आगाह कर रहे हैं कि कहीं महंगी शराब के चक्कर में आप किसी खतरे में ना पड़ जाएं...क्योंकि शराब के नाम पर लोगों को परोसा जा रहा है जहर...शराब के नाम पर बांटी जा रही मौत...मौत बांटने वाले आपके आसपास भी हो सकते हैं...अब जरा इन साहब से मिलिए....पुलिस ने इन्हें कुछ इसी तरह के मामले में गिरफ्तार किया है। पुलिस के मुताबिक जयप्रकाश नाम का ये शख्स लोगों को उमदा किस्म की शराब के नाम पर नकली शराब परोसता था। दरअसल दस दिसम्बर को दिल्ली पुलिस के स्पेशल स्टाफ को सूचना मिली थी कि जहांगीर पुरी इलाके में महंगी शराब की बोतलों मे नकली शराब परोसने का काम चल रहा है। पुलिस ने टीम का गठन कर छापा मारा तो जयप्रकाश नाम का ये शातिर पुलिस के शिकंजे मे आ गया।पुलिस को जयप्रकाश से पूछताछ में जो कुछ पता चला वो चौंकाने वाला है। दरअसल जयप्रकाश फार्म हाउस में होने वाली पार्टी या शादी समारोहों से महंगी शराब की खाली बोतलें उठा लाता था या फिर कबाडियों से बोतले खरीद लाता था। बाद में उन बोतलों में नकली शराब भरकर दोबारा पैकिंग कर शादी, पार्टी में सप्लाई कर देता...पुलिस ने शराब की जो बोतले बरामद की हैं उनकी ओरिजनल बोतल की कीमत दो हजार से तीन हजार रूपये तक है। जबकि ये महज एक हजार रूपये में उसी ब्रांड की नकली शराब मुहैया कराता था। पुलिस ने इसके जहांगीर पुरी के ठिकाने से उमदा किस्म की शराब की 108 बोतलें बरामद की हैं... साथ ही पैकिंग की दो मशीन, रैपर, स्टिकर भी भारी मात्रा में बरामद किये हैं।फिलहाल पुलिस ने एक्साइज एक्ट और आईपीसी की धारा 420,468,471 के मामला दर्ज कर लिया है। पुलिस अब ये पता लगाने में लगी है कि असली और नकली के इस गोरखधंधे में और कौन कौन शामिल है। लेकिन इस घटना ने साफ कर दिया है कि सस्ती शराब ही नही ब्रांडेड शराब भी जहरीली हो सकती है।
09 दिसंबर 2009
फर्जी आईजी पार्ट टू
एक कहावत है बकरे की मां कब तक खैर मनाएगी। ऐसा ही कुछ इन नटवर लाल के साथ हुआ। एक दिन पूरा कुनबा ही पुलिस के हत्थे चढ गया। आईये आपको बताते है कि कैसे ये लोग पुलिस के शिकंजे में आ गए। फर्जी आईजी बने ज्ञानेद्र ने अपनी जेके नम्बर की जिप्सी पर रैपिड एक्शन फोर्स की प्लेट लगा रखी थी...बल्कि सायरन भी लगा रखा था। इसी सायरन इन्हे पुलिस थाने पहुंचा दिया... दरअसल सायरन बजाते हुए ये लोग नोएडा से गुजर रहे थे... तभी नाके पर तैनात पुलिस कर्मियों ने इन्हें रोक लिया... चैकिंग के दौरान ज्ञानेद्र ने खुद को रैपिड एक्शन फोर्स का आईजी बताया... कुछ पल के लिए तो पुलिसकर्मियों को लगा कि ज्ञानेन्द्र सही बोल रहा है। लेकिन शक होने पर जब आईकार्ड की मांग की गई तो पूरी हकीकत सामने आ गई। जो आईकार्ड उसने पुलिस वालों को दिखाया वो फर्जी था। यही नही उसकी पत्नी और बेटे का आईकार्ड भी फर्जी निकला। पुलिस को समझते देर नही लगी की ये कोई आईजी या सर्कल ऑफिसर नही बल्कि शातिर नटवर लाल है। पुलिस ने जब तीनो से गहराई से पूछताछ की तो कई चौंकाने वाली बाते सामने आई। ज्ञानेन्द्र ने पुलिस को बताया कि उसने ग्रेटर नोएडा में आल इंडिया बैंक रिकवरी रैपिड एक्शन फोर्स नाम से एक रिकवरी कम्पनी खोल रखी है और वो बैंको के लिए पैसा वसूल करने का काम करता है। इसमें उसका बेटा और पत्नी भी बखूबी साथ देते। इसी की आड में ये लोग खुद को रैपिड एक्शन फोर्स का अधिकारी बताकर लोगों को चूना लगाते थे। पुलिस को जांच में पता चला की जिस कम्पनी का नाम आरोपी ने बताया है उस नाम से तो किसी कम्पनी का रजिस्ट्रेशन ही नही हुआ है। पुलिस ने इनके पास से कई तरह के फर्जी दस्तावेज भी बरामद किए है। फिलहाल तीनों के खिलाफ धोखाधडी का मामला दर्ज कर लिया गया है। अब पुलिस ये पता लगाने में जुटी है कि अब तक इन्होंने कितने लोगों को फंसाया है...साथ ही उस बैंक का भी पता किया जा रहा जिसके लिए ये काम करते थे
फर्जी आईजी साहब
पति रैपिड एक्शन फोर्स में आईजी... पत्नी रैपिड एक्शन फोर्स में सर्कल ऑफिसर। अब आप सोचकर देखिए उनका इलाके में क्या रूतबा होगा। आपने सही सोचा जहां से भी वो गुजरेंगे कोई भी एक बार के लिए सलाम करना नही भूलेगा। उन तीनो के साथ भी बिल्कुल ऐसा ही होता। जिस गली से वो गुजरते लोग सल्यूट करना नही भूलते। इलाके का हर बाशिंदा उन्हे बखूबी जानता। रूतबा ऐसा की हर कोई देख-सुनकर हैरान रह जाए। लेकिन रसूकदार रूतबा रखने वाला कुनबा आ गया है नोएडा पुलिस के शिकंजे में। क्या है इस कुनबे की असली हकीकत आईये बताते है। तन पर फौजी वर्दी...लाल बत्ती वाली गाडी और इलाके में खूब चलता हो रौब... भला किसी को और क्या चाहिए। कहानी के हर पहलु से आपको रूबरू कराने से पहले मिलवाते है इस कहानी के किरदारों से.... इनसे मिलिए ये हैं रैपिड एक्शन फोर्स के आईजी साहब....नाम है ज्ञानेद्र प्रकाश तोमर.... चलिए दूसरे किरदार से भी मिल लिजिए...ये हैं रैपिड एक्शन फोर्स की सर्कल ऑफिसर माधुरी तोमर...पूरी तरह वर्दी में चुस्त दुरुस्त...शान वही रुतबा भी वही....और हां आईजी साहब और सर्कल ऑफिसर साहिबा दोनों पति-पत्नी है... अब जरा तीसरे किरदार से भी मिल लिजिए... ये जनाब है शरदीप तोमर.. और ये साहब भी रैपिड एक्शन फोर्स में ही तैनात है...बस फर्क इतना है कि ये कोई आला अधिकारी नहीं बल्कि आईजी साहब के ड्राईवर है। लेकिन इनका भी रूतबा कुछ कम नही ...हो भी तो कैसे लाल बत्ती वाली गाडी जो चलाते है...वो भी आईजी साहब की। लेकिन ये सिर्फ ड्राइवर ही नहीं है बल्कि ये आईजी ज्ञानेन्द्र तोमर के लाडले हैं... अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर इन अधिकारियों पर ऐसी कौन सी मुसीबत आन पड़ी कि इन्हें अपने पूरे परिवार के साथ थाने में आना पड़ा आईजी साहब के चेहरे की उडी हवाइयां देखकर अब तक आप ये तो समझ चुके होंगे की, मामला गंभीर है... हैरानी की बात तो ये है कि उनकी मुसीबत किसी बदमाश या चोर उच्चके ने नही बल्कि नोएडा पुलिस ने बढ़ाई है... दरअसल ये रैफ के अधिकारियों का कुनबा नहीं बल्कि नटवरलाल का कुनबा है....जी हां ये हैं रैफ के नकली अधिकारी...पूरा परिवार ही नकली अधिकारी बन लोगों पर रौब गांठता था पुलिस के मुताबिक इन फर्जी अधिकारियों का असली धंधा है...वर्दी का रौब दिखाकर लोगों से बैंक का लोन वसूल करना। जी हां वही काम जो बैंक कई बार अपने गुंडे भेजकर कराता है... लेकिन आखिरकार पुलिस के हत्थे चढ ही गए। किसी भी मामले में ये लोग रैपिड एक्शन फोर्स के अधिकारियों से कम नही थे.... इनके पास बाकायदा एक जिप्सी मिली है जिस पर रैपिड एक्शन फोर्स की प्लेट लगी थी।
08 दिसंबर 2009
मैजिक पेन से ठगी
वो खुबसूरत तो है ही.. लेकिन उसकी आवाज भी उतनी ही रसीली है कि किसी को भी अपने जाल में फंसा ले। वो एक फोन करती है शिकार खुद ब खुद उसके जाल में फंस जाता है। अगर आप के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ है तो संभल जाए। हो सकता है हुस्न की मल्लिका के जाल में कहीं आप भी ना फंस जाए। चंद मिनटों में वो कर देगी आपकी जेब पर हाथ साफ। इस खूबसूरत चेहरे को ज़रा गौर से देखिये ! कई प्राइवेट बैंको के नाम पर इस महिला ने जो कुछ किया वो सुन कर शायद आपके पैरो तले की ज़मीन खिसक जाएगी ! ज़रा याद कीजिये कही कुछ दिन पहले आपको कोई फोन कॉल तो नहीं आई। किसी ने मिठी सी आवाज़ में आपसे लोन लेने के लिए कहा ! यही नहीं आपको लुभावने ऑफर भी दिए गए हो ! अगर ऐसा है तो ज़रूर याद कीजिये की कही उस आवाज़ के जाल में फंसकर आपने बैंक के एजेंट को कोई चेक तो नहीं दे डाला ! अगर ऐसा है तो ये आपकी सबसे बड़ी भूल हो सकती है ! इन दिनों लोन दिलाने के नाम पर कई गैंग सक्रिय है जिसने से एक गिरोह की मास्टरमाइंड है ये महिला। जो अपने गुर्गो की मदद से इस फर्जीवाड़े को अंजाम दे रही है। लेकिन हैरानी की बात ये है की अब भी पुलिस की गिरफ्त से बाहर है ये महिला। गाज़ियाबाद पुलिस अभी तक महिला गिरोह के एक बदमाश विक्रमजीत को ही गिरफ्तार कर पाई है। हुस्न और आवाज की इस मल्लिका का नाम है डिम्पी। जीं हां यही नाम है इसका। लोगो को ठगी का शिकार बनाने का इसका तरीका बेहद शातिराना होता है। दरअसल डिम्पी पहले फोन कर लोगों का अच्छे ऑफर का झांसा देकर लोन दिलाने की बात कहती है। और फिर जब लोग इसकी बातों में फंसकर हामी भर देते है तो डिम्पी अपने गिरोह के सदस्यों को भेजकर लोन से संबंधित कागजात और एक चेक जिसपर लोन दिलावाने की फीस का अमाउंट भरा होता था मंगा लेती। लोन के चक्कर में लोग बेफिक्र होकर चेक दे भी देते। लेकिन कुछ दिन बाद जब बैंक एकांउट चेक करते तो एकाउंट मे पैसा होता ही नही। इस जालसाज के चक्कर में लोग अपना सब कुछ लुटा बैठते है। गाजियाबाद पुलिस को लगातार इस तरह की ठगी की शिकायते मिल रही थी। पुलिस को समझते देर नही लगी की इस तरह की वारदात को कोई शातिर गिरोह अंजाम दे रहा है। पुलिस ने छानबीन की तो गिरोह का एक बदमाश पुलिस के शिंकजे मे आ गया। पुलिस ने विक्रमजीत नाम के इस शातिर के पास से दर्जन भर लोन के फार्म और ग्राहकों के फोटो बरामद किए है। साथ ही इसके पास से फर्जी आईकार्ड भी बरामद हुए है। पुलिस अब ये पता लगाने में लगी है कि इस गिरोह ने अब तक कितने लोगों को चूना लगाया है।
झपटमार गिरफ्तार
नोएडा में लगातार हो रही लूटपाट और झपटमारी की घटनाओं ने पुलिस की नाक में दम कर रखा है। पुलिस ने इसी के मद्देनजर झपटमारों के गैंग का पर्दाफाश किया है नोएडा पुलिस ने इस मामले में आधा दर्जन बदमाशों को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने बदमाशों के पास से चार कार, तीन बाइक और लूट के तीन मोबाइल फोन भी बरामद किए है। पुलिस गैंग की गिरफ्तारी को बडी कामयाबी मान रही है।लम्बे अर्से से बदमाशों के कारनामों से परेशान नोएडा पुलिस झपटमारों के गिरोह के छ बदमाशों की गिरफ्तारी से राहत महसुस कर रही है। पुलिस गिरफ्त में आए इन बदमाशों ने नोएडा पुलिस के पसीने छुडा रखे थे। पुलिस लम्बे अर्से से इनकी तलाश कर रही थी। दरअसल कुछ समय से नोएडा और आसपास में लूटपाट और झपटमारी की घटनाए आम हो चुकी है। बदमाश बेखौफ होकर वारदात को अंजाम देकर फरार हो जाते है। पुलिस ने इसी के मद्देनजर टीम का गठन किया और एक के बाद एक घटनाओं के अंजाम दे रहे गैंग के आधा दर्जन बदमाशों को धर दबोचा। पुलिस के मुताबिक इनको उस वक्त गिरफ्तार किया गया जब ये लोग नोएड़ा सेक्टर 63 में लूट की वारदात को अंजाम देने की साजिश रच रहे थे। पुलिस को मुखबिर से सूचना मिली थी कि कुछ लोग नोएडा सेक्टर 63 में बैठे है और किसी वारदात को अंजाम देने की साजिश कर रहे है। पुलिस ने छापा मारा और सभी को धर दबोचा।. छापा मारी में पुलिस के हाथ चार ही बदमाश लग सके। लेकिन पुलिस ने जब इनसे पूछताछ की तो कुछ और लोगों के नाम भी सामने आए। पुलिस ने इनकी निशानदेही पर दो और बदमाशों को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस ने इनके पास से चार कार, तीन मोटर साईकिल, तीन मोबाइल फोन और वारदात में प्रयोग किया जाना वाला एक चाकु भी बरामद किया है। पुलिस को पूछताछ में पता चला की इस गैंग को अंकित आपरेट कर रहा था और बाकि लोग वारदात को अंजाम देने के लिए उसका साथ देते थे। अंकित सीआईएसएफ में तैनात एक सब-इंस्पेक्टर का बेटा है। नोएडा पुलिस के मुताबिक ये गिरोह आन डिमांड गाडियों की चोरी करता था। यानि पहले गाडी का रंग, मॉडल और कीमत तय होती थी उसके बाद वारदात को अंजाम दिया जाता था। पकडे गए बदमाशों में से विपुल नाम के एक शख्स पर नोएडा पुलिस ने इनाम घोषित कर रखा था। गिरोह के छ बदमाश तो पुलिस के हत्थे चढ गए है लेकिन पुलिस अब इस गिरोह के अन्य बदमाशों की तलाश कर रही है।
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