03 जनवरी 2010

लापरवाही की इंतहा


आगज ऐसा हो तो फिर अंदाज कैसा होगा अंदाजा लगाना ज्यादा मुश्किल नही है। नए साल का आगाज दिल्ली पुलिस ने जैसा किया है उससे तो कुछ ऐसा ही लगता है कि आने वाले समय में पुलिस के हालात और भी बदतर होने वाले है। क्या कमिश्नर साहब कुछ ही घंटे में आपके दावे फुस हो गए अब क्या कहेंगें। आखिर कैसे करेंगें सुरक्षित होने का दावा। दिल्ली पुलिस नए साल में इतनी लापरवाह होगी किसी ने सपने में भी नही सोचा होगा। राजधानी के लोग भले ही पिछले साल बाइकर गैंग और चोरों की करामात से दो चार होते रहे लेकिन कम से कम आतंकी वारदात से पुलिस के निपटने को लेकर तो कुछ राहत महसुस की। लेकिन नए साल में तो पुलिस की सारी कोशिशें ही बेकार साबित हो गई। एक दो नही बल्कि पूरे तीन आतंकी दिल्ली पुलिस को चकमा देकर चलते बने। घटना एक जनवरी 2010 की है यानि नए साल का पहला दिन। लेकिन नए साल के पहले दिन ही दिल्ली पुलिस के चेहरे पर नाकामी की कालिख पुत गई। लापहरवाही की इंतहा तो तब हो गई जब सब-इंस्पेक्टर महोदय को आतंकियों ने चकमा दिया वो 100 न. पर फोन करने के बजाय खुद ही दो घंटे तक फरार तीनों आतंकियों को तलाशने में लगा रहा। क्या ये इतनी छोटी सी घटना थी कि सब-इंस्पेक्टर साहब खुद ही तीनों को गिरफ्तार करने का मादा रखते थे। लेकिन क्या कहें जनाब ये दिल्ली पुलिस है यहां कुछ भी हो सकता है ये पुलिस कुछ भी कर सकती है। 48 घंटे से ज्यादा का वक्त हो चुका है लेकिन पाकिस्तान के मेहमानों का दिल्ली पुलिस कोई सुराग नही लगा पाई है। आखिर इसे क्या कहा जाए... पुलिस ने मामले को पूरी तरह से दफन करने में भी कोई कोर कसर नही छोडी थी। दरअसल अब्दुल रज्जाक, मोहम्मद सादिक और रफाकत अली को साल 2000 में आतंकी हमला करने के आरोप गिरफ्तार किया गया था। इनके पास बाकायदा 7 किलो आरडीएक्स और करीब 50 किलो हेरोइन बरामद हुई थी। इन तीनों की सजा हाल ही में पूरी हुई थी और इन्हें वापस पाकिस्तान भेजा जाना था। लेकिन उससे पहले ही ये तीनो पुलिस को चकमा देकर फरार हो गए। पुलिस के मुताबिक इन तीनों को पाकिस्तान भेजने के लिए दिल्ली के लामपुर बार्डर पर बने डिपोर्टेशन सेंटर में रखा गया था। शुक्रवार को इन्होंने अपनी आंख में तकलीफ होने की बात कही थी। दिल्ली पुलिस के मुखिया वाई एस डडवाल साहब ने लम्बे चौडे आंकडे पेश कर राजधानी में अपराध कम होने का दावा किया था लेकिन जिस तरह से पुलिस की लापहरवाही की इंतहा हुई है उससे साफ है कि पुलिस की लापहरवाही किस कदर रही है। हालांकि मामले की गंभीरता को देखते हुई इसकी जांच स्पेशल सेल को सौंप दी गई है वहीं गृहमंत्रालय ने दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी कर सात दिन में जवाब मांगा है। लेकिन सबसे चौंकाने वाली बात है कि इतनी बडी घटना होने के बाद भी पुलिस के अधिकारियों का रूख कुछ बेफ्रिक सा ही दिखा। पुलिस प्रवक्ता का शुरूआती जांच में जो ब्यान आया उसने सबके पसीने छुडा दिये। पुलिस प्रवक्ता का कहना था कि आतंकियों की जिम्मेदारी पुलिस की नही बल्कि एफआरआरओ की थी लेकिन दुसरी तरफ से जो आवाज आई वो भी कम चौंकाने वाली नही थी। एफआरआरओ ने मामले की जिम्मेदारी स्पेशल ब्रांच की बताकर मामले को टालने की कोशिश की। चलिये अब तक जो कुछ हुआ वो परेशान करने वाला है लेकिन डडवाल साहब कम से कम अब तो सचेत हो जाएये। कॉमनवेल्थ गेम्स होने में अब कुछ ही महीने बाकि है और इस तरह से अगर आपके जवान चोर सिपाही का खेल खेलते रहेगें तो दिल्ली की सुरक्षा को किसके भरोसे छोडकर आप सुरक्षित होने का दावा करेंगें। वहीं अब तीन विदेशी मेहमानों को जल्द ही उनके सही ठिकाने का बंदोबस्त भी कर लिजिए वरना कहीं चोर सिपाही का ये खेल दिल्ली पुलिस को महंगा ना पड जाए।

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