15 जुलाई 2012

धर्मपिता की शिकार बनी सबीना


विवेकानंद चौधरी /नई दिल्ली
किसी भी सभ्य समाज में बेटी व बहू को समान व सम्मानजनक दर्जा प्राप्त है। दोनों घर की इज्जत होती हैं और उन्हें लक्ष्मी का दर्जा दिया गया है। लेकिन कलियुग के इस दौर में सांस्कृतिक विरासत में मिली उनकी अस्मिता  कलंकित होती प्रतीत हो रही है। उसके लिए निःसंदेह छद्म वेष में समाज में छिपे निकृष्ट मानसिकता वाले वैसे तत्व जिम्मेदार हैं, जिनके लिए सामाजिक बंधन व मान-मर्यादा का कोई औचित्य नहीं है। विशेषकर, जब घर का कोई सदस्य घर की इज्जत पर धावा बोले, तो अपराध क्षमा योग्य नहीं रह जाता। हाल की एक घटना में पिता समान एक कामांध ससुर ने अपनी बहू को इसलिए मौत के घाट उतार दिया, क्योंकि बहू ने उसकी अंकशायिनी बनने से इंकार कर दिया था। पूरी कहानी जानने के लिए पढि़ये यह खास रिपोर्ट।
सबीना का कत्ल
दक्षिणी दिल्ली स्थित नेबसराय थाने की पुलिस को रात्रि करीब साढ़े नौ बजे सूचना मिली, ‘‘सलीम का मकान, एल-1 ब्लाक, संगम विहार में एक युवती का कत्ल हो गया है।’’ सूचना मिलने पर थाने के एसएचओ इंसपेक्टर जरनैल सिंह थोड़े ही समय बाद दल-बल के साथ मौके पर पहुंच गये। लाश रक्त-रंजित अवस्था में मकान के ग्राउंड फ्लोर स्थित एक कमरे में फर्श पर पड़ी थी। हत्या वहशियाना अंदाज में की गई थी। मृतका के पेट, सिर व सीने पर किसी तेजधार हथियार के करीब दर्जन भर जख्म थे। मौके पर मौजूद मो साबिर नामक एक युवक ने लाश की शिनाख्त अपनी पत्नी 25 वर्षीया सबीना के रूप में की। पूछताछ में पता चला की पेशे से पेंटर मो साबिर बतौर किराएदार करीब दो माह से पत्नी व बच्चों के साथ उस मकान में रह रहा था। जबकि उसका पिता 48 वर्षीय मो अरशद अली मकान के प्रथम तल पर अकेला रहता था। उसकी पत्नी उससे अलग रहती थी।
मो साबिर के परिवार में उसके व सबीना के अलावा, उनकी दो साल की एक बिटिया थी। सबीना एक घरेलू महिला थी। बकौल मो साबिर, वह उस दिन शाम करीब सात बजे एक रिश्तेदार के घर गया था, जहां से रात्रि करीब सवा नौ बजे घर लौटा। वह जब कमरे में पहुंचा, तो सबीना इस हाल में पड़ी थी। जबकि बिटिया बिस्तर पर बैठी सिसकियां भर रही थी। साबिर कुछ पल के लिए तो बिल्कुल जड़वत हो गया। फिर उसने किसी तरह अपने को संभाला। उसके बाद उसने फोन कर घटना की सूचना पुलिस कोे दी, तो मौके पर पुलिस पहुंची थी। मो साबिर के अनुसार, घर से कोई सामान गायब नहीं था। उसने किसी पर शक की से इंकार किया। उसकी हालिया या पुरानी कोई दुश्मनी भी किसी के साथ नहीं थी। ऐसे में इस मामले को हल करना पुलिस के लिए आसान काम नहीं था। बहरहाल इंस्पेक्टर जरनैल सिंह ने लाश और घटना-स्थल की सभी जरूरी औपचारिकतायें पूरी करने के बाद मो साबिर के बयान पर इस बाबत थाने में मुकदमा दर्ज कर लिया। जबकि शव को पोस्टमार्टम के लिए मुर्दाघर भेज दिया।
मिला कत्ल का सुराग
पूछताछ के दौरान मकान मालिक मो सलीम ने बताया कि उसने रात्रि करीब पौने नौ बजे साबिर के पिता अरशद अली को उसके कमरे से निकलकर बेतहाशा भागते देखा था। इस जानकारी के बाद पुलिस ने साबिर को टटोला, तो अरशद अली पर पुलिस का शक गहरा गया। साबिर के अनुसार, सबीना के प्रति उसके पिता की नीयत में खोट था। वह कई बार सबीना के साथ छेड़छाड़ कर चुका था। फिर पुलिस ने अरशद अली की खोज की, तो वह गायब मिला। इससे पुलिस का शक यकीन में बदल गया।
ससुर गिरफ्तार
पुलिस ने इलेक्ट्रिोनिक सर्विलांस की मदद से अरशद अली को उस समय धर-दबोचा, जब वह एक जानकार से फोन पर बात कर उससे मिलने उसके घर पहुंचा। थाने में लाकर जब उससे मनोवैज्ञानिक तरीके पूछताछ की गयी, तो उसने गुनाह कबूल कर लिया। बकौल अरशद अली, सबीना की हत्या उसने अकेले की थी। अपराध-स्वीकारोक्ति के साथ ही उसे गिरफ्तार करने के बाद पुलिस ने उसकी निशानदेही पर वारदात में इस्तेमाल चाकू बरामद कर लिया।
बहू के प्रति नीयत में खोट
शुरू से ही चरित्र का कमजोर अरशद अली अपनी हरकतों के कारण कई बार पिट चुका था। जानकार उसे अपने  घर आने देना पसंद नहीं करते थे। वह अपनी कमाई का अधिकांश हिस्सा रंगरेलियां मनाने में खर्च कर देता था। परिवार की चिंता उसे तनिक भी नहीं थी। उसकी इन्हीं हरकतों से तंग आकर पत्नी उससे अगल हो गयी थी। अब उसकी नजर सबीना पर थी। उसने अंकशायिनी बनाने की चाहत में उसे पहले बहलाया-फुसलाया। जब सबीना उसके बहकावे में नहीं आई, फिर धमकाया। बावजूद सबीना पर कोई असर नहीं पड़ा, तो उसने तीन-चार बार उसके साथ जबरन संबंध बनाने की कोशिश की। लेकिन सबीना के जबर्दस्त विरोध के कारण वह हर बार नापाक मंसूबे में नाकामयाब रहा। ऐसी बात नहीं थी कि साबिर इन बातों से अनजान था। सबीना उसे सारी बात बताती थी। लेकिन लोक-लाज के भय से वह पिता से उलझने के बजाए, उसे धमका कर रह जाता।
जब अरशद अली के व्यवहार में कोई बदलाव नहीं आया, तो परेशानी से निजात पाने के लिए साबिर ने पिता से अलग रहने का मन बना लिया। उसने करीब दो माह पहले सलीम का मकान किराये पर ले लिया। लेकिन अरशद अली ने यहां भी सबीना का पीछा नहीं छोड़ा। करीब एक माह बाद वह भी उस मकान में रहने आ गया। उसने अलग कमरा लिया था। हालांकि अब साबिर व सबीना अरशद अली से कोई वास्ता नहीं रखते थे। लेकिन अरशद अली उनसे किसी न किसी बहाने अक्सर बातचीत करने की कोशिश करता। वह सबीना को अंकशायिनी बनाने की चाहत में बौरा गया था।
कत्ल को अंजाम
हर कोशिश के बाद भी अरशद अली को अपनी दाल गलती नजर नहीं आयी, तो उसके मन में सनक सवार हो गयी। उसे परिणाम की चिंता नहीं थी। अपने प्रति सबीना की बेरुखी अब उसके दिल में शूल की तरह चुभ रही थी। घटना के दिन शाम के समय अरशद अली कमरे पर था। वह साबिर के जाने के थोड़ी देर बाद मौका देखकर उसके कमरे में आ गया। उसे देखकर सबीना घबराई, तो उसने चाहत भरी नजरों से उसके चेहरे की तरफ देखा, ‘‘शायद तुम मेरे से नाराज हो। तभी मेरे से दूर रहती हो।’’ वह हौले से मुस्कराया, ‘‘बहू, मैं कोई गैर नहीं हूं, तुम्हारे पति का बाप हूं। जैसे तुम्हारे लिए साबिर है, वैसा ही मैं हूं। फिर मेरे से दूरी...।’’ सबीना खामोश रही। इतने में अरशद अली ने अंदर से कमरा बंद कर, सबीना को बाहूपांस में भर लिया, ‘‘बहू, आज इंकार मत करो...।’’ सबीना       कसमसाई, ‘‘मेरे पर रहम करो। मैं आपकी बहू हूं।’’ वह फफक पड़ी, ‘‘वरना मैं आत्महत्या कर लूंगी।’’ इस पर    अरशद ने प्यार का मरहम लगाते हुए उसे समझाया, ‘‘पागल मत बनो। मैं तुम्हें दुनिया की हर खुशी दूंगा, बस एक बार मेरी तमन्ना पूरी कर दो।’’ सबीना बिफर पड़ी, ‘‘बेहतर होगा कि तुम मुझे छोड़ दो। वरना शोर मचाकर पास-पड़ोस को एकत्र कर लूंगी।’’ उसने उसके बंधन से मुक्त होने की कोशिश की, लेकिन नाकामयाब रही। फिर सबीना आपा खो बैठी, ‘‘कमीने, तुम मुझे छोड़ते हो, या...।’’ उसने धमकाया, ‘‘बहुत हो गया। अब तुम्हें जेल भिजवाकर ही दम लूंगी।’’ इतना सुनते ही अरशद के चेहरे पर सहसा कुटिल मुस्कान उभर आई,‘‘कोई बात नहीं, जेल भेज देना।’’ उसने बंधन को मजबूत करते हुए उसकी आंखों में झांका, ‘‘मैं तुम्हारी खातिर जेल भी जाने को तैयार हूं।
सबीना ने अपना बायां पैर पूरी ताकत से उसके दोनों जांघों के बीच दे मारा, जिससे अरशद कराहते हुए फर्श पर गिर पड़ा। मौका देख सबीना बाहर जाने के लिए दरवाजे की तरफ लपकी, तो अरशद ने उसे पकड़ लिया। अब अरशद के चेहरे पर हैवानियत झलक रही थी। उसने पुन‘ उसके साथ मनमानी करने की कोशिश की। जब कामयाबी नहीं मिली, तो तैश में आकर उसने चाकू से सबीना के जिस्म पर कई प्रहार कर डाले, जिससंे सबीना   जख्मी हालत में फर्श पर गिर पड़ी। उसके बाद अरशद सावधानी पूर्वक वहां से निकल भागा। लेकिन संयोगवश सलीम की नजर उस पर पड़ गयी, जो पुलिस के लिए सुराग बन गया। अरशद अली पकड़ा गया।
फिलहाल अरशद अली दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद है।
                                                                                   कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

 


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