15 जुलाई 2012

‘जरायमपरी’ का राज


पुष्पा और सोनिया का रूप-लवण्य आकर्षक, लेकिन ताल्लुक साधारण परिवार से था। दोनों पड़ोसी व समान विचार-धारा की थीं। उनकी हसरतें बड़ी थी। उन्होंने ऐशो-आराम की जिंदगी की चाहत में वह रास्ता अख्तियार किया, जिसे जरायम कहते हैं। दोनों ने मात्र छह माह के अंदर बेहद शातिराना अंदाज में कई सनसनीखेज वारदातों को अंजाम देकर दिल्ली पुलिस की नींद हराम कर दी, लेकिन पुलिस की नजरों से बची रहीं। उनके निशाने पर थे मुख्य रूप से व्यवसायी वर्ग। वे शिकार को मिठास भरे स्वर व मोहक अदाओं से प्रभावित कर पहले विश्वास में लेतीं। फिर उसे बेहद चतुराई पूर्वक कोई नशीली चीज खिलाकर लूट लेतीं। वारदात के दौरान उनका पहनावा, बातचीत का अंदाज व चाल-ढ़ाल इस कदर मनमोहक और विश्वसनीय प्रतीत होता कि शिकार उन्हें पढी-लिखी, सुसंस्कृत और अच्छे घराने की समझ बैठने की भूल कर बैठता जिसका फायदा दोनों उठा लेतीं।  सबसे दीगर बात यह थी कि दोनों हर वारदात के बाद सीधा तीर्थयात्रा पर निकल जातीं। इसके पीछे मुख्य मकसद था कि उन पर प्रभु की कृपा बनी रहे, तो पुलिस की नजरों से बची रह सकें। धंधे में ‘जरायमपरी’ के नाम से मशहूर पुष्पा हाल ही में पुलिस के हत्थे चढ़ी, तो हुआ उनके गोरखधंधे का खुलासा। पूरी कहानी जानने के लिए घटना के अतीत में जाना होगा।
व्यवसायी बना लूट का शिकार
मैरेज ब्यूरो चलाने वाले मनमोहन सिंह वालिया का दफ्तर करोल बाग में बैंक स्ट्रीट पर है। दोपहर के वक्त वालिया दफ्तर में बैठे थे, तभी संभ्रांत सी दिखनेवाली दो युवतियां पहुंची, ‘‘शायद मैं गलत नहीं, तो यह वालिया साहब का दफ्तर है?’’ उनमें से एक ने हल्की मुस्कराहट के साथ उनके चेहरे की तरफ देखा। वालिया मुस्कराये, ‘‘जी हां, मेरा नाम वालिया है।’’ उन्होंने औपचारिकतावश उन्हें सामने पड़ी कुर्सियों पर बैठने का इशारा किया, तो दोनों युवतियां बैठ गईं। वालिया ने सवालिया निगाह से उनकी तरफ देखा, ‘‘जी कहिए, कैसे आना हुआ?’’ साथ ही उन्होंने यह भी पूछा, ‘‘मैं आपकी क्या मदद कर सकता हूं ?’’ इस पर एक युवती ने अपना परिचय मीना, निवासी मॉ़डल टाउन (दिल्ली) के रूप में दिया। जबकि दूसरी के बारे में बताया कि उसकी छोटी बहन रीना थी। मीना ने वालिया से कहा कि उन्हें भाई की शादी के लिए एक लड़की की तलाश है। तो वालिया ने कहा, ‘‘मैडम, मैं आप जैसों की सेवा के लिए बैठा हूं। आप रजिस्ट्रेशन करा लो।’’ उन्होंने भरोसा दिया, ‘‘मात्र पंद्रह दिनों के अंदर सुयोग्य लड़की तलाश दूंगा।’’मीना ने वालिया को दो सौ रुपया देकर रजिस्ट्रेशन करा दिया। बातचीत के दौरान वालिया को मीना का चेहरा तनिक जाना-पहचाना सा लगा। उन्होंने पूछ लिया, ‘‘मैडम, शायद पहले हम मिल चुके हैं, आपका चेहरा जाना-पहचाना सा लग रहा है।’’ तो मीना चैक पड़ी। उसने संभलते हुए सफाई दी, ‘‘हो सकता है, लेकिन मुझे घ्यान नहीं।’’ वह मजाक भरे स्वर में बोली, अधिकांश लोग ऐसा कहते हैं।   शायद मेरे हमशक्ल बहुतेरे हैं...। वालिया मुस्करा पड़े। तभी रीना ने अपने टिफिन बॉक्स से खीर निकालकर वालिया को दी। वालिया ने जब उनसे खीर खाने के लिए कहा, तो उन्होंने सोमवार का व्रत बताकर मना कर दिया। अब तक वालिया उनसे घुल-मिल गये थे। थोड़ी देर बाद युवतियां उन्हें काजू की बर्फी खिलाने अजमल खां रोड पर ले गईं, जहां वालिया को चक्कर आने लगे। उन्होंने यह बात युवतियों को बतायी, तो दोनों एक ऑटो करके उनके साथ दफ्तर आ गईं। दफ्तर में दाखिल होने के साथ ही वालिया अचेत हो गये। अगली सुबह करीब छह बजे उन्हें होश आया। वह अपने दफ्तर में फर्श पर पड़े हुए थे। जबकि दफ्तर में रखे एक लाख 35 हजार रुपये गायब थे। वालिया को सारा माजरा समझ में आ गया। उन्हें समझते देरी नहीं लगी कि दोनों युवतियों ने उन्हें नशीली खीर खिलाकर इस वारदात को अंजाम दिया है। उन्होंने फोन कर घटना की सूचना पुलिस को दी, तो थोड़े समय बाद करोल बाग थाने की पुलिस मौके पर पहुंच गई। पुलिस उन्हें लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉसेड ले गई जहां उनका इलाज चला। उन्होंने घटना की लिखित शिकायत करोल बाग थाने में दे दी।
पीडि़त को मिला सुराग, आरोपी पकड़ा
मामले में पुलिस की लापरवाही से परेशान मनमोहन सिंह वालिया को सप्ताह बाद सहसा ध्यान आया कि जिस युवती ने उन्हें मीना नाम बताया, वह करीब चार माह पहले महिंद्रा पार्क इलाके में मैरिज ब्यूरो चलाने वाली बेबी के साथ उनके दफ्तर में आई थी। वालिया, बेबी के पास पहुंच गये, लेकिन आपबीती उसे नहीं बताकर, उस युवती के बारे में उससे बातचीत की जो उसके साथ उनके दफ्तर में आई थी। उन्हें बेबी से पता चला कि उस युवती का नाम पुष्पा है, जो जहांगीरपुरी में रहती है। वालिया, पुष्पा के घर पहुंचे, तो वह तीर्थयात्रा पर गई मिली। पूछताछ में पता चला कि वह देर रात दिल्ली लौटेगी। इस जानकारी के बाद वालिया पुष्पा के घर के पास स्थित एक पार्क में सावधानी पूर्वक उसके इंतजार में बैठ गये। रात्रि में पुष्पा घर लौटी, तो वालिया ने पुलिस नियंत्रण कक्ष को फोन कर उसे पकड़वा दिया। पुष्पा ने वारदात में संलिप्त होने की बात कबूल कर ली। जबकि उसने वारदात में शामिल दूसरी युवती का असली नाम सोनिया बताया। बकौल पुष्पा, सोनिया जहांगीरपुरी में रहती थी। दोनों वारदात के बाद सीधा तीर्थयात्रा पर निकल गई थीं, जहां से साथ दिल्ली लौटी थीं। इस जानकारी के बाद वालिया पुलिस को साथ लेकर सोनिया के घर पहुंचे, तो उसके दरवाजे पर एक बड़ा सा ताला लगा हुआ था। सोनिया पुलिस के हाथ नहीं आई।
जरायम ने दिखाया वारदात का डगर
गिरोह की मास्टरमाइंड 35 वर्षीया पुष्पा थी। जबकि धंधे में उसकी शार्गिद 22 वर्षीया सोनिया हर वारदात में उसका साथ देती। दोनों अच्छी सहेलियां थी। उनके बीच सगी बहनों सा प्यार था। दोनों ने भौतिक सुख-सुविधा के लिए शार्ट-कट रास्ते से मनमाफिक पैसा कमाने की ललक में जरायम का पेशा अपनाया। वे धंधे में हर बार अलग नामों का इस्तेमाल करतीं। उन्हें साधारण परिवार में जन्म लेने का बेहद मलाल था। जबकि उनका मानना था कि अगला जन्म किसी ने नहीं देखा, इसलिए दोनों इस जन्म में ही सारी हसरतें पूरी कर लेना चाहती थीं। उनके अंदर एक  मुख्य खासियत थी, जो कोई एक बार मिल लेता, वह उनसे प्रभावित हो जाता। इसका फायदा शिकार फांसने में उन्हें मिलता।
वारदात का तरीका
गिरोह के निशाने पर मुख्य रूप से व्यवसायी वर्ग था। दोनों रूपसियां पहले शिकार को चिन्हित करतीं। फिर उपयुक्त अवसर देखकर किसी बहाने उसके दफ्तर में तब पहंुचती, जब वह अकेला होता। वे व्यवसायी को पहले   विश्वास में लेतीं। उसके बाद उसे खाने-पीने के किसी समान में कोई नशीली चीज खिलाकर अचेत कर देतीं। फिर वारदात को अंजाम देने के बाद सावधानी पूर्वक वहां से निकल जातीं। होश में आने पर शिकार को सारा माजरा समझ में आता, तो सिवाए पछतावा के उसके पास कुछ नहीं रहता।
जरायम के साथ ईश्वर में आस्था
पुष्पा और सोनिया जरायम के पेशे में जरूर थीं, लेकिन ईश्वर के प्रति उनकी अगाध आस्था थी। दोनों अक्सर साधु-संतो के प्रवचनों में शरीक होतीं, रोजाना पूजा-पाठ व  दान-पुण्य करतीं और हर वारदात के बाद सीधा तीर्थयात्रा पर निकल जातीं। पड़ोसी व जानकारों की नजरों में दोनों की छवि धार्मिक, परोपकारी, सभ्य व सुसंस्कृत युवतियों की थी। पुष्पा की गिरफ्तारी के बाद जब उनके असलियत सामने आई, तो जानकार भौचक्क रह गये।
टीवी से मिली वारदात की प्रेरणा
पुष्पा और सोनिया को वारदात की प्रेरणा एक टीवी चैनल पर प्रसारित अपराध के एक कार्यक्रम को देखकर मिली, जो किसी जहरखुरानी गिरोह से संबंधित था। उस कार्यक्रत को देखने के बाद उन्हें लगा कि शार्ट-कट रास्ते से जल्द अमीर बनने का यह सबसे सुरक्षित व आसान तरीका है, तो इसमें अन्य वारदात के मुकाबले जोखिम भी कम है। फिर दोनों ने नशीली चीज का इस्तेमाल कर वारदात की योजना बनाई।
सोनिया की तलाश तेज
पुष्पा सलाखों के पीछे, तो सोनिया अब तक पुलिस गिरफ्त से बाहर है। पुलिस ने उसकी तलाश में लगभग सभी संभावित जगहों पर दबिश दी, पर सफलता नहीं मिली। सोनिया का कोई सुराग नहीं मिला। उसकी गिरफ्तारी के लिए पुलिस ने कोशिश तेज कर दी है।

                                                                                                               कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

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