08 जुलाई 2012

सास, बहू और कत्ल की साजिश


राजीव गुप्ता/मनोज कुमार|| इलाहाबाद


                         24 वर्षीय विकास केसरवानी उस दिन सो कर उठा, तो ना जाने किस फिक्र में था। चेहरे पर अजीब सी उदासी थी। पत्नी सुप्रिया केसरवानी चाय की प्याली लेकर पहुंची, तो पत्नी के साथ भी विकास का व्यवहार पहले जैसा नहीं था। दोनों के बीच हल्का विवाद भी हुआ, विकास के इस तरह के व्यवहार को देखकर मां शोभा केसरवानी ने सहसा विकास से पूछ लिया, बेटा क्या परेशानी है। मां के इस सवाल के जवाब में विकास ने ज्यादा कुछ नहीं कहा, मां ना जाने क्यों मन बेचैन है। रात को अजीब सा ख्याल दिमाग में घूम रहा था। 
शोभा केसरवानी का घर जहां हत्या की वारदात को अंजाम दिया गया
                                     शोभा ने विकास को समझाते हुए कहा तुम भी ना जाने क्या सोच बैठते हो बेटा, अरे रात को कोई बुरा ख्याल मन में आया भी होगा तो क्या वो सच हो जाएगा। चल, अब उठ और काम के लिए निकल। पहले ही तुझे देर हो रही है। मां की इस तरह के बातों ने विकास का मन काफी हद तक हल्का कर दिया और वो नहा-धोकर तैयार हो गया जिसके बाद विकास टैगोर टाउन, थाना जॉर्ज टाउन, इलाहाबाद स्थित अपने घर से बाइक लेकर क्लाईंट से मिलने चला गया। लेकिन अभी भी उसका मन शांत नहीं हुआ था। रह-रहकर विकास के जहन में कोई बुरा ख्याल आ रहा था। उसे किसी अनजाने डर की चिंता सता रही थी। जैसे ही विकास का काम क्लाईंट के पास से खत्म हुआ उसने  सीधे घर का रूख कर लिया। उसे मां की ना जाने आज क्यों कुछ ज्यादा ही चिंता हो रही थी।
                           विकास केसरवानी को मां से कुछ ज्यादा ही लगाव था। उसे लगा कि घर जा रहा हूं तो क्यों ना मां के लिए रास्ते से कुछ मिठाई ही खरीद लूं। इसी सोच के साथ उसने रास्ते से जलेबियां पैक करा लीं और फिर घर की तरफ अपनी बाइक से चल दिया।
दोपहर करीब साढे तीन बजे विकास घर के मेन गेट पर था। उसने डोरबेल बजाई लेकिन अंदर से कोई जवाब नहीं मिला। फिर विकास ने सुप्रिया और मां शोभा को कई बार आवाजें लगाकर दरवाजा खोलने को कहा। लेकिन, उसकी तमाम कोशिशें बेकार गई। विकास को लगा कि शायद दोपहर होने की वजह से मां की आंख लग गई होगी। लिहाजा उसे बार-बार डोर बेल बजाकर और आवाज लगाकर मां को परेशान नहीं करना चाहिए।  यही बात सोचकर विकास ने अपने फोन से सुप्रिया को कॉल किया। विकास को उस वक्त ज्यादा फिक्र होने लगी जब सुप्रिया ने फोन रिसीव नहीं किया।  ऐसी स्थिति में विकास का धैर्य जवाब देने लगा, उसे जहां सुप्रिया पर गुस्सा आ रहा था वहीं चेहरे पर चिंता की लकीरें भी उभर आई थीं। विकास ने सोचा कि फिलहाल किसी तरह घर में दाखिल हो ले बाकी तो बाद में देखा जाएगा। उसने किसी तरह मेन गेट का दरवाजा खोला और फिर डंडे के सहारे खिड़की को खोलकर घर की लॉबी में दाखिल हो गया। लॉबी का मंजर देखर विकास के मुंह से जोरदार चीख निकल गई, मां...............। 
                 लॉबी में बिस्तर पर शोभा केसरवानी की लाश खून में लथपथ पड़ी थी। विकास ने रोते हुए सुप्रिया को कई बार आवाजें लगाईं लेकिन वह बाहर निकल कर नहीं आई। वह बेडरूम की तरफ बढा तो सुप्रिया को बेहोश देखकर उसके होश फाख्ता हो गए। खुद को संभालते हुए पिता मदन लाल केसरवानी और बहन स्मिता को फोन कर घटना की जानकारी दी।
मृतक शोभा केसरवानी
अब तक आस-पास के लोगों को भी केसरवानी परिवार में किसी अनहोनी के घटित होने का आभास हो चुका था।  आसपास के लोग इक्ठ्ठा होना शुरू हो गए। इसी बीच सुप्रिया को होश आ गया। विकास मां को इलाबाबाद के स्वरूप रानी अस्पताल में लेकर पहुंचा लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी।
डॉक्टरों ने शोभा केसरवानी को मृत घोषित कर दिया। इसी बीच मामले की जानकारी किसी ने 100 नंबर पर फोन कर पुलिस कंट्रोल रूम को दे दी। क्योंकि मामला इलाहाबाद के बेहद पॉश इलाके का था, लिहाजा पुलिस ने भी बिना वक्त गंवाए घटनास्थल का रूख किया। मामले को गंभीरता से लेते हुए थाना प्रभारी इंस्पेक्टर धनंजय मिश्रा दल-बल के साथ मौके पर जा पहुंचे। लेकिन मौके पर पीडि़त के ना होने की स्थिति में इंस्पेक्टर ने सब-इंस्पेक्टर शंभुनाथ तिवारी को वहीं पर छोड़ दिया ताकि वारदात स्थल पर सुबूतों के साथ किसी तरह की छेड़छाड़ ना की जा सके और खुद शोभा की स्थिति का जायजा लेने के लिए अस्पताल पहुंच गए।
वारदात के बारे में सुप्रिया का बयान
वारदात के वक्त घर में शोभा केसरवानी, बहू सुप्रिया केसरवानी व उसकी दूधमुंही पोती ही मौजूद थीं। पुलिस को वारदात के बारे में सुप्रिया ही पूरी जानकारी दे सकती थी। पुलिस टीम ने सुप्रिया के बयान लेने शुरू किये। उसने पुलिस को बताया कि दोपहर करीब एक बजकर तीस मिनट पर विकास किसी क्लाईंट से मिलने घर से निकले थे और उसके ससुर मदन लाल केसरवानी व ननद स्मिता पहले ही जा चुके थे। जब विकास घर से निकला तो वो बाहर मेन गेट को भूलवश खुला छोड़ गया था। जैसे ही विकास घर से निकला वह अपने बेडरूम में चली गई जिसके कुछ मिनट बाद ही उसे अपनी सास के चीखने की आवाज सुनाई दी।
विलाप करती आरोपी सुप्रिया केसरवानी
सास की चीख सुनकर जब वह बाहर निकली तो देखा कि तीन से चार की संख्या में नकाबपोश बदमाशों ने उसकी सास को काबू कर रखा है और लूटपाट के लिए लॉकर की चाबी की मांग कर रहे हैं। देखकर वो बुरी तरह डर गई। बदमाशों ने उसे अंदर रहने की धमकी दी, और ऐसा ना करने पर उसे और उसकी ढाई वर्षीय बच्ची को भी मारने की धमकी देने लगे।  डर के मारे सुप्रिया ने खुद को अपने कमरे में बंद कर लिया। किन्तु जब उसे लगा कि बदमाश घर से जा चुके हैं तो उसने बाहर कमरे से बाहर निकलने की हिम्मत दिखाई, उस वक्त भी बदमाश घर में ही थे और मेन गेट की तरफ बढ रहे थे ये देख उसने शोर मचाना चाहा लेकिन बदमाशों ने उसे बुरी डरा दिया। बदमाशों से वो इतना डर गई कि उसने दरवाजे की सिटकनी लगा ली..लेकिन, लॉबी में सास को लहुलुहान देखकर जैसे ही वो अपने कमरे की तरफ बढ़ी बेहोश होकर गिर गई। सुप्रिया के इस बयान से पुलिस को शोभा के कत्ल की कहानी काफी हद तक सुलझी हुई नजर आने लगी, लगा कि मुमकिन है लूटपाट के इरादे से इस वारदात को बदमाशों ने अंजाम दिया हो। क्योंकि दोपहर के वक्त घर में शोभा और उसकी बहू ही मौजूद हांेगी, इसलिए दोपहर का वक्त चुना गया हो। पुलिस का ये अंदेशा इसलिए भी पुख्ता हो रहा था क्योंकि घर का सामान चारों तरफ बिखरा पड़ा था, जिससे लूटपाट की आशंका को बल मिल रहा था। पुलिस ने मामले की जानकारी आला अधिकारियों को दी, और इस संबंध में दफा 302 के तहत अपराध संख्या 172ध्12 में केस दर्ज कर लिया। 
पुलिस की तहकीकात
तफ्तीश करती पुलिस
पहली नजर में ही ये बात साफ हो चुकी थी कि 58 वर्षीय शोभा केसरवानी की हत्या की गई है। पुलिस ने केस दर्ज कर मामले को सुलझाने के लिए तेज-तर्रार पुलिसकर्मियों की टीम का गठन किया गया, जिसमें जॉर्ज टाउन थाना प्रभारी धनंजय मिश्रा, सब-इंस्पेक्टर शंभूनाथ तिवारी, संदीप तिवारी, बृजेश द्विवेदी, महिला पुलिसकर्मी- आरक्षी, सविता साहू व दीपा भदौरिया को शामिल किया गया। मामला एक हाईप्रोफाइल परिवार में हत्या का था। पुलिस के लिए इस केस को जल्द सुलझाना एक बड़ी चुनौती थी। तफ्तीश के दौरान पुलिस को मौके से लोहे का एक मूसल (मसाला कूटने वाला) बरामद हुआ जोकि खून से सना हुआ था। इसके अलावा घर का सारा सामान बिखरा हुआ था, लेकिन परिजनों से पूछताछ के बाद पुलिस को पता चला कि घर से कोई भी कीमती सामान गायब नहीं हुआ था।
जार्ज टाउन थाना, इलाहाबाद
विकास से पूछताछ करती पुलिस
जांच दल का माथा यहीं से ठनक गया। आखिर बदमाशों ने इस वारदात को अंजाम दिया तो उनका मंसूबा लूटपाट रहा होगा फिर बदमाश हत्या करने के बाद फरार हो गए। आखिर घर में लूटपाट क्यों नहीं की गई। अब जांच टीम को इस बात का अंदेशा हो रहा था कि हो ना हो शोभा केसरवानी के कत्ल में किसी जानकार का हाथ रहा है।
सास के कत्ल में सुप्रिया पर शक
शोभा केसरवानी की हत्या में शक की सुई उसके ही किसी अज्ञात जानकार के इर्द-गिर्द ही घूम रही थी क्योंकि वारदात की चश्मदीद गवाह सुप्रिया ही थी इसलिए पुलिस के शक की सुई सुप्रिया पर आकर टिक गई। सुप्रिया पर शक की कई वजहें थीं, मसलन बदमाशों को घर में रखा मूसल कैसे मिला जबकि मूसल घर में काफी अंदर रखा हुआ था और बदमाशों ने हत्या में मूसल का ही इस्तेमाल क्यों किया? शक की दूसरी वजह थी सुप्रिया के पास मोबाइल फोन था लेकिन उसने कमरे में बंद होने के बावजूद पुलिस या फिर विकास को फोन क्यों नहीं किया? माना कि बदमाशों के भय से वो मानसिक रूप से परेशान थी, लेकिन बदमाशों के जाने के बाद उसने क्यों नहीं फोन करके पति और ससुर आदि को सूचित किया? सुप्रिया पर शक की तीसरी वजह थी कि जिन बदमाशों का जिक्र उसने किया था, उन्हें किसी भी पड़ोसी ने घर के अंदर दाखिल होते या फिर जाते नहीं देखा था। शक की चैथी वजह थी खुद सुप्रिया का बयान। सुप्रिया ने बताया था कि बदमाशों ने उसकी सास को काबू कर रखा था तो उसने चीख-पुकार कर क्यों नहीं आस-पास के लोगों को सचेत करने की कोशिश की? इसके अलावा सुप्रिया ने कहा था कि बदमाशों की संख्या तीन से चार थी लेकिन पुलिस को मौके पर शोभा के बदमाशों से संघर्ष करने के कोई सुबूत नहीं मिले।
ये कुछ ऐसी वजहें थीं जो सुप्रिया को शक के घेरे में खड़ा कर रही थीं। ये बात शुरूआती दौर में ही पुलिस के सामने साफ हो चुकी थी। लेकिन पारिवारिक रिश्ते और घर के माहौल के मुताबिक पुलिस ने सुप्रिया के खिलाफ उस वक्त कोई भी कार्रवाई करने से परहेज किया। इसकी वजह थी कि सुप्रिया को पारिवारिक स्नेह का फायदा मिल सकता है। और पुलिस की कहानी पर फिलहाल कोई यकीन नहीं करेगा। लिहाजा पुलिस ने शोभा की तेहरवीं होने का इंतजार किया।
जार्ज टाउन थाना प्रभारी धनंजय मिश्रा
सुप्रिया की गिरफ्तारी
भले ही सुप्रिया पुलिस के सामने जो भी कहानी बयां करती आई हो, लेकिन उसके ही बयानों ने शोभा के कत्ल की गुत्थी को सुलझा दिया। इंस्पेक्टर धनंजय को पहले ही सुप्रिया पर कत्ल का शक हो चुका था। जब शोभा की तेहरवीं हुई, तो उसके बाद एक बार फिर नये सिरे से पुलिस ने सुप्रिया से सवालों का सिलसिला शुरू किया। पहले के बयान और अब के बयानों में काफी विरोधाभास नजर आ रहा था। जब जांच टीम ने मनोवैज्ञानिक तरीके से सुप्रिया से पूछताछ शुरू की तो उसे टूटने में ज्यादा वक्त नहीं लगा। सुप्रिया ने पुलिस के सामने कुबूल किया कि शोभा की हत्या में उसका हाथ रहा है और उसी ने इस हत्याकांड को अंजाम तक पहुंचाया है। पुलिस ने बिना वक्त जाया किये सुप्रिया को गिरफ्तार कर लिया।
सास के कत्ल की वजह
सुप्रिया की गिरफ्तारी से पुलिस टीम ने शोभा केसरवानी की हत्या का मामला तो सुलझा लिया लेकिन हर किसी के जहन में ये सवाल कौंध रहा था कि आखिर इस हत्याकांड की वजह क्या थी? और, जवाब सिर्फ सुप्रिया के पास था। 24 वर्षीय सुप्रिया बी ए पास कर चुकी थी, और एक मध्यम परिवार की खुले विचारों वाली युवती थी। शादी के बाद से उसे कई पारिवारिक बंधनों में रहना पड़ रहा था। हालांकि विकास केसरवानी ने उसे फैशन डिजाईनिंग का कोर्स कराया था जिसके लिए वो अक्सर स्कूटी से ही जाया करती थी। घर की बहू का स्कूटी से जाना शोभा को पसंद नहीं था वह इस बात को लेकर कई बार टोका-टाकी कर चुकी थी इसके अलावा उसी साल 14 फरवरी को सुप्रिया ने स्थानीय नर्सिंग होम में एक बच्ची को जन्म दिया था, नर्सिंग होम से ही  22 फरवरी को सुप्रिया अपने मायके चली गई थी। जिसके बाद वो 25 अप्रैल 2012 को वापस ससुराल लौटकर आई। पुलिस के सामने सुप्रिया ने बयान दिया कि पहले ही उसकी सास उसके साथ कहा-सुनी करती थी, जब उसने बेटी को जन्म दिया तो उसपर तानों का सिलसिला शुरू हो गया। सुप्रिया के मुताबिक उसे लड़के को जन्म ना देने को लेकर शोभा केसरवानी अक्सर खूब ताने दिया करती थी। सास के तानों से सुप्रिया आजीज आ चुकी थी और सास को ठिकाने लगाने की साजिश रचने लगी थी। जब 7 मई, 2012 की दोपहर सुप्रिया को मौका मिला तो उसने अपनी सास शोभा केसरवानी का कत्ल कर डाला।
कैसे दिया साजिश को अंजाम ?
सास के कत्ल की साजिश पहले ही सुप्रिया के जहन में जन्म ले चुकी थी, उसे इंतजार था एक माकूल मौके का। जो उसे 7 मई की दोपहर मिला जब घर में शोभा और सुप्रिया ही मौजूद थीं। दोपहर के वक्त विकास के निकल जाने के बाद शोभा लॉबी में ही बिस्तर लगाकर कुछ वक्त के लिए लेट गई। जब सुप्रिया को लगा कि सास नींद में है तो उसने कमरे में रखा मूसल निकाला और सो रही सास के सिर पर दे मारा। मूसल का वार इतना जोरदार था कि शोभा के हलक से चीख तक नहीं निकल पाई और उसने दम तोड़ दिया। वारदात को अंजाम देने के बाद सुप्रिया ने घर का सारा सामान इधर-उधर बिखेर दिया ताकि लगे कि शोभा की हत्या लूटपाट के इरादे से की गई है।
पारिवारिक पृष्ठभूमि
चैबीस वर्षीय सुप्रिया केसरवानी पुत्री रमेश चंद्र केसरवानी, तिलहापुर मोड़, जिला कौशांबी की रहने वाली और दो भाई तथा दो बहनों में दूसरे नंबर की संतान है।  रमेशचंद्र का इलाके में ही बिल्डिंग मेटेरियल सप्लाई का काम है। सुप्रिया मध्यम परिवार से संबंध रखती थी। बीए तक पढी-लिखी सुप्रिया खुले विचारों की युवती थी उसे अपने काम में किसी की टोका-टाकी कतई पसंद नहीं थी।
वहीं विकास केसरवानी के पिता मदन लाल केसरवानी इलाहाबाद से 40 किमी. दूर लाल गोपलगंज के रहने वाले हैं लेकिन 10 वर्ष पहले ही टैगोर टाउन में आकर रहने लगे थे। घर में विकास इकलौता बेटा था जबकि उसकी दो बहनें है जिनमे बड़ी बहन की शादी हो चुकी है जबकि छोटी बहन प्राईवेट नौकरी करती है। विकास और सुप्रिया की शादी साल 2009 में हुई थी। शादी के बाद से ही सास शोभा के साथ सुप्रिया के संबंध कुछ खास मधूर नहीं थे जिसका अंजाम शादी के तीन साल बाद सामने आया जब सुप्रिया ने अपनी सास का कत्ल कर डाला। हालांकि जिस तरह से सुप्रिया ने मामले को लूटपाट के बाद कत्ल की शक्ल देने की भरसक कोशिश की, उसमें वो कामयाब ना हो पाई। जॉर्ज टाउन थाना पुलिस के तेज-तर्रार पुलिसवालों ने कातिल बहू को जल्द ही बेनकाब कर दिया। सुप्रिया पर हत्या का इल्जाम लगा है और इस वक्त वो नैनी सेंट्रल जेल में बंद है।

(कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित)

कोई टिप्पणी नहीं: