25 मार्च 2009

कातिल का कबूलनामा

वो दोनो बेहद करीबी दोस्त थे..एक दुसरे पर जान छिड़कते थे हर दुःख सुख में साथ होते मगर इस दोस्ती में दरार किया आई अपने ही दोस्त पर जान छिड़कने वाला बन गया खुद के दोस्त का कातिल ....उसने दिया अपने जुर्म का कबूलनामा हाँ मै ही हूँ अपने दोस्त का कातिल ..अगर मै उसे नहीं मारता तो मेरी जान ले लेता ...
दीपक अब इस दुनिया में नहीं है वो शिकार हो गया अपने ही दोस्त की दगाबाजी का ...दीपक और जितेंदर गहरे दोस्त थे कल शाम जितेंदर दीपक को उसके घर से बुलाकर अपने साथ ले गया ...लेकिन देर रात तक जब वह घर नहीं लौटा तो घर वालो ने पुलिस को खबर दी ...लेकिन आज सुबह १८ साल के दीपक की लाश बुराडी इलाके के ही एक खाली पड़े प्लाट में खून से सनी मिली ....शरीर पर तेज धर हथियार से वार किये गए थे ....आखिर कौन कर सकता था दीपक का कत्ल ये सवाल हर किसी के मन में उठ रहा था ...दीपक की तो किसी के साथ रंजिश भी नहीं थी ....
आखिर कौन है दीपक का कातिल जब इस राज से पर्दा उठा तो सब हैरान रह गए ..दीपक का कातिल कोई और नहीं बल्कि उसी का दोस्त जितेंदर था जिसने अपने एक और साथी के साथ मिलकर दीपक की बड़ी ही बेरहमी से हत्या कर दी थी ...इस दरअसल रात को दोनों ने शराब पि ...किसी बात को लेकर दोनों में कहासुनी हो गए तो जितेंदर ने अपने साथी के साथ मिलकर दीपक को मौत के घाट उतार दिया ...और फिर सुबह खुद ही ठाणे आकर खुद को पुलिस के हवाले कर दिया दोनों को अपने किये पर अब कोई पछतावा नहीं है ...
जितेंदर और उसका साथी कोई पेशेवर हत्यारे नहीं थे शायद यही बात और पकडे जाने के डर से ही दोनों ने खुद को पुलिस के हवाले कर दिया ...इन दोनों की के गुनाह ने इन्हें अब जेल का रास्ता दिखा दिया ...लेकिन कोई दोस्त ज़रा सी बात पर कत्ल जसी वारदात को अंजाम दे सकता है ये बात सोचकर ही रूह काँप उठती है ....

1 टिप्पणी:

Anil Kumar ने कहा…

शराब आदमी को जानवर बना देती है.