01 मार्च 2009

ये कैसी पत्रकारिता

मै खुद एक पत्रकार हूँ और एक राष्ट्रीय न्यूज़ चैनल के लिए काम कर रहा हूँ...लेकिन कई बार आज की पत्रकारिता को लेकर खुद को सवालों के घेरे में पाता सोचता हूँ ये कैसी पत्रकारिता है ...कल (२८ फरवरी 2009) की एक घटना ने मुझे झकझोर कर रख दिया ....दुनिया को आईना देखाने वाले पत्रकार आखिर किस और जा रहे है ...दरअसल कल दिल्ली के एक छोटे से इलाके नरेला के होलम्बी से मुझे खबर मिली की एक टीचर ने दूसरी कक्षा में पढने वाले एलिक का मुह काला कर उससे घुमाया है ..इस तरह की हरकत कोई टीचर करे मुझे यकीं नहीं हो रहा था मगर खबरी इसे कन्फ़र्म कर रहे थे ...जाहिर सी बात थी मुझे खबर के लिए तुंरत निकलना था लेकिन उससे पहले मैंने सिथिति का जायजा लेना बेहतर समझा पता चला की टीचर ने एक सेकेच पेन से एलिक के चहरे पर एक निशान बना दिया था ..जब बच्चा घर पहुचा तो उसके पिता ये सब देखकर आग बबूला हो गए फिर क्या था ..मोह्दिये जी ने इस बात की जानकारी पुलिस या स्कुल को देने के बजाये मीडिया कर्मियों की घंटी बजानी शुरू कर दी .....यंहा मेरे विवेक से ये खबर नहीं हो सकती थी अगर एक टीचर ने गलती वश या फिर मजाक में ये सब कर भी दिया तो क्या बात हो गई ....हमने अपने एक दुसरे पत्रकार साथियो इस बारे में सलाह मशविरा किया ...सभी ने निचेये किया वो खबर को कवर नहीं कर रहे है ....वास्तव में खबर थी भी नही ...ये खबर पत्रकारों में आग की तरह फैलती जा रही थी ... जिले के सभी पत्रकार इस खबर को ड्राप कर चुके थे ...लेकिन उस्सी दिन रात के समय जैसे ही मैंने आपना टी वी ओं किया तो वही खबर मेरे सामने थी वो भी बड़े धमाके के साथ ...टीचर की काली करतूत ..बेरहम टीचर ...ये कैसी सजा कुछ इस्सी तरह के शब्दों का इस्तेमाल हो रहा था ...ये कहबर किसी एक चैनल पर नहीं बल्कि एम् एच वन न्यूज़ , सहारा समय एन सी आर , एन डी टी वी (मेट्रो नेशन ) पर दिखाई जा रही थी....बस अब तो ऑफिस से फोन आने वाला है काफी डांट पड़ेगी तुम कान्हा थे तुम्हारे इलाके से इतनी बड़ी खबर आ रही है तुम क्या कर रहे थे ...हुआ भी ऐसा ही कुछ दी देर ऑफिस से बॉस का फोन आया मनोज ये क्या खबर है मैंने सर को बताया सर खबर तो है मगर इसमें कुछ नहीं है ...क्या कह रहे हो सर ये खबर मेरे पास काफी समय से थी मगर टीचर ज़रा सा पेन चला दिया था वो भी गलती से बच्चे के पिता ने इस पर घमासान मचा दिया और मीडिया कर्मियों को फोन करना शुरू कर दिया ....मेरी टीचर से बात हुई है उनका भी यही कहना है की ये सब उन्होंने जानबूझकर नहीं किया है बल्कि ये गलती से हो गया है ...किसी तरह से मेरा पीछ छूटा ..चैन की सांस ली ...मैंने तुंरत चंनेलो को बदलना शुरू किया पता चला की ये खबर हमारे किसी जानकार ने नहीं बल्कि कुछ दुसरे रिपोर्टरों ने की थी इसके तुंरत बाद मेरे मन में सवाल उठा की आखिर ये कैसे पत्रकारिता है जन्हा हम लोग सामाजिक दाईतावो को भूलते जा रहे है आखिर क्यों ..माँ बाप जितना दर्जा रखने वाले टीचर को क्या इतना भी हक़ नहीं की वो अपने छात्र को डांट सके .... इस तरह की खबर dikhanaa kitnaa सही है ......

3 टिप्‍पणियां:

Unknown ने कहा…

ऐसे पत्रकार पत्रकारिता के नाम पर कलंक है इनके खिलाफ कार्येवाही की जानी चाहिए

नाम मनोज श्रीवत्स इलाहाबाद के एक छोटे से गाँव का निवासी .पेशे से स्वंतंत्र पत्रकार . ने कहा…

aaj aap jis patrakarita ki baat kar rahe hai vo to kab ki mediakarmiyo ki rojo-roti ke liye dafan ki ja chuki hai.par aaccha lagta hai jab aap jase navyuvako ke dil me hi sahi patrakarita ka mool abhi jinda hai.iswar kare ap jaiso ko wo manjil nasib ho jaha se aap apne dil ki bat ko hakikat me la sake..........Manoj Srivats

manu sharma ने कहा…

aaj ke sandharb mein yadi deakha jaye to jo aap ne likha hai who ek vastavikta hai .aaj sahi patkarita ka matlab kahi kho chuka hai .aur patrkaro ko majburi vash wahi karna padta hai jo unne kaha jata hai .
aur rahi ek teacher ki bache ko datne ki baat .to aaj kal har admi media ke dwara t.v. par ek baar aanna chata hai .kyoki aaj media janta ki kisi bhi kahber ko bada chad kar prastut karti hai to phir log us ka istemaal kyo na kare.aaj ki janta aur media publicity ke liye kuch bhi kar gujarne ko tyer hai.
aap apne blog mein anusaran kartao ki such bhi shamil kare taki hum use join kar sake .