13 मार्च 2009

खून की होली , दोस्त का कत्ल


उसने खेली खून की होली
होली का तोयोहर था हर कोई रंग से खेलने की तयारी में था मगर उसके मन में कुछ और ही चल रहा था उसने होली तो खेली मगर गुलाल से नहीं बल्कि खून से...उसने खेली खून की होली ...उसे अपने किये पर कोई पछतावा नहीं है बल्कि उसे फ़िक्र है तो अपने मासूम बच्चो की ...वो बन चूका है पुलिस का महमान

इस शख्स को गौर से देखिये इसके चहरे पर न तो कोई शिकन है न ही पछतावे का मलाल ...लेकिन इसने दिया है एक खौफनाक वारदात को अंजाम ..दिल्ली के नरेला में रहने वाले धर्मदास ने अपने ही साथी का बड़ी ही बेरहमी से कतल कर दिया ...रिंकू की धर्मदास की पत्नी के साथ नाजायज रिश्ते थे जिसका पता उसे लग चुका था मगर इस कड़वी सच्चाई के साथ वो किसी तरह जी रहा था मगर ११ मार्च को इसके सब्र का बाँध टूट गया और धरमदास ने रिंकू का कत्ल कर दिया ...रिंकू का चेहरा बुरी तरह से कुचला हुआ था उसकी पहचान कर पाना बहेद मुश्किल था ..लेकिन किसी तरह पुलिस ने पहचान की तो कत्ल के राज से भी पर्दा उठ गया ..

धर्मदास को अपने किये का कोई पछतावा नहीं है बल्कि उसे तो अपने मासूम बच्चो की चिंता है ...पहले तो वो खुद की पत्नी को ही ख़त्म करना चाहता था मगर उसके बच्चो के प्यार ने उसे रिंकू के कत्ल के लिए मजबूर कर की ..आप खुद सुनिए एक कातिल का कबूलनामा ...
वी ओ ३...दोस्त की दगाबाजी और बीवी की बेवफाई ने आखिरकार धर्मदास को गुनेहगार बना दिया ...लेकिन ये धर्मदास की मोहब्बत ही थी की उसने बीवी और अपने बच्चो के लिए अपने दोस्त का ही कत्ल कर दिया ...

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