31 मार्च 2009

उम्मीद के दो साल


उम्मीद के दो साल
ये दांस्ता है उस माँ बाप की जो पिछले दो साल से एक उम्मीद के सहारे जिए जा रहे है की उनका बेटा तो अब नहीं लौट सकता मगर उन्हें न्याय तो मिलेगा ...लेकिन अब तो उन्हें वो उम्मीद की किरण भी ख़त्म होती दिख रही है ये आप बीती किसी दूर दराज के इलाके की नहीं बल्कि देश की राजधानी दिल्ली की है जंहा एक माँ बाप को इन्तजार है बस इस बात का की कोई उन्हें बता दे की उनके जवान बेटे की हत्या हुई या फिर उसने खुदकुशी की ....दरअसल एक नोजवान की मौत की ये गुत्थी हत्या और खुदकुशी के बीच पिछले दो सालो से यूंही झूल रही है ... बुध सिंह एक २४ साल का नोजवान ....दिल्ली के एक छोटे से गाँव में रहने वाला बुध सिंह ... हमेशा खुशमिजाज रहने वाला बुध सिंह इस नाम से दिल्ली के लोग भले ही अच्छी तरह वाकिफ न हो मगर पिछले दो साल से ये नाम दिल्ली पुलिस के लिए सरदर्द बना हुआ है ....बुध सिंह न तो कोई पेशेवर गुन्हेगार है न ही किसी का कातिल लेकिन फिर भी ये नाम दिल्ली पुलिस के लिए सरदर्द बना हुआ है ....बुध सिंह २४ साल का बुध सिंह तो वो इंसान है जो आज से दो साल पहले ही इस दुनिया से रुखसत हो चुका है .... एक अप्रेल
२००७ की सुबह कृष्ण सिंह के लिए गम के वो लम्हे लेकर आई जो दो साल बीतने के बाद भी ज्यों के त्यों है दरअसल उस दिन कृष्ण सिंह को खबर मिली की उनके बेटे ने खेत में एक पेड़ के सहारे फांसी लगा खुदकुशी कर ली है ...जब मौके पर जाकर देखा तो बुध सिंह की लाश पेड़ पर लटकी थी उसके सिने में एक गोली भी लगी थी ...पहली नजर में साफ़ था की ये खुदकुशी नहीं हत्या है ...पुलिस को मौका अ वारदात से कुछ सबूत भी मिले ..साफ था की किसी ने बुध सिंह की गोली मार हत्या कर उसके शव को पेड़ से लटका दिया है ...पुलिस ने भी मामले को जल्द सुलझने का आश्वासन दिया .....
पुलिस की जाँच इस मामले की तफ्तीश में लगी थी हर किसी को विशवास था की बुध सिंह के कातिलो से पर्दा जल्द की उठने वाला है मगर नो दिन बाद पुलिस का वो ब्यान आया जिस को सुनकर हर किसी के होश फाकता हो गये ...बुध सिंह की हत्या नहीं हुई थी बल्कि उसने खुदकुशी की है...इस बात पर किसी को यंकिन नहीं हो रहा था आखिर एक इंसान कैसे खुद को गोली मार पेड़ पर लटका सकता है या खुद को फांसी पर लटका गोली कैसे मार सकता है ...परिवार वालो और ताजपुर गाँव के लोगो ने इस बात को लेकर थाने पर हंगामा भी किया ..लेकिन जैसे जैसे दिन निकलते गए मौत की ये गुत्थी उतनी की उलझती चली गई ...
आखिरकार पुरे मामले की जाँच थाना पुलिस के बजाए क्राइम ब्रांच को सौंप दी गई ...आज इस घटना को पुरे दो साल हो गए है ...साथ की पुलिस की तफ्तीश को भी.... मगर दो साल की इस तफ्तीश के बारे में आप सुनेगे तो चौंक जांयगे क्योंकि तफ्तीश का नतीजा सिफर है ...बुध सिंह की मौत की गुत्थी आज भी उसी मोड़ पर है जंहा से वो शुरू हुई थी बुध सिंह की मौत का राज जानने को उसका परिवार ही नहीं बल्कि ताजपुर कलां गाँव का हर बाशिंदा बेताब है... हर कोई जानना चाहता है की उस रोज क्या हुआ था कैसे हुई थी बुध सिंह की मौत ....
दो साल की तफ्तीश के बारे में जब आला अधिकारी से बात की गई तो उन्होंने न केवल दो साल बीतने के बाद खुद को इस मामले से अन्भिझ बताया बल्कि इस मामले पर सटीक जवाब देने के बजाये ...उलटा सवाल मिडिया पर की दाग दिया ...आप क्यों इस केस में इतनी दिलचश्पी ले रहे है ...
दिल्ली पुलिस के लिए भले की ये केस अहम् न हो लेकिन पिछले दो साल से न्याय की बाट जोह रहे उस माँ बाप को आज इन्तजार है की.कोई तो उन्हें बता दे के आखिर उनके जवान बेटे के साथ हुआ क्या था ...

2 टिप्‍पणियां:

उम्मीद ने कहा…

bhut acchi rachna

Unknown ने कहा…

इन्साफ के इन्तजार में केवल कृष्ण सिंह ही नहीं बल्कि इस तरह के कितने ही माँ बाप इन्साफ के इन्तजार में है