दक्षिण अफ्रीका के एक प्रमुख व्यवसायिक घराने से ताल्लुक रखने वाली निरंजनी काफी पढ़ी-लिखी, सरल, सहृदयी और बेपनाह हुस्न की मलिका थी। निःसंदेह उसकी शादी कोई बड़े नौकरशाह से अथवा किसी नामचीन अमीर घराने में होती। लेकिन उसने एक भारतीय नागरिक सुमित हांडा से प्रेम-विवाह किया, जिसकी हैसियत उसके परिवार के सामने कुछ भी नहीं थी। वह निरंजनी के पिता के फार्म में एक साधारण कर्मचारी था। शादी के बाद निरंजनी के परिजनों ने सुमित से घरजमाई बनने की पेशकश की, पर उसने साफ मना कर दिया। दोनों बेहद स्वाभिमानी और कर्मठ थे। उन्हें न कोई परेशानी थी, न किसी चीज का अभाव। इकलौता लड़का निर्वाण उनके प्यार की निशानी थी। उन्होंने शादी के करीब ढ़ाई वर्ष बाद दिल्ली को अपना नया आशियाना बनाया, जहां उन्हें अच्छी तनख्वाह पर मनलायक नौकरी मिल गयी। इसी बीच एक दिन अप्रत्याशित घटना घटी, जब सुमित हांडा स्थानीय थाने में पहुंचा और उसने आरोप लगाया कि उसकी पत्नी निरंजनी घर से लाखों रुपये के जेवरात व नकदी लेकर फरार हो गयी है। फिर पुलिस ने घटना की एक-एक कड़ी को जोड़ते हुए मामले का खुलासा किया, तो सभी भौंचक रह गये। निरंजनी घर से फरार नहीं हुई, उसका कत्ल कर उसके शव को ठिकाने लगा दिया गया था। हैरत की बात यह थी गुनाहगार कोई और नहीं, सुमित हांडा था। हत्या अबैध संबंध की परिणति थी। पूरी कहानी जानने के लिए घटना के अतीत में जाना होगा।
निरंजनी की गुमशुदगी दर्ज
2 नवम्बर, 2011 की सुबह करीब नौ बजे 31 वर्षीय एक युवक सुमित हांडा दक्षिणी पूर्वी दिल्ली स्थित पुल प्रह्लादपुर थाने पहुंचा। उसने थाने के एसएचओ इंसपेक्टर हरिश्चंद्र को बताया, सर, 30 अक्टूबर की शाम करीब छह बजे मेरी पत्नी निरंजनी ने मुझे धोखे से चाय में नींद की दवा पिला दी और लाखों की नकदी व गहने लेकर अपने किसी प्रेमी के साथ फरार हो गयी। मैने अपने स्तर से उसकी काफी तलाश की, पर वह नहीं मिली। कृपया उसकी गुमशुदगी रिपोर्ट दर्ज कर लें। यह सुनकर इंसपेक्टर हरिश्चंद्र हैरत में पड़ गये, ‘सिर्फ गुमशुदगी रिपोर्ट...। उन्होंने सरसरी निगाह से उसके चेहरे की तरफ देखा, बंधु, मामला तो चोरी का है। फिर सिर्फ गुमशुदगी रिपोर्ट... उनका सवाल था, ऐसा क्यों? इसपर युवक ने सफाई दी, सर, मै निरंजनी से बहुत प्यार करता हूं। इसलिए नहीं चाहता कि उसपर कोई परेशानी आये। यह बात अलग है कि उसने मेरे प्यार का यह सिला दिया। लेकिन मैं गलती मान लेने पर उसे माफ कर दूंगा। तो इंसपेक्टर हरिश्चंद्र ने सुमित के बयान पर थाने में निरंजनी की गुमशुदगी रिपोर्ट दर्ज कर ली।
मामले पर क्राइम ब्रांच की नजर
इस घटना की भनक कहीं से क्राइम ब्रांच(स्पेशल यूनिट) के सब इंस्पेक्टर रितेश कुमार को लग गयी। एस आई रितेश का माथा ठनका-‘पत्नी लाखों की नकदी व गहने लेकर फरार और रिपोर्ट गुमशुदगी की। जरूर कोई गड़बड़ है, जिसकी कानूनी लीपापोती करने की कोशिश की जा रही है।’ एस आई रितेश ने चालाकी से सुमित और निरंजनी के मोबाइल नंबर ले लिए। फिर सनलाइट कालोनी स्थित क्राइम ब्रांच के दफ्तर में आकर एस आई रितेश ने अपने इंसपेक्टर अनिल दुरेजा से इस बारे में चर्चा की, तो दुरेजा को रितेश की बातो में दम नजर आया। दुरेजा ने आला अघिकारियों से इजाजत लेकर अपने निर्देशन तथा सब इंसपेक्टर रितेश कुमार के नेतृत्व में एक विशेष टीम का गठन कर सावधानी पूर्वक मामले की पड़ताल शुरू कर दी।
कैसे मिला कत्ल का सुराग?
पुलिस टीम ने जांच के दौरान सबसे पहला काम यह किया कि दोनों मोबाइल नंबरों की लोकेशन और काल डिटेल निकलवा ली। उससे जानकारी मिली कि निरंजनी का फोन 29 अक्टूबर की रात 9 बजे से बंद था। बंद होने की उसकी लोकेशन घर के इलाके की थी। जबकि सुमित के फोन की लोकेशन 30 अक्टूबर की शाम करीब पांच बजे तक घर के इलाके की थी। उसके बाद उसके फोन की लोकेशन दिल्ली से राई(सोनीपत, हरियाणा) तक थी। मध्य रात्री के बाद पुनः उसके फोन की लोकेशन घर के इलाके की थी। सुमित ने इंसपेक्टर हरिश्चंद्र को बताया था, कि 30 अक्टूबर की शाम करीब छह बजे चाय पीने के थोड़ी देर बाद वह अचेत हो गया। उसे अगले दिन सुबह करीब पांच बजे होश आया, तो निरंजनी घर से फरार थी। जबकि घर में रखे लाखों की नकदी व गहने गायब थे। ऐसे में उस रात उसके फोन की लोकेशन घर के इलाके में होनी चाहिए, पर ऐसा नहीं था। यह रहस्य की बात थी। इसी बीच छह नवम्बर को सुमित पुश्तैनी घर आगरा चला गया, तो उसपर संदेह गहरा गया। पुलिस टीम का मानना था कि फिलहाल सुमित की प्राथमिकता निरंजनी की तलाश होना चाहिए था, न कि घर जाने की चिन्ता। अब पुलिस टीम उससे पूछताछ का मन बना बना चूकी थी। सुुुमित 10 नवम्बर को दिल्ली लौटा, तो 11 नवम्बर को क्राइम ब्रांच की टीम ने उसे पूछताछ के लिए हिरासत में ले लिया। मनोवैज्ञानिक तरीके से पूछताछ करने पर सुमित जल्द टूट गया। उसने खुलासा किया कि निरंजनी अब इस संसार में नहीं है, क्योंकि उसने 29 अक्टूबर की शाम घर में उसकी हत्या कर उसके शव को राई(सोनीपत, हरियाणा) के जंगल में ले जाकर जला दिया था। इस अपराध स्वीकारोक्ति के साथ ही पुलिस ने सुमित को गिरफ्तार कर, उसके खिलाफ पुल प्रह्लादपुर थाने निरंजनी की हत्या का मुकदमा अपराध संख्या 342/11 पर धारा 302, 201 भा. द. वि के तहत दर्ज कर लिया। अगले दिन यानी 12 नवम्बर को क्राइम ब्रांच की टीम ने सुमित को दिल्ली की साकेत कोर्ट में पेश कर, उसे सात दिनों के पुलिस रिमांड पर ले लिया। रिमांड अवधि में सुमित ने पुलिस को राई के जंगल से निरंजनी के जले हुए शव के अवशेष बरामद करा दिये। साथ ही उसकी निशानदेही पर वारदात में इस्तमाल सामानों की भी बरामदगी हो गयी।
दंपत्ति की पृष्ठभूमि
मकान नंबर 50, ईएमआई इन्कलेव, आगरा(उत्तरप्रदेश) में सपरिवार रहने वाले श्रीराम हांडा के तीन संतानों में सुमित हांडा बड़ा था। उससे छोटा भाई अमित आगरा से एमटेक्् कर रहा था। जबकि बहन प्रीती छोटी थी। अमित और प्रीती अविवाहित थे। श्रीराम हांडा का सेना में राशन सप्लाई का काम था। अब वह समाजिक कार्यां में लगे थे। सुमित की मां कमलेश हांडा एक घरेलू महिला थी। सुमित ने 12वीं कक्षा तक पढ़ाई आर्मी स्कूल, आगरा से की। उसके बाद बीएससी(बैचलर आॅफ साइंस) आगरा कालेज, आगरा से किया। वर्ष 2000 में वह दिल्ली आ गया। दिल्ली में उसने वल्र्ड ट्रेड सेंटर से छह माह का ट्रेवल एजेंसी की ट्रेनिंग ली। वर्ष 2001 में उसे करोलबाग स्थित एक ट्रेवल एजेंसी में काम मिल गया। उसी दौरान उसने दो साल का फ्रेंच कोर्स कर लिया। वर्ष 2003 में उसे कंपनी की तरफ से बतौर मार्केटिंग मैनेजर थाईलैंड भेजा गया, जहां वह मात्र सात माह रहा। फिर नौकरी छोड़कर भारत आ गया। दरअसल थाईलैंड उसके स्वास्थ्य के अनुकूल नहीं था। दिल्ली आकर उसने एक दूसरी नामचीन ट्रेवल कंपनी ज्वाइन कर ली, जहां तनख्वाह मनलायक था। तभी उसकी मुलाकात दक्षिण अफ्रिका के एक प्रमुख व्यवसायी रामा पिल्लै से हुई, जो तब व्यवसाय के सिलसिले में भारत आए हुए थे। रामा पिल्लै का साडि़यों का आयात-निर्यात का व्यवसाय था। उसके अलावा उनकी दक्षिण अफ्रिका के डरबन शहर में भारतीय साडि़यों की एक थोक दुकान थी। मूलतः हैदराबाद शहर(भारत) के रहने वाले रामा पिल्लै ने करीब 40 वर्ष पूर्व दक्षिण अफ्रिका की नागरिकता ले ली थी। वे सपरिवार डरबन शहर में रहते थे। पहली मुलाकात में ही रामा पिल्लै को सुमित अपने काम का आदमी लगा। इसलिए उन्होंने उससे पूछ लिया, ‘‘मेरे पास काम करोगे?’’ तो सुमित ने फौरन हामी भर दी। इसपर रामा पिल्लै ने उसे भरोसा दिया, ‘‘तुम्हें जल्द डरबन बुला लेंगे।’’ उसके बाद सुमित फोन व अन्य माध्यमों से लगातार रामा पिल्लै के संपर्क में रहा। वर्ष 2005 मे रामा पिल्लै ने सुमित को डरबन बुला लिया और उसे अपनी दुकान में सेल्स एक्सक्यूटिव की नौकरी दे दी। रामा पिल्लै के दो संतान थे। लड़की निरंजनी बड़ी थी, जो कानून की पढ़ाई पूरी करने के बाद टूर एंड ट्रेवल्स का कोर्स कर रखी थी। फिलहाल वह एक नामी कंपनी में आॅफिस असिस्टेंट के पद पर कार्यरत थी। निरंजनी से छोटा भाई लिंगेश्वर डेंटिस्ट का कोर्स कर रहा था। जबकि रामा पिल्लै की पत्नी चारुमाला एक घरेलू महिला थी। डरबन में पहले से सुमित का एक दोस्त लक्ष्मण रहता था, जो सुमित के साथ दिल्ली में एक ट्रेवल एजेंसी में काम कर रखा था। हैदराबाद शहर का रहने वाला लक्ष्मण डरबन में एक ट्रेवल कंपनी में अच्छे पद पर था। वह एक किराए के मकान में अकेला रहता था, क्योंकि उसकी शादी नहीं हो रखी थी। लक्ष्मण ने सुमित से साथ रहने की पहल की, तो सुमित उसी के साथ रहने लगा।
मुलाकात, प्यार, शादी और बच्चा
रामा पिल्लै के पास काम के दौरान सुमित की मुलाकात निरंजनी से हुई। जल्द ही दोनों एक-दूसरे के बेहद करीब आ गये और उनके बीच प्यार का सिलसिला चल पड़ा। फिर उन्होंने शादी का निर्णय ले लिया। निरंजनी के परिजनों को इस शादी पर कोई आपत्ति नहीं थी। 5 फरवरी, 2007 को उनकी शादी हो गयी। शादी के बाद सुमित ने रामा पिल्लै का काम छोड़कर दूसरी कंपनी ज्वाइन कर ली। डरबन शहर में स्थित उस कंपनी का नाम ‘सेरेमपेडीटी टूर’ था। लक्ष्मण, सुमित और निरंजनी के साथ रहता था। शादी के बाद अक्टूबर,2009 में दोनों भारत आए, जहां से दोनों दिसंबर में पुनः डरबन लौट गये। अक्टूबर, 2010 में उन्हे एक लड़का हुआ, जिसका नाम निर्वाण रखा।
रिश्ते में खटास
पति सुमित हांडा के साथ निरंजनी |
हत्या की वजह
निरंजनी और लक्ष्मण फोन और अन्य माध्यमों से अब भी एक-दूसरे के संपर्क में थे। ज्यादातर दोनों विडियो कान्फ्रेंशिंग जरिए लाइव चैटिंग करते। यह बात सुमित को पता था, पर वह इसे लगातार नजरअंदाज करता रहा। दरअसल वह घर में कलेश के पक्ष में नहीं था। परिणाम यह हुआ कि निरंजनी को बल मिल गया। अब वह उसके सामने भी लक्ष्मण से चैटिंग कर लेती। धैर्य की भी कोई सीमा सीमा होती है। जब निरंजनी की बेहयायी हद पार कर गयी, तो सुमित ने निरंजनी के साथ सख्ती से पेश आने का फैसला कर लिया। इस दिशा में पहला काम किया, उसने 23 अक्टूबर को छोटी बहन और बेटे को आगरा भेज दिया। दरअसल वह उनके सामने निरंजनी के साथ कोई बखेड़ा नहीं चाहता था, क्योंकि उन बच्चों पर गलत असर पड़ सकता था। वहीं, इधर विगत कुछ दिनों से निरंजनी लगातार सुमित पर दवाब डाल रही थी कि वह उसे डरबन छोड़ आए। जबकि सुमित किसी न किसी बहाने टालमटोल कर दे रहा था। इस कारण निरंजनी, सुमित से नाराज थी। निरंजनी को डरबन नहीं भेजने के पीछे सुमित की दो मुख्य वजह थी। पहली, जनवरी में सुमित के छोटे भाई की शादी होनी थी। और दूसरी, सुमित को आशंका थी कि डरबन जाने के बाद निरंजनी पुनः भारत नहीं आएगी। वह लक्ष्मण से शादी कर लेगी, ऐसा भी उसका मानना था। बात 29 अक्टूबर,2011 की है। उस दिन शाम के समय सुमित घर पहुंचा, तो घर का दरवाजा सिर्फ भिडका हुआ था। अतः वह आसानी से अंदर आ गया। शायद निरंजनी भूलवश अंदर से दरवाजा बंद करना भूल गयी होगी, ऐसा उसे लगा। अंदर आने पर बेडरुम में उसकी नजर गयी, तो वह चैक पड़ा। सुमित के आने से बेखबर निरंजनी बेडरुम मे लेपटाॅप पर किसी से लाइव चैटिंग कर रही थी। वह बिल्कुल नग्नावस्था में थी। वेबकैम आॅन था और लेपटाॅप के स्क्रीन पर लक्ष्मण का चेहरा साफ नजर आ रहा था। स्पीकर भी खुला हुआ था। दोनों एक-दूसरे से अश्लील बातें कर रहे थे। यह दृश्य देखते ही सुमित का धैर्य जवाब दे गया। उसे अपने गुस्से पर नियंत्रण नहीं रहा। वह रसोई की तरफ बढ़ गया।
कैसे दिया कत्ल को अंजाम ?
रसोई से सुमित चाकू ले आया और उससे निरंजनी के जिस्म पर तबतक प्रहार करते रहा, जबतक वह लहूलुहान अवस्था में अचेत होकर फर्श पर गिर नहीं पड़ी। उसके बाद उसने लेपटाॅप की चार्जजिंग लीड से गला घोंटकर उसकी हत्या कर दी। फिर शव को बाथरुम में रख दिया और घर की अच्छी तरह साफ-सफाई कर दी। अगले दिन यानि 30 अक्टूबर की सुबह वह मार्केट से एक ट्राली बैग और एक हैंड बैग खरीद लाया। घर आने पर उसने ट्राली बैग में निरंजनी का शव रख दिया। जबकि हैंड बैग में खून लगे कपड़े और हत्या में इस्तमाल सामान रखे। अब उसे लाश को ठिकाने लगाना था, सहसा उसे शुभाशीष का ध्यान आया, जो दफ्तर में उसके साथ काम करता था। रोहिणी इलाके में रहने वाले शुभाशीष के पास सफेद कलर की एक मारुति,800 कार थी। फिर सुमित ने फोन कर शुभाशीष से कहा, ’’अपनी कार लेकर आ जाओ। मुझे अपने चचेरे भाई से मिलने जाना जरूरी है।’’ तो शाम करीब पांच बजे शुभाशीष कार लेकर सुमित के घर आ गया। सुमित ने दोनों बैग कार की पिछली डिक्की में रखे। उसके बाद दोनों कार में राई, सोनीपत की तरफ बढ़ गये। राई इलाके में श्यामपुर गांव के पास एक पेट्रोल पम्प नजर आने पर सुमित ने कार वहां रुकवा ली। फिर उसने दोनों बैग उतारे और शुभाशीष को यह कहकर वापस भेज दिया कि यहां से उसका भाई ले जाएगा। उसने भाई को फोन कर दिया है। शुभाशीष जब कार लेकर चला गया, तो सुमित पेट्रोल पम्प पर पहुंचा, जहां से उसने एक कैन में दो लीटर पेट्रोल लिए। फिर वह दोनों बैग और कैन लेकर पैदल ही करीब दो सौ मीटर दूर जंगल में आ गया, जहां चारों तरफ सन्नाटा था। वहां उसने दानों बैग को एक-दूसरे के उपर रखा और उसमें पेट्रोल छीड़ककर आग लगा दी। उस जगह वह करीब दो घंटे रहा, जबतक लाश जल नहीं गयी। फिर एक ट्रक से लिफ्ट लेकर सिंधु बोर्डर पहुंचा, जहां से एक टीएसआर में कश्मीरी गेट बस अड्डा आ गया। उसके बाद वहां से बस पकड़कर पुल प्रहलादपुर अपने घर आ गया। अगले दिन उसने बाथरुम के टाइल्स बदलवा दिया, क्योंकि लाश रखने के कारण उसमें खून लग गये थे।
पत्नी की बेहयाई के चलते एक शरीफ इंसान कातिल बन गया। पत्नी का कत्ल कर उसके शव को जला डालने वाले सुमित नामक व्यक्ति को अंत तक भरोसा था कि शायद उसकी पत्नी सही राह पर आ जाएगी। लेकिन, बेशर्मी की हदें पार कर चुकी पत्नी निरंजनी अपने पति की इसी कमजोरी को अपना हथियार बनाए हुए थी।
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