03 अप्रैल 2009

अपनों की याद

कृष्ण सिंह का परिवार जवान बेटे की मौत को आज भी भूल नहीं पाया है उसे याद कर आज भी इनकी आँखे भर जाती है ..जवान बेटे की याद कृष्ण को रोज उस पेड़ की तरफ खीच ले जाती है जंहा बुध सिंह की लाश मिली थी ...बेटे की मौत के बाद तो उनकी दुनिया ही बदल गई है
कृष्ण सिंह 55 साल का वो इंसान जो पिछले दो साल से न्याय की उम्मीद में पुलिस के आला अधिकारियो के चक्कर लगा रहा है ...इसे उम्मीद है आज नहीं तो कल न्याय मिलेगा...जवान बेटे की याद कृष्ण को खुद बे खुद उस पेड़ की तरफ ले जाते है जो बुध सिंह की मौत का गवाह है .. भले ही बुध सिंह की मौत को दो साल हो गए हो लेकिन बेटे की मौत का दुःख इस परिवार में कम नहीं हुआ है अब यहाँ न खुशियाँ है न ही हंसी की गूंज ...भले की बुध सिंह की मौत को आज दो साल हो गए हो लेकिन जख्म अभी हरे है ..दो साल के अभिषेक को ये मालूम भी नहीं है........कि इसके सिर से पिता का साया हमेशा के लिए उठ चुका है.....इस बात से बेखबर इस मासूम की आंखे रह-रहकर अपने पिता को ढूंढती है.......और जब इसे उसके पिता कहीं नही दिखते तो ये उनकी तस्वीर उठा लेता है.....उन्हें प्यार करता है शायद इस उम्मीद में के आज नहीं तो कल आयंगे और इसे गोद में उठा लेंगे ...बुध सिंह हमेशा खुश रहता था परेशानी कभी उसके चहरे पर नहीं दिखी..बुद्ध सिंह की मां की मानें तो उनकी बेटा एक ज़िंदादिल इंसान था..और वो कभी आत्महत्या नहीं कर सकता इसकी मानें तो इनके बेटे को किसी से पैसे भी लेने थे...
कहते है उम्मीद पर दुनिया कायम है शायद इसी उम्मीद के सहारे क्रिशन सिंह न्याय की आस में है लेकिन सवाल ये भी है ..दो साल की तफ्तीश का नतीजा सिफर देने वाली दिल्ली पुलिस कभी इस परिवार को न्याय दिला पायेगी या फिर बुध सिंह की मौत बस एक राज की रह जायगी ?